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२८ बोल पृष्ठ ४४ से ४४ तक। मन्य दर्शनी पिण सत्य वचन ने आदखो ( प्रश्न व्या० सं०२)
___ २६ बोल पृष्ठ ४४ से ४६ तक। बाणज्यन्तर ना भला पराक्रम ना वर्णन पाठ (जम्बू०प०)
३० बोल पृष्ठ ४६ से ४६ तक । डबाई में माता पिता नो विनय नों न्याय ( उवाई प्रश्न ७) इति जयाचार्य कृते भ्रमविध्वंसने मिथ्यात्विक्रियाऽधिकारानुक्रमणिका समाप्ता।
दानाऽधिकारः।
१ बोल पृष्ठ ५० से ५२ तक । मसंयती ने दीधां पुण्य पाप नो न्याय
२ बोल पृष्ठ ५२ से ५४ तक। भानन्द श्रावक नो अभिग्रह पाठ (उपा० ३० अ०१)
३ बोल पृष्ठ ५४ से ५८ तक । असंयती ने दियां पाप को छै (भ० श० ८ उ०६) सुखशय्या (ठा ०४)
४ बोल पृष्ठ ५८ से ५६ तक। "पडिलाममाणे" पाठ नो न्याय (भ० श०५ उ०६-ठा० ठा०३)
५ बोल पृष्ठ ५६ से ६० तक। "पडिलाभमाणे" पाठ नो वली न्याय (भग श०५ उ०६)
६ बोल- पृष्ठ ६० से ६२ तक । "पडिलाभित्ता" पाठ नो न्याय (ज्ञाता स० १४)