Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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संघाट नामक दूसरा अध्ययन - चोर की गिरफ्तारी एवं सजा
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साक्ष्य सहित, सहोढं - चुराई गई वस्तुओं के साथ, सगेवेनं - गर्दन बाँधकर, जीवग्गाहं गेण्हंति - जीवित पकड़ा, अवउडा बंधणं - अवकोटक-बंधन-गर्दन और दोनों हाथों को पीठ पीछे बाँधना, कसप्पहारे - कोड़ों के प्रहार, लयापहारे - बेंतों की मार, छिवापहारे - चिकने चाबुकों के प्रहार, णिवाएमाणा - मारते हुए, छारं - राख। ____ भावार्थ - नगर रक्षक विजय चोर के पैरों के चिह्नों का अनुगमन करते हुए मालुकाकच्छ के निकट आए, उसमें प्रविष्ट हुए। वहाँ उन्होंने विजय चोर को चुराए गए आभूषणों के साक्ष्य के साथ पाया। उसकी गर्दन में रस्सा डालकर जीवित पकड़ा। उसकी हड्डी, मुट्ठी, घुटने, कोहनी आदि पर प्रहार कर उसके शरीर को चूर-चूर कर डाला। गर्दन के सहारे दोनों हाथों को उसकी पीठ पीछे बाँध दिया। बालक देवदत्त के गहनों को ग्रहण किया। पुनश्च, विजय चोर को गर्दन के बल बाँधा। मालुकाकच्छ से बाहर निकले। राजगृह नगर में प्रविष्ट हुए। नगर के तिराहे, चौराहे, चौक, विशाल राजमार्ग, साधारण रास्तों पर चाबुक, बेंत और चिकने कोड़ों से मारते हुए, उस पर राख, धूल और कचरा डालते हुए, वे जोर-जोर से इस प्रकार उद्घोषित करने लगे।
- एस णं देवाणुप्पिया! विजय णामं तक्करे जाव गिद्धे विव आमिसभक्खी बालघायए बालमारए, तं णो खलु देवाणुप्पिया! एयस्स केइ राया वा रायपुत्ते वा रायमच्चे वा अवरज्झइ एत्थट्टे अप्पणो सयाई कम्माइं अवरज्झंतित्तिकट्ट जेणामेव चारगसाला तेणामेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता हडिबंधणं करेंति २ त्ता भत्तपाणणिरोहं करेंति २ त्ता तिसंझं कसप्पहारे य जाव णिवाएमाणा २ विहरंति।
. शब्दार्थ - आमिसभक्खी - मांसभक्षी, बालघायए - बालक का हत्यारा, अवरज्झइअपराधी, चारगसाला - कारागार, हडिबंधणं - काष्ठ विशेष या बेड़ी में जकड़ना, णिरोह - निरोध-रूवाकट, तिसंझं - त्रिसंध्यं-प्रातः, मध्याह्न एवं सायं-तीन संध्या काल।
भावार्थ - देवानुप्रियो! यह विजय नामक चोर गीध के समान मांसभक्षी हैं, बालघातक एवं बाल मारक है। इसके दण्ड के लिए न कोई राजा, राजपुत्र या राजामात्य जिम्मेदार है। इसमें तो इसके अपने कर्मों का ही अपराध है। यों कहकर वे उसे कारागार में ले आए और बेडी में जकड़ दिया। उसके खान-पान पर रोक लगा दी। प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल उसको चाबुक आदि से पीटते।
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