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अकिव
अकीदन अकय iit;-अ० (१) पारिंग, एड़ी-हिं० । गुग---द्रोग विशेष कर मूर्छा तथा पुरानन
पारन --- ( ( iis, Hol. (२) शुष्क कासको अत्यन्त लाभ पहुँचाता है । रुधिरको मंत्रिबंध', म्नायुर-हि । रिवात-अ० । बन्द करता है । उचित अनुपान के साथ सेवन करें। ( Ligitment)
(२)री। की छाल १ छटांक, १ तोला किलवहार akilabithai- संज्ञा० पु० अतीक श्याम, एक बर्तन ने उन छाल अकीक
कि अफ्रीकुल बह ] वैजयन्तीका पौधा व दाना । के टुकड़ों के नीचे ऊपर देकर बन्द कर कपड़ अकिलिवर nitisha- वि० [सं०] . मिट्टी करके एक जन उपलों की पांच दें। यदि
(1) पवित्र (२) निघत, शुद्ध ।-मंग पु० शुद्ध- फल न हो तो एक यांच और दें। प्राणी, पारशून्य मनुष्य ।।
गुण-प्रामाराय को बलप्रद, कालोधीपक, हृदय अकोक .in ::-* ना पु० । अगे(Aarat.) वनास्तिक को बलप्रद ( हृद्य व मेथ्य), सुधाअकांक inniff-अ
-ई.यह एक प्र- वर्धक और पूय मेह को लाभकारी है। कार का ग्यनिज पथर है जो कई प्रकारका होता है (३) शुद्ध उमान रगरहित अकीक को अर्क इननं यानी.पाताभायुक,रक वर्णीय इसके पश्चात बेदमुष्क और केवड़ा में इतना खुझाएँ कि टुकड़े पीन पुनः श्वेन बीय, सत्ता हेता है। किसी दकडे होजाय फिर उसी अर्क केवड़ा श्रीर बेदमुश्क किमी हकील के विचार में यकृत के रंगका अर्थात से दोपहर खरल करके टिकिया बना लें और लोहित वात्रामा मत्तल हे।ता है। यह बंबई,
गुलाब के कस्क में लपेट कर शराव सम्पट कर दांदा और खंभात ने आता है। इसकी कई . २०-२५ सेर उपलों की प्रांचदें। एक या दो किम्म यमन और बादाद में भी पाती हैं।
. प्रांची में फुल होजाएगा । मात्रः-एक रती तक। गुगधर्म-अकीक हृन है और मुर्छा, शोक, गुरा-अ.नांगों को अल प्रदान करने, विशेष रजम्यान, पीहा और यकृत के महों तथा अश्मरी को
कर मूर्छा, के लिए उत्तन है।
..' नाट करने बाला। इस नेत्र में लगानेसे ज्योति
म.ट-कि यह एक अन्यन्त कठोर एन्थर की वृद्धि होती है । इर की असम-उपयुक
है अस्तु इसके अग्नीकरण में ऐसा प्रयन्न करें रोगों के अतिरिम जमाङ्गों के बल प्रद, कामो
कि जिसमें यह बिल्कुल आटे की तरह बारीक श्रीरक और शुक्रका गाढ़ा करने वाली है । उसरों में ।
विस काय और इसमें करकराहट अवशेष न रहे। इसका उपयोग लाभदायी सिद्ध होता है
उक्र अभिप्राय हेतु इसको बृटियों के जल में देर तन सूज़ाक तथा व्रणों का पूरित करता है।
तक खरल कर नीरणाग्नि देने रहें। श्रकीक परम बनाने को विधि- अकोकह anigah-अ० नवजात शिशु के शिर ( ५ ) अतीक 7 मा०, कमल गहा ॥, कमलगट्टा के बाल । को कृष्कर एक टाट पर प्राधा बिछा और अकीक : अकोकलबहार aiqul babar-अ० जयाकी नमूची डलो उन्मपर रखकर शेष प्राधा : पुष्प, जयन्त (Stsbunia anukata, ऊपर बिछा। टट का गुनला मा बनाकर । Pri.) १० सेर उपलों की जांच में एक यांच में भस्म अकील akikh-का. रे., आंत्र, तीन होगी अन्यथा वो तीन च और ।। उचित : (Intestives) तो यह है कि मकोक को गुलायार्क में १०- अकीदुल अनबaaqitlu aanab-अ०. मद्य१५ बार बुझाव देलें जिससे वह टुकड़े टुकड़े हो भेद-हिं० । मैफरतज-अ० । (A kind of जाय । इसे गलाबार्क वा बेदमुश्क में खरल करके
___wine) टिकिया बना कर भाग दें। अत्युनम भम्म प्रस्तुन ! अकीदून akilin-२० सुम, खुर । हूत होगी। मात्रा- ये २ रशी नक ।
(Cleran, A hoof )-९०।
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