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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद _ [३३०] जिन नक्षत्रों द्वारा महीनों की परिसमाप्ति होती है, वे माससदृश नामवाले नक्षत्र कुल हैं । जो कुलों के अधस्तन होते हैं, कुलों के समीप होते हैं, वे उपकुल कहे जाते हैं । वे भी मास-समापक होत हैं । जो कुलों तथा उपकुलों के अधस्तन होते हैं, वे कुलोपकुल कहे जाते हैं ।
[३३१) बारह उपकुल-श्रवण, पूर्वभाद्रपदा, रेवती, भरणी, रोहिणी, पुनर्वसु, अश्लेषा, पूर्वफाल्गुनी, हस्त, स्वाति, ज्येष्ठा तथा पूर्वाषाढा उपकुल ।
चार कुलोपकुल-अभिजित्, शतभिषक्, आर्द्रा तथा अनुराधाकुलोपकुल ।
भगवन् ! पूर्णिमाएँ तथा अमावस्याएँ कितनी हैं ? गौतम ! बारह पूर्णिमाएँ तथा बारह अमावस्याएँ हैं, जैसे-श्राविष्ठी, प्रौष्ठपदी, आश्वयुजी, कार्तिकी, मार्गशीर्षी, पौषी, माघी, फाल्गुनी, चैत्री, वैशाखी, ज्येष्ठामूली तथा आषाढी ।
भगवन् ! श्रावणी पूर्णमाणी के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! अभिजित्, श्रवण तथा धनिष्ठा का । भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ शतभिषक्, पूर्वभाद्रपदा तथा उत्तरभाद्रपदा-नक्षत्रों का योग होता है । आसौजी पूर्णिमा के साथ रेवती तथा अश्विनी नक्षत्रों का, कार्तिक पूर्णिमा के साथ भरणी तथा कृत्तिका का, मार्गशीर्षी पूर्णिमा के साथ रोहिणी तथा मृगशिर का, पौषी पूर्णिमा के साथ आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्य का, माघी पूर्णिमा के साथ अश्लेषा और मगा का, फाल्गुनी पूर्णिमा के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी का, चैत्री पूर्णिमा के साथ हस्त एवं चित्रा का, वैशाखी पूर्णिमा के साथ स्वाति ओर विशाखा का, ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ अनुराधा, ज्येष्ठा एवं मूल का तथा आषाढी पूर्णिमा के साथ पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा नक्षत्रों का योग होता है ।
. भगवन् ! श्रावणी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का, उपकुल का या क्या कुलोपकुल नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! तीनों का योग होता है । कुलयोग में धनिष्ठा, उपकुलयोग में श्रवण तथा कुलोपकुलयोग में अभिजित् नक्षत्र का योग होता है । भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल तथा कुलोपकुल का योग होता है । कुलयोग में उत्तरभाद्रपदा, उपकुलयोग में पूर्व-भाद्रपदा तथा कुलोपकुलयोग में शतभिषा नक्षत्र का योग होता है । आसौजी पूर्णिमा के साथ कुल का और उपकुल का योग होता है । कुलयोग में अश्विनी और उपकुलयोग में खती नक्षत्र का योग होता है । कार्तिकी पूर्णिमा के साथ कुल और उपकुल का योग होता है, कुलयोग में कृत्तिका और उपकुलयोग में भरणी नक्षत्र का योग होता है । मार्गशीर्षी पूर्णिमा के साथ कुलयोग में मृगशिर और उपकुलयोग में रोहिणी नक्षत्र का योग होता है । आषाढी पूर्णिमा तक का वर्णन वैसा ही है । इतना अन्तर है-पौषी तथा ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल तथा कुलोपकुल का योग होता है । बाकी की पूर्णिमाओं के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है ।
श्रावणी अमावस्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! अश्लेषा तथा मघा-का योग होता है । भाद्रपदी अमावस्या के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी-का,
आसौजी अमावस्या के साथ हस्त एवं चित्रा-का, कार्तिकी अमावस्या के साथ स्वाति और विशाखा का, मार्गशीर्षी अमावस्था के साथ अनुराधा ज्येष्ठा तथा मूल का पौषी अमावस्या के साथ पूर्वाषाढा तथा उत्तराषाढा-का, माघी अमावस्या के साथ अभिजित्, श्रवण और