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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
तथा अश्विनी नक्षत्र एक रातदिन परिसमाप्त करता है । उस मास में सूर्य १२ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस समय के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । वर्षाकाल के कार्तिक मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-अश्विनी, भरणी तथा कृत्तिका । अश्विनी नक्षत्र १४ रातदिन, भरणी नक्षत्र १५ रातदिन, तथा कृत्तिका नक्षत्र १ रातदिन में परिसमाप्त करता है । उस महीने में सूर्य १६ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अंतिम दिन ४ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोस्सी होत है ।
चातुर्मास हेमन्तकाल के मार्गशीर्ष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम! तीन, -कृतिका, रोहिणी तथा मृगशिर । कृत्तिका १४ अहोरात्र, रोहिणी १५ अहोरात्र तथा मृगशिर नक्षत्र १ अहोरात्र में परिसमाप्त करता है । उस महीने में सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अन्तिम दिन ८ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । हेमन्तकाल के पौष मास को चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैंमृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्य । मृगशिर १४ रातदिन, आर्द्रा ८ रातदिन, पुनर्वसु ७ रातदिन तथा पुष्य १ रातदिन पस्सिमाप्त करता है । तब सूर्य २४ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण चार पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । हेमन्तकाल के माघ मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-पुष्य, अश्लेषा तथा मघा । पुष्य १४ रातदिन, अश्लेषा १५ रातदिन तथा मघा १ रातदिन में परिसमाप्त करता है । तब सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अंतिम दिन आठ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । हेमन्तकाल के फाल्गुन मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-मघा, पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी । मघा १४ रातदिन, पूर्वाफाल्गुनी १५ रातदिन तथा उत्तराफाल्गुनी १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। तब सूर्य सोलह अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है ।
भगवन् ! चातुर्मासिक ग्रीष्मकाल के चैत्र मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? तीन, उत्तराफाल्गुनी, हस्त तथा चित्रा । उत्तराफाल्गुनी १४ रातदिन, हस्त १५ रातदिन तथा चित्रा १ रातदिन में परिसमाप्त करता है । तब सूर्य १२ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । ग्रीष्मकाल के वैशाख मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-चित्रा, स्वाति तथा विशाखा । चित्रा १४ रातदिन, स्वाति १५ रातदिन तथा विशाखा १ रातदिन में परिसमाप्त करता है । तब सूर्य आठ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अन्तिम दिन आठ अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । ग्रीष्मकाल के ज्येष्ठ मास को चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा तथा मूल । विशाखा १४ रातदिन, अनुराधा ८ रातदिन, ज्येष्ठा ७ रातदिन तथा मूल १ रातदिन में परिसमाप्त करता है । तब सूर्य चार अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है । उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है । ग्रीष्मकाल के आषाढ मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-मूल, पूर्वाषाढा तथा उत्तराषाढा । मूल १४