Book Title: Gnata Dharmkathanga Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
किए तथा अत्यंत पवित्र होकर उसने गीले वस्त्र पहने, पुष्करिणी में उत्पन्न विविध प्रकार के कमलों को लिया एवं नागदेवायतन की ओर चली।
(४४)
तए णं पउमावई दासचेडीओ बहूओ पुप्फपडलगहत्थगयाओ धूवकडुच्छुगहत्थगयाओ पिट्ठओ समणुगच्छंति। तए णं पउमावई सव्विड्डीए जेणेव णागघरए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता णागघरयं अणुप्पविसइ २ त्ता लोमहत्थगं जाव धूवं डहइ २त्ता पडिबुद्धिं (राय) पडिवालेमाणी २ चिट्ठइ।
शब्दार्थ - पडलग - पटलक-टोकरी, कडुच्छुग - धूप जलाने के आधार पात्र-कुड़छे।'
भावार्थ - रानी पद्मावती की बहुत-सी दासियाँ हाथों में फूलों की टोकरियाँ तथा धूप के आधार पात्र लिए हुए रानी के पीछे-पीछे चली। रानी ऋद्धि-वैभव साज-सज्जा के साथ नागदेवायतन के पास आई। उसमें प्रविष्ट हुई। हाथ में मयूरपिच्छी ली, यावत् धूप जलाया। राजा की प्रतीक्षा करने लगी।
(४५) तए णं पडिबुद्धी (राया) ण्हाए हत्थिखंधवरगए सकोरंट जाव सेयवरचामराहिं (महया) हयगयरहजोहमहया भडगचडगरपहकरेहिं सागेयं णगरं मज्झमझेणं णिग्गच्छइ २ त्ता जेणेव णागघरए तेणेव उवाग़च्छइ, उवागच्छित्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहइ २ त्ता आलोए पणामं करेइ, करत्ता पुप्फमंडवं अणुपविसइ २ त्ता पासइ तं एगं महं सिरिदामगंडं।
शब्दार्थ - चडगर - समूह, पहकरेहिं - रास्ता दिखाने वाले।
भावार्थ - राजा प्रतिबुद्धि ने स्नान किया। उत्तम हाथी पर सवार हुआ। उस पर छत्र धारक कोरंट पुष्पों की मालाओं से युक्त छत्र धारण किए था। उस पर सफेद उत्तम चँवर डुलाए जा रहे थे। वह हाथी, घोड़े, रथ और पैदल रूप चतुरंगिणी सेना, बड़े-बड़े योद्धाओं के समूह तथा मार्गदर्शकों के साथ साकेत नगर के बीच से निकला। नागदेवायतन के निकट आया। हाथी से नीचे उतरा। दृष्टि पड़ते ही प्रणाम किया। फूलों के मंडप में प्रविष्ट हुआ। वहाँ एक विशाल श्रीदामकाण्ड-विविध पुष्पों से निर्मित्त विशाल गुच्छक को देखा।
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