Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 219
________________ २१८ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद से) पीते हो । [१२०] ललाट से उत्पन्न हुआ रस जिसे स्वयं थूकते हो, घृणा करते हो और उसमें ही अनुरक्त होकर अति आसक्ति से पीते हो । [१२०] ललाट अपवित्र है । नाक विविध अंग, छिद्र, विछिद्र भी अपवित्र है । शरीर भी अपवित्र चमड़े से ढँका हुआ; [१२१] अंजन से निर्मल, स्नान - उद्वर्तन से संस्कारित, सुकुमाल पुष्प से सुशोभित केशराशि युक्त स्त्री का मुख अज्ञानी को राग उत्पन्न करता है । [१२२] अज्ञान बुद्धिवाला जो फूलों को मस्तक का आभूषण कहता है । वो केवल फूल ही है । मस्तक का आभूषण नहीं । सुनो ! [१२३] चरबी, वसा, रसि, कफ, श्लेष्म, मेद यह सब सिर के भूषण है यह अपने शरीर के स्वाधिन है । [१२४] यह शरीर भूषित होने के लिए उचित नहीं है । विष्ठा का घर है । दो पाँव और नौ छिद्रो से युक्त है । तीव्र बदबू से भरा है । उसमें अज्ञानी मानव अति मूर्छित होता है । [१२५] कामराग से रंगे हुए तुम गुप्त अंग को प्रकट करके दाँत के चीकने मल और खोपरी में से नीकलनेवाली कांजी अर्थात् विकृत रस को पीते हो । [१२६] हाथी के दन्त मूसल - ससा और मृग का माँस, चमरी गौ के बाल और चित्ते का चमड़ा और नाखून के लिए उनका शरीर ग्रहण किया जाता है । [१२७] (मनुष्य शरीर किस काम का है ?) हे मूर्ख ! यह शरीर दुर्गंध युक्त और मरण के स्वाभाववाला है । उसमें नित्य भरोसा करके तुम क्यों आसक्त होते हो ? उनका स्वभाव तो बताओ । [१२८ ] दाँत किसी काम के नहीं, लम्बे बाल नफरत के लायक है । चमड़ी भी विभत्स है अब बताओ कि तुम किसमें राग रखते हो ? [ १२९] कफ, पित्त, मूत्र, विष्ठा, वसा, दांढ आदि किसका राग है ? [ १३०] जंघा की हड्डी पर सांथल है । उस पर कटिभाग है । कटि के ऊपर पृष्ठ हिस्सा है । पृष्ठ हिस्से में १८ हड्डियाँ है । [१३१] दो आँख की हड्डी और सोलह गरदन की हड्डी है । पीठ में बारह पसली है। [१३२] शिरा और स्नायु से बँधे कठिन हड्डियों का यह ढाँचा, माँस और चमड़े में हुआ है । लिपटा [१३३] यह शरीर विष्ठा का घर है, ऐसे मल गृह में कौन राग करेगा ? जैसे विष्ठा ने कुए की नजदीक कौए फिरते है । उसमें कृमि द्वारा सुल-सुल शब्द हुआ करते है और स्त्रोत से बदबू नीकलती है । ( मृत शरीर के भी यही हालात है । [१३४] मृत शरीर के नेत्र को पंछी चोंच से खुदते है । लत्ता की तरह हाथ फैल जाते है । आंत बाहर नीकाल लेते है और खोपरी भयानक दिखती है ।

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