Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 09
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 206
________________ भक्तपरिज्ञा- १७२ २०५ [१७२] इस तरह से योगेश्वर जिन महावीर स्वामीने कहे हुए कल्याणकारी वचन के अनुसार प्ररूपित यह भक्त परिज्ञा पयन्ना को धन्य पुरुष पढ़ते है, आवर्तन करते है और सेवन करते है । (वे क्या पाते है यह आगे की गाथा में बताते है ।) [१७३] मानव क्षेत्र के लिए उत्कृष्टरूप से विचरने और सिद्धांत के लिए कहे गए एक सौ सत्तर तीर्थंकर की तरह एक सौ सत्तर गाथा की विधिवत् आराधना करनेवाली आत्मा शाश्वत सुखवाला मोक्ष पाती है । २७ भक्तपरिज्ञा - प्रकिर्णकसूत्र - ४ - हिन्दी अनुवाद पूर्ण

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