Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 211
________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद [४८] चौथी बला नाम की अवस्था में मानव किसी परेशानी न हो तो भी अपना बल प्रदर्शन करने में समर्थ होता है । २१० [४९] पाँचवी अवस्था में वो धन की फिक्र के लिए समर्थ होता है । और परिवार पाता है । [५० ] छठ्ठी "हायनी" अवस्था में वो इन्द्रिय में शिथिलता आने से कामभोग प्रति विरक्त होता है । [५१] साँतवी प्रपंच दशा में वो स्निग्ध और कफ पाड़ता हुआ खाँसता रहता है । [५२] संकुचित हुई पेट की त्वचावाली आँठवी अवस्था में वो स्त्रीीं को अप्रिय होता है । और वृद्धावस्था में बदलता है । [ ५३ ] मुन्मुख दशा में शरीर बुढ़ापे से क्षीण होता है और कामवासनां से रहित होता है । [ ५४ ] दसवीं दशा में उसकी वाणी क्षीण हो जाती है स्वर बदल जाता है । वो दीन, विपरीत बुद्धि, भ्रान्तचित्त, दुर्बल और दुःखद अवस्था पाता है.... [ ५५ ] दश साल की आयु दैहिक विकास की, बीस साल की उम्र विद्या प्राप्ति की तीस तक विषय सुख और चालीस साल तक की उम्र विशिष्ट ज्ञान की होती है । [ ५६ ] पचास को आँख की दृष्टि कमजोर होती है, साठ में बाहुबल कम होता है, अशी की उम्र में आत्म चेतना कमजोर होती है । [ ५७ ] नब्बे की उम्र तक शरीर झुक जाता है और सौ तक जीवन पूर्ण होता है । इसमें सुख कितना और दुःख कितना ? [ ५८ ] जो सुख से १०० साल जीता है और भोग को भुगतता है । उनके लिए भी जिनभाषित धर्म का सेवन श्रेयस्कर है । [ ५९ ] जो हमेशा दुःखी और कष्टदायक हालात मे ही जीवन जीता है उनके लिए क्या उत्तम ? उसके लिए जितेन्द्र द्वारा उपदेशित श्रेष्ठतर धर्म का पालन करना ही कर्तव्य है । [६०] सांसारिक सुख भुगतता हुआ वो ऐसे सोचते हुए धर्म आचरण करता रहता है कि मुझे भवान्तर में उत्तम सुख प्राप्त होगा । दुःखी ऐसे सोचकर धर्म आचरण करता है कि मुझे भवान्तर में दुःख प्राप्त न हो । [६१] नर या नारी को जाति, फल, विद्या और सुशिक्षा भी संसार से पार नहीं उतरती । यह सब तो शुभ कर्म से ही वृद्धि पाता है । [६२] शुभ कर्म (पुण्य) कमजोर होते ही पौरुष भी कमजोर होता है । शुभ कर्म की वृद्धि होने से पौरुष भी वृद्धि पाता है । [ ६३ ] हे आयुष्मान् ! पुण्य कृत्य करने से प्रीति में वृद्धि होती है । प्रशंसा, धन और यश में वृद्धि होती है । इसलिए हे आयुष्मान् ! ऐसा कभी नहीं सोचना चाहिए कि यहाँ काफी समय, आवलिका, क्षण, श्वासोच्छ्वास, स्तोक, लव, मूहुर्त्त, दिन, आहोरात्र, पक्ष, मास, अयन, संवत्सर, युग, शतवर्ष, सहस्र वर्ष लाख करोड़ या क्रोडा क्रोड साल जीना है । जहाँ

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