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जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति-४/१७०
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गौतम ! शीता महानदी के उत्तर में, नीलवान् वर्षधरपर्वत के दक्षिण में, कच्छविजय के पूर्व में तथा सुकच्छविजय के दक्षिण में है । वह उत्तर-दक्षिण लम्बा तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। १६५९२ योजन लम्बा है ५०० योजन चौड़ा है, नीलवान् वर्षधर पर्वत के पास ४०० योजन ऊँचा है तथा ४०० कोश जमीन में गहरा है । तत्पश्चात् ऊँचाई एवं गहराई में क्रमशः बढ़ता जाता है । शीता महानदी के पास वह ५०० योजन ऊँचा तथा ५०० कोश जमीन में गहरा हो जाता है । उसका आकार घोड़े के कन्धे जैसा है, वह सर्वस्त्नमय है । वह अपने दोनों
ओर दो पद्मवरवेदिकाओं से तथा दो वन-खण्डों से घिरा है । चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के ऊपर बहुत समतल एवं सुन्दर भूमिभाग है । वहाँ देव-देवियाँ आश्रय लेते हैं, विश्राम करते हैं ।
चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के कितने कूट हैं ? गौतम ! चार, -सिद्धायतनकूट, चित्रकूट, कच्छकूट तथा सुकच्छकूट । ये परस्पर उत्तर-दक्षिण में एक समान है । पहला सिद्धायतनकूट शीता महानदी के उत्तर में तथा चौथा सुकच्छकूट नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में है । चित्रकूट नामक देव वहाँ निवास करता है ।
[१७१] भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में सुकच्छ विजय कहाँ है ? गौतम ! शीता महानदी के उत्तर में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, ग्राहावती महानदी के पश्चिम में तथा चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में है । वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है । क्षेमपुरा उसकी राजधानी है । वहाँ सुकच्छ नामक राजा समुत्पन्न होता है । बाकी कच्छ विजय की ज्यों हैं।
भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में ग्राहावतीकुण्ड कहाँ है ? गौतम ! सुकच्छविजय के पूर्व में, महाकच्छ विजय के पश्चिम में नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिणी ढलान में है । उस के दक्षिणी तोरण-द्वार से ग्राहावती महानदी निकलती है । वह सुकच्छ महाकच्छ विजय को दो भागों में विभक्त है । उसमें २८००० नदियाँ मिलती हैं । वह उनसे आपूर्ण होकर दक्षिण में शीता महानदी से मिल जाती है । ग्राहावती महानदी उद्गम-स्थान पर, संगम-स्थान पर-सर्वत्र एक समान है । वह १२५ योजन चौड़ी है, अढ़ाई योजन जमीन में गहरी है । वह दोनों ओर दो पद्मववेदिकाओं द्वारा, दो वन-खण्डों द्वारा घिरी है ।
भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में महाकच्छ विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में, ग्राहाक्ती महानदी के पूर्व में है । यहाँ महाकच्छ नामक देव रहता है । महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत् पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत कहाँ है ? गौतम ! नीलवान् वक्षस्कार पर्वत के दक्षिण में शीता महानदी के उत्तर में, महाकच्छ विजय के पूर्व में, कच्छावती विजय के पश्चिम में है । वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है, पूर्व-पश्चिम चौड़ा है । पद्मकूट के चार कूट-हैं-सिद्धायतनकूट, पद्मकूट, महाकच्छकूट, कच्छावतीकूट । यहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्ययुक्त पद्मकूट देव निवास करता है । गौतम ! इस कारण यह पद्मकूट कहलाता है । भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में कच्छकावती विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, दहावती महानदी के पश्चिम में, पद्मकूट के पूर्व में है । वह उत्तर-दक्षिण लम्बा तथा पूर्व-पश्चिम चौड़ा है | यहाँ कच्छकावती नामक देव निवास करता है । महाविदेह क्षेत्र में द्रहावतीकुण्ड कहाँ है ? गौतम ! आवर्त विजय के पश्चिम में, कच्छकावती विजय के पूर्व में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिणी ढलान में है । उस दहावतीकुण्ड के दक्षिणी तोरण-द्वार