________________ जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास 61. जिनरत्नकोश पृ 447 जै०सा०एवं इ०पृ० 420-421 . जिनरत्नकोश पृ० 342 आ०पु० 1/66 63. जै०सा०का०बृ०इ०भाग 3 पृ० 40, 356, 363 64. जिनरत्नकोश पृ० 310-311 65. जै०सा० और इ०पृ० 161-308 जिनरत्नकोश पृ० 318 66. संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान पृ० 106-136 जैनसाहित्य और इतिहास पृ० 411 जिनरत्नकोश पृ 264 67. निर्णयसागर प्रेस बम्बई 1638 / जैन साहित्य का वृहद इतिहास भाग 6 पृ० 535 वाद टिप्पणी नं० 4, गुरु गोपालदास बरैया स्मृति ग्रंथ पृ० 484-61 / 68. तिलक मंजरी पद्य 38-51 66. निर्णय सागर प्रेस बम्बई से दो भागों में प्रकाशित 1601-3, महावीर जैन ग्रन्थमाला वाराणसी ने 1660 एंव 1671 में संस्कृत हिन्दी टीका सहित - पं० सुन्दरलाल जैन। 100. जिनरत्नकोश पृ 266 -101. जैन विविध साहित्य शास्त्रमाला द्वारा प्रकाशित बनारस सं० 1672 102. जिनरत्नकोश पृ 56 103. जै०सा०का०बृ०इ०भाग 6 पृ 360 104. जिनरत्नकोश पृ 152 105. जिनरत्नकोश पृ 447 106. जै०सा० और इ० पृ० 420-21 107. जिनरत्नकोश पृ 301 108. जै०शि०ले०सं० भाग 2 लेख नं 227,237.251,253,267,272 106. जै०शि०ले०सं० भाग 4 लेख नं० 21 110. प०चं० (वि०सू०) अन्तिम सर्ग गाथा 103 111. जै०स०शौ० 36, पृ० 463 112. दि जै०सो०आफ ए०इ०पृ० 66-81 113. ए०इ०भा० 4 नं० 44 पृ 306-310 114. दि०जै०सी०आफ ए०इ०अध्याय 10