________________ 34 जैन साहित्य का समाजशास्त्रीय इतिहास वृहदगच्छीय नेमिचन्द्रसूरि ने भी सं० 1141 में “महावीरचरिय” की रचना की इसमें महावीर के 25 पूर्वभवों का वर्णन है। प्राकृत अपभ्रंश एंव देशीभाषाओं के अतिरिक्त संस्कृत में महावीर पर रचनाएँ कम उपलब्ध है। सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में असंग कवि ने महावीर चरित" लिखा है / इसे वर्धमान चरित्र एंव सन्मतिचरित्र भी कहते हैं। “महावीर चरित" की प्रशस्ति के अनुसार इसका रचनाकाल शक सं० 610 (ई० 688) ज्ञात होता है। इसकी कथावस्तु गुणभद्र के उत्तरपुराण के 74 वे पर्व से उद्धत है। इसमें भगवान महावीर के चरित्र वर्णन के साथ पूर्वभवों - मरीचि, विश्वनन्दी, त्रिपृष्ठ, अश्वग्रीव, सिंह, कपिष्ठ, हरिषेण, सूर्यप्रभ आदि की कथाऐं वर्णित है। इन 24 तीर्थकरों का सम्मिलित रुप से चरित्र निरुपण हमें गुणभद्र कृत-उत्तरपुराण एंव बरांगचरित में प्राप्त होता है। चकवर्ती बलभद्र, नारायण एंव प्रतिनारायण पर स्वतन्त्र रचनाएँ जैन धर्म के अन्तर्गत त्रेशठशलाका पुरुषों के अन्तर्गत 12 चक्रवर्तियों-१, भरत 2, सगर 3, मधवा 4, सनत्कुमार 5, शान्ति 6, कुन्थू 7, अरह 8, सुभोम 6, पद्म 10, हरिषेण 11, जयसेन 12, बलभद्र। 6 बलभद्रों - 1, अचल 2, विजय 3, भद्र 4, सुप्रभ 5, सुदर्शन 6, आनन्द 7, नन्दन 8, पद्म 6, राम | 6 बासुदेव (नारायण) - 1, त्रिपृष्ठ 2, द्विपृष्ठ 3, स्वयम्भू 4. पुरुणोत्तम 5. पुरुषसिंह 6, पुरुषपुण्डरीक 7, दत्त 8, नारायण 6, कृष्ण। 6, प्रतिवासुदेव को स्थान दिया गया है। इन पर स्वतन्त्र रुप से चरितकाव्य लिखे गये हैं लेकिन वे सभी 12 वीं शताब्दी के बाद के हैं अतएव उन चरित्र काव्यों का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। ___चकवतियों का प्राचीनतम उल्लेख समवायांग सूत्र में मिलता है४७ भरत चक्रवर्ती को पहला चक्रवर्ती बतलाया गया है। इसके पश्चात् 6 बलदेव एंव 6 . वासुदेव 6 प्रतिवासुदेवों का जन्म होता है। इस सम्बन्ध का सबसे प्राचीन उल्लेख आवश्यक भाष्य में प्राप्त होता है / वलदेव एंव वासुदेव हमेशा भाई के रुप में उत्पन्न होते हैं तथ वासुदेव प्रतिवासुदेवों के प्रतिस्पर्धी होते हैं। बंरागचरित में इन चक्रवतियो, बलभद्र, वासुदेवः प्रतिवासुदेवौं२ का उल्लेख प्राप्त होता है। हेमचन्द्राचार्य के “त्रिशाष्ठिशलाका-पुरुष चरित” एंव शीलाचार्य कृत "चउप्पनमहापुरिस चरिय से जैन धर्म के वेशष्ठशलाका-पुरुषों का