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तृतीयशाखा-धर्मध्यान. २०१ श्री उत्तराध्ययन जीके दशमें अध्ययनमें कहा है:in नहू जिणे अज्ज दिस्सइ, बहू मए दिस्सइ मग्गदे Sawana* सिंए, संपइ नेया उए पहे.समय गोयम मा पमा
...... यए ३.१. अर्थात् अब्बी इस पंचम् कालमें, नहीं देखते है निश्चयसे श्री जिन, तिथंकर भगवान् व केवल ज्ञानी परन्तु बहुत हैं. मोक्ष मार्ग के उपदेशनें बताने वाले जिनोक्त सिद्धांत तथा सबौध कर जीवोंको मुक्ती पन्थ मे चलाने बाले, 'सदर' उनके पाससे न्याय मार्गमोक्ष पन्थ प्राप्त करनेमें, हे गोतम (जीव) समय मात्र प्रमाद आळश मत कर! इस गाथानुसार अबी तो भव्य मोक्षार्थि जीवोंको फक्त जिनोक्त शास्त्र, और सोधके सद्रुओंकाही आधार रहा है, मोक्षार्थियोंकी इच्छा सिद्धी करने वाला ज्ञान है. वो इस वक्त सूत्र व ग्रन्थोंमे हैं, और उसकी रहस्य गीतार्थों बहू सूत्रीयों उत्पात बुद्धी और दीर्घ द्रष्टी वालोंके पास है. की जिनोंने अपने गुरुओंके पाससे यथा विधी धारण की है, और वो न्याय मार्गमें लोकीक लोकोत्तर में शुद्ध प्रवृत्तीसें प्रवृत्त रहे, क्षांत, दांत, निरारंभी, निष्परिग्रही हैं. उनके पास शास्त्राभ्यास करना. क्यों कि शास्त्र समुद्र अति गहन गुढार्थों करके भरा है; उसकी यथार्थ