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२६६ ध्यानकाल्पतरू.. वितित हो जाता है.
__ वहांसे आयुष्य पूर्ण कर मनुष्य होते हैं की जहां दशबोलका जोग होता है. ऐसे मनुष्य देवताके जघन्य ३ और उत्कृष्ट १५ भव या संख्यात भव कर सुक्ल यानी हो मोक्ष प्राप्त करते हैं.
परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी महाराजके सम्प्रदायके बाल ब्रम्हचारी मुनी श्री अमोलख ... ऋषिजी रचित ध्यान कल्पतरुस्य धर्मध्यान
नामक तृतीय-शाखा समारं.
ऋषिजी से
*क्षेत्रघर, धन, पशू गौवादी, नोकर, २,३ मित्र औरन्यती बहूत होय' । उच गोत्र ५ सुन्दर सरीर रोग रहित, ७बुद्धी तिवृ८ यशवंत ९ विनयवंत (मिलापु) १० प्राक्रमी बलवंत यह १० बोलका जोग जिस जगह होय वहांपुन्यान्मा अवतार लेते है.