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तन्दुलवैचारिक-६८
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होते है ।
___ [६९] विषम वर्ष में औषधि की ताकत कम हो जाती है । इस समय में औषधि की कमजोरी की वजह से आयु भी कम होता है ।
[७०] इस तरह कृष्ण पक्ष के चन्द्रमा की तरह ह्रासमान लोग में जो धर्म में अनुरक्त मानव है वो अच्छी तरह से जीवन जीता है ।
[७१] हे आयुष्मान् ! जो किसी भी नाम का पुरुष स्नान करके, देवपूजा करके, कौतुक मंगल और प्रायश्चित करके, सिर पर स्नान करके, गले में माला पहनकर, मणी और सोने के आभूषण धारण करके, नए और कीमती वस्त्र पहनकर, चन्दन के लेपवाले शरीर से, शुद्ध माला और विलेपन युक्त, सुन्दर हार, अर्द्धहार-त्रिसरोहार, कन्दोरे से शोभायमान होकर, वक्षस्थल पर ग्रैवेयक, अंगुली में खूबसूरत अंगूठी, बाहु पर कई तरह के मणी और रत्नजड़ित बाजुबन्ध से विभूषित, अत्यधिक शोभायुक्त, कुंडल से प्रकाशित मुखवाले, मुगट से दीपे हुए मस्तकवाले, विस्तृत हार से शोभित वक्षस्थल, लम्बे सुन्दर वस्त्र के उत्तरीय को धारण करके, अंगुठी से पीले वर्ष की अंगुलीवाले, तरह-तरह के मणी-सुवर्ण विशुद्ध रत्नयुक्त, अनमोल प्रकाशयुक्त, सुश्लिष्ठ, विशिष्ठ, मनोहर, रमणीय और वीरत्व के सूचक कड़े धारण कर ले । ज्यादा कितना कहना?
कल्पवृक्ष जैसे, अलंकृत विभूषित और पवित्र होकर अपने माँ-बाप को प्रणाम करे तब वो इस प्रकार कहेंगे हे पुत्र ! सौ साल का बन । लेकिन उसका आयु १०० साल हो तो जीव अन्यथा ज्यादा कितना जीएगा ? सौ साल जीनेवाला वो बीस युग जीता है । अर्थात् वो २०० अयन या ६०० ऋतु या १२०० महिने या २४०० पक्ष या ३६००० रात-दिन या १०८०००० मुहूर्त या ४०७४८४०००० साँसे जीतना जी लेता है । हे भगवन् ! वो साड़े बाईस 'तंदुलवाह' किस तरह खाता है ? हे गौतम ! कमजोर स्त्री द्वारा सूपड़े से छड़े गए। खरमुसल से कुटे गए, भूसे और कंकर रहित करके अखंडित और परिपूर्ण चावल के साड़े बारह 'पल' का एक प्रस्थ होता है । उस प्रस्थ को 'मागध' भी कहते है । (सामान्यतः) प्रतिदिन सुबह एक प्रस्थ और शाम को एक प्रस्थ ऐसे दो समय चावल खाते है । एक प्रस्थक में ६४००० चावल होते है । २००० चावल के दाने का एक कवल से पुरुष का आहार ३२ कवल स्त्री का आहार २८ कवल और नपुंसक के २४ कवल होते है । यह गिनती इस तरह है । दो असती की प्रसृति, दो प्रसृति का एक सेतिका, चार सेतिका का एक कुडव, चार कुडव का एक प्रस्थक, चार प्रस्थक का एक आढक, साठ आढक का एक जघन्य कुम्भ, अस्सी आढक का एक मध्यमकुम्भ, सौ आढ़क का एक उत्कृष्ट कुम्भ और ५०० आढ़क का एक वाह होता है । इस वाह के मुताबिक साड़े बाईस वाह तांदुल खाते है । उस गिनती के मुताबिक
[७२] ४६० करोड़, ८० लाख चावल के दाने होते है वैसा कहा है ।
[७३] इस तरह साड़े बाईस वाह तांदुल खानेवाला वह साड़े पाँच कुम्भ मूंग खाता है। मतलब २४०० आढ़क घी और तेल या ३६ हजार पल नमक खाता है । वो दो महिने के