________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
[१९] नेकाहै,कि-जैनटिप्पणामें तीसरेवर्षमें जो महीना बढताथा उसकोभी गिनतीमें लेतथे और जैनटिप्पणामें ज्यादेमें ज्यादे ३६घटिका प्रमाणे दिनमान होताथा, तथा कमती कमती२४ घटिकाप्रमाणे दिनमान होताथा. और माघमहीने दक्षिणायनसे सूर्य उत्तरायनमें होताथा औ• र श्रावणमहीने उत्तरायनसे दक्षिणायनमें सूर्य होताथा और श्रावण वदि एकमसेदरवीं तिथि क्षय होतीथी. इसीप्रकार १ वर्षमें ६ तिथि क्षयहोतीथी बीचमें कोईभीतिथि क्षयनहींहोतीथी. और तिथिबढने कातो सर्वथा अभावहोनेसे कोईभीतिथि कभी बढतीनहींथी और ६० घडीसेकम तिथिकाप्रमाणहोनेसे,६०घडीके ऊपर कोई भी तिथि नहीं होतीथी. और नक्षत्रसंवत्सर, ऋतुसंवत्सर, सूर्यसंवत्सर, चंद्रसंवत्सर व अभिवर्द्धितसंवत्सरसहित ५वर्षों के १८३० दिनोंका १ युग, व ८८ ग्रह मानतेथे इत्यादि अनेक बातें जैनटिप्पणामे होतीथी वो जैन टिप्पणा परंपरागत जैनीराजा देशभरमें चलातेथे और पूर्वगत आम्नायले गुरुगम्यतावाले जैनकुलगुरु बनातेथे,इसलिये उसमें ग्रहणादि किसीतरहका फरकभीकभी नहीं पडताथा,मगर परंपरागत जैनी राजओका व पूर्वगत आम्नायका,अभावहुआ और जबसे ८८ग्रहवाला जैनपंचांग बंधहुआ, तबसे सर्व जैनसमाजमे९ग्रहवाला लौकिक टिप्पणा माननेकी प्रवृत्ति शुरूहुई, उसमें श्रावण व माघमें दक्षिणायनमें व उत्तरायनमें सूर्यके होने का नियम न रहा और हरेक महीने बढनेसे ज्येष्ठ-आषाढ व मार्गशीर्ष-पौषादिमेभी दक्षिणायन व उत्तरायन होनेलगा,तथा क्षेत्रफळ व गणित विभागमें फेर पडनले ज्यादेमें ज्यादे ३४ घटिका, व कमती कमती २६ घटीकाप्रमाणे दिनमानभी मानने लगे और एक तिथिका ६० घटिकासे ज्यादे प्रमाण माननसे हरेकपक्षमें तिथियों का क्षयभी होनेलगा और हरेक तिथियोंकी वृद्धि होनेसे दो दो तिथिय भी होने लगी. और १२ वर्षका युग इत्यादि अनेक बातें अभी जैनपंचांगके अभावसे, लौकिकटिप्पणाकी माननोपडतीहैं, इसीतरह अधिकमहीनाभी लौकिकाटिप्पणाकीरीतिसे वर्तमानमें माननापडताहै, इसलिये ८४ गच्छोंके सर्व पूर्वाचार्योंने श्रावण भाद्रपदादिमहीने लौकिक टिप्पणामुजब माने, वोहो प्रवृत्ति अभी सर्वजैनसमाजमें शुरू है । और दक्षिणायन,उत्तरायन,तिथिकी हानी, वृद्धि वगैरह तिथि, वार, नक्षत्र, पक्ष, मास, वर्ष आदिक सर्व लौकिक टिप्पणामुजब अभीमानतेहैं.मगर अधिकमहीना बाबत जैन पंचांगकी आड लेकर नहीं मानना, यह न्याय युक्ति बाधक होनेसे
For Private And Personal