Book Title: Dictionary of Prakrit for Jain Literature Vol 02 Fasc 01
Author(s): A M Ghatage
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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तोडिअ
402
Anug. 307 JM तस्स वोच्छिण्णे वा अवोच्छिण्णे वा भावे अतो परं । अण्णो जइ लभेज्ज मग्गितं फलगं तस्सेव तं Nis Cu 2. 158.1; 4. 20.2; 3. ef. अओ.
तं गाणं जिणसासणे Mula. 267 ( 5 ); 702 ( 8 ); अत्ता दोसविमुको Sraā. (V.) ; अत्ता खु बीसमूलं तत्थ पमाणं ण को वि अत्थेr MahaMan 3.
अत्त (atta<atra ) adr. here, in this case, Mg ( चाण्डाल ) दीहाओ, अत्त लाअणिओओ क्खु अवलज्झदि Mrecha. 10.124.
अतोडिअ (a-todia <a - trutita) adj. ppp.) unbroken, conplete JM. अनिगम अतोषि-म
KumaCa.(H.) 6.78.
अतोया ( a toya ) adj. (f) (a nun) not using (cold) water, JM. दुक्खं च भुंजंति सति ट्ठितेसु तक्किति देते य अति दोसा । भुंजंति गुत्ता अधिकारिया उ कुग्मया किं पुण जा अतोया KappBha. 3492.
अतोरण (a torana ) adj. devoid of an aiehed doorway cr a portal, Apa. तो हरिखरखुरग्गसंधट्टि छाइउ रणु अतोरणे Bhavika.
243.1.
अन्त (atta < atman) pro [Vara (Gr.) 5.46] 1 oneself, AMg. जे लोग अब्भाइक्खर से अत्ताणं अब्भाश्क्खर जे अत्तानं अम्भारक्खर से लोगं अमाइक्ar āyar. 1.1.3.3; अत्ताणमेव अभिणिगिज्झ, एवं दुक्खा पमोक्खसि āyar. 1.8.4; अणुवीर भिक्खू धम्ममाश्क्खमाणे णो अत्ताणं आसाएजा āyar. 1.6.5.4; अत्ताण जो जाणइ जो य लोगं Suy. 1.10.20 इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवति Sūy. 2. 2.19( 709 ); दसविधे विसेसे पण्णत्ते, तं जहा अत्तणा उवणीते य विसेसेति य ते दस Thāna. 10.95 (744); मंदरचूलियाए सीहासणवरगयमत्ताणं ( ... पाक्षित्ता ) 'šhāya. 10. 10[10] (750); मासियाए उवरिं संलेहणाए अत्ताणं सित्ता Vis. 2.1.01 (2.59); 3.1.16 (317) ; साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताणं संजोएत्तारो भवंति Viy. 12.2.20 ( 12.58) ; इच्छामि अत्तणो कम्मक्खयं करित्तए Naya. 1.5.25; 1.12.47; 1.12.48; आणंदे समणोवासए मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता Uvas. 1. 81; Antag. 1.24; अद्दाए णं भंते पेहमाणे किं अदायं पेहति ? अत्ताणं पेहति ? Pannav. 15.50 (999); आदंसघरंसि भत्ताणं देहमाणे - देहमाणे चिट्ठr Jambuddi. 3. 222; तए णं से सोमिले... अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ Niraya. 3. 83; 3.120; 8.150; 5.28 5.43 [Ldn.]; एवं अहीणमणसो अत्ताणमणुसासए ĀurPaee. (I) 28; जह सुकुसलो वि विज्जो अन्नस्स कहे अत्तणो वाहिं Gaccha. 13; 49; कहिं धीरे अहेऊहिं अत्ताणं परियावसे Utt. 18.54; न बाहिरं परिभवे अत्ताणं न समुकसे Dasave. 8.30 10.18; JM ते ते ठावेश वसे दसाणणो अत्तणो सब्वे PaumCa. (V.) 11.102; 12.78; दोहग्ग- दृक्षियं दिव अत्ताणं मन्नमाण व्व SurSuCa. 2. 174; लज्जिओ हं इमिणा अत्तणो पमायोसेण JugaJiCa. 6.14; समागओ जाव अत्तणो गेहे VijKevCa. 2. 41; अत्ताण-सुद्ध हिययत्तणेण हिययं समप्पे KuvMaka. 57.9; जाव अत्थाणीए चेव अत्ताणं पेच्छर Era 31.26; अत्ताणं संवरेवि कुमरेणं Era 83.18; 83.15; तिलयं विरयमि अत्तणो ( अत्तणा ? ) तुज्झ VajLag. 615; Js. वेदयदि पुणो तं चैव जाण अत्ता दुअताणं SamS. 83; M तह वि हु मा तम्म तुनं मा झूरसु मा विमुंच अत्ताणं Ltla. 573; 8. (त्रियंवदा) एत्थ पओहरवित्थारइत्तअं अत्तणो जोब्वणं उवालह Sak. 6.10 ( 1 ); (सीता) से कुप्पिस्सं जर तं पेक्खंती अत्तणो पहविस्सं UttaRaCa. 1.51.5; ( विदूषक) अत्तणो सामियस देवस्स
य पुरदो ... उत्तीए ... अत्तणो किदं कव्वयुगं भणिय ( ? णइ ) स्सं RaminMan 1.34.18 (p. 27 ); (राजा) वअस्स, दंसिअं तुए अत्तणो गोअमत्तणं SinMan. 1.20.1; Mg ( नन्दगोप ) अत्ताणं एवं अत्ताणं णिब्वावेहि BalCa. 1. 27.6; ( क्षपणक ) भअवं कदंते येण अत्तणो परकं उव्हिअ पलपत्रकं पमाणी - - कलेशि MudrāRs. 119.7; 130.2; 183.1; Apa. सेल-घाएहि भीसाणणा भीसणा भीम-रूवा-चित्त-अत्तणो सोणिए । णं पुणो चेयणा लेवि जुज्झति वीरा ण मण्णंति पीडा PaNaca. (P.) 11.3.11; 2 soul, self, consciousness, J. अत्ता जस्सामुत्तो ण हु सो आहारओ हवइ एवं SamSa. 405; भावो जदि कम्मको अत्ता कम्मस्स होदि कि कत्ता Pañcatthi. 59; 61; 65; अत्तादि अत्तमज्झं अतंतं णेव इंदियगेज्झं Niysa. 26; जेण भत्ता विसुज्झेज्ज
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अतकड
अत्त (atta<ārta ) adj. [Mark. (Gr.) 3.24; 8.27] afflicted, distressed, struck, AMg. दुहिया असरणा अत्ता एए कंदंति भो खगा Utt. 9. 10; भिक्खाचरणमत्ताणं कुज्जा गहणधारणं Gani Vi. 1; JM. पविट्टुकामा व विहं महंतं, विणिग्गया वा वि ततोऽधवोमे । अध्यायणट्ठाय सरीरगाणं, अत्ता वयंती खरु संखडीओ KappBhs. 3203 ( comm. आर्त्ता: प्रथम द्वितीय परीषहपीडिताः, अथवा आप्ताः रागद्वेषरहिताः ); मयणत्ता जा जंती अणमिस नयणेहिं पुलश्या ताव SurSuCa. 3.143; दिंतो लच्छि जणो छुहताण । भिसओ खु KumsCa. (H) 1.9; लहु-जढर- पिढर- पडियार- पाडणताण वय-कालो KumāCa. (H.) 2.37; डाहत दाह-हरणं KumaCa. (H.) 2.46; M. कत्ताअमत्तं तनिडं जआग ते वत्तणी आसि वए सुरारी SriKav. 3.6; 3.12; ऊसुसंति विओअत्ता वारिवाहं व चादआ Usapl. 4. 1; Apa पट्ठि- निविट्ठण्हुण्हयर-कंस पत्ति दाहत्तु San Kuca. 693.7; भुवणु वि हुयउं दुहत्तु Sankuca 623.9; फुसर लोयण रुवः दुक्खत्त SandeRs. 25.
अत्त (atta<ātta ) adj. ( ppp.) taken, occupied made one's own AMg दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा अत्ता चेव अणत्ता चैव Thana. 2. 232 (75) (comm. आत्ता गृहीताः स्वीकृता जीवेन परिग्रहमात्रतया शरीरादितया वा 6ta. 10 ); दुविहा सदा पण्णत्ता, तं जहा अत्ता चैव अणत्ता चेव Thapa. 2.234 (75); 2.295-2008 (75 ); असुरकुमाराणं भंते! किं अत्ता पोग्गला, अणत्ता पोग्गला ? गोयमा ! अत्ता पोग्गला णो अणत्ता पोग्गला Viy. 14.9.5 (14.197) ( आ अभिविधिना त्रायन्ते दुःखात् संरक्षन्ति सुखं चोत्पादयन्तीति आत्राः आप्ता वा एकान्तहिताः अत एव रमणीया इति वृद्धैर्व्याख्यातं comm. 656a. 4)
अन्त (atta <āpta ) . 1 a reliable or learned person, JM. नाणमादीणि अत्ताणि, जेण अत्तो उ सो भवे Vava Bha. 10.235 (4063); Js. अत्तागमतच्चाणं जं सद्दहणं सुणिम्मलं होइ SraĀ. ( V. ) 6; Apa अत्ताईणं वत्थुपयाणं जो वत्तारो सव्वपयाणं MabaPu. (P.) 05.1.10; अत्ता अट्ठारह दोसचन्तु SndCa. (N) C.1.9; 2 relative, M. परदिं व घिओहाणं आइदिज्जत्तभिश्च Srikav. 1.27; माअं अनंति लसमाणिमत्तो चित्तं इमा होहि किं खु अण्णं Srikav. 6.5; घण्णउ सुरवर तुहुँ जासु अत्तु वर-पंचवीस -गुण- रिद्धि-पत्तु PaumCa. (S.) 16.10.3; 3 adj. which is obtained, JM. नाणमादीणि अत्ताणि जेण अत्तो उ सा भवे VavaBha. 10.235 (4063)
अत्तअ (atta-a<ātma-ja) adj. (born from oneself) a son JM तावसस्स खंदमणियाए लंघियाए अत्तओ मिगसिंगो नाम दारओ जातो VasuHi. 261.30.
अत्तअ (attaa <atyaya) m. impediment, Mark (Gr.) 3.32. अत्तउक्करिस (atta-ukkarisaātmotkarsa) m. greatness of oneself, self-elevation, JM. पयडंति । अन्नपसंगेणं चिय परपरिभवमत्तउक्करिसं Dvaku. 12.4.
अत्तउवन्नास (atta-uvannāsa ātmopanyāsa ) m. statement about oneself, JM अत्तउवन्नासम्मि य तलागभेयम्मि पिंगलो थवई DasaveNi. 83.
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अतकड (atta-kada ātma-krta) adj. ( ppp. ) 1 done by oneself, Alg. जीवाणं भंते! किं अत्तकडे दुक्खे, परकडे दुक्खे Viy. 17.4.15 (1761); सा (पाणातिवातकिरिया ) किं अत्तकडा कज्जति ? परकडा कज्जति Viy. 1.6.7 (1.279); अत्तकडा जीवा णो परकड़ा किया किया वेदेति IsiBha. 31.41; 2 prepared for oneself, JM. एमेव सघरपाखंडमीस जाव कीय-पूर-अत्तकडे । कय-कीयकडे ठविए तहेव वत्थाहणं गद्दणं
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