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वण्हिदशा-२ से १२/४
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(अध्ययन-२-से-१२) [४] इसी प्रकार शेष म्यारह अध्ययनों का आशय भी संग्रहणी-गाथा के अनुसार बिना किसी हीनाधिकता के जैसा का तैसा जान लेना ।
अध्ययन-१-से-१२का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
० निरयावलिका श्रुतस्कंध समाप्त हुआ, इसके साथ ही उपांगों का वर्णन भी पूर्ण हुआ । निरयावलिका उपांग में एक श्रुतस्कन्ध है । उसके पांच वर्ग हैं, जिनका पांच दिनों में निरूपण किया जाता है ।
| २३ | वण्हिदशा-उपांगसूत्र-१२-हिन्दी अनुवाद पूर्ण |