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२७२ ध्यानकल्पतरू. कारण ? उ-वेद (हकीम) हो. अनेक जीवों के साथ विश्वास घात करे, जानता हुवा खराब औषध दे. रोग बढाय. और जोतषी हो ग्रह, नक्षेत्र भूत व्यादी आदी डर बताय. दूसरे को लूटे. देव देवी की मानता कराय; तथा विष शास्त्र अग्नी से आप घात करे सो अत्यंत उपचार करतेंही रोग बिमारी और व्यंतरादी व्याधीसे छूटे नहीं. .
८९ प्र-धनेश्वरीका धन धर्म काममें नहीं लगे उ. सका क्या कारण? उ-अन्यको कूशिक्षा दे, उसका, द्रव्य, वैश्या नृत्यादी कूव्यसन में खरचाय, अन्यका नुकसान सुन खुशी होवें. जुगार सष्टेके वैपारादीमें द्र व्य गमाय, वो धनेश्वरी होके कूमार्ग धनका व्यय कर सके, परंतु धर्म काममें धन नहीं लगा सके.
९० प्र-गर्भमेंही मृत्यु क्यों पावे? उ--शोकोका या स्वता पोता का औषधोपचार या मंत्रादीसे गर्भ गलावे, पाडे, पडावे, सो गर्भमेंही मृत्यु पावे.
९१ प्र-हित शिक्षा खराब क्यों लगे? उ-अन्यको कूशिक्षा दे कूमार्ग चलावे. गुरूके पिताके, हित वचनही सुने, शिक्षककी हँसी करे, उसे हित शिक्षा अहित कारी हो प्रगमें.
९२ प्र-जाती स्मर्ण और अवधी ज्ञान कायसे होय?