Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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घृतपकरणम् ]
तृतीयो भागः।
[५७]
यवक्षार, आमला, हींग, बिजौरेकी छाल और हर्र/ पीसकर कल्क बनावें । तत्पश्चात् यह कल्क, २ का कल्क २० तोले (सब समान भाग मिश्रित) | सेर घी, ८ सेर दूध और ८ सेर पानी एकत्र लेकर सबको एकत्र मिलाकर घृत मात्र शेष रहने मिलाकर पकावें । जब घृत मात्र शेष रह जाय तक पकावें ।
तो उसे छानकर रक्खें ।। ___.यह घृत हिचकी और श्वासको नष्ट करता
यह “दशाङ्ग घृत " वातगुल्म, कृमि, प्लीहा, ज्वर, खांसी, हिचकी और अरुचि, को
नष्ट करता है। ( मात्रा-१ से २ तोले तक।)
(मात्रा १ से २ तोले तक । ) (३०५२) दशमूलीघृतम्
(३०५४) दाडिमार्च घृतम् (१) (च. सं. । चि. अ. ५)
(ग. नि. । परिशिष्ट घृता.) सव्योषक्षारलवणं दशमूलीभृतं घृतम् ।।
दारिमं तिन्तडीकश्च नागपुष्पं शतावरी । कफगुल्मञ्जयत्याशु सहिङ्ग:विडदाडिमम् ।।
काकोली क्षीरकाकोली बिदारी यक्षहस्तकः ॥ ___दशमूलका काथ ८ सेर, घी २ सेर तथा
बीजपूरकमूलं च राजक्षात्मगुप्तयोः। सांठ, मिर्च, पीपल, यवक्षार, सेंधानमक, हींग, | कुष्ठं चेति समैरेतेश्रुतपस्थं विपाचयेत् ॥ विडनमक और अनारदानेका कल्क १३ तोले चतुर्गुणेन पयसा जलेनाष्टगुणेन च । ४ माशे लेकर सबको एकत्र मिलाकर पकावें। | तत्सपिः पिबतः सिद्ध कासश्वासापतानकाः॥
.यह घृत कफज गुल्मको अत्यन्त शीघ्र नष्ट हृद्रोगो रक्तपित्तश्च चिराधान्ति संक्षयम् ।। कर देता है।
अनार दाना, तितडीक, नागकेसर, शतावरी, ( मात्रा-१ से २ तोले तक । गर्म पानीमें काकोली, क्षीर काकोली ( दोनेके अभावमें असडालकर पियें।)
गन्ध ), विदारीकन्द, अरण्डकी जड़, बिजौरेकी (३०५३) दशाङ्गघृतम्
जड़, अमलतासकी जड़, कौंचकी जड़, और कूठ; (ग. नि. । घृता० )
सब चीजें समान भाग मिलाकर २० तोले लें पावशूकं वचा व्योष विडॉ कटुरोहिणीम् । | और पानीके साथ पत्थरपर पीस लें । फिर यह सौवर्चलं हरीतक्यचित्रकं चाक्षसंमितैः॥ पिसी हुई ओषधियां और २ सेर घी, ८ सेर दूध पभिः पचेघृतं दत्त्वा क्षीरजलाटकम् ।। तथा १६ सेर पानी को एकत्र मिलाकर पकावें । तत्पकं वातगुल्मघ्नं कृमिप्लीहज्वरापहम् ॥ जब दूध और पानी जल जाय तो घीको छान लें। कासहिकारुचिहरं दशा नाम दीपनम् ॥ इसके सेवनसे खांसी, श्वास, अपतानक,
__ जवाखार, बच, सेठ, मिर्च, पीपल, बाय- हृद्रोग और रक्तपित्त, अत्यन्त शीघ्र नष्ट हो बिडंग, कुटकी, सञ्चल ( काला नमक ), हर्र, और जाते हैं। चीता हरेक ११-११ तोला लेकर पानीके साथ | ( मात्रा-१ से २ तोले तक।)
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