Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 121
________________ १२० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद [२९१] ७. इन्द्रमूर्धाभिषिक्त, ८. सौमनस, ९. धनञ्जय, १०. अर्थसिद्ध, ११. अभिजात, १२. अत्यशन, १३. शतञ्जय । तथा [२९२] १४. अग्निवेश्म तथा १५. उपशम । भगवन् ! इन पन्द्रह दिनों की कितनी तिथियाँ हैं ? गौतम ! पन्द्रह-१. नन्दा, २. भद्रा, ३. जया, ४. तुच्छारिक्ता, ५. पूर्णा-पञ्चमी । फिर ६. नन्दा, ७. भद्रा, ८. जया, ९. तुच्छा, १०. पूर्णा-दशमी । फिर ११. नन्दा, १२. भद्रा, १३. जया, १४. तुच्छा, १५. पूर्णा-पञ्चदशी । प्रत्येक पक्ष में पन्द्रह रातें हैं, जैसे-प्रतिपदारात्रि-एकम की रात, द्वितीयारात्रि, तृतीयारात्रि यावत् पञ्चदशी-अमावस या पूनम की रात । इन पन्द्रह रातों के पन्द्रह नाम हैं, [२९३] उत्तमा, सुनक्षत्रा, एलापत्या, यशोधरा, सौमनसा, श्रीसम्भूता । तथा [२९४] विजया, वैजयन्तो, जयन्ती, अपराजिता, इच्छा, समाहारा, तेजा, अतितेजा तथा [२९५] देवानन्दा या निरति । भगवन् ! इन. पन्द्रह रातों की कितनी तिथियाँ हैं ? गौतम ! पन्द्रह जैसे-१. उग्रवती, २. भोगवती, ३. यशोमती, ४. सर्वसिद्धा, ५. शुभनामा, फिर ६. उग्रवती, ७. भोगवती, ८. यशोमती, ९. सर्वसिद्धा, १०. शुभनामा, फिर ११. उग्रवती, १२. भोगवती, १३. यशोमती, १४. सर्वसिद्धा, १५. शुभनामा । प्रत्येक अहोरात्र के तीस मुहूर्त बतलाये गये हैं [२९६] रुद्र, श्रेयान, मित्र, वायु, सुपीत, अभिचन्द्र, माहेन्द्र, बलवान्, ब्रह्म, बहुसत्य, ऐशान । तथा [२९७] त्वष्टा, भावितात्मा, वैश्रमण, वारुण, आनन्द, विजय, विश्वसेन, प्राजापत्य, उपशम । तथा [२९८] गन्धर्व, अग्निवेश्म, शतवृषभ, आतपवान्, अमम, ऋणवान्, भौम, वृषभ, सर्वार्थ तथा राक्षस । । [२९९] भगवन् ! करण कितने हैं ? गौतम ! ग्यारह, -१. बव, २. बालव, ३. कौलव, ४. स्त्रीविलोचन-तैतिल, ५. गर, ६. वणिज, ७. विष्टि, ८. शकुनि, ९. चतुष्पद, १०. नाग तथा ११. किंस्तुघ्न । इन ग्यारह करणों में सात करण चर तथा चार करण स्थिर हैं । बव, बालव, कौलव, स्त्रीविलोचन, गरादि, वणिज तथा विष्टि-ये सात करण चर हैं एवं शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न-ये चार करण स्थिर हैं । भगवन् ! ये चर तथा स्थिर करण कब होते हैं ? गौतम ! शुक्ल पक्ष की एकम की रात में, एकम के दिन में बवकरण होता है । दूज को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है । तीज को दिन में स्त्री विलोचनकरण होता है, रात में गरकरण होता है। चौथ को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है । पाँचम को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है । छठ को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है । सातम को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है | आठम को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में बवकरण होता है । नवम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है । दसम को दिन में स्त्रीविलोचन करण होता है, रात में गरादिकरण होता है । ग्यारस को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण

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