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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
आलोचना एवं प्रतिक्रमण किए बिना ही मरण करके सौधर्मकल्प के श्रीअवतंसक विमान की उपपातसभा में यावत् श्रीदेवी के रूप में उत्पन्न हुई, यावत् पांच - पर्याप्ति से पर्याप्त हुई । इस प्रकार हे गौतम! श्रीदेवी ने यह दिव्य देवऋद्धि लब्ध और प्राप्त की है । वहाँ उसकी एक पल्योपम की आयु- स्थिति है । वह आयुष्य पूर्ण करके 'महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होगी और सिद्धि प्राप्त करेगी ।'
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इसी प्रकार शेष नौ अध्ययनों का भी वर्णन करना । मरण के पश्चात् अपने-अपने नाम के अनुरूप नामवाले विमानों में उनकी उत्पत्ति हुई । सभी का सौधर्मकल्प में उत्पाद हुआ । उनका पूर्वभव भूता के समान है । नगर, चैत्य, माता-पिता और अपने नाम आदि संग्रहणीगाथा के अनुसार हैं । सभी पार्श्व अर्हत् से प्रव्रजित हुईं और वे पुष्पचूला आर्या की शिष्याएँ हुईं । सभी शरीरबकुशिका हुईं और देवलोक के भव के अनन्तर च्यवन करके महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होंगी ।
२२ पुष्पचूलिका - उपांग- ११- हिन्दी अनुवाद पूर्ण