________________
१७
नमो नमो निम्मलदसणस्स
| १८ | जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
उपांगसूत्र-७-हिन्दी अनुवाद
( वक्षस्कार-१ [१] अरिहंत भगवंतो को नमस्कार हो । उस काल, उस समय, मिथिला नामक नगरी थी । वह वैभव, सुरक्षा, समृद्धि आदि विशेषताओं से युक्त थी । मिथिला नगरी के बाहर इशान कोण में माणिभद्र नामक चैत्य था । जितशत्रु राजा था । धारिणी पटरानी थी । तब भगवान् महावीर वहाँ समवसृत हुए लोग अपने-अपने स्थानों से खाना हुए, भगवान् ने धर्मदेशना दी । लोग वापस लौट गये ।
[२] उसी समय की बात है, भगवान् महावीर के ज्येष्ठ अन्तेवासी-शिष्य इन्द्रभूति नामक अनगार-जो गौतम गोत्र में उत्पन्न थे, जिनकी ऊँचाई सात हाथ थी, समचतुरस्र संस्थानसंस्थित, जो वज्र-ऋषभ-नाराच-संहनन, कसौटी पर अंकित स्वर्ण-रेखा की आभा लिए हुए कमल के समान जो गौरवर्ण थे, जो उग्र तपस्वी, दीप्ततपस्वी, तप्त-तपस्वी, जो महातपस्वी, प्रबल, घोर, घोर-गुण, घोर-तपस्वी, घोर-ब्रह्मचारी, उत्क्षिप्त-शरीर एवं संक्षिप्त-विपुल-तेजोलेश्य थे । वे भगवान् के पास आये तीन बार प्रदक्षिणा की, वंदन-नमस्कार किया । और बोले
[३] भगवन् ! जम्बूद्वीप कहाँ है ? कितना बड़ा है ? उसका संस्थान कैसा है ? उसका आकार-स्वरूप कैसा है ? गौतम ! यह जम्बूद्वीप सब द्वीप-समुद्रों में आभ्यन्तर हैसबसे छोटा है, गोल है, तेल में तले पूए जैसा गोल है, रथ के पहिए जैसा, कमल की कर्णिका जैसा, प्रतिपूर्ण चन्द्र जैसा गोल है, अपने गोल आकार में यह एक लाख योजन लम्बा-चौड़ा है । इसकी परिधि ३१६२२७ योजन, ३ कोस, १२८ धनुष और साढ़े तेरह अंगुल से कुछ अधिक है ।
[४] वह एक वज्रमय जगती द्वारा सब ओर से वेष्टित है । वह जगती आठ योजन ऊंची है । मूल में बारह योजन चौड़ी, बीच में आठ योजन चौड़ी और ऊपर चार योजन चौङी है । मूल में विस्तीर्ण, मध्य में संक्षिप्त तथा ऊपर पतली है । उसका आकार गाय की पूंछ जैसा है । वह सर्व रत्नमय, स्वच्छ, सुकोमल, चिकनी, घुटी हुई-सी-तरासी हुई-सी, रजरहित, मैल-रहित, कर्दम-रहित तथा अव्याहत प्रकाशवाली है । वह प्रभा, कान्ति तथा उद्योत से युक्त है, प्रासादीय, दर्शनीय, अभिरूप, मनोज्ञ तथा प्रतिरूप है । उस जगती के चारों ओर एक जालीदार गवाक्ष है । वह आधा योजन ऊंचा तथा ५०० धनुष चौड़ा है । सर्व-रत्नमय, स्वच्छ यावत् अभिरूप और प्रतिरूप है ।।
उस जगती के बीचोंबीच एक महती पद्मवरवेदिका है । वह आधा योजन ऊँची और पाँच सौ धनुष चौड़ी है । उसकी परिधि जगती जितनी है । वह स्वच्छ एवं सुन्दर है ।