Book Title: Gahakoso Part 2
Author(s): Madhav Vasudev Patvardhan, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 128
________________ २१८ ६०४ २५० २६१ ४८४ २०५ ४५२ ५३३ ३०६ ६२६ २०७ ६१८ ५२१ ६२३ लंकालयाण लुंबीओ अंगण लोओ जूरइ वइविवर वज्जवडणा वडजक्खो जो वणयवमसि वणसालियो वष्णक्कमरहिय वण्णक्कम न वण्णग्घय वण्णवसिए वण्णंतीहिँ वयणे वयणम्मि वसइ हिं वसणम्मि वहुयाएँ वंकच्छिपिच्छिरी ३२६ १२८ ६६५ ५७४ ६५२ ५५३ माणोसढ़ व मा बंधसु मा मा मुय मामि सरिस मामि हिययं मा रुयसु मारेसि कं मा वच्च पुप्फ मा वच्चह वीसंभ मासपसूयं मुद्धे अपत्तियंती मुहपिच्छओ मुहपुंडरीय मुहमारुएण मुहविज्झविय मेहम हिसस्स रइकेलिहिय रइविरम रक्वइ अणन्न रक्खेइ पुत्तयं रच्छापइण्ण रणरणयसुन्न रण्णाउ तणं रमिऊण पयं रयणायरस्स रंधणकम्म रायविरुद्धं व रंदारविंद रूयं सिट्ठ रेहइ वियलं रेहति कुमुय रोयंति व लज्जा चत्ता लहुयंति mmmm ० ० १M ३९३ १६४ ३७४ वक को पुल ३६५ ५४० ५३९ ३७५ ४१६ १०६ ५७० ४५६ ४६० ५८० ६०६ ३४१ ३८९ २३६ १०१ ५६७ १२ ४१४ २०० १५२ ४४८ ६०९ ४४७ ५५९ २०३ वाउद्धय वाउव्विल्लिय वाएरियस्स वायंतबहल वायाएँ कि व वासारत्ते वाहरउ मं वाहित्ता पडि वाहि व्व विज्ज विक्केइ माह विन्नाणगुण विरहकरवत्त विरहाणलो विरहेण विरहे विसं ४३७ ६१० ३३३ ४१८ ३१३ १८४ २१५ ३५४ ४४ ४७६ १८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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