________________
शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ सम्मानीय व्यक्तित्व
आर.एन.शुक्ला
जिला शिक्षा अधिकारी, सागर साहित्य मनीषी पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य संस्कृत भाषा, जैन दर्शन एवं अध्यात्म के अद्वितीय विद्वान थे। आपकी साहित्यिक एवं शैक्षणिक गति विधियों से देश के अधिकांश लोग लाभान्वित हुए है। आपसे शिक्षा प्राप्त अनेकानेक जैन छात्र विविध प्रशासनिक तथा शैक्षणिक संस्थाओं में पदस्थ रहे हैं तथा कुछ वर्तमान में हैं। ऐसे समाजसेवी, उदारमना, अध्यात्म प्रेमी, ज्ञान ज्योति आलोकित करने वाले विद्वान के चरणों में मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित कर अपने आपको कृतार्थ अनुभव करता हूँ ।
ज्ञान की निधि
सेठ मोती लाल जैन
__ पंतनगर वार्ड, सागर प्रसन्नता का विषय है कि सरस्वती पुत्र पं. दयाचंद साहित्याचार्य का स्मृतिग्रंथ “साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ" प्रकाशित होने जा रहा है। पंडित जी पू. गणेश प्रसाद जी वर्णी महाराज के आज्ञाकारी शिष्य रहे है । आपने जीवनपर्यन्त गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय की अध्यापक के रूप में सेवा की एवं प्राचार्य पद से सेवा निवृत्त हुए, किन्तु संस्था से जुड़े रहे एवं 2006 तक नि:शुल्क सेवाएँ प्रदान करते रहे । आपने जैन पूजा काव्य पर शोध कर पी.एच.डी.की उपाधि प्राप्त की। आपको समाज द्वारा अनेक पुरस्कार एवं उपाधियों से अलंकृत किया गया । आप धर्मनिष्ठ, सरल, भद्र परिणामी जैन श्रावक एवं विद्वान थे। शुभकामनाओं सहित,
"अविस्मरणीय सेवा भावी"
सेठ प्रेमचंद जैन
श्रीमंत भवन, राजीव नगर, सागर डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य स्मृति ग्रंथ प्रकाशन समिति की ओर से आपका परिपत्र प्राप्त हुआ, धन्यवाद । पंडित जी दिगम्बर जैन समाज के प्रमुख विद्वानों में से एक थे। उनका जीवन सरलं, सादगी से पूर्ण था।विद्या अध्ययन, के साथ आपने अपने ज्ञान से दूसरों को आलोकित किया था उनके निधन से दिगम्बर जैन समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है।
मेरी उनको सादर विनयांजलि । उन्होंने श्री गणेश संस्कृत महाविद्यालय में अपनी अपूर्व सेवा देकर विशिष्ट स्थान बनाया था। उनके संबंध में जो भी लिखा जाये वह कम है। पंडित जी का स्मृति ग्रंथ समाज की अगली पीढ़ी को एक दिशा प्रदान करेगा। शुभकामना सहित ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org