Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीमद् बुद्धिमागरसूरि ग्रन्थमाला अथांक ६४. जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह. भाग बीजो. श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि. For Private And Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RRRRRRRRARIMAARARIHARAN श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि ग्रन्थमाला ग्रंथांक ६४. जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह. भाग बीजो. पा श्री रे सुरि ज्ञानमदिर श्री मा.श्री. ऊन आराधना कब जि. गांधीनगसंग्राहक-लेखक, शास्त्रविशारद महाकवि जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि. CARGARAGคคลailanคมคคคคคคค प्रगटकर्ता, श्री अध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळ, हा. वकील मोहनलाल हीमचंद मु. पादरा. -- - वडोदरा-लहाणामित्र स्टीम प्रि. प्रेसमां अंबालाल विठ्ठलभाइ ठकरे षकील मोहनलाल हीमचंदने माटे छापी प्रसिद्ध कर्यु. ता. १५-९-२४. AnfARARARARAARAAAAAAAARREAnnnn प्रति २००. इ. स. १९२४ वीर सं. २४५० वि. १९८० किं. १-०-०. DULUuuuuuuyyyyeryer For Private And Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra જન્મઃ- સ. ૧૯૨૪ ભાદ્રપદ શુકલ ૧૪ www.kobatirth.org Lakshmi Art, Bombay 8 શેઠ બુરીઆભાઇ જીવણચંદ જવેરી, સુરત, P L) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ~~ મૃત્યુઃ- સ. ૧૯૮૦ ચૈત્ર શુકલ ૧૧ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन. wore श्री अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडळ तरफथी जैनधातुप्रतिमा लेख संग्रह भाग बीजो छपाइने जरा मोडो बहार पाडवामां आवे छे. तिहासिक पंडितोने एमाथी घणुं जाणवायूँ मळशे अने तेथी जैन इतिहास पर घणो सारो प्रकाश पडशे. आ भागमा दिगंबर लेख पण आव्यो छे. हनी जैन पाषाण धातु प्रतिमाओना हजारो लेखो लेवाना बाकी छे. आणंदनी कल्याणजीनी पेढी वगेरे तीर्थरक्षकपेढीओ जो आ बाबतमां सहाय करे तो आ कार्य करवामां आगळ वधी शकाय. धनवंतोए आ तरफ लक्ष आपी मदद करवी जोईए. आ मंडळ तरफथी घगी सस्ती किंमते पुस्तको बहार पडे छे, अने पडशे. आ ग्रन्थ अने प्रथम प्रगट थएल धातु प्र० लेख संग्रह मा. १ ए बन्ने ग्रंथो योगनिष्ठजैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी महाराजना परिश्रम अने प्रेरणाथीज प्रगट थयेल छे, एटलुंन नहीं पण तेओश्रीनी शरीर प्रकृति सारी नहीं छतां पण पुस्तको लखवानु काम अविश्रांत पणे सतत चालु राखेल छे तेथी तेओश्रीनो उपकारनो बदलो कोई रीते वाळी शकाय तेम नथी. धन्यवाद. आ ग्रंथ छपाववामां सुरतना मर्तुम झवेरी भुरियामाई जीवणचंद तरफथी रु. ३०१) नी मदद मळेली छे, ते मादे मंडळ तेमनो आभार मानी तेमने धन्यवाद आपे छे अने तेमना स्मरण चिह्न तरीके तेमनुं जीवन चरित्र अने फोटो आ ग्रंथमां दाखल करवामां आवेल छे. पादरा, श्री अध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळ. श्रावण वदि २१ वि.सं. १९८०) वकील मोहनलाल हीमचंद. For Private And Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. जैनधातु प्रतिमा लेख संग्रह धारवा करतां मोडो बहार पडे छ धातु प्रतिमाओना लेखोथी ते ते कालना आचार्यो, देश, नगर, जैनधर्म वगैरेनी स्थितिनुं ज्ञान याय छे. बीजा भागना लेखोमा जे जे गामोनां नगरोनां नामो आन्यां छे ते जूदां लखीने जणाववामां आव्यां छे. वि. सं. एक हजार वर्षनी पूर्वना धातुप्रतिमाना लेखो मळ्या नथी. वि. सं. एक हजारथी ते ओगणीससेनी साल सुधीना लेखो मळी शके छे. धातुप्रतिमा लेख संग्रह पहेला भागमा चोपन गामोना लेखोनुं लीष्ट छे अने बीजा भागमां गामनगरनां बार नाम छे. बधां मळी ६ ६ थाय छे, अमदावाद, पाटण अने सुरत ए त्रणना संपूर्ण लेखो लेवाया नथी, तेमाथी जे जे पोळनां देरासरना लेखो लीधा छे ते ते आ ग्रन्थमां जणान्या छे. लेखो लखाया ते कालमा जे जे कोमो जैनधर्म पाळती हती तेनुं वर्णन प्रथम भागनी प्रस्तावनामां कयु छे तथा ते ते काले जे जे गच्छो हता तेनुं वर्णन पण प्रथमभागमा आप्युं छे अने बीना भागमां पण छेवटे गच्छ अने गच्छना आचार्य तथा सालवार सूचिपत्र आप्यु छे. ते वांचीने वांचको सहेलाइथी लेखोनुं ज्ञान करी शकशे. जैनोनां हजारो देरासरो छे तेमाथी फक्त छासठ नगरगामना लेखो लेवाया छे. हनी तो हजारो लेखो लेवाना बाकी छे अने तेथी जैन इतिहास उपर खलं अजवाळु पडशे. प्रथम भागमा पन्नरसे वेवीश लेख छे अने बीजा भागमां अगियारसो पञ्चाश लेख छे. सर्व मळी छवीसो तोतेर लेखो (वे भागना मळी छे.) हनी तो हजारो धातुप्रतिमाओना लेखो बाकी छे अने पाषाणनी प्रतिमाओना पण हजारो लेखो बाकी के. श्रीविजयधर्मसूरिजी तथा श्रीविनयेन्द्रसूरिजी, पुरातत्त्व मंदिरना For Private And Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५) आचार्य श्रीजिनविजयनी, तथा श्रीकांतिविजयजी प्रवर्तकनी, श्रीकल्याणविजयनी, विजयसिद्धिसूरिना प्रशिष्य श्रीधर्मविजयजी तरफथी पाषाण प्रतिमाओ वगेरेना लेखो लेवाया छे अने केटलाक छपाया छे. श्रावकोमां एक बाबु तरफथी केटलाक लेखो छपाइने बहार पडया छे. दिगंबर जैनोए पाषाण धातु प्रतिमाओना लेखो लीधा होय अने छपाव्या होय एवं मारा जाणवामां आव्युं नथी. तेओ पण चळवळ करता हशे. छासठ गाम पैकी अमदावाद, पाटण, सुरतना बाकीना लेखो अने बीना सर्व नगर, पुर गामोना लेखो लेवानी अत्यंत जरुर छे धनवंतोनी मदद विना धातु पाषाण प्रतिमाओना लेखो लेइ शकाय नहीं अने छपावी शकाय नहीं अने ते विना जैन इतिहास कार्य अपूर्ण रहे तेथी गृहस्थ धनवंत जैनोए सवेळा मदद करवा लक्ष्य देवं जोइए. कंइ एक हाथे ताली वागती नथी माटे विद्वानोनी अने धनवंतोनी मददनी याचना करीए छीए. प्रथम भागना अने बीना भागना लेखो लेवामां जे जे मुनियोए अने श्रावकोए मदद करी छे तथा लेखो छपाववामां जेओए मदद करी छे तेओने अंतःकरणथी धन्यवाद आपीए छीए तथा सहायकारक श्रावकोने धर्मलाभाशीः पूर्वक धन्यवाद आपवामां आवे छे. मुनिश्री जयविजयजी. मुनिश्री कीर्तिसागरजी. पंडित चंदुलाल नानचंद पंडित लालचंद भगवान्दास वगेरेए लेखो लेवामां तथा प्रुफ सुधारवामां सहाय करी छे, तेथी तेओने धन्यवाद देवामां आवे छे. शासन देवोनी सहाय अने आयुष्य बळ वगैरेनी सामग्री कायम रहेशे तो धातु प्रतिमा लेख संग्रहनो त्रीनो भाग बहार पाडवा प्रयत्न करीश. प्रवर्तक श्रीकांतिविजयनी तथा मोदी शा. केशवलालभाइ प्रेमचंद वगेरे अतिहासिक विषयना रागी अने ते बाबतमा उंडा उतरनारा छे, तेओ पण आ बाबतमां चळवळ करशे एवी आशा राखुं छु. लेखो लेवामां अक्षरो बराबर नहिं वंचावाना कारणे भूलो थइ जाय अने एवं बने तेथी बीना For Private And Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मागना लेखोमां जे जे भूलो रही गई हशे ते संबंधी विद्वानो सूचनाओ आपशे तो द्वितीयावृत्तिमां तेओनो सुधारो करवामां आवशे. धातु पाषाण प्रतिमाओना घणा हजारो लेखो लेवाय तो ते उपर प्रस्तावनामां लखी अनवाळु पाडी शकाय. अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडलने गृहस्य धनवंत जैनो मदद करशे तो ते द्वारा आगळ तुर्त कार्य शरु करवामां आवशे. इत्येवं ॐ अहँ महावीर शान्तिः ३ मु. पेथापुर (गुजरात) वि. सं. १९८० श्रावण पूर्णिमा.) ले. बुद्धिसागर. For Private And Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरतवासी जैन सवेरी भुरियाभाई जीवणचंदनुं जीवनचरित्र. जन्म मरण वि. सं. १९२४ भाद्रवा सुदि १३ वि. १९८० चैत्र सुदि ११ लग्न छन्वीशमा वर्षे. झवेरी मुरियाभाई जीवणचंद्रनु नाम गुजरात जैन कोममा जाहेर प्रसिद्ध थयुं छे. तेमना नाना भाइयो अने भत्रीनाओथी तेमनुं कुटुंब सुरतमा जाहेरमां आव्युं छे. तेओ स्वभावे दयालु, सत्यवादी, मिलनसार, परोपकारी अने नीतिना आचरणथी प्रमाणिक व्यापारी तरीके यशकीर्तिने पाम्या छे. देव, गुरु, धर्मनी श्रद्धामा पक्का हता. जीवदयाना कार्यमा सर्व युवकोने स्वमित्रोने पोतानी साथे जोडी हजारो लाखो रुपैयानां फंडो करीने अग्रगण्य तरीके भाग लेता हता, धर्मशास्त्रो छपाववां तेओ मदद करता हता, तेमणे सुरतमा एक जैनधर्मशाळा बंधावी छे के जे धर्मशाळानी घणी जरुर हती. तेमणे धर्मशाळा बंधाववामां रु. ६५०००) पांसठ हजार रुपैया खर्ध्या हता अने धर्मशाळानुं नाम पोताना पिताना नामे जीवन निवास पाड्यु छे. तेमणे पानसर श्री महावीर प्रभु, देरासर तीर्थ अने धर्मशाळाओ वच्चोवच एक टावर बंधाव्युं छे अने तेनुं नाम कंकुवाइ टावर पाड्युं छे अने तेमां . रु.२००००) आशरे वीशहजार रुपैया खर्चाया छे. झवेरी मुरियामाइनी इच्छा आदर्श उझमणुं करवानी हती. वि. १९८० ना वैशाख मासमां उझमणुं करवा मुहूर्त आव्युं हतुं अने उनमणुं करवानी सर्व सामग्री भेगी करी हती पण पालीताणा सिद्धाचल डुंगर पर जतां तेमना पगे वाग्युं अने एमांथी दर्द वधी पड्युं. ते पर ओपरेशन कराव्युं पण उलटी तेथी वेदना वधी अने घणुं लोही वही गयुं For Private And Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेथी चैत्र सुदि अगियारसे मरण पाम्या. तेमनो विचार एवो हतो के अमने सुरत लेइ जवा अने अमारी रुखरुमां उद्यापन महोत्सव करवो पण तेमनी उमेद पार पडी नहीं. पानसरना टावरमां सारी लायब्रेरीनी व्यवस्था करवानी हती के जे लायब्रेरीनो हनारो यात्रालुओ लाभ उठावी शके. तेमनो उझमणुं कर्या बाद एक जैन बोर्डीग स्थापवानो विचार हतो पण ते विचारने साथे लेइ गया. तेथी बीजा जन्ममां जैन गुरुकुल बोडींग उद्यापन करवानी प्रवृत्ति थई शकशे. भुरियामाइ बाहोंश व्यापारी हता. पोताना संबंधमां आवेला अंगत मनुष्योने तेमणे व्यापारमा हुशियार करी ठेकाणे पाड्या छे. तेमणे गरीबोने खानगीमां अने जाहेरमां हमारो रुपैयानी मदत करी छे. तेओना रुपैया अन्य झवेरी मित्र पासे ल्हेणा रह्या हता पण ते पर आर्थिक संकट पडतां पोताना रुपैयानी मागणी सरखी पण करी नथी. ते अमो खास जाणीए छीए. तेमणे गरीब जैनोने खानगीमां मदत करी ठेकाणे पाड्या छे. तेओ अमारी साथे वि. सं. १९६७मा सुरतथी मुंबाइ जतां विहारमा सात आठ श्रावको लेइने साथे रह्या हता अने अमारी साथे मोटा भागे विहार करता हता. अगाशीमां अमोए प्रतिष्ठा करी हती ते वखते तेमणे घणी सेवाभक्ति करी हती अने अगाशीमां अमोए मूल नायकनी प्रतिष्ठा वासक्षेप करी विहार को तोपण दरेक गाममा साथे रहेता हता. तेमणे भजनसंग्रह छटो भाग छपाववामां आगेवान थई मदतकरी हती. वि. सं. १९६७ मां मुंबाइमां अमारा चोमासा वखते गुजरातना करवरीया वखतथी गुजरातना घणा गामोनी टीपो आवी तेमां तेमणे झवेरी बनारमा जाते उभा रही टीपो भरावी छे. अन्यजीवने दुःख पडतुं ते देखीने तेमनी आंखमां आंसु आवी जतां. तेओ दान करवामां निरभिमानी हता. तेमणे आखी जींदगी पर्यंत कोइनी साथे क्लेश वैर टंटा झघडा कर्या For Private And Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९) नथी. अमो जे जे गाममां चोमासं करीए छीए त्यां ते आवी जता अने पाठशाला लायब्रेरी पांजरापोळ गरीब मनुष्यो अने देरासरोमां सेंकडो रुपैया आपी जता. रामनी साथे जेम सीता हती तेम तेमनी साथे तेमनी स्त्री हता, तेमणे पोताना पतिने धर्मदान पुण्यकार्यमां घणी महाय आपी छे अने धर्मकार्यमां अर्धांगना तरीके श्राविकाधर्म पाळीने सारो भाग लीधो छे. भुरियामाइ वैरागी मनवाळा हता. अने स्वभावे आनंदी हता. प्रभु जिनेश्वरनी पूजामां गांडा गहेला जेवा भक्तिनी धूनमां थई जता अने दुनियानुं भान भूली जता हता. साधु. ओने अने साध्वीओने आहारपाणी वहोराववामां अत्यंत रुचिवाळा हना. मांदा साधुओनी सेवा करवामां हजारो रुपैया खर्च करवामां उत्साही चढता भाववाळा हता. तेओ अनेक संतसाधुओना समागममां आव्या हता. दरेक गच्छना साधुओने गुणानुरागे पूजता हता. व्यापारमा प्रमाणिक होइ लक्षाधिपति थया हता. तेओ धर्मकार्यमां अमारी सलाह लेइ प्रवर्तता हता. तेमना समागमथी चंपकलाल तथा तलकचंद वगेरे सारा मार्गे चढ्या छे, तेओ कुटुम्ब सगांव्हालांओर्नु हित करवामां सावधान हता. तेमना घरमां कुटुम्ब क्लेशनो अभाव हतो, एम कहेवामां अतिशयोक्ति नथी. स्वभावे शांत हता तेथी तेओना पासमां अनेक मित्रो रहेता हता. झवेरी जीवणचंद धर्मचंद तेमना मित्र हता. झवेरी भुरीयाभाई पोताना मित्रोने यथाशक्ति सहाय करता हता. तेमणे शत्रंजय वगेरे अनेक तीर्थोनी यात्रा करी हती, प्रतिवर्षे शत्रुजय तीर्थनी यात्रा करता हता. भुरियामाइ प्रेमाळ हता. एकवार तेमना समागममां जे आव्यो तेनो तेमना पर प्रेम थइ जतो. झवेरी भुरियामाइ जीवणचंद्रनो सातधातुनो देह गयो पण तेमनो यशःकीर्तिरुप अक्षरदेह तो घणा वर्ष सुधी जीवतो रही वाचकोने आदर्शजीवन दृष्टांतीभूत थशे. झवेरी भुरियाभाइ दाताररत्न तरीके प्रसिद्ध थइ गया छे, तेमने पुत्र For Private And Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१०) नहोतो पण तेमनां कार्यो हाल जे मौजुद छे ते पुत्रनी पेठे लोकोने उपकारक थइ पडशे. तेमना आत्मामां अनेक सद्गुणो खील्या हता. तेओ यशःकीर्तिना भूख्या न होता पण धार्मिक कार्यो करवाना भूख्या हता. जैनधर्मना पूरा आस्तिक हता. तेमनी पाछळ तेमनी पत्नी छे ते पण आत्मार्थी देवगुरु धर्मसेवा भक्ति करवामां श्रद्धाळु छे. सुश्रावक शा. मणिलाल मोहनलाल पादराकरे झवेरी भुरियामाइ जीवनचंद्रनुं विस्तारथी जीवनचरित लख्युं छे. विशेष जिज्ञासुए ते चरित्र वाचवू. जैनकोममां झवेरी भुरिय,भाइनी अन्य सदनहस्थोनी यादी साथे यादी रहेवानी. झवेरी मुरियाभाइ ओशवाळवंशी उत्तम नररत्न तरीके गणाशे, सुरतमां झवेरी धर्मचंद उदेचंद. झवेरी नगीनदाप्त कपुरचंद, झवेरी नगीनदास झवेर. झवेरी देवचंद लालचंद नगीनदास मंछुभाइ. झवेरी नेमुभाइ मेलापचंद तथा खीमचंदभाइ मेलापचंद तथा झवेरी तलकचंद माणेकचंद वगेरे अमारा समागममां आव्या हता. एवा अनेक दातार नररत्नोनी जीवनी जळवाइ रहे एवी सुरती झवेरीओ कंइक सारी व्यवस्था करशे एवी सूचना करु छ के जेथी भविष्यनी जैनकोमने पोतानो इतिहास उज्जवल देखवानो लाम मळे. हालमां सुरतमां झवेरी जीवण चंद साकेरचंद जैनसाहित्य बहार लाववामां अग्रगण्य भाग ले छे. झवी जीवणचंद धर्मचंदे पोतानी आर्थिक सारी स्थितिमां अनेक विद्यार्थी जैन गरीब बंधुओने सहाय करी छे. सुरत अलबेली नगरी छे ते आवा नर रत्नोने जन्म आप्या करे छे अने भविष्यमा आपशे एम इच्छीए छीए. झवेरी भुरीयामाइना भत्रीजा भाइचंदभाइ जेचंद तथा दयाचंद जेचंदे अमने जीवनचरित्र लखवामां केटलीक हकीकत लखी मोकली छे तेथी तेमने धन्यवाद घटे छे. छेवटे झवेरी भुरियामाइ के जे अमारा भक्त श्रावक हता तेमना आत्माने शांति मळो एम इच्छु छु. इत्येवं ॐ अह महावीर शान्तिः । मु. पेथापुर. श्रावण पूर्णिमा. For Private And Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (११) श्री अध्यात्मज्ञानप्रसराक मंडळ तरफथी श्रीमद्बुद्धिसागरसूरिजोग्रन्थमाळामां प्रगट थयेला ग्रन्थो. किंमत. ६१२ ग्रयांक १ क. भजन संग्रह भाग ? लो. २०० ०-८-० १ अध्यात्म व्याख्यानमोळा. २०६ ०-४-० * २ भजनसंग्रह भाग २ जो. ०-८-० * ३ भजनसंग्रह भाग ३ जो. ०-८-० * ४ समाधिशतकम्. ०-८-० ५ अनुभवपचिशी २४८ 0-८-० ६ आत्मपदीप. ०-८-० * ७ भजनसंग्रह भाग ४ थो. ०-८-० ८ परमात्मदर्शन. ४०० ०.१२० * ९ परमात्मज्योति ०-१२.० * १० तत्त्वबिंदु. ०-४-० ११ गुणानुराग.( आत्ति बीजी) २४ * १२-१३. भजनसंग्रह भाग ५ मो __तथा ज्ञानदीपिका. १९० ०-६-० * १४ तीर्थयात्रानुं विमान (आ बीजी) ६४ ०-२-० १५ अध्यात्मभजनसंग्रह १९० १६ गुरुबोध. १७४ ०-४-० * १७ तत्त्वज्ञानदीपिका -६-० १८ गहूंलीसंग्रह भा. १ ____०-३-० ११२ For Private And Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १-०-० -३-० (१२) * १९-२० श्रावकधर्मस्वरूप भाग १-२ (आवृत्ति त्रीजी) ४०-४०-१-० : २१ भजनपदसंग्रह भाग ६ ठो. २०८ ०-१२-० २२ वचनामृत. ०.१४-० २३ योगदीपक ३०८ ०-१४.० २४ जैन एतिहासिक रासमाळा. ४०८ * २५ आनन्दघनपद भावार्थ (१०८)८०८ २-०-० संग्रह भावार्थ सहित. २६ अध्यात्मशान्ति (आरति बीजी)१३२ २७ काव्यसंग्रह भाग ७ मो १५६ ___ -८-० * २८ जैनधर्मनी प्राचीन अने अर्वाचीन स्थिति. २९ कुमारपाल (हिंदी) २८७ ३० थी ४-३४ सुखसागर गुरुगीता ३०० ३५ षड्द्रव्य विचार. ३६ विजापुरवृत्तांत. ३७ साबरमतीकाव्य. ३८ प्रतिज्ञापालन. ०-५-० * ३९-४०-४१ जैनगच्छमतप्रबंध, संघप्रगति, जैनीता. ४२ जैनधातुप्रतिमा लेखसंग्रह भा.१ १-०-० ४३ मित्रमैत्री. * ४४ शिष्योपनिषद्. ४५ जैनोपनिषद् ४६-४७ धार्मिक गद्यसंग्रह तथा सदुपदेश भाग १ लो. ९७६ ३--- ४८ भजनसंग्रह भा. ८ ९७६ * ४९ श्रीमद् देवचंद्र भा. १ २०२८ २-०-० ५० कमयोग. २०१२ ३-०-० M cा -४-० ९० १९६ ०-६-० ०-८-० WA ० . ४८ ४८ For Private And Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( १३ ) ११२ ५१ आत्मतत्त्वदर्शन. ५२ भारतसहकार शिक्षण काव्य. १६८ ५३ श्रीमद् देवचंद्र भा. २ १२०० १३० ५४ गहुली संग्रह भा. २ ५५ कर्मप्रकृतिटीकाभाषांतर. ५६ गुरुगीत गुहलीसंग्रह. ५७-५८ आगमसार अने अध्यात्मगीता. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७० ५९ देववंदन स्तुति स्तवन संग्रह. १७५ ६० पूजासंग्रह भा १ लो. ४१६ ६१ भजनपदसंग्रह भा. ९ ६२ भजनपदसंग्रह भा. १० ६९ शुद्धोपयोग ७० दयाग्रन्थ ७१ श्रेणिक सुबोध ७१ कृष्णगीता .०० १९० ६३ पत्रसदुपदेश भा. २ ५७५ ६४ धातुप्रतिमालेख संग्रह भाग २ २२५ ६५ जैनदृष्टिए ईशावास्योपनिषद् भावार्थविवेचन. ५८० २०० ३६० ६६ पूजासंग्रह द्वितीयावृत्ति तथा अन्यपूजाओ सहित - भाग २ बीजो बंधाय छे. ७८ लाला लाजपतराय अने जैनधर्म. ७५ शोकविनाशक ७६ चेटकबोधग्रन्थ ७७ सुदर्शनासुवोध For Private And Personal Use Only ०-१०-० ०-१०.० ३-८-० ०-४-० ३-०-० ०-१२-० ०-६-० ०-४- ० १-०-० ६७ स्नात्रपूजा. ६८ श्रीमद् देवचंद्रजी अने तेमनुं जीवनचरित्र ०-४-० संस्कृत ग्रन्थो १-८-० १-०-० ७३ संघकर्तव्यग्रन्थ ७४ प्रजासमाजकर्तव्य ग्रन्थ १-८-० १-०-० १-०-० रु. २-०-० ०-२-० बंधाय छे. रु० ०–१२–० ०-४-० Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१४) छपाता ग्रन्थो. जैनधर्म अने रखी स्ति धर्मनो | मणिचन्द्रकृत २१ सज्जाय मुकाबलो. . भावार्थ ( आत्मदर्शन ). जैन अने खीस्ती संवाद. जैनधर्म शंका समाधान. आत्मशक्ति प्रकाश. मोटुं विजापुर वृत्तांत. क्षमापना. चिन्तामणि. तत्वविचार. कन्याविक्रयदोष. ॐ यशोविजयजी निबन्ध. आत्मप्रकाश. भजनसंग्रह भा.१ चोर्थी आवत्ति ध्यानविचार श्रीमद देवविलास रास अध्यात्मगीता ( संस्कृत ) (देवचंद्रजी चरित्र ) आत्मसमाधिशतक, मुद्रित श्वेतांबर जैगग्रन्थ सत्य स्वरूप. नामावलि. ___* आ निशानीवाळा ग्रंथो सीलकमां नथी. उपरनां पुस्तको मळवार्नु ठेकाj. वकील मोहनलाल हीमचंद. (गुजरात ) पादरा. शा. आत्माराम खेमचन्द. साणंद. भांखरीया-मोहनलाल नगीनवास. मुंबाइ कोटबजार गेट नं. १९२-९४ बुकसेलर, मेघजी हीरजी. पायधुनी-मुंबाइ. शेठ. नगीनदास रायचंद भांखरोया. मु. मेसाणा. विजापुर जैन ज्ञानमन्दिर. शा. चन्दुलाल गोकलदास. For Private And Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धातु प्रतिमा लेख संग्रह भा. २ तेमां गाम, नगरनी पोळ, मंदिरनी यादि. गाम १ पादरा २ दरापरा ३ वडोदरा पोळ मंदिर शांतिनाथना लेखो, संभवनाथना देरासरना लेखो. देरासर. मामानी पोळ, कल्याणपार्श्वनाथना देसरना लेखो, श्री महावीरदेरासरना लेखो. कोठीपोळ शांतिनाथना देरासरना लेखो. पटोलीआपोल मनमोहन पार्श्वनाथ देरासर, श्री आदिश्वर देरासर. जानीशेरी आदीश्वर देरासर. पीपलाशेरी चिंतामणी पार्श्वनाथन देरासर. महेतापोळ नेमिनाथ देरासर फत्तेहपुरा पार्श्वनाथ देरासर. सुलतानपरा चंद्रप्रभ देरासर. नवीपोळ शीतलनाथ देरासर. वाडी रंगमहाल आदिजिनालय. बाबाजीपुरा गोडीपार्श्वनाथ जिनालय. देरापाळ शेठ जमनालाल चुनीलाल वैद्यनु घरदेरासर. बापुभाइ हीराचंद वैद्यनु घरदेरासर. वैद्य त्रिभुवनदास भीखाभाइर्नु घरदेरासर. चुडगर जमनादास कीलाभाइर्नु घरदेरासर. शेठ मोतिलाल हीमचंदन घरदेरासर. For Private And Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ छायापुरी (छाणी) ५ मीयागाम (१६) शेठ गरबडदास वीरचंद बीयानुं घरदेरासर. शेठ फुलचंद डाह्याभाइन घरदेरासर. कोठारी जमनादासवें घरदेरासर. झवेरी फत्तेहभाइ अमीचंदनू घरदेरासर. हिंदविजय प्रेसवाळानु घरदेरास'. शेठ छोटालाल करसनदासनु घरदेरासर. शेठ लीलाभाइ रायचंदन घरदेरासर. जोगीदास विठ्ठलदासनी पोळनु घरदेरासर शेठ मोतीलाल हरखचंदनु घरदेरासर, १ कंथुनाथ देरासरना लेखो. २ शांतिनाथ जिनालयना लेखो. १ मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालयना लेखो. २ संभवनाथ देरासरना लेखो. ३ श्रीशांतिनाथ जिनालयना लेखो. १ आदिनाथ जिनालयना लेखो. २ अनन्तनाथ जिनालयना लेखो. ३ शांतिनाथ जिनालयना लेखो. ४ पार्श्वनाथ जिनालयना लेखो. ५ मुनिसुव्रतस्वामि जिनालयना लेखो. ६ संखेश्वरपार्श्वनाथ देरासरना लेखो. शांतिनाथ जिनालयना लेखो. महावीर जिनालयना लेखो. कबीरपुरा श्री अजितनाथ जिनालय. श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिनालय. श्री आदिनाथ जिनालय. ६ भरुच वेजलपुर For Private And Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ७ सीनोर ८ डभोई ९ नडियाद (गुजरात ) १० खेडा ११ मातर १२ खंभात ७ www.kobatirth.org ( १७ ) १ स्वारीवाडो २ परामां ३ लांबी शेरी ४ शेठवाडो १ दलालनो टेकरो. ८ श्री पद्मप्रभ जिनालय. १ सुमतिनाथ जिनालय. २ अजितनाथ जिनालय. २ आरी पाडो. ३ कडाकोटडी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ विजयलक्ष्मीसूरि देरीना लेखो. पहेला भागमां न आवेला एवा चार लेखो. १ श्री शांतिनाथ जिनालय. २ श्री आदिनाथ जिनालय. ३ श्री अजितनाथ जिनालय, शांतिनाथ जिनालयना लेखो. श्री आदिनाथ जिनालय. श्री मुनिसुव्रतस्वामि जिनालय. शांतिनाथ जिनालय. पद्मप्रभजिनालय. सुमतिनाथ मुख्य बावन जिनालय. १ महावीर जिनालय. भीडभंजन पार्श्वनाथ जिनालय. चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय लेखो. शांतिनाथ जिनालय. पद्मप्रभ जिनालय. ४ शांतिनाथ जिनालय. ५ मांडवी पोळमां आदिनाथ जिनालय. नेमिनाथ जिनालय. मुनिसुव्रतस्वामि जिनालय. कुंथुनाथ जिनालय. For Private And Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२ खंभात १२ खंभात www.kobatirth.org (१८) ९ कुंभारवाडो. शीतलनाथ जिनालय. १० शेरडीवाडानी पोळ, सुविधिनाथ जिनालय. ११ दंताळपोळ शांतिनाथ जिनालय, १२ दंताळपोळ कुंथुनाथ जिनालय १३ उंडीपोळ शांतिनाथ जिनालय. १४ दंताळपोळ शांतिनाथ जिनालय, श्री आदिनाथ जिनालय. सुमतिनाथ चौमुख जिनालय. महावीर जिनालय. १५ १६ चोळापोळ १७ गीपटी २० २१ १८ १९ जिरारपाडो २२ २३ २४ संघवीपाडो २७ ३८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९ ३० ३१ अलिंग ३२ लाडवाडो ३३ भोयरापाडो ३४ अजितनाथ जिनालय. चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय. शांतिनाथ जिनालय. अमीजरा पार्श्वनाथ देरासर. २५ विमलनाथ देरासर, २६ चोकसीनीपोळ. विमलनाथ देरासर. मनमोहन पार्श्वनाथ. अरनाथ जिनालय. सोमपार्श्वनाथ जिनालय. चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर. मनमोहन पार्श्वनाथ मंदिर. महावीर जिनालय. शांतिनाथ जिनालय. सुमतिनाथ मंदिर. अभिनंदन जिन मंदिर. नवखंडा पार्श्वनाथ मंदिर. पादुका शिलालेख. For Private And Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१९) १२ खंभात ० ० ० नेमिनाथ मंदिर. चंद्रप्रभ जिनालय. शांतिनाथ जिनालय. मल्लिनाथ मंदिर. ३९ शिक्रिपुर चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर. ४१ माणेकचोक पार्श्वनाथ जिनालय. धर्मनाथ जिनालय. महावीरस्वामि जिनालय. पार्श्वनाथ जिनालय. शांतिनाथ जिनालय. वासुपूज्य जिनालय. आदिनाथ जिनालय. ४८ खारवाडो मुनिसुव्रत जिनालय. महावीरस्वामि जिनालय. कंसारी पार्श्वनाथ मंदिर. अनन्तनाथ जिनालय. थंभण पार्श्वनाथ मंदिर. मनमोहन पार्श्वनाथ जिनालय सीमंधर स्वामि जिनालय. ५५ नागरवाडो वासुपूज्य जिनालय. ५६ बोळपीपळो नवपल्लव पार्श्वनाथ जिनालय, मुनि सुत्रत जिनालय. संभवनाथ जिनालय. चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर. संभवनाथ मंदिर. For Private And Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १ स्तंभतीर्थ (खंभात) २ वीसरोडा ३ पाटरी ४ गोठुआ ५ गंवार ६ कालुपुर ७ पाटण ( २० ) जैन धातु प्रतिमा लेख संग्रह बीजा भागमां आवेलां ग्राम, पुर, नगरनी यादी. ८ मातर ९ आंतरी १० मुंझीकपुर ११ वडाल १२ गुणवाटक १३ कमरगिरि १४ वीरमगाम १५ वीजापुर १६ सीतापुर १७ मगोडी १८ बारेजा १९ अमदावाद www.kobatirth.org २० इखराड २१ श्री क्षेत्र २२ धखंडी २३ घोघा २४ भीमपल्ली २५ वालघेरा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६ गमीध २७ आमलेश्वर २८ मांडव २९ आशापल्ली ३० आखापुर ३१ धारणपद्र ३२ चंपकपुर ३३ पेढडा ३४ आनंदपुर ३५ गोधाव (धावा) ३६ ओड ३७ जंबुनगर ३८ कोटडागढ ३९ गोधरा ४० जंटोडा ४१ यामलि (जाम लि) ४२ स्थाप्रागाम ४३ सिद्धपुर ४४ राजपुर ४५ गोत्र तरका ४६ बोरसद ४७ अलीणा ४८ जनउश्रा ४९ धंधुका ५० बालासीण For Private And Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५१ गिरियावी ५२ बहाउल ५३ पाडला ५४ जयतपुर ५५ रुद्रात लि ५६ भिन्नमाल ५७ पाटरी ५८ सुरत्राणपुर ५९ तलाजा ६० भृगुकच्छ (भरुच ) ६ १ देवा ६२ वटपद्र ६३ रुद्रपल्लि ६४ सीहुज ६५ नडियाद ६ ६ चोटिला ६७ मांडल ६८ कर्करानगर ६९ बालसासण ७० मलकीपुर www.kobatirth.org ७१ मदहड ७२ उंबरहट वढवाण ७३ ७४ कौरव ७५ शिरोही ७६ झालोडा ७७ वीसलनगर ७८ सापखडा ७९ वृद्धनगर ८० कारियाणी ( २१ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८१ रजोडा ८२ मंडुआनगर ८३ उगाण ८४ वडुद्रा ८५ राणपुर ८६ संखीसर ८७ खेटक ८८ जमालपुर ८९ पालनपुर ९० नंदुरबार नगर ९१ कोरंट ९२ बेदुर ९३ गेहडिया ९४ भलाडा ९५ नंदिसालां ९६ डहिरवाला ९७ धाड्यागाम ९८ उटव ९९ गोधावी १०० वडद्वा १०१ डामिला १०२ शेखपुर १०३ बजाणा १०४ राइधानपुर १०५ मंडली १०६ कालुपुर १०७ भोइका १०८ कतबपुर १०९ तावीगाम ११० मंडवाडा For Private And Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२२) १११ रोजासर ११२ छनीआरी ११३ हमीरपुर ११४ कादभाणी ११५ वणुद्र ११६ लोहिआणा ११७ माणकुलि ११८ काहिआणा ११९ डहडा १२० घोळका १२१ विडाण १२२ लीबाडी १२३ खडहल १२४ निजरार १२५ कागढा १२६ मालातीज १२७ कोरडा १२८ वालुकड १२९ कोहर १३० लाडोल १३१ ववाणिया १३२ पिपलासावारा १३३ कडी १३४ आणंद १३५ दीकावाडा १३६ अकबरपुर १३७ डीसा १३८ खराकोटडी १३९ खागल १४० सीगीवाडा For Private And Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गामनुं नाम. भो ( २३ ) जैनधातुप्रतिमा लेखसंग्रह भाग १ पहेलामां आवेलां गाम, पोळ तथा देरासरजीनी यादी. गांभू चवेली वडावली चाणश्मा अमदावाद उंझा पाटण www.kobatirth.org पोळ. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देराशरजीनुं नाम. १ श्री शामला पार्श्वनाथ देरासर. २ श्री लोढण पार्श्वनाथ देरासर. ३ धर्मनाथ देरासर. ४ मुनिसुव्रत स्वामी देरासर. ५ शांतिनाथ देरासर. चौमुखजीनुं देरु. १ घर देरासर. २ शांतिनाथनुं देरासर. १ भाभा पार्श्वनाथजीनुं देरासर. खजुरीनो पाडो २ मनमोहन पार्श्वनाथजीना गभारानी Rasta पाडो ३ मूलनायक श्री शांतिनाथजीना गभारानी. कनासानो पाडो ४ मोटा देरासरमां मूलनायक शां तिनाथजीना गभारामांनी. ५ महावीर स्वामीना गभारानी. ६ आदीश्वरजीना गभारानी. For Private And Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२४) ७ बावू पन्नालाल पूर्णचंदनीना देरासरना मूलनायकजीनो लेख. वाघपुर माणसा विजापुर १ मोटा देरासरनी प्रतिमाओना लेख. २ नाना देरासरजीना. १ पद्मावतीना देरासरना. २ चिंतामणी पार्श्वनाथना देराना. ३ महावीर स्वामीना देराना. ४ श्री शांतिनाथना देराना. ५ श्री कुंथुनाथना देरासरना. ६ ऋषभदेवना देरासरना. ७ श्री अरनाथना देरासरना. ८ गोडी पार्श्वनाथना देरासरना. श्री पार्श्वनाथनीना देरासरना. लाडोल बामणवाडा संडेसर करवटीय पेपरदर १ आदिश्वरजीना गभारानी अंदरनी २ चंद्रप्रमुनीना गभारानी. १ अभिनंदन भगवान्ना देरासरनी. २ पार्श्वनाथनीना देरानी सामे शां तिनाथजीना देरामांनी, ३ श्री शांतिनाथजीना देरासरनी. श्री नेमनाथ भगवान्ना देरासरनी १ श्री कल्याणपार्श्वनाथजीना मेडा उपर श्री गोडीपार्श्वनाथजीना श्री वालम तीर्थ वीसनगर गभारानी. For Private And Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वडनगर अहमदनगर सुरत सादरा ओराण छारा अलुवा वासणा घडकण रायपर साणंद पामोल गवाडा कोलवडा www.kobatirth.org ( २५ ) २ श्री शांतिनाथजीना देरासरना. ३ श्री नेमिनाथना गभारानी. ४ श्री कल्याणपार्श्वनाथना गंभारानी ५ श्री कल्याणपार्श्वनाथना मेडा उपर १ श्री आदिश्वरजीना मीटा देरासरना २ श्री चौमुखजीना देराना. ३ श्री आदीश्वरजीना गभारानी. ४ कुंथुनाथजीना गभारानी. १ श्री महावीर देरासरना. २ घर देरासरना. ३ अजितनाथना देरासरना. नेमुभानी वाडीना देरासरना. देरासरना. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवापुरा मोटी देशाईनी पोळ " श्वेतांबर देरुं सुमतिनाथनं. १ श्री पद्मप्रभुना देरासरना. (२ श्री पार्श्वनाथजीना देरासरना. For Private And Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२६) गेरीता प्रांतीज ओराण पेथापुर दिगंबर मंदिर. १ दिगंबर मंदिर. २ पाषाणप्रतिमा मूलनायकनीनो लेख १ बावन जिनालय देरासर. २ पानाचंद जेरामनुं देरासर. १ शांतिनाथ, देरु. २ घर देरु बलाखी दीपचंद रांधेना कलोल कडी १ चिंतामणि पार्श्वनाथजीना मंड लीवाळा देरासरनो. २ संभवनाथनी मूलनायकवाळा दे रासरजीनो. ३ नीचे भोंयरामा प्रतिमाना लेखो. भोयणी ईदरोडा खेरा १ श्री आदीश्वरजीनू दे. २ श्री पार्श्वनाथनीनुं देरं. वलाद (कूबा) कोबा पोर उवारसद अडालन १ देरासर. २ वापीलेख, झंडाळ For Private And Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रीचीरोड शेखनो पाडो www.kobatirth.org अमदावाद हठीभाइनी वाडी सोदागरनी पोळ झवेरी वाडो ( २७ ) नीसा पोळ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बावन जीनालयना. १ संभवनाथ जैन देरासर. २ महावीर स्वामी मूळ नायकवाळा गमारामां. ३ भयरामांना पंचतीर्थी प्रतिमाना लेख. ४ श्री सुपार्श्वनाथ मूल नायकवाळा गभारामांनी. ५ चौमुख शांतिनाथनुं देरुं गभारानी ६ श्री पार्श्वनाथ मूल नायकवाळा गभारामांनी. श्री महावीर स्वामीना देराना. १ श्री अजितनाथना देराना. २ श्री शांतिनाथना देराना. देवसानो पाडो १ श्री पार्श्वनाथजीना देरासरना. २ श्री धर्मनाथना देराना. उपलो गभारो - नीचेनो गभारो. ३ श्री शांतिनाथजीना देराना. ४ श्री सीमंधर जिनना देराना. १ श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ जीना देराना २ श्री शांतिनाथना देराना. श्री शांतिनाथजीनी पोळ श्री शांतिनाथजीना देराना सुतारनी पोळ फतासानी पोळ श्री अजीतनाथजीना देरासरना श्री श्रेयांसनाथजीना देराना लेखो For Private And Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir केशरीयाजी डुंगरपुर पोशीना (२८) १ मुल नायक सन्मुख घातु प्रतिमा मूल नायक उपर एक सरखा पांच लेख २ चौमुखजीनी वे प्रतिमाओ कुवा वाळा देरासरे १ केशरीयाजी पादुका लेख. १ डुंगरपुर पार्श्वनाथ जिनालय लेख. १ पोशीना पार्श्वनाथी देरीओना लेखो. १ श्री अजितनाथजीना देराना २ श्री शांतिनाथजीना देराना. दशाडाना देराना. १ श्री संखेश्वर पार्श्वनाथजीना देराना २ श्री संखेश्वरजीना जुना देरासरनी टुडी गयेली देरीओ उपरना लेखो १ पाटण कोटावाला बाबुनी धर्मशा ळामां देरानो लेख. वीरमगाम दशाडा संखेश्वर पाटण For Private And Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२९) जे जे गामोमांथी लेखो लीधा ते गामोनी यादी. धातुप्रतिमा लेख संग्रह भाग १. १ डभोई २ गांभू ३ चवेली ४ वडावली ५ चाणसमा ६ अमदावाद ७ ऊंजा ८ पाटण ९ वाघपुर १० माणसा ११ विजापुर १२ लाडोल १३ बामणवाडा १४ संडेसर १५ करबटीआ पेपरदर १६ वालम १७ वीशनगर १८ वडनगर १९ अहमदनगर (गुजरात) २० सुरत २१ सादरा २२ ओराण २३ छारा २४ अलुवा २५ वासणा २६ घडकण २७ रायपर २८ साणंद २९ पामोल २० गवाडा ३१ कोलवडा ३२ गेरिता ३३ प्रांतीज ३४ ओराण ३५ पेथापुर ३६ रांधेजा ३७ कलोल ३८ कडी ३९ भोयणी ४० इन्द्रोडा ४१ खेराळु ४२ वळाद ४३ कोबा पोर For Private And Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४५ उवारसद ४ ६ अडाळज ४७ इडर ४८ केशरीयाजी ४९ डुंगरपुर १ पादरा २ दरापरा ३ वडोदरा ४ छाणी ५ मीयांगाम ६ भरुच 6 ू सीनोर www.kobatirth.org धातुप्रतिमा लेख संग्रह भाग २ तेमां जे गाम शहेरोना धा. प्र. लेखो लीवा छे ते ग्राम नगरनी यादी. ( ३० ) देखो लेवाया नथी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० पोशीना ५१ वीरमगाम ५२ दशाड़ा ५३ संखेश्वर ८ डभोई ९ नडीआद १० खेडा ११ मातर १२ खंभात ६५ बे भागना थईने कुल थया छे. सुरत, अमदावाद अने पाटणना सर्व देरासरोना धातुप्रतिमाओना For Private And Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. पादरा. श्रीशान्तिनाथजिनालयना लेखो. १. सं० १९७७ वर्षे माधवदि ६ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय दो० धरणा भा० जीविणि सु० सीधर रूपा सीधर भा० अजीकेन स आत्मश्रेयोऽथ श्रीवासुपूज्यवि का० प्र० श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीजिनहर्षसूरिभिः ललिवास्तव्य । पंचतीर्थी । २. सं० १५५३ वै० व० ११ शुक्रे स्तंभतीर्थ श्रीमाली सा० महिरान भा० प्र(गे)ली सु० य(म)दन भा० वीक(रु) लघुभा० महीया तेन स्वकुटुंबश्रेयोऽथ श्रीआदिनाथः का० पल्ली० कु० यु० शान्तिसूरि भा० गु० वृ० तपाभ० श्रीधर्मरत्नसूरिभिः । पंचतीर्थी । ३. सं० १५०३ वर्षे माघवदि २ गुरौ श्रीप्राग्वाज्ञातीय सं० लूणासु० सं० षोभासु० सं० सिंघाभार्या गोरी सु० सं० सहदेवेन भा० मदन वीरमदे प्रमुखकुटुंबयुतेन पितृमातृश्रेयोऽर्थ श्रीसुपार्श्वबिंब का० प्र० श्रीजयचन्द्रसूरिभिः । चोवीशी । ४. सं० १५६१ वर्षे माघवदि ८ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० भूभामा० वमकुसु ० तेजाकेन पितृमातृनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथविवं का० प्र० श्रीब्रह्माणगच्छे भ० श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः वीसरोडावा. स्तन्य । पंचतीर्थी। ५. सं० १५०६ वर्षे पोसवदि ५ सोमे पाटरीवास्तव्यश्रीश्रीमाल...धर्मणिपुत्र श्रे० डुंगरेण भा० हर्षादेसुपुत्रेण स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसुवि For Private And Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पादरा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धिनाथचित्र का० श्रीचित्रावालगच्छे धारणपद्रीयभ० श्रीविजयदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भूयात् । पंचतीर्थी । ६. सं० १९८८ वर्षे ज्येष्टवदि २ खौ श्री ऊकेशवालज्ञाती वृद्धशाखायां जगामा० माणिकदे सुतमं० नाकर मं० शेषा मं० लाल श्रेयोऽर्थं लालाभा० खणदे सु० गांगा मांगा पोपट समस्त कुटुंचयुतेन श्रीशान्तिनाथवित्र का० प्र० श्री सूरेभिः गोठूआवास्तव्य | पंचतीर्थी । ७. सं० १६४४ वर्षे ज्येष्टसुदि १२ सोमे श्रीगंधारवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञा • मामाआभा० कोडाई सु० सांद्वतजी भा० ठकराणी का० श्री शीतलनाथबिंबं प्र० च श्रीतपागच्छाधिराजजगद्गुरुबिरुदधारी विजयमानभट्टारक श्रीहीरविजय सूरिपट्टालंकार श्री विजय सेनसूरिभिः शुभं भवतु | पंचतीर्थी । ८. सं० १५५९ वर्षे वैशाखमुदि २ श्रीप्राग्वाटज्ञातीयव्य ० पेथड़संताने व्य० मंडलीकत व्य० ठाईआ भा० मणकाईसुत व्य० नरनदकेन भा० हरषाई सु० भास्वरप्रमुख कुटुंब युतेन स्वश्रेयसे श्रीअभिनंदनचतुर्विंशतिपट्टः श्रीआगमगच्छे भ० श्रीविवेकरत्नसूरीणामुपदेशेन का० प्र० चेति शुभं श्रीगंधारवास्तव्य । चोविशी । ९. सं० १४७८ वर्षे पोषशुदि १५ बुधे मोदज्ञातीय ठ० वहुरा भा० मनू पृ० उ० धर्मा भा० राणी सु० ठ० वरसिंहेन भार्या वमडू भ्रातृ नरमिंग रयणायर सुत समधर घोघर सहसां हांसा नागराज समस्त कुटुंबसहितेन निजश्रेयोऽ श्रीवासुपूज्यादिचतुर्विंशतिजिनपट्टकः कारितः प्रतिष्ठितस्तपाश्रीरत्नागरसूरिक्रमेण श्रीजिनतिलकसूरिपट्टे श्री ज्ञानकलशसूरिभिः शुभं भवतु । चोविशी । श्रीसंभवनाथजी महाराजना देहराना लेखो. १०. सं० १९८७ शाके १४५२ प्र० व० पोषत्रदि ६ रखौ For Private And Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. AAAAA MAAAAAAAAAAA श्रीकालुपुरे श्रीओशवंशे लघुशाखायां दो० वीपाभार्या कप्रवाई सुत तथा मंत्रिथावरभार्या भीमाई तया स्वश्रेयोऽथ श्रीसुपार्थबिंब का० प्र० श्रीवृद्धतपागच्छे भ० श्रीधर्मरत्नसूरिपट्टे भ० श्रीविद्यामंडनसूरिभिः । पंचतीर्थी । ११. सं० १६४३ वर्षे फागणशुदि ५ गुरु स्तंभतीर्यवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० जगपाल भा० जासलदे सुत सं० जीतपाल सं० पुरदे सु० देवकरण सोमकरण आगमगच्छे श्रीसंयमरत्नसूरि तत्पट्टे श्रीकुलवर्धनसूरीणामुपदेशेन श्रीशान्तिनाथबिंब का० प्र० श्रीरस्तु । पंचतीर्थी । १२. सं० १४९० वर्षे मार्ग० व० ५ सोमे ऊकेशज्ञा० श्रे० सांगण भा० मेलू सु० धना भा० वारु सु० हीराकेन भा० सहरु प्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीचन्द्रप्रभस्वामिविवं कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोमसुंदरसूरिभिः। १३. सं० १३९४ ज्येष्ठशुदि २ शुके श्रीनागर(? गेन्द्र)गच्छे श्रीप्रद्युम्नसूरि सं० नागरज्ञातीयमातासालूणादेवीश्रेयसे सुतनयंतसिंहेन श्रीचन्द्रप्रभबिंब कारित। १४. सं० १४३० आषाढशुदि ६ शुके सौराष्ट्रप्राग्वाट ट्रा० पेथासुत ठा० धाठसुतेन ठा० सामलेन श्रीशान्तिनाथवि का० प्र० चित्रभ० श्रीधर्मचन्द्रसूरिभिः । १५. सं० १९६३ वर्षे आषाढशुदि ८ गुरौ पत्तनवास्तव्य ऊकेशज्ञातीय सा. चाहण भा० अमरी हेमाई सुत सा० वसुपालेन भ्रातृ भा० धपा रूपा स्वभा० पार्वती सुत पंचानन भ्रातृ भा० अबबादो पल्हाद्रित सुतादिकुटुंबयुतेन श्रीशान्तिनाथवि कारितं प्र० नीतपागच्छे श्रीनिगमप्रादुर्भावकपरमगुरुश्रीइन्द्रनन्दिसूरिभिः । For Private And Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AAAAAAAAAANA पादरा. mmanir १६. सं० १९७५ वर्षे ज्येष्ठशुदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० साजण भा० रनू सु० जना भा० जासलदे सु० समधर किकाकेन मातृपितृश्रेयोऽर्थ चुविसवटकबिंबं श्रीसुमतिनाथस्य कारापितं प्र० पूर्णिमापक्ष भृगुकच्छियसागरदत्तसूरिभिः मातरग्रामे शुभं भवतु । १७. सं० १५०६ वर्षे फाल्गुणशुदि · ९ शुक्र उकेशज्ञातीय सा० लषीमसी भा० जेसू पु० भुंभव भा० पानू पुत्रसा० साभाकेन भा० कसादे पु० सा० माला भा० माणिकदे सा० मन्हा भा० सिरियादे पौत्र सा० गासि पासी हासी धरा चांपादिकुटुंबयुतेन श्रीशान्तिनाथबिंब का० प्र० श्रीतपागच्छनायकश्रीसोमसुंदरमूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः। १८. सं० १५२५ राउलश्रीसोमदासराज्ये ओशवंशे चक्रेश्वरीगोत्रे सा० साभाभा० कर्मादे पु० सा० साला सा० साल्हा सालाभा० सुक्तादे तल्लघुभ्रातृ सा० राल्ह भा० सिरियादे कोडिआदे अनुपमादेव्या पु० सिंघा भा० तिषूरंगादे साहा भा० सहवादेव्यादिकु० आंतरीग्रामे सिंघाभार्यया रंगादेव्या श्रीसुपार्श्वविबं का० प्र० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः। १९. सं० १९२९ वर्षे वै० व० ४ शुक्रे पलांडागोत्रे ऊकेश सा० साभा भा० कर्मादे सु० सा० साल्हमा० सिरियादे सु० सा० सिंघाकेन भा० तरपूरंगादे शकतादे प्रमुखयुतेन श्रीआदिनाथबिंब का० प्र० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । For Private And Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह AAAAAAAAAAAAVAL दरापरा. २०. सं० १३८६ वैशाखशुदि २ शनौ प्राग्वाटज्ञा० ठ० राजडमा० राजलदेवीश्रेयोऽर्थ सु० ठ० नोहणेन शान्तिनाथबिंब कारितं.... ............श्रीमेस्तुंगसूरिशाखे प्र०............प्रभसूरि । २१. सं० १५०७ फाल्गुणशु० ४ शुक्रे मुझिकपुरे श्रीश्रीमालीज्ञा० मं० जेसा भा० जासलदे सु० मं० पर्वतभा० भली पु० घुसाकेन भा० माद्रिप्रमुखयुतेन स्वपितुः श्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंब का० प्र० श्रीसूरिभिः । २२. सं० १३७० वर्षे आषाढवदि ५........ श्रीपार्श्वनाथबिंब का० प्र० श्रीसूरिभिः। २३. सं० १३४४ माघवदि ३ गुरौ श्रीनासरगनेन....... आत्मपूजार्थं श्रीशांतिनाथबिंब कारित प्र० श्रीप्रद्युम्नसूरिभिः । २४. सं० १३२३ ज्येष्ठशुदि १० पितामह............ श्रीपार्श्वनाथवि प्र० श्रीसूरिभिः । २५. सं० १३१३ माधवदि ५ सोमे श्रीनाणकीयगच्छे..... नथलामा० नयण पु० जगपाल मातृपितृश्रेयोऽथ श्रीशांतिनाथबिंब का० प्र० सिघसेनसूरिभिः । २६. सं० १५०८ ज्येष्टशुदि ७ बुधे श्रीमालवंशे लघुशाखायां मं० हीरा भा० साधु पु० मं० षोधलसुश्रावकेण भा० अकाई पु० जीवा भ्रातृहानासहितेन भगिनीराजुश्रेयसे श्रीअंचलगच्छेशनयकेसरिगुरूपदेशेन श्रीधर्मनाथबिंब का० प्र० श्रीसंघेन चिरं नंदतु । २७. सं० १५८० वर्षे वैशाखशुदि १३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा. For Private And Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वडोदरा. सा० गणपति भा० रंगाई सु० सा० गोव्यंदभा० गुराइनान्या सुत गुरायण हरिजी शंकर प्रमुख कुटुंबयुतया स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथविवं प्र० श्री पुण्यरत्नसूरिपट्टे श्रीसुमतिरत्नसूरीणामुपदेशेन का० प्र० च विधिना । २८. सं० १९६९ वर्षे माघशुदि १० खौ स्तंभतीर्थवास्तव्य श्री ओशवालज्ञा • वृद्धशाखायां सा० खिमाभा० दुबी सु० सा० श्रीपाल भा० मणकाई सु० थावरेण भा० पुनाई पुत्रसा० जयवन्त सा० उदयवन्तयुतेन शान्तिनाथत्रिं का० प्र० श्रीसूरिभिः । चोवीशी । वडोदरा. ( मामानी पोळ - कल्याणपार्श्वनाथजी देहराना लेखो ). २९. सं० १९०९ वर्षे वै० सु० ७ खौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० हेमा भा० मेनू सु० वीराकेन स्वपूर्वज पितृमातृभ्रातृपुत्र आत्मश्रेयोऽर्थं श्रीचन्द्रप्रभस्वामिर्विवं का० प्र० श्रीसूरिभिः वडालवास्तव्य । ३०. सं० १३७६ माघत्र० १२ बुधे श्रीमालज्ञा० उ० सोमाभा० कपूरी सु० वीकम भा० वीजलदेवि ठ० सलपा आह्राभ्यां एतेषां श्रेयसे श्री आदिनाथविं का० श्रीजिनसिंघसूरीणामुपदेशेन प्र० श्रीसूरिभिः । ३१. सं० १९१८ ज्ये० व० १० प्राग्वाट मं० मोइआ भा० झबकू सु० मं० हरपति भा० माधूनामन्या पु० जुठा सारंग जोगादि कुटुंब तया पुत्ररामदासश्रेयसे श्रीसुमतिनाथचिवं का० प्र० तपाश्री लक्ष्मीसागरसूरिभिः । ३२. सं० १९१३ वैशाखवदि १ शनौ श्रीश्रीवंशे सं० सांक्षण भा० मापुरि पु० सं० लाषासुश्रावकेण भा० जीविणि पु० For Private And Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. - - माणिक सीधर प्रमुखकुटुंबसहितेन मातुः पुण्यार्थं श्रीशान्तिनाथबिंब का० प्र० चैत्रगच्छे श्रीगुणदेवसूरिसंताने श्रीरत्न देवसूरिभिः । ३३. सं० १५१५ वर्षे ज्ये० शु० ५ प्राग्वाटश्रे० भीमा भा० भावलदे सु० लाषाकेन भा० लींची पु० वरसिंगादिकुटुंबयुतेन निज. श्रेयोऽर्थ श्रीशान्तिनाथबिंब का० प्र० तपागच्छेशश्रीमुनिसुदरसूरिपट्टे श्रीरत्नशेखरसूरिभिः गुणवाटकवास्तव्यः ।। ३४. सं० १५२४ वर्षे पोषवदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा. श्रे० लषमण भा० लाछलदे सु० देवाईत भा० मटकू पितामहपितामहीपित्रोः श्रेयसे सु० गेभामेघाभ्यां पितृव्यसा. हयुताभ्यां श्रीसंभवनाथवित्र का० पूर्णि० भीमपल्लीयभ० श्रीपासचन्द्रसूरिपट्टे भ० श्रीजयचन्द्रसूरीणामुपदेशेन प्र० पत्तनवास्तव्यः । ३५. १६५६ व० वै० शु० ७ बुधे मोंढज्ञा० श्रीकान्हवाईनाम्न्या श्रीपार्श्वनाथबिंब का० प्र० श्रीतपगच्छे श्रीविजयसेनसूरिभिः ।। ३६. सं० १५२९ वर्षे फा० व० ३ सोमे प्राग्वाटमं० देवा भा० झबकू सु० पोपटेन भा० मानू पु० कण्हाकेन युतेन स्वश्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंब का० प्र० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । श्रीः । श्रीमहावीरस्वामिना देहराना लेखो ३७. सं० १५१० वर्षे द्वितीयज्येष्ठ शु० ३ दिने श्रीश्रीमाल श्रे० भूभा भा० बलीपुन्या श्रेयोर्थिन्या श्रे० जेसल भा० चारू सु० श्रे० ठाकरसी भा० रूपिणिनाभ्या सु० देवा मोरा कर्मणयुतया श्रीसंभवनाथबिंब का० प्र० श्रीतपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिभिः । ३८. सं० १३८३ वर्षे माघशु० ९ रखौ श्रीश्रीमालज्ञा० पितृवीकममातवील्हणदेश्रेयसे सु० वयरसीहेन श्रीपार्श्वनाथबिंब का० प्र. हारीन()गच्छे श्रीमहेन्द्रसूरिभिः । For Private And Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८ वडोदरा. ३९. सं० १६१६ वर्षे वै० शु० १० खौ श्रीमरघाईश्रेयोऽ श्री सुमतिनाथवि का० प्र० श्रीतपागच्छे श्रीविजयदानसूरिभिः । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०. सं० १४४५ वर्षे का० व० ११ a प्राग्वाटज्ञा० महं० सलषा भा० सलषणदे सु० मं० भादाकेन श्रीआंचलिक श्रीमेरुतुंगसूरीणामुपदेशेन आत्मश्रेयसे श्रीपाश्वनाथवि का० प्र० श्रीसूरिभिः । ४१. सं० ....८०२ नी० म०सु०५ वा भोमे ऋषभदेवजी प्रतिष्ठा भ० हेमसूरि ४२. सं० १३६३ वर्षे वै० शु० ९ बुधे गूजर श्रेष्ठिनइता सु० आल्हण सा० ० भ्रातृआमसाहेन श्रीपाश्वनाथचित्रं का० प्र० श्री सूरिभिः । ४३. सं० १४६८ वर्षे वैशाख शु० ३ गुरौ प्राग्वाटखं०] मं. सामंत भा० ऊमल पु० मं० धर्मसीह भा० धर्मादे पु० मं. राउल बडूयाभ्यां श्रीशांतिनाथस्य बिंबं पंचतीर्थीरूपं श्रीमेरुतुंगसरीणामुपदेशेन का० प्र० श्रीसूरिभिः । ४४. सं० १९६६ वर्षे माहवदि २ खौ ओशवालज्ञा • छाजहडगोत्रे सा० हरषा भा० संपूरी सु० सा. वरजांग भा० पारवती सु० हेमा कला हचा सोढा श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्र० श्रीपल्लीबालगच्छे भ० उद्योतनसूरिभिः कमरगिरिस्थाने । ४५. सं० १५४३ व० वै० शु. ३ दिने श्रीश्रीमालज्ञा० मं० अदा भा० वीडू सु० बच्छराज भा० हूताईनाम्न्या श्रीआदिना थबिंबं का० प्र० श्रीवृद्धतपाश्री उदयसागरसूरिभिः । श्रीगंधार मंदिरे || ४६. सं० १५०५ वामईयाप्राग्वाटदो० सांगाभा ० सिंगारदे पु० शिवाभार्यया श्र० दूदादेवलदेपुत्र्या घरपूनाम्या पु० नाथाश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं का० प्र० तपागच्छे श्रीजय चंद्रसूरिराजै; । For Private And Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. - ............ ....... .......। ४७. सं० १३६९ वर्षे पितृ राजा...............सुत वीजा अभयसीहाभ्यां बिंब कारितं पिप्पलाचार्यः श्रीजिनदत्तसूरिशिष्यैः (?) श्रीआमदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ४८. सं० १२२२......... ....... ............... ४९. सं० १३९१ माघशु० ६ रवौ श्रीमालज्ञा० पितामह सीहडपितृसोममातृहीरलश्रेयसे पु०४० साजणेन श्रीअजितनाथबि का० प्र० श्रीचैत्रगच्छे भट्टा० श्रीहरिप्रभसूरिशिष्यश्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ ५०. सं० १५० ४ वर्षे फागु० ५० ९ सोमे उकेशज्ञा. सा० गोपा भा० रूदी पुत्ररूल्हाठाकुरभ्यां सहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरिणामुपदेशेन श्रीश्रेयांसबिंब कारितं प्रतिष्ठित च । - ५१. सं० १५३५ माघशु० ९ सोमे श्रीओसवंशे मांडउत्रगोत्रे सगशाखीय साहदेवसीसुत साहपरबतपुत्र साहवीरममार्याधनीपुत्र साहसालिगकेन भा० नाकूयुतेन सा० गंगदासनिमित्तं श्रीसुमतिनाथमुख्य................... (गच्छ, आचार्य विगेरेनां नामो कोइ द्वेषीए पाछळथी घसावी नाखेल छे.) कोठीपोळ, श्रीशान्तिजिनालयना लेखो. ५२. संवत् १४२९ वर्षे ज्येष्टवदि........प्राग्वाटज्ञातीयव्यव० कोकाभार्या राजलदे....................तिहुणदे सुत.................... अमीपालेन श्रीपार्श्वनाथचतुर्विंशतिः कारिता प्रति० श्रीरत्नागरसूरिपट्टे श्रीहेमचंद्रसूरिभिः ॥ ५३. सं० १९०४ माघशु० १३ गुरु वीरमग्रामवासिप्राग्वांट सं० गेला भार्याधारूसुत सं० सलषाकेन भार्याकर्मणिपुत्रधर्षसीनारदादि For Private And Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वडोदरा. कुटुंबयुतेन निजश्रेयोथ श्री कुंथुनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छेश श्री सोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ ५४. सं० १५११ वर्षे माघव ० १ चांगव( ? ) द्रवासि उकेशश्रे० हरिभ्रम भा० मूंजी पुत्रश्रे० राघवेन भ्रातृमहिपाहापाभा० कर णूजइतू हीरादेव्यादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथचिवं का० प्र० तपागच्छे श्रीमुनिसुंदरसूरिपट्टे गच्छनायक श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ ५५. सं० १५११ वर्षे फागुणवदि २ सोमे उपकेशज्ञा ० व्य० दामा (?) भा० सूहवदे पु० राजसी भा० रांभलदे पुत्र सवारणमुळदेवाइतयुतेन आत्मश्रेयसे श्रीश्रेयांसनिं कारितं प्र० ब्रह्माणीयगच्छे भ० श्रीउदयप्रभसूरिभिः | ५६. सं० १९१६ वर्षे आषाढसु० ९ शुक्रे वीजापुरवासिश्रीओसवालज्ञाति सा० अर्जन भा० अहिवदे सुत गजाकेन भा० माणिक सुतबर्द्धन प्र० कुटुंबयुतेन श्रीशांतिनाथर्बिवं का० प्र० श्रीरत्न सिंहसूरिभिः ॥ ५७. संवत् १९१७ वर्षे पौषवदि ५ गुरू श्रीब्रह्माण गच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठदेवसी भार्या अरघूसुतमूलाकेन मातृपितृश्रेयसे श्री सुमतिनाथविवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबुद्धिसागरसूरिपट्टे श्रीविमलसूरिभिः सीतापुर वास्तव्य । ५८. संवत् १९२० वर्षे ज्येष्टसुदि १० बुधवारे श्रीश्रीमाल ज्ञा० सा० साभा भा० रांभ सु० सा० कडूआकेन आत्मश्रेयसे श्री मुनिसुव्रतनिं कारापितं प्र० पू० श्रीगुणसुंदरसूरिणामुपदेशेन ॥ ५९. स्वस्ति संवत् १५२९ वर्षे ज्येष्टवदि ७ गुरौ स्तंभतीर्थे उसवालज्ञातीय साहदेवराज सु० सा० आसपालक० अमरी सु० हेमराजेन स्वपित्रोः श्रेयसे श्रीपद्मप्रभविनं कारितं । प्र० तपापक्षे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ श्रीरस्तु । For Private And Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ६०. सं० १५३४ वर्षे माहसुदि १३ शुक्रे मगोडीवास्तव्य श्रीश्रीमालीज्ञातीयसा० नरपतिभा नागलदेसुतसा० श्रीपालेन भार्या सिरिआदे भ्रातृनाथादिकुटुंबयुतेन श्रीचंद्रप्रभस्वामिविवं कारित प्रतिष्ठित तपाश्रीउदयसागरसूरिभिः ॥ श्रिये भूयात् ॥ ६१. संवत् १९५३ वर्षे माघसु० १ बुधे प्राग्वाटवंशे सा० हरदासभार्या करमादे पुत्रसाहवर्द्धमानभार्या चांपलदे पुत्रसा० वीरपालसुश्रावकेण भार्याविमलादे लघुभ्रातृसाहमांकासहितेन श्रीमदंचलगच्छेशश्रीसिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन स्वश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ६२. संवत् १५ आ० ९१ वर्षे वैशाषवदि २ सोमे श्रीश्री. मालीज्ञातीयमं० हीराभा० हेमादे पु० मं० लकाकेन भा० रत्नादे पु० भाउआप्रमुखसमस्तकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यमुख्यचतुर्विशतिपट्टः कारितः । श्रीपूर्णिमापक्षे भीमपल्लीयभ० श्रीचारित्रचंद्रसूरिपट्टे श्रीमुनिचंद्रसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितः बारेनाग्रामवास्तव्य ॥ ६३. सं० १६२४ वर्षे मा० शु० ६ सोमे श्रीअहम्मदावादवास्तव्यश्रीश्रीमालीज्ञातीयवृद्धशाखासा० जागाभार्यापदमीसुतसा० सहसवीरेण भार्यारजाईसुत सा० देवचंद सा० सूरज सा० बच्छराजप्रमु. स्वकुटुंबयुत्तेन श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छाधिराज श्रीविजयदानसूरिपट्ट श्रीहीरविजयसूरिभिः शुभं भवतु । ६४. सं० १६५४ वर्षे माधव० ९ रखौ श्रीअंचलगच्छे श्री धर्ममूर्तिसरीणामुपदेशेन श्रीश्रीमालीज्ञातीय श्रे० रीडाभार्याकोडमदेकस्य भत्रीन श्रे० लद्धजी श्रे० भीमजीकेन श्रीश्रेयांसमाधवि प्रतिष्ठापितं गांधीहांसाप्रतिष्ठायां अलाही ४२ वर्षे । For Private And Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडोदरा. AAAAAAAAAAAwar ६५. संवत् १९९३ वर्षे फाल्गुनशु० १२ शनौ श्रीस्तंमतीवास्त. भातर सा० व्यव. वा. हीराइनाम्न्या श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छे महातपाविरुदधारकभट्टारकश्रीविजयदेवसूरिभिः ॥ श्रीरस्तु। पटोळीआपोळ, मनमोहनपार्श्वनाथजीना देहराना लेखो. ६६. सं० १५१२ वर्षे श्रीपत्तनवासिप्राग्वाटज्ञा. श्रे. पीमा भा० जासू पु० नारदेन भा० कुंयरियुतेन श्रीमहावीरबिंब कारितं स्वपितृश्रेयसे प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः । ६७. सं० १३८७ वर्षे माघशु० ५ सोमे डायस () ज्ञा० वीसल श्रे० सु० सुनातसिंहेन श्रीआदिनाथबिंब का० नागेन्द्रगच्छे प्र० श्रीहेमचन्द्रसूरिभिः । १८. सं० १५६३ वर्षे विशाखसु० ११ शुक्रे श्रीउकेश सा० मेघा मा० षीमी पु० सा. श्रीपालसुश्रावकेण भा० कीवाइ भ्रातृव्यं सा० कोचा भा० सामा सा० सिंहसीप्रमुखकुटुंबसहितेन भा० कीवबाइ श्रेयोऽयं श्रीसूरीणामुपदेशेन श्रीअनंतनाथबिंब का० प्र० श्रीसंघेन श्रीस्तंभतीथनगरे । ६९. सं० १५१५ वर्षे वै० शु० १३ दिने उकेशज्ञा० श्रे० गागा भा० वासू सु० आसी गणिआ गगाकेन जा० (भा०) माजू मनू पु० धनानाथादिकुटुंबयुतेन निनमातृश्रेयसे श्रीधर्मबिंब का० प्र० श्रीतपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिश्रीमुनिसुंदरसूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः । ७०. सं० १९७३ वर्षे फाल्गुणसु० २ रखौ श्रीसावडहारज ओसवालज० षांटदगो० सा० घेता भा० पितु पु० वीरसिंहकेन भा. For Private And Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. बगू पुलि (त्रि) का स्वकु० यु० स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथविनं का० प्र० श्रीविजयसिंहसूरिभिः । श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यः । ७१. सं० १४९९ वर्षे का० सु० १२ सोमे प्राग्वाटवंशे विसा २० सा० द्रोणशाखायां सा० सोला पु० सा० षीमा पु० सा० उदयसि पु० सा० लडा पु० झांबंट भा० मारहदे पु० सा० पारासापहिराजाभ्यां अंचलगच्छेशश्रीजयकीर्तिसूरीणामुपदेशेन निजश्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंबं का० प्र० च श्रीसंघेन । ७२. सं० १२५९ वैशाखशु० ३ प्राग्वाटज्ञा० कुणपालेन पितुः श्रे० राणकस्य श्रेयोऽयं पार्श्वनाथबिंबं का० प्र० श्री........ गच्छे श्रीप्रधुम्न सूरिभिः । ७३. सं० १४८७ वर्षे माघसु० ९ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० वीरधवल भा० वीजलदेसु० भूभवेन भा० भाभलदेप्रमुख कुटुंब सहितेन स्वपुण्यार्थे संभवनाथर्जिनं श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकीर्त्तिसूरीणामुपदेशेन का० प्र० श्रीसंघेन ॥ ७४. सं० १२८७ चैत्रव० १ गुरौ वोराफद्रिय (!) गोत्रे ठ० सोला भा० म० सु० राजकेन श्रीशान्तिनाथप्रतिमा का० प्र० च श्रीरत्नप्रभसूरिभिः । ७९. १३०८ वर्षे विशाखव ० १ गुरौ भिस्केन मातृप्रहलादेवी श्रेयोऽर्थ........ बिंबं का० श्रीसूरिभिः । ७६. सं० १३९३ वर्षे फाल्गुणशु० ८ खौ श्रीगुर्जर सा० ठ० रोता भा० वा० प्रतापदेव्याः सु० मं० देवसिंहेन मातृपित्रोः श्रेयसे श्रीयुगादिनाथवित्रं का० प्र० श्रीहंसराजसूरिभिः । ७७. सं० १५१५ वर्षे माहसु० ११ भूमे ऊकेशवंशे साहूसवागोत्रे साहसुइ भा० सोनलंदे पु० सा० देवदत्त मा० रत्नाइ ५० For Private And Personal Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सा. हरखासहितेन स्वपुण्यार्थ श्रीधर्मनाथबि का० प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसागरसूरिपट्टे श्रीजिनसुंदरसूरि तत्पट्टे श्रीजिनहर्षसूरिभिः । ७८. सं० १३७७ वर्षे चैत्रवदि । शुक्रवारे श्रीऊपकेशज्ञा० सा तुडा सु० ....पुयष भा० साभू पु० षीमानामालपमावाइप्रती आलश्रेयसे श्रीआदिनाथवि का० प्र०।। ७९. सं० १२९३....शुदि १० रवौ........श्रीपार्श्वनाथविं का० श्रीजिनसूरिसंताने श्रीसदनसूरिभिः। १०. सं० १५१८ वर्षे शाके १३ प्रवर्तमाने चैत्रशु० तृतीयादिने ओसवालनी० साहझपा पु० चिकासा० शीवा भा० शवादेव्या आत्मपुण्यार्थ श्रीअभिनंदनबिंब का० प्र० धर्मघोषगच्छे श्रीविजयचन्द्रसूरिष? श्रीसाधुरत्नसूरिभिः । शुभं भवतु । ८१. सं० १३८९ वर्षे वैशाख ० ६ बुधे श्रीनिवृत्तिगच्छे हवट(डंबड)ज्ञा० पितृषीमडमातृषीमलदेश्रेयसे श्रीपद्मप्रभस्वामिकिंवं का प्र. श्रीपार्श्वदत्तसूरिभिः। ८२. सं० १५०९ फाल्गुणव० ८ गुरौ तिषलगोत्रे सा० मुंधडसंताने लखा तत्पुत्रकर्मसी तत्पु० ती....पु० खितावीराभ्यां निजश्रेयसे श्रीनमिनाथवि का० प्र० त० ग० श्रीपूर्णचन्द्रसूरिपट्टे श्रीहेमहंससूरिभिः । ३. सं० १३७३ वि० शु० ७ सोमे मोढज्ञा० ठ० पीमाकेन पिताठ०वरदेवमाताहीरलश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवि का. प्र. श्रीमस्तुंगसूरिशिष्यश्रीमेरुप्रभसूरिभिः ।। ८४. सं० १५१३ वर्षे पोषव० ५ रवी श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमालज्ञा० श्रे० वाच्छा भा० वाच्छु सु० सहसा पितॄन्यमेघा - मा. श्रीमरुतुंगसूरिशिष्मा १९१३ वर्षे पोपः सहसा पितृल्यमेघ For Private And Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन प्रतिमालेसंग्रह. रूपिणिनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं का० प्र० श्रीविमलसूरिभिः ईषाग्रामे | ८१. सं० ११४७ वर्षे वै० शु० ६ शुक्रे भा० पांचा भा० चमकू सु० भा० महीया सु० सोमादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसम गच्छे श्रीविवेकरत्नसूरीणामुपदेशेन श्रीसुविधिनाथविनं का० १०. च श्रीक्षेत्र वास्तव्यः । ८६. सं० १४८८ वर्षे वैशाखे प्राग्वाट सा० पाल्हा सु० डामा बीमा भ्रातृ भामामा० जीवाणिनाम्न्या स्वभर्तृश्रेयसे श्रीमल्लिनाथबिंबं का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिभिः । ८७. सं० १४९३ वै० शु० ३ श्रीश्रीमाळ मं० तांत्रख भा० प्रचू मं० हांपाकेन स्वश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतस्वामिनिंनं का० प्र० श्रीतपा गच्छेशश्री सोमसुंदरसूरिगुरुभिः । श्रीः । ८८. सं० १४८७ वर्षे मार्ग. सु० भावसार पांचा भा० जयती पु० भा० सारंगेण भा० लहकू ५० साईआदियुतेन पितृश्रेयसे सुपार्श्वर्बिवं का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिभिः श्रीः । *********** श्रे० ८९. सं० १४०८ वर्षे आषाढव० ५ गुरौ प्राम्बाटज्ञा० ० डुंगर भा० हीरादे पु० वेलाकेन भा० वीजलदेसहितेन पित्रीः श्रेयसे श्रीअजितनाथर्बिं का० प्र० श्रीतपागच्छे श्रीजयशेखरसूरीमामुपदेशेन । ९०. सं० १५७७ वर्षे ज्येष्टशु० ५ शनौ कारे प्राग्वाटम ● दो० वच्छा भा० राजति पु० दो० सीपा श्रीराज श्रीरंग शाणा शिवाप्रमुख कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं का० श्रीतप्राग श्रीहेमकिमहसूरिभिः प्र० । ९१. सं० १९१३ वर्षे पोषव० ९ गुरु श्रीश्रीमालज्ञा क For Private And Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडोदरा. AAKARMA गांगच भा० वानू सु० आयाकेन श्रेयसे श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंबं का० प्र० पूर्णिमापक्षे श्रीमुनिसुंदरसूरीणामुपदेशेन । ९२. सं० १४७१ वर्षे माघशु० १० शनौ प्राग्वाटवंशे विसा० २० व्य० दोणशाखा ठ० सोला पु० ठ० षीमा पु० ०० उदयसिंह पु०-४० लहा भा० हकू पु० सा० झांबटेन श्रीअंचलगच्छे श्रीमहीतिलकसूरीणामुपदेशेन पित्रोः श्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबमुख्यश्चतु. विशतिपट्टः का० प्रतिष्ठितश्च । __ ९३. सं० ११९६....................श्रीवासुपूज्यवि का० महासुदि १२ । ९४. सं० १३३८ ज्येष्टसु० १२ बुधे श्रीगल्लकज्ञा० ठ० राणाकेन निजपितुः ठ० आसपालस्य श्रेयोथै श्रीचतुर्विंशतिपट्टः का. श्रीनागेन्द्रगच्छे श्रीउदयप्रभसूरिशिष्यश्रीमहेन्द्रसूरिभिः प्रतिष्ठितः । श्रीआदोश्वरजीना देहराना लेखो. ९५. सं० १५४२ वर्षे वै० सु० १ गुरौ सांडीयागोत्रे गूर्जर ज्ञा० म० आमा भा० जसोदई सु० मं० कान्हा भा० पातीनाम्न्यापु० पौत्रचकुटुंबयुतया स्वभर्तृश्रेयसे श्रीअजितनाथवि का० आगमगच्छे श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः। ९६. सं० १४७९ वर्षे माघव० ५ शुक्रे ऊकेशवंशे ठ० खीमसी मा० जवनू सु० ठ० सु० भूभचेन भा० सुहगदे पु० सामा वीभा भोगी वीछी वानादियुतेन श्रीवासुपूज्यबिंब का०प्र०....गपिति। ९७. सं० १२३० वर्षे माघशु० १ बुधे धखंडीग्रामे धीरा उ० धीप भा० मां....सु० जागपालेन श्रीशान्तिनाथप्रतिमा का• बादिना। For Private And Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह AMRAAAAAAAAAAAVM -- ९८. सं० १५१५ वर्षे माघशुदि ७ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० सिंघा भा० सहनलिदे सुतचोटाकेन सुतसहिजासरवणादिस्वकुटुंबयुतेन स्वमार्याभमकूश्रेयसे श्रीवर्मनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीपिष्पलगच्छे श्रीउदयदेवसूरिभिः ॥ शुभं भवतु ॥ ९९. सं० १५०४ वर्षे फागुणशुदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठिवाघाभार्या हांसी सुतसमधरेण भा० रूपणितहितेन पितृमातृश्रेयसे श्रीआदिनाथप्रमुख्यचतुर्विंशतिपट्टः कारितः ॥ श्रीपूर्णिमापक्षे भीमपल्लीयश्रीपासचंद्रसूरिपट्टे श्रीनयचंद्रसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितः।। १००. संवत् १९७० वर्षे पोषवदि ५ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व० माला भा० मारहणदे सुत जीवा पु० जयवंत श्रीवंत उदयकर्ण व० विदा(या)धरन० सहितेन कुटुंब० श्रीअजितनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं आग० शकुमारसूरिभिः । अहिमदावादवास्तव्यः ॥ १०१. सं० १५७३ वर्षे माधवदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० देधर भा० मचकू सु० जावड भावड जइताकेन ओ० भावडश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथर्षि कारापितं प्रति० पूर्णि० प्र० भट्टारकश्रीदेवेन्द्रसूरिभिः । घोघा ७४ श्री॥ १०२. सं० १३३४ वर्षे वैशाखबदि ४ गुरौ [हीरा पु० वीजाकेन ]... ........................... नाथ का० प्र० श्री भ० त० ( भाव )देवसूरिभिः ॥ १०३. सं० १५०३ वर्षे प्रा० ज्ञातीय सा० लाखा भा० लहकू पुत्र सा० धरणाकेन भा० शाणी पु० कुंरपालनरपालादिकुटुंबयुतेन निनश्रेयोऽर्थ श्रीअभिनंदनवि कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोमसुंदर मूरिशिष्यश्रीजयचन्द्रसूरिभिः । कल्याणं ॥ १०४. सं. १४१० वर्षे पोषसु० ११ शु० श्रीमालज्ञा. For Private And Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बडोदरा. पितृपाल्हा मातृमाल्हणदे सुतेन..............................श्रीपार्श्वनाथबिंबं का० महुकरगच्छे प्र॥ श्रीगुणप्रभसूरिभिः ॥ १०५. सं० १५० ४ वर्षे माहशुदि ६ गुरौ प्रा० ज्ञातीय हादाभार्या हांसलदे सुत कडूया रामसी लालाकेन पितुः पितृव्यचूणानिमित्तं च श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथविंबं का० प्र० श्रीसाधुपू० भ० श्रीश्रीरामचंद्रसूरीणामुपदेशेन विधिना श्राद्धैः ॥ १०६. सं० १५४३ व० वै० शु० ३ दिने श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० भोजा भा० वीजू सु० वीरपाल मा० अधिकूनाम्न्या श्रीशीतलनाथबिंबं का० प्र० श्रीबृहत्तपाप० श्रीउदयसागरसूरिभिः||श्रीगंधारमंदिरे।। १०७. सं० १५११ पोषवदि ६ गुरौ श्रीहुंबडज्ञातिफ० देवराज भा० वनू सुत हावा भा० जयतू धाराकेन हावाश्रेयोनिमित्त श्रीअनितनाथविध कारितं बृहत्तपाप० भ० श्रीरत्नसिंहसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ १०८. सं० १४१० वर्षे वै० शु० १२ श्रीश्रीमालज्ञा पितृ चिल्हा मातृपिल्हमदेवी सु. मेवाकेन श्रीपार्श्वनाथवि का०प्र० श्रीपुन्यप्रभसूरिभिः ।। (१) १०९. सं० १५१]८ वर्षे माधवदि ५ भोमे श्रीश्रीमालज्ञा० ठ०.....................सु० ठ०......................श्रीपार्श्वनाथविचं का० भ० श्रीश्रीप्साधुग्लसूरिभिः प्र० कल्याणं। ११०. सं० १३५६ वर्षे माघसु० ६ बुधे प्राग्वाटज्ञा० श्रे० दमाल सु. ४० जोगी ट० धरणाभ्यां मा(भ्रातृव्य सा० ठ० सरसश्रेयसे श्रीमल्लिनाथबिंब का० प्र० सूरिशिष्यश्रीशान्तिप्रभसूरिभिः ॥ १११. सं० १३७३ वै० शु० १३ प्राग्वाटज्ञा० पोल भा० देमति पु० राण केन मा................श्रीश्रेयसे श्रीशान्ति ० का० प्र० ................श्रीचंद्रसूरिभिः । For Private And Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनप्रतिमालेखसंग्रह. A AAAAAAARAARI - . . . . . ११२. सं० १५५८ वर्षे फागुणसु० ८ सोमे ओसवालज्ञा० व्य० वाला भा० वीजलदे पु० वझाग भा० लषीनाम्न्या स्वभर्तुः श्रेयसे श्रीसंभवनाथमुख्यपंचतीर्थीबिंबं का० श्रीपूर्णिमापक्षे भीमपल्लीयम० श्रीचारित्रचंद्रसूरिपट्टे भ० श्रीमुनिचंद्रसूरीणामुपदेशेन प्र० विधिग सल. षणपुरवास्तव्यः ।। ११३. सं० १६६२ वर्षे वै० शु० ३ बुधे.... वास्तव्य...................भा० हीरादे प्रमुखसकलकुटुंबयुतेन महामहोसवेन श्रीनमिनाथविध का० प्र० च तपागच्छे श्रीहीरविजयसूरिशिष्यश्रीविजयसेनसूरिभिः ।। ११४. सं० १५२४ वर्षे वैशाखशुदि सोमे अहमदावादवास्तव्यः श्रीश्रीमालज्ञा० श्रीअजितनाथबिंब का० प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे भट्टारकश्रीज्ञानसागरसूरिभिः ॥ ११५. सं० १६०५ वर्षे वैशाखशुदि ७ सोमे स्तंमतीर्थवास्तव्यः गरहणुआ भा० हीरादेवीश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथविवं का० प्र० तपागच्छनायकश्रीश्रीविशासोम( ? विजयसेन )सूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ११६. सं० १३९० व० माघसु० १२ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा०.................पिता पितामहश्रेयोऽथ सु० २०................. श्रीसुमतिनाथबिंब का० ॥ ११७. सं० १५१७ वर्षे माधवदि ८ सोमे श्रीपत्तनवास्तव्य प्राग्वाटज्ञा० श्रे० पाल्हा भ!० वरजूदेवी कुतिगदे वरजूपु० श्रे० वासणेन भा० अमरीयुतेन श्रीशांतिनाथबिवं स्वश्रेयसे का० प्र० ३० तापक्ष श्रीरत्नसिंहमूरिभिः ॥ ११८. सं० १३९७ श्रीगूर्जरज्ञा० मूरापुच्या बा० कामच्या भीपाश्वनाथ विवं का० प्र० श्रीकपर्सेन (?) सूरिभिः ।। For Private And Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बडोदस नरसिंहजीनी पोळ, दादापार्श्वनाथजीना देहराना लेखो. ११९. सं० १४८५ वर्षे माघवदि ५ गुरौ हुंबडज्ञातीय कमले भार्या हेली सतसगोत्रे श्रे० कणा भार्याकारापितं श्रीपूलंघतिलके देत्रायगणेयः वुस्तके गच्छे भुविललितकीर्तिशिष्यः ख्यातः कल्याणकीर्त्तिगुरुः । तदुपदेशतः ॥ १२० सं. १४६९ वर्षे श्री केशवंशे सा० धीनाभार्या धनसिरि सुतसा • भोजराजेन भार्याभोज सिरिसहितेन श्रीशांतिनाथर्बित्र कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपापक्षे श्रीदेव सुंदरसूरिराजशिष्यश्री गुणरत्नमूरिभिः || ० १११. सं० १५२७ वर्षे माघशुदि १३ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० वाधू भा० कपूरी सु० अमीपाल भा० अमरादे अपरमातृश्रेयसे सु० तेजाकेन श्रीधर्मनाथवित्रं का० पिष्फलगच्छे प्रतिष्ठितं श्री रत्नदेवसूरिभिः || श्रीअहिमदावादवास्तव्यः ॥ १२२. सं० १४१३ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ..... ज्ञातीय श्रे० वीकमसी सुत सोमा सुत जाला भार्या बा० पातू सुत कुजापूजाकेन पिता न (नि) मितं तं ) श्रीआदिनाथविं कारितं [प्र० ] श्रीवायडगच्छे श्री शिलसूरिपट्टे श्रीजीवदेवसूरिपट्टे श्रीजिनदत्तसूरिभिः ॥ १२२. संवत् १९४९ वर्षे माघशुदि ९ सोमे श्रीकोरंटगच्छे ओसवालज्ञा० ध्रुवगोत्रे श्रे० कालू भा० डाही पु० नाथा भा० नाथी སྒྱུ• ० रत्नपाल सहजा वीरपालयुतेन श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं का० प्रति ष्ठितं श्रीसावदेवसूरिपट्टे श्रीरत्नसूरिभिः ॥ शुभं भवतु || १२४. सं० १५७७ वर्षे पो० व० १२ शनौ श्रीहूं ० ज्ञातीय मंत्रीवर गोत्रे गां० देवसी भा० जीवी सु० गां० सिंघा भा० हीरावे For Private And Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनप्रतिमालेखसंग्रह सुत कल्याणमल सु० राउल प्र० श्रेयोऽर्थं श्रीअरनाथवित्रं कारितं प्र० श्रीवृ० श्रीधनराजसूरिभिः ॥ १२५. सं० १५१६ वर्षे वैशाखशुदि ३ श्रीश्रीमालज्ञा • मं० जेसा भा० जरा (स) मादे सुतवाधाकेन भा० आसी सुतगोईआ बलराज अमरादिकुटुंबयुतेन स्वपितृश्रेयसे श्रीविमलनाथादिपंचतीर्थी कारिता आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरिगुरूपदेशेन प्रतिष्ठिता च । वालघेरावास्तव्यः || १२६. सं० १९०८ वर्षे आसाढशुदि २ सोमे स्तंभतीर्थवास्तव्यश्री ओसवालज्ञातीय सा० पाल्हामा० देमाई सुतधीराकेन भगिनी रूपाई भार्या कपूराई प्रमुख कुटुंबयुतेन निजपितृश्रेयसे श्री वासुपूज्यबिंबं कारितं श्रीमलधारिगच्छे श्रीगुणसुंदरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ १२७. संवत् १३३० वर्षे चैत्रवदि ७ शनौ पितामहव्यव० सधारणश्रेयोऽर्थं पितृव्यव० लाषण मातृव्यव० लखमा देवि श्रेयोऽर्थं च युव० व्यव० पाहणप्राल्हूणाम्यां श्रीपार्श्वनाथत्रिवं कारितं प्रतिष्ठितं सूरिभिः ॥ १२८. सं. १९१६ वर्षे वैशाखशुदि १५ सोमे श्रीमूलसंघे करणे सरस्वतीगच्छे भ० श्रीकुंदकुंदाचार्यान्वये भ० श्रीस. कलकीर्त्तिदेवास्तत्पट्टे भ० श्रीभुवनकीर्त्तिगुरोरुपदेशात् हूंबडज्ञातीय श्रेष्ठिनरसिंगभार्या चांपलदे सुत श्रे० ठाकरसी भा० हरषू सुत साईआ साल्हा संघवी परत्रत भार्या दूबी एते श्रीयुगादिदेवाष्टप्रतिहार्यचतुर्विंशतिकां नित्यं प्रणमंति । शुभं भवतु ॥ १२९. सं० १५२५ वर्षे महाशुदि १० सोमे श्रीमूलसंघे सरस्वतगच्छे बलात्कारगणे श्रीकुंदकुंदाचार्यान्वये भ० पद्मनंदिदेवास्तत्पट्टे भ० श्रीसकलकीर्तिदेवास्तत्पट्टे भ० श्रीविमलेंद्रकीर्त्तिभिः श्रीअजितनाथ - For Private And Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बडोदरा चतुर्विंशतिका प्रतिष्ठिता । हूंबडजातीयमं० वाघा भा० रूपिणि सु० सं० गोधा भा० लाकू सु० सिवा भा० सहिजलदे सु० हरदास जिणदास महिपाल हरपाल जगपाल एते नित्यं प्रगमंति ॥ श्रीः ॥ १३०. सं० १४८३ वर्षे वैशाखशुदि ५ गुरौ ओ० ज्ञा० गो. आल्हा भा० सिंगारदे पु० वरसिंघ सूदाकेन पितृमातृश्रेयसे श्री चंद्रप्रभबिंब का० प्र० श्रीजीरापल्लीगच्छे भट्टारकश्रीसालिभद्रसूरिपट्टे म० श्रीउदयरत्नसूरिभिः ॥ १३१. सं० १३३९ चैत्रवदि ५ पल्लीपा(वा)लज्ञातीय श्रे० साहा सहजमल्लो मातापित्रोः श्रेयोऽयं च पुत्रपालपद्माभ्यां श्रीआदिनाथर्विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीविनयसेनसूरिशासने श्रीउदयप्रमसूरिभिः।। १३२. सं० १३६३ वैशाखशुदि ९ बुधे श्रीभावडारगच्छे भा० अजुन भा० आल्हणदेवि पु० सांगणेन मातृश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रति० श्रीवीरसूरिभिः ॥ १३३. सं० १२९४ वर्षे आसरा मातृराजूश्रेयोऽर्थ सुत पद्मसिंहेन श्रीऋषभदेवविध कारित प्रतिष्ठितं छत्रापल्लीयश्रीपद्मप्रभमूरिभिः। १३४. सं० १५२१ वर्षे माघशुदि १३ गुरौ उकेश० खीमा भा० लखणीपुत्र उगाभा० आल्हणदे पु० उदा पोदा पिघा स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यवि का० प्र० श्रीसंडेरगच्छे श्रीसालिसूरिभिः ।। १३९. सं. १४८९ वर्षे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० कर्मसी भा० कर्मादे सुतवरसिंहेन भा० आसू सुतभादादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीमहावीरबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ १३६. सं० १५४२ वर्षे वैशाखशुदि २ गुरौ गंधारवास्तव्यः श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० धणपाल सु० दो० अभयसी सु० दो० महिन मा० भाकू सु. नगराज भाजसाई सु० माणिक भा० लखी एतैः For Private And Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह commar स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथवि कारितं प्रथम आगमगच्छे श्रीसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। १३७. सं० १५२० वर्षे मार्ग. शुदि ९ शनौ श्रीप्राग्वाटज्ञातीय मं० राउल भा० फालू सुत नारद भा० अमकूसुश्राविकया सुतपहिराज त्रंबकदासयुतया स्वभर्तुः श्रेयोऽर्थ श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकेसरिसूरिणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ १३८. सं० १५११ वर्षे ज्येष्ठवदि १० सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० भोटू भा० पाल्हणदे सु० नउलाकल (8) भा० तेजू भ्रा० झांझणदूमणयुतेन पितृश्रेयोऽर्थे श्रीश्रेयांसबि श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुणसागरसूरिपट्टे श्रीगुणसमुद्रसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रति० विधिना ॥ १३९. सं. १४८६ वर्षे ज्येष्ठशुदि ९ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० माकामा० शाणी सु० मूला भा० हीरू भ्रातृभोलायुतेन श्रीशांतिनाथवि कारितं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुणसागरसूरिश्रीहेमरत्नसूरिभिः ॥ १४०. सं० १५१५ वर्षे...............शु० ज्ञा० व्य० ................सु० व्य० दूला भा० हली पुत्रजूठाकेन भा० देपू प्र० कुटुंबयुतेन पितामहश्रेयोऽर्थे श्रीधर्मनाथबिं का० प्र० श्रीरत्नशेखरसूरिमिः ॥ १४१. सं० १४०८ वर्षे श्रीप्राग्वाटज्ञातीय महं धरणिग प्रिया मुहागरे तयोः सुत जसादा एतेषां श्रेयसे वधूसरिणि श्रीआदिनाथपंचतीर्थी कारिता ॥ जानीशेरी, श्रीचन्द्रप्रभजिनालयना लेखो. १४२. संवत् १६४२ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ सोमे श्रीश्रीमालबृहद For Private And Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बडीदरा. AANAAN ज्ञातीय सा० राणाभार्या राजलदे सुत सा० धीवर स्वश्रेयसे श्री विमलनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीमत्तपागच्छाधिराजश्री श्रीहीरवि. जयसूरिराजश्रीश्रीविजयसेनसूरिभिः ।। १४३. संवत् १३८७ वर्षे माघशुदि १० शनौ श्रीउपकेशगच्छे खुरियागोत्रे सा० धीरात्मन सा० झांझणभार्या जयतलदे सुत छाडाआसाभ्यां मातृपित्रोः श्रे० श्रीअजितनाथ विवं का० प्र० श्री ककुदाचार्यसंताने प्रभुश्रीककसूरिभिः ॥ १४४. संवत् १५३१ वर्षे वैशाखवदि ८ शुक्रे श्रीकाष्टासंघ नंदीतटगच्छे भ० श्रीसोमकीर्तिशिष्य आ० श्रीवीरसेन युक्ते प्रतिष्ठितं । नारसिंहज्ञातीयहद्धसोहगोत्रे व० हापा भा० रूपिणि सुत मनाभा० अमकू सुत गांगा श्रीवासुपूज्यं प्रणमति ॥ गमीध ॥ १४५. संवत् १५२३ वर्षे वैशाखशुदि ३ लाडुश्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० हरखचंदभा० हाईपुच्या श्रे० चांगाभार्या श्रीनोडी. नाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीमतिनाथबिंब का० प्र० तपागच्छनायकश्रीरस्नशेखरसूरिपट्टप्रभाकरश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ आमलेश्वग्रामे ॥ १४६ सं० १४४७ वर्षे फागुणशुदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० मंडिलकमा० बा० तेनलदे सुत संघवी धर्मसी सं० सूरा सं० परबतनामइ सं० देवराजबिंब कारापितं ॥ तपागच्छे भट्टारकश्रीदेवसुंदरसूरिभिः ॥ १४७. सं० १३३१ वर्षे वैशाखवदि ७ षडायथज्ञातीय ठ० जयतसिंह भा० जयतूव्यवहारिकया पुत्रव्यव० भाचाप्रभृतिकुटुंबसमन्वितया आत्मश्रेयसे श्रीचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः ॥ १४८. संवत् १९२४ वर्षे खरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरिआदिः मुहतागोत्रे स० भीमसी भा० नायकदे । अंबिकादेवी कारापिता ॥ For Private And Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह Ammons जानीशेरी, श्रीआदीश्वरजिनालयना लेखो. १४९. सं० १५२१ वर्षे ज्येष्ठशुदि ४ मंडपदुगें प्रारबाट मं० कडूआ भा० कर्मा देसुत मं० माधव भा० फदू सुत संग्रामेण मा० पदमाईपुत्रसायररयणायरादिकुटुंचयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथर्वि का० प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरमूरिभिः ।। १५०. सं० १३८६ वर्षे माधवदि २ सोमे श्रीप्राग्वाटज्ञातीयति मं० लूणाश्रेयोऽर्थ सुतनागधनपालाभ्यां श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीचैत्रगच्छे श्रीपद्मदेवमूरिपट्टे श्रीमानदेवसूरिमिः ।। १५१. सं० १५३२ वैशाखशु० ३ प्रा० श्रे० कडूआ भा० घापु० हरपालेन भा० हीरादेपु० जीवा जेंसिंगादि० युतेने स्वश्रे. योऽर्थे श्रीआदिनाथर्बिब का० प्रतिष्ठितं तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । खानपुरग्राम ॥ १५२. सं० १५२४ व० वै० शु० ३ सोमे आसापल्लीय श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० कर्मणमा० कर्मा देसुतसारंगेन मा० ५ भा० चाई पुं० रत्नपाल वस्ता डामर महिपति स्वकुटुंबयुतेन श्रेयोऽर्थे श्री शीतलनाथबिंब का० प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिभिः ॥ १५३. संवत् १५२८ आषापुरहि (ढादि) द्वीप.श्रीमालज्ञातीय ठ० मेघाभा० माकसुत ठ० वरसिंग भा० रहीपुत्र ठ० ओघाकेन स्वश्रेयसे भर्तः ठ० हेमालघुभ्रातृमाणिकयुतेन श्रीआदिनाथविब कारितं श्रीलक्ष्मीदेवसूरि[भिः] प्रतिष्ठितं । चैत्रगच्छे धारणपद्रीय ॥ १५४. सं० १५१० वर्षे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० भीमसी मा हरखूसुत आल्हाकेन भा० कउतिगदे सुत सहिसा शिवदास For Private And Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घडोदरा. - लखरानादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽथ श्रीपद्मप्रभवि का० प्र० वडगच्छे श्रीपूर्णचंद्रसूरिभिः ॥ १५५. सं० १५११ ज्येष्ठवदि १३ प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० देदा भा० रयणीसुत वडआ भा० चाईनाम्न्या स्वभ्रातृनावडश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिपट्टे श्रीश्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ १५६. सं० १५३७ वर्षे माहशुदि ५ शुक्र हूंबडज्ञातीय बुधगोत्रे श्रे० कूपा भा० रांकु सु० नरसिंगेन भा० नयणादेसु० शाणा सहितेन श्रीसुमतिनाथबिंब का० प्र० श्रीसिंघदत्तसूरिभिः ॥ १५७. संवत् १५६४ वर्षे वैशाखवदि १२ बुधे श्रीश्रीवंशे सा० सिंहदत्त भा० मापुत्र सा० देवासुश्रावकेण भा० लखाईपुत्र हरिचंदप्रमुखकुटुंबसहितेन निजश्रेयोऽर्थ श्रीविधिपक्षगच्छे श्रीसद्गुरूणामुपदेशेन श्री.शीतलनाथबिंब का० प्र० श्रीसंघेन । श्रीचंपकपुरे ॥ १५८. सं० १५२३ वर्षे महाशुदि ६ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय दो० गिरूआ भा० धर्मणि सु० भीमाकेन भार्याभर्मा देयुतेन आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारापितं प्र० श्रीपू० प्र० श्रीगुणसुंदरसूरीणामुपदेशेन विधिना वा० ज्ञानकलसः (शैः ) ।। १५९. सं० १५५१ वर्षे वैशाखशुदि १३ गुरु श्रीश्रीमालज्ञातीयमहालक्ष्मीमूर्तिः कारापिता ॥ घडीआलीपोल, श्रीकुंथुनाथजिनालयना लेखो. १६०. संवत् १५१९ वर्षे माहवदि ९ शनौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० धर्मा भा० सबक सुत हेमा राणा हेमा मा० श्रीसू राणा भा० देपू हे० सु० करमसी भा० मानू हेमाराणाभ्यां स्वकुटुंबयुतेन स्व. For Private And Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. पित्रोः श्रेयसे श्रीअजितनाथादिचतुर्विशतिपट्टः । आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना ॥ पेढडावास्तव्यः ॥ १६१. संवत् १५१९ वर्षे आसाढदि १ मंत्रिदलीय श्रीकाणा गोत्रे ठ० लइ भा० धर्मिणि पुत्र सं० अचलदासेन पुत्र ठ० उग्रसेन लक्ष्मीसेन सूर्यसेन देवपाल वीरसेन पहिराजादियुतेन श्रीआदिनाथबिंब का० सं० सिंगारसी पु० सूदनपूजनार्थ प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ पीपलाशेरी, चिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालयना लेखो. १६२. सं० १५१३ वर्षे वै० शु० १० प्राग्वाटव्य० लुणा भा० लूणादे सुत व्य० वीमाकेन भा० खेतू सा० जीणादिकुटुंबयुतेन श्रीनमिनाथवि कारित प्र० तपागच्छेशश्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्री सोमसुंदरसूरिशिष्यैः ॥ १६३. संवत् १६०१ वर्षे फागुणशुदि ५ रवौ बोरसद्धिवास्तव्यः । श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० सापा भा० लकू पुत्री बा० रंभा कारापितं (2) प्रमुखपरिवारयुतेन स्वश्रेयोऽथ श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री ५ विजयदानसूरिशिष्यश्री ५ राज( ? हीर )विनयसूरिभिः तपापक्षे ॥ १६४. सं. १९७९ वर्षे वैशाखशुदि ६ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयपाडलीया मं० दाघा भा० जीवणि पु० सखा भा० कूर्माई नाम्न्या स्वश्रेयोऽर्थ श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारितं सुविहितसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ १६५. सं० १९८३ वर्षे ज्येष्ठशुदि ९ शुके उप० ठाकु[र]गोत्रे सा० देवा भा० पदी पु० सोमा सिवा रतना सिवा भा० झबक पु० For Private And Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दासाहीदा युते पि० श्रे० श्रीशांतिनाथवि का० प्र० ज्ञानकी[य] गच्छे श्रीसिद्धसेनसूरिभिः ॥ १६६. सं० १३७३ वर्षे श्रीउपकेशगच्छे श्रीककुदाचार्यसंताने वैद्यशाखायां सा० हसल अरसीहश्रेयसे हसलपुत्र जवात भा० वामदेवाभ्यां श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसिद्धसूरिभिः ॥ १६७. सं० १६७८ वर्षे आश्विनवदि १४ गुरुदिने श्रीऋषिमंडलयंत्रं प्राग्वाटज्ञातीयदोसी नानजी सुत दो० दवजी भार्या आसबाईसुत प्राग्वाटवंशविभूषण दो० केशवनीकेन ऋषिमंडलयंत्रं कारापितं; स्वात्मश्रेयसे प्रतिष्ठितं भट्टारकप्रभुश्रीविजयसेनसूरिराज्ये आनंदूपुरवास्तव्येन इति मंगलम् । उपाध्यायश्रीविजयराजगणिभिश्चिरं नंदतु ॥ म्हेतापोल, नेमिनाथजिनालयना लेखो. १६८. सं० १५१५ वर्षे वै० शु० १३ प्राग्वाटमं० महि राज मा० वर्जूसुत मं० आंबानगरानाभ्यां भा० संपूरीसुहासिणियुताभ्यां स्वमातुः श्रेयसे श्रीविमलनाथवि का० प्र० तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिश्रीमुनिसुंदरसूरिपट्टे श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ।। १६९. सं० १३३८ चैत्रवदि २ शुक्रे प्राग्वाटजातीयश्रे० वयरसिंहमुत श्रे० लूणसिंहश्रेयोऽर्थ सुतसाजणतिनणाभ्यां श्रीपार्थनाथवि कारितं । प्रतिष्ठितं श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीवयरसेणोपाध्यायशिष्यैः । १७०. सं० १५१८ वर्षे फागुणवदि १ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा. तीयश्रे० शिवा भा० संसारदे सुतसहनाकेन स्वमातृपितृश्रेयसे श्रीकुंथु. नायबिंब पूर्णिमापक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरिपट्टे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना साकरग्रामे ॥ १७१. सं० १५७८ वर्षे माघशुदि ८ गुरौ श्रीश्रीमाली. For Private And Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन संग्रह. से० माला पूंजा से० जना से० गांगा से० लींबा से० लखा से० पहिराजप्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीसुमतिनाथवित्रं कारितं प्र० श्री आगमगच्छे श्रीशिवकुमारसूरिभिः । गोधावः ( घावा. ) १९ १७२. सं० १३.......शुदि १० श्रीश्रीमालज्ञा० व्य० वयरामार्या ढील्हणदेविश्रेयोऽर्थं द्वि० भार्या माघलदेव्या युतेन सुत सा......... श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रति० पिप्पलाचार्यगच्छे श्रीनरदेवसूरिशिष्यैः श्रीपद्मप्रभसूरिभिः ॥ १७३. सं० १९४२ वर्षे वैशाखशुदि १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० नारदभार्यालाडकीसुतहा छाकेन भगिनीमाणिकीश्रेयोऽर्थ श्रीअरनाथर्बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः । गंधारमंदिरे ॥ १७४. कोटडीआ सा० घीरा भा० धीरादे सु० सा० रतना भा० रंगी सु० लावा जावड वागड सं० १९७९ । १७५. सं० १४३१ वर्षे ज्येष्ठसु० ८ शुक्रे श्रीश्रीमाल, ज्ञा० व्य० पांचा भा० प्रीमलदे सु० सींगारसी श्रीशांतिनाथ बिंबं का ० प्र० पिप्पलगच्छे श्रीराजशेखरसूरिभिः ॥ १७६. सं० १५१७ वर्षे वै० व० ५ शुक्रे....ज्ञा० व्य० बेहा भा० रूई पु०, सा० भाभाकेन भा० वादयुतेन स्वश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथविनं का० प्र० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ १७७. सं० १३४३ माघशुदि १० पितृनागदेवमातृसहजलदेवीसुखाय पु० नायकेन श्रीपार्श्वनाथविनं का० प्र० श्रीसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only १७८. सं० १९९३ वर्षे वै० व० ४ गुरौ ओडग्रामवासि प्राग्वाटज्ञा० श्रे० माईआ भा० मेचू सु० श्रे० नाथाकेन भा० नामलदे पु० नाकरधनादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीश्रेयांसवित्रं का० प्र० तपा श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसुधानंदनमूरिश्रीरत्नमंडनसूरिपरिवृतैः ॥ Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घडोदरा. १७९. सं० १४८० वर्षे ज्ये० शु० ५ प्राग्वाटवंशे सा० सहना भा० जाणीसु० चांपाकेन भा० चांपलदे सु० ऊधरणयुतेन श्रीचंद्रप्रभबिंबं का० तपागच्छनायकश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ १८०. सं० १५१० वर्षे चैत्रवदि ४ तिथौ शनौ लोढागोत्रे जेठूपौत्र कर्मसीपुत्रेण सा० भोलाकेन मातृकमसिरिनिमित्तं का० श्रीशीतलनाथबिंवं प्र० तपाभ० श्रीहेमहंससूरिभिः ॥ १८१. सं० १९८७ वर्षे फाल्गुणव० ३ बुधवारे ओसवाल ज्ञा० षाटडागोत्रे सा० चंउध्र भा० लीलादे पु० आल्हा कूपा हरपाल लषादिभिः आत्मश्रेयोऽर्थ मातृपित्रोः पुण्यार्थ श्रीवासुपूज्यबिंबं का० श्रीधर्मघोषगच्छे भ० श्रीविजयचंद्रसूरिपट्टे भ० श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ॥ १८२. सं० १४० १ वै० व० ३ बुधे प्रा० ज्ञा० श्रे० आंबड मा० आल्हणदे पु० जडासहितपित्रोः तथा मातृनरमदिश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथविब हंसाकयु० श्रीमाणिक्यसूरीणामुपदेशेन का० प्र० फतेहपुरा, श्रीपार्श्वनाथजिनालयना लेखो. १८३. सं० १५०७ मार्गशु० २ मालबिडवास्तव्यः ओसवालज्ञातीयश्रे० जूठिल भा० माकू सुत श्रे० सिवरान भा० मूजी पुत्रसाधाकेन भा० अमरीश्रेयसे श्रीआदिनाथपंचतीर्थी कारिता प्रति श्रीसुविहितसूरिभिः । पं० शीहा ॥ . १८४. संवत् १३८७ वर्षे ज्येष्ठशुदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयपितृश्रे० वस्ता मातृधणदेविश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथपंचतीर्थी ठ० सीहडेन श्रीपूर्णिमापक्षे गुरुश्रीकमलप्रभसूरिउपदेशात् कारिता श्रीरिदिर्वृद्धिर्भवतु ॥ १८५. सं० १५३१ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञा० बोरसिद्धिवास्तव्यः For Private And Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैन प्रतिमालेख संग्रह. L ठ० कुझा भा० भोली सु० उ० महिराजभा० मल्हाईनाम्न्या स्वभर्तृ ठ० महिराज श्रेयसे श्रीवासुपूज्य बिंबं का० प्र० श्रीवृहत्तपापक्षे श्री ज्ञानसागरसूरिभिः || १८६. संवत् १५२२ वर्षे माघवदि १ गुरौ श्रीश्रीवंशे श्रे० अर्जुनभार्या अहवदे पुत्र श्र० पाताभार्या अरघुपुत्रश्रे० कालाकेन भार्याभाव देसहितेन स्वश्रेयसे श्रीश्री अंचलगच्छाधिराजश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीशीतलनाथचित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन । जंबूनगरे ॥ १८७. सं० १३७१ मात्रशु० ९ ****..*.***... Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री आदिनाथबिं का ० श्रीप्रभसेनसूरिभिः || .... १८८. सं० १२१० वर्षे फागुणव० २ बुधे वा० ओ ० ज्ञा० श्रे० गन्हा भा० गाहू० सु० पानाकेन श्रीमहावीर बिंबं का ० प्र० श्रीआमदेवसूरिभिः ॥ सुलतानपुरा, श्रीचन्द्रप्रभजिनालयना लेखो. १८९. संवत् १३३२ ज्येष्ठशुदि १३ श्रीकोरेहकीयराज्ये श्रीलज्जाचार्य संताने श्री सावदेवभार्या सालूणि पुत्रणसाडेन स्वमातृः श्रेयसे श्रीशांतिनाथविवं कारापितं प्र० श्रीसर्वदेवसूरिभिः || १९०. सं० १५५४ वर्षे फा० सु० २ गु० प्रा० सा० पता मुता सा० सहिसाकेन श्री आदिनाथबिंबं का० प्र० श्रीउदयसागरसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only १९१. संवत् १९६७ वर्षे पोषवदि ६ गुरौ देवानंदशाखायां ओएसवंशे मं० सोगा भा० खीमीपुत्र महं भापरसुश्रावकेण भा० चांदू पु० हमीर कीका प्रमुख कुटुंबसहितेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीअंच Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडोदरा. लंगच्छेश्वरश्रीभावसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीपार्श्वनाथर्विबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीकोटडादुर्गे ॥ __ १९२. सं० १४८६ वर्षे वैशाखशुदि १० बुधे प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० लूणाभार्याकामलदेसुतखीमसी भा० देऊयुतेन श्रीमुनिसुव्रतबिंचं का० प्रति० तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिभिः । सत् आसापोपटवा ॥ - १९३. संवत् १५८७ वर्षे पोषवदि ६ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रीजना भा० रूपाई पु० लखा भा० जीवादे स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यविव कारितं प्रतिष्ठितं श्रीआगमगच्छे श्रीसंघदत्तसूरि तत्पट्टे श्रीशिवकुमारसूरिभिः गोधरौ ॥ १९४. सं० १५१९ वर्षे वै० ११ भृगुरेवत्यां झंटोडावासि प्राग्वाटज्ञातीय को० भीलाभार्या दूसीसुत लुभाकेन भार्यामरगदि भ्रातृकडुआराजादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽथ श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । पं० पुण्यनंदनगणीनामुपदेशेन ॥ १९५. संवत् १५७६ वर्षे महाशुदि ९ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयम० सुरा भा० राणीसुतजीवाकेन भा० जीवादे सुत ठाकरजीवा भ्रात्रि(त)नाकर मातृपितृश्रेयोऽर्थ आत्मश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंब कारापित श्रीआगमगच्छे श्रीमुनिरत्नसूरिपट्टे श्रीआणंदरत्नसूरिभिः प्रतिष्ठितं चिरं जीयात् यामलिवास्तव्यः श्रीरस्तु ॥ १९६. सं० १४९६ वर्षे पोषशुदि ११ रवौ श्रीश्रीमालज्ञा. तीयमं० साभा भा० सुहवदे सुतठाकुरमहेन भ्रातृबालादियुतेन पितृव्यश्रेयोऽर्थ श्रीसुपार्श्वबिंब कारितं प्र० तपाश्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ १९७. सं० १५४८ ज्येष्ठवदि ६ शुक्ने श्रीमालसंधे उ. श्रीजिनचंद्रतट.......................शीतपरलाडनातीय साहाणांचंगी। सं० वीका भा० राजू सं० का............. ...............lt For Private And Personal Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जेनप्रतिमालेखसंग्रह. १९८. सं० १९०९ वर्षे माहाशुदि २ गुरौ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमा० व० लाखासुतगोधाभा० मेलूसुतचांपाई, चावापाभा० मेवू स्वभर्तृश्रेयोऽर्थं श्रीपार्श्वनाथर्विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपजूनसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 0000 ************* १९९. सं० १५१७ वर्षे माघशुदि १० बुधे श्रीश्रीमालज्ञा० नालाभा० मारहणदेसु० गुणीउभा०.. ......... न पित्रोः निमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथवित्रं का० प्र० चैत्रगच्छे धारणपद्रीयभ० श्रीलक्ष्मीदेवसूरिभिः स्याप्राग्रामे || २००. संवत् १९२५ वर्षे मात्रशुदि ७ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय फडीआ ठ० दूचामा० अर्धसुतकान्हाकेन भा० बकी सुतसिंहराजयुतेन पितृमातृश्रेयसे श्रीनमिनाथमुख्यपंचतीर्थी का० प्र० पिप्पलगच्छे भ० श्रीगुणरत्नसूरिपट्टे श्रीगुणसागरसूरिभिः श्रीगंधारवास्तव्यः ॥ ३३ २०१. सं० १११२ ऊकेश सा० लींवाभा० लीलादे सुत राजाकेन भा० राजलदेव्यादियुतेन स्वपितृग्यलाखाश्रेयसे श्री ५ सुमति - नाथविं का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदर सूरिशिष्य श्रीरत्नशेखरसूरि श्री उदययनंदिसूरिभिः सिद्धपुरे ॥ $1000068 २०२. संवत् १५३३ वर्षे पोक्त्रादि १० गुरौ ओसवालज्ञातीयत्र फणागोत्रे व नरसिंहमा० नयणादे पृ० देवा व० श्रीपा लभा० सिरीयादे पु० श्रीवत्सयुतेन व० श्रीपालेन आत्मश्रेयसे श्रीअरनाथवित्रं कारितं प्र० उ० ककुदा० श्रीदेवगुप्तसूरिभिः | २०२. संवत् १९०९ ज्येष्ठादि ९ शुक्रे श्रीकोरंटगच्छे श्रीनन्नाचार्य संताने ओ० वंशे सौगंधिकठाकुरवाछामार्या श्रेयसे दौहित्रिकमाणिकेन श्रीवासुपूज्यर्वित्रं का० प्रति० सावदेवसूरिभिः ॥ २०४. सं० १३१२ वर्षे ज्ये० सु० १३ श्रीकोरण्टकीय.... . नन्नाचार्य संताने श्रीभावदेव भा० सालूणि पु० पासडेन 5 For Private And Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वडोदरा. ................मातुः श्रेयसे श्रीशान्तिनाथवि का० प्र० श्रीसंत(शांति देवसूरिभिः ॥ नवीपोल, श्रीशीतलनाथजिनालयमा लेखो. २०५. सं० १३७३ वर्षे पोषवदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयपितृवयजा मातृ............श्रेयसे सुतढढाकेन श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः । श्रीगुणप्रभसूरीणामुपदेशेन ॥ २०६. सं० १९३६ वर्षे ज्ये० शु० ११ प्राग्वाटदो० मेघा भा० संहरी पुत्रहरदासेन भा० हीराईपुत्रवर्द्धमानबदाभगिनीनेताई भ्रातृव्यखीमापर्वतमीमादियुतेन मातृसीधरश्रयसे श्रीआदिनाथवित्र कारितं प्र० श्रीलक्ष्मीसाग सूरिभिः राजपुरे ॥ २०७. सं० १५११ वर्षे मावसुदि ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिपरबतभार्यापाल्हणदेसुतधनादेवाभ्यां पितृमातृश्रेयोऽयं आत्मश्रेपसे श्रीशीतलनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्री ब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीविमलसू िभिः ॥ गोत्रतरकाग्रामवास्तव्यः । श्रीश्रीभवतु ॥ ___ २०८. सं० १६४८ वर्षे वैशाखशुदि १० सोमे प्राग्वाटज्ञ तीयश्र० चांदा पुत्राः सोमालपु छूटा तत्पुत्रौ गटा माधव ताभ्यां पूर्वि वजश्रेयोऽथ श्रीपार्श्वनायवित्र कारापितं प्रतिष्ठितं भ० गुणसुंदरसूभिः ॥ २०९. सं० १६२६( ५ ) वर्षे वैखा वशुदि ११ दिने बुधवासरे तपगण.शोभाय श्रीमान् श्री ५ श्रीहीरविनयमूरिभिः प्रति. श्री ति वि तिष्ठितं श्राविका लाल ।। २१० सं० १३७८ वर्षे वैशाखवदि ५ गुरौ श्रीपायटज्ञातीय वाईन गलया भात्मश्रेयसे श्री शांतिनाथवि कारितंप्र०श्रीराशिल्लसूरिभिः॥ For Private And Personal Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. AANAAMKARAMAname AAAAAAAAAAAAAAAAAAAA - वाडी रंगमहाल, श्रीआदिजिनालय. २११. सं० १५२४ वर्षे वैशाखशुदि २ रवौ बोरसिद्धिवा० श्रीश्रीमालज्ञा० ठ० जयता भा० धाऊ सुतवीरमश्रेयोऽयं श्रीगर्थ. नाथविंबं कारितं प्रतिष्ठितं वृहत्तपापक्षे भट्टा ० श्रीश्रीश्रीज्ञानसागरसूरिभिः । ........ .. . . . . बाबाजीपुरा, देरापोल, श्रीगोडीपार्श्वनाथ जिनालर २१२. सं० १४३३ वैशाखसुदि ९ श्रीमालक्षातीय.... ......मादिश्रेयोऽर्थ सु०...... ............श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीगुणाकरसूरिभिः॥ २१३. संवत् १३६७ आषाढशुदि ७ बुधे श्रे० पाहणभार्यापाल्हूपुत्रक....साहा....साहाभ्यां पितृव्य.....जणश्रेयसे श्रीशांतिनाथविर कारितं श्रीललितदेवसूरिशिष्य....................प्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ___२१४. सं. १४४० वर्षे पोषशुदि ११ बुधे उपकेशज्ञा०.... ........................हणिसु. लखमण सुजउ मालउ पितृमातृ. श्रेयसे श्रीशांतिनाथवि का० प्र० श्रीजीरापल्लीश्रीवीरतींद्रसरिपट्टे श्रीसालिभद्रसूरिभिः॥ २११. सं० १६३२ वर्षे माघशुदि १० बुधे प्राग्वाटज्ञातीय दार्दसपर्ना () सा० सहिसकरण भा० सौभाग्यड़े तत्पुत्री जीवी आत्मश्रेयोऽयं श्रीसुमतिनाथवि का० श्रीहीरविजयसूरिप्रतिष्ठितं ॥ २१६. संवत् १५७३ वर्षे ज्येष्ठवदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० जइताभा० धाऊसुत ठ० माणिक भा० मरगदिपुत्री लीलानाग्न्या स्वश्रेषसे श्रीपार्श्वनाथादिचतुर्विंशतिषः - बृहत्तपावले For Private And Personal Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बडादरा. AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAANNAAA A श्रीउदयसागरसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितः श्रीविधिना वोरसिद्धिग्रामे ॥ श्री: २१७. सं० १५३....वर्षे श्रीमालज्ञा० ढोरगोत्रे सा० साधा. सुत सा० मोल्हा (भोला) भा० रूपीपुत्र सा० अपा भा० सा० वीरो. पुन्यार्थं श्रीसुपासनाथविबं का० प्र० श्रीखरतरश्रीजिनतिलकसूरिपट्टे श्रीजिनराजसूरिभिः ॥ श्री ॥ २१८. स्वस्ति संवत् १५३० माघशुदि ५ दिने श्रीउपकेशवंशे लघुशाखायां श्रेष्ठि धणपालभार्याअरघुपुत्रघोघरभार्यानाईनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथविवं कारितं श्रीकोरंटगच्छे श्रीककसूरिपट्टे श्रीसावदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं अलीणाग्रामे ॥ २१९. सं. १२९८ वर्षे माघशुदि ६....कवडे भार्या पारहणि. श्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथविबं कारापितं । शेठ जमनालाल चुनीलाल वैद्यनुं घरदेहरासर. २२०. संवत् १९०८ वर्षे आसाढशुदि २ रवौ श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयमं० काजाभार्यारासुतमं० राजाकेन भा० मल्हीसुत वीरपालप्रमुखकुटुंबयुतेन मातापितृश्रेयसे स्वश्रेयसे च श्रीआगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरिणामुपदेशेन श्रीशांतिनाथादिचतुर्विशतिपट्टः . कारितः प्रतिष्ठितश्च ॥ श्रीशुभं ॥ २२१. सं० १५०८ वैशा० शु० ५ श्रीउपकेशज्ञातीय सूरूआगोत्रे सा० कउरसींहपु० सं० रउला भा० महणश्रीपु० सं० भीमा भा० भीमश्रीपु० हांसा कान्हा वरदेवमहितैः श्रीपार्श्वनाथर्वि का० श्रीउपकेशगच्छे कक० श्रीकक्कसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. REPRES वैद्य बापुभाई घेलाभाईनु घरदेरासर. २२२. संवत् १९६७ वर्षे माघशुदि ५ गुरौ चेडाग्रामे श्रीश्रीवंशे श्रे० गुणपति भा० मानू पुत्री जीवीश्राविकया निजपति कडुआपुण्यार्थ श्रीचंद्रप्रभुबिंब कारितं श्रीवृहत्तपागच्छे श्रीलब्धिसागरसूरिसंताने श्रीसूरिभिः प्रतिष्ठितं । चिरं जीयात् ।। वैद्य त्रिभुवनदास भीखाभाईर्नु घरदेरासर. २२३. संवत् १५३३ वर्षे पोपशुदि १५ सोमे श्रीउकेशवंशे श्रीदव(र)डागोत्रे सा० देल्हाभार्या देल्हणदे पुत्र साधुकीहटमा० धारू पुत्र साधु आंवडसुश्रावकेण भा० पदमाई पुत्रटोकर भ्रा० उदयराज भा० कपूराईप्रमुखपरिवारयुतेन निजजनकादिश्रेयोऽयं श्रीअजितनाथर्वि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छेशश्रीनिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः । चुडगर जमनादास कीलाभाईनु घरदेरासर. २२४. सं० १५१८ ज्ये० ५० १० वडलीवासी प्र० दो० पीपा भा० रूपिणि पु० मनाकेन भा० रमकूप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीवासु. पूज्यबिंब का० प्र० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ।। २२५. सं० १९११ वर्षे आषाढशुदि ५ श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० जोगाभा० जाणदेसुतगेलाकेन भा० वारूप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीपा र्धनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्री. रत्नशेखरसूरिभिः ॥ जनऊश्रा(?) वास्तव्यः ॥ शुभं ।। २२६. संवत् १५२५ वर्षे वैशाखवदि १ गुरौं श्रीश्रीमाल. ज्ञातीय श्रे० पासडसुतपितृदेवा मातृसरसईसु० लखमाभार्या साधू स० महाराजरूडागणपतियुतेन श्रीशांतिनाथमुख्यश्चतुर्विंशतिपट्टः कारितः For Private And Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वडोदरा arwwnwww wwwvovannine श्रीपूर्णिमापक्षीयश्रीसाधुरत्नसूरिपट्टे श्रीसाधुसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं विधिना ॥ धंधूकावास्तव्यः ॥ शेठ मोतीलाल हीमचंदनु घरदेरासर. २२७. सं० १५२७ ज्येष्ठशुदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञाति. मं० गांगाभा० गंगादेसुत मं० नाथाकेन भा० नागलदेपुत्रसहसा रहीयाप्रमुखकुटुंबयुतेन मं० जिनदासश्रेयसे श्रीश्रेयांसनाविध का० प्र० श्री वृद्धतपापक्षे भट्टा० श्रीज्ञानसागरसूरिभिः बालासीणग्रामे ॥ २२८. सं० १५२८ माहवदि ५ श्रीपल्लीवालगच्छे गगउरीयागोत्रे सा० धारसीपु० चउडाभा० मचकूपु० भोलाकेन श्रीपद्मप्रभवि का० प्र० श्रीयशोदेवसूरिपट्टे श्रीनन्नसूरिभिः ।। शेठ गरबडदास वीरचंद घीयानुं घरदेहरासर. २२९. सं० १५०८ वर्षे ज्ये० शु० १३ बुधे श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयसा० कर्मणभा० कपूरदेसुत सा० बहिदेनाम्ना भा० सोउ सु० केशवसहितेन स्वश्रेयोऽथ श्रीचंद्रप्रभमूलनायकः अंचलगच्छे श्रीजयकेशरिसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना ॥ श्रीः भूयात् ॥ २३०. सं० १२९४ वर्षे वैशाख ७ शनौ प्रा० श्रे० धरणिगभार्या नागलदेसु० आ............पितृश्रेयोऽर्थ श्रीआदिनाथवित्र कारितं प्र० श्रीसूरिभिः ॥ २३१. सं० १५५८ वर्षे आषाढशुदि ८ दिने अहिमदावादवासिश्रे० जावडभार्यापूरीसुतकसाभार्यासूपारनाम्न्या स्वसुतटोकरयुतया श्रीशांतिनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीनिगमाविर्भावकश्रीइंद्रनंदिसूरिभिः।। २३२. संवत् १९२४ वर्षे वैशाखशुदि २ रवौ बोरसिद्धि For Private And Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. - - - वा० श्रीश्रीमालज्ञाती० १० वीरमभा० श्रा० मल्हाईश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्व: नाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृहत्तपापक्षे भट्टा० श्रीश्रीश्रीज्ञानसागरसूरिभिः॥ २३३. सं० १५६७ वर्षे ज्येष्ठादि ४ शुक्रे ओसवालज्ञा० सा बलराजभा० पोई सुत सा० वेणा भा० नानीसुत रयणीयर माडण वावा भार्या अनाई सुत पासा यादवद्र० कुटुंचयुतेन निनश्रेयोऽर्थ श्रीधर्मनाथवि कारितं प्र० तपागच्छे श्रीहेमविमलसूरिभिः पं० विजयहेमगणीनामुपदेशेन गिरियाविनामि ॥ फूलचंद डाह्याभाई। घरदेहरासर. २३४. संवत् १५८४ वर्षे चैत्रवदि ५ गुरौ वीसनगरवास्तध्यप्राग्वाटल तीयय० जीवा भा० टमकुमुतव्य० सीपाकेन भा० वारी सु० पदमालहुआपूजा सामल वहना पौत्रवरसिंहवासणप्रमुखकुटुंबयुतेन वि कारितं प्रतिष्ठितं बृहत्तपापक्षे श्रीलब्धिसागरसूरिपट्टे श्रीधनरत्नसूरिश्रीसौभाग्यसागरसूरिभिः ॥ कोठारी जमनादासर्नु घरदेरासर. २३१. सं० १३९७ श्रीगुर्नरज्ञा० सा० मूरापुव्या बा० कामलया श्रीपाश्वनाथवि का ० प्र० श्रीव ने सूरिभिः ।। २३६. संवत् १५०६ वरपे वैशाखवदि ५ गुरु श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयमं० पांचा भा० सूल्ही सु• समधा भा० सरूषू सु० सा० गदीराजाभो नाकैः श्रीकुथुनाथवि कारितं श्री निमापक्षीयभ० श्रीगुजासुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठित विधिना श्राद्धैः ।। २३७. सं० १९३६ वर्षे आ० सु. ९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा For Private And Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घडोदरा. तीयश्रे० परबत भा० बाइ कुतिगदे पु० श्रे० हासा भा० धारा कीका भार्या देई श्रे० सिधराजश्रेयोऽर्थ अंबिकागोत्रदेवी कारापिता श्रीककसूरिपट्टे श्रीदेवप्रभ( ? गुप्त)सूरिभिः प्रतिष्ठिता ॥ २३८. सं० १६२० वर्षे वै० सु० ९ बुधे श्रीमालसंघ भ० श्री सुमतिकीर्तिगुरूपदेशात् प० सवटास भा० ठ० ह................... ..............॥ झवेरी फत्तेहभाई अमीचंद- घरदेरासर. २३९. संवत् १९६६ वर्षे वैशाखशुदि १० गुरौ श्रीपत्तनवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० डाहीमा भा० डाहीसुत आणंदमेवाभ्यां सुतसोमा प्र० परिवारयुताभ्यां स्वश्रेयसे श्रीसुविधिनाथविचं का. प्र. तपागच्छनायकश्रीहेमविमलसूरिभिः ॥ श्रीरस्तु ॥ २४०. संवत् १९६७ वर्षे ज्येष्ठशुदि १३ सोमे राजाधिराज श्रीनाभिनरेश्वरमाता श्रीमरुदेवी तत्पुत्रश्री श्रीश्री श्री श्रीःआदिनाथस्य वि कारितं सेवकनरबदभिमेन कर्मक्षयार्थ श्रेयसे ॥ २४१. संवत् १६९२ वर्षे वैशाखशुदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयश्रे० सधारण भा० हर्षादेसु० श्रे० जइवंत भा० जीवादे भत्रीनजीवा शकर वच्छा समस्तस्वकुटुंबयुतेन श्रेयोऽयं श्रीसुपार्श्वनाथवित्र कारापितं ब्रह्माणगच्छे सूरिभिः प्र० बहाउलिः ॥ हिंदविजय प्रेसवालानु घरदेहरासर. २४२. संवत् १६४४ (१) वर्षे ज्येष्ठसित १२ सोमवारे प्राग्वाटज्ञातीय शे.. जसवीरभार्याकाकीसुतदो० धनजीकारितं श्रीशांतिनाथविनं प्र० श्रीहीरविजयसूरिशिष्यश्रीश्रीश्रीविजयसेनसूरिभिः ।। For Private And Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. २४२. संवत् १६२८ वर्षे वैशाखशुदि ११ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० पासामा० अरबाइ तत्सुतदेवाभा० देवलदेकेन धर्मनाथविं कारापितं श्रीतपागच्छे श्रीहीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ २४४. सं० १३५५ श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० ......... धनपालेन श्रीमहावीर चित्रं का० ***** शेठ छोटालाल करसनदासनुं घरदेहरासर. २४५. सं० १४५२ वर्षे वैशाखशुदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० पितृव्यव० झांझू मातृकपूरदे श्रेयोऽयं सुतमहिपालकेन श्रीसुमतिनाथवि का० प्र० नागेंद्र गच्छीयश्री उदयदेवसूरिभिः || ....... ર २४६. संवत् १९६७ वर्षे वै० वदि १ गुरौ श्रीऊसवंशे सं० हीराभा० हांसीपुत्र [सं० शिवाकेन भा० सु० सं० पासवरादिकुटुंबयुतेन संतानार्थं श्री अजितनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्री सोमसुंदरसूरि संताने श्रीकमल कल[श ] सूरिपट्टे श्रीजयकल्यासूरिभिः आशापल्ली || For Private And Personal Use Only २४७. सं० १५१२ व० फागुणशुदि ८ शनौ श्रीश्रीमाल ० मं० जेसा२कालाभा० देमईसु० सलषा भीमाकेन पितृमातृश्रेयोऽ* श्रीआदिनाथ कारितं श्रीपीपलगच्छे श्रीगुणरत्नसू रेभिः प्रतिष्ठितं ॥ २४८. संवत् १५७१ वर्षे वैशाखबदि ५ दिने श्रीश्रीमालज्ञातीयमहं डाही आभार्या हीरुपुत्र नहं माधवभार्या माणिकदेपुत्र जयवंतसहितेन श्रीवासुपूज्यविवं कारितं प्रतिष्ठितं । पाडला वास्तव्यः श्रीभूरिभिः ॥ २४९. सं० १९४४ गुर्जरज्ञा० मं० मोना भा० रामति सु० नाथा सहिसा शीरंग कान्हा नाथा भा० नाथी श्रीपार्श्वनाथविंद आगमग० श्रीजिनचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठित ॥ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वडोदरा. शेठ लीलाभाई रायचंदनुं घरदहेरासर. २५०. संवत् १६३२ वर्षे माघशुदि १० बुधे अहिमदावादवास्तव्यप्राग्वाटज्ञा[ती]आ वरद्धशाषसा० हंसराजभा० हांसलदेपुत्रीरत्नाई आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीश्रेयांसनाथविवं कारापितं श्रीतपागच्छेशश्री हीरविजयसूरिप्रतिष्ठितं ॥ शुभं ॥ २६१. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठसित १२ सोमवासरे प्राग्वाटज्ञातीयदो० जयवीरभा० कीकीसुतदो० कुअरनीकारितं श्रीमुनिसुव्रतबिब श्रीहीरविनयसूरिशि० श्रीविनयसेनसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ २५२. सं० १५२५ वर्षे मार्गशु० १० प्राग्वा० मं० चांपा भा० चांपलदे पुत्र मं० साईआकेन भार्या सहिजलदे वइनलदे पुत्रहेमराज धनराजादिकुटुंबयुतेन मातृश्रेयसे श्रीअजितनाथवि का० प्र० तपागच्छेशश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ जोगीदास विठ्ठलदासनी पोळy घरदेरासर. २५३. सं० १५०१ महाशुदि १० सोमे....नो.. ....गोत्रे.... ....................पुत्र मोकल श्रीशांतिनाथविंबं का० प्र०.......................श्रीभुवितिलकसूरिभिः ॥ शेठ मोतीलाल हरखचंदनु घरदेरासर. २५४. सं. १६८३ वर्षे फा०व० ४ शनौ जंवूसरवास्तव्यव्य० प्राग्वाटज्ञातीय वोरा उदयकरणभार्यावा० उझूरिसु० वो० शांतिदासनाम्ना श्रीसुविधिनाथवि का० प्र० श्रीतपाग० भ० श्रीहीरविजयसूरिपट्टे भ० श्रीविनयसेनसूरि तत्पट्टे भ० श्रीविनयतिलकसूरिप० भ० श्रीविजयाणंदसूरिभिः ॥ .......... For Private And Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. aurAAnandne.seenrana छायापुरी ( छाणी ). श्रीकुन्थुनाथजिनालयना लेखो २५५. संवत् १६३८ वर्षे माघशुदि १३ सोमे श्रीपत्तनवास्तव्यश्रीप्राग्वाटज्ञातीयमहं० नगाभार्या बाईपुगीसुत महं० श्रीवंत श्रीआदिनाथविवं कारापितं तपागच्छे श्रीश्रीहीरविजयसूरिभिः स्वहस्तेन प्रतिष्ठितं श्रीसंघस्य भद्रं भवतु सुतछा० ठाकरसी ॥ श्रीशान्तिनाथजिनालयना लेखो. २५६. सं० १३९७ माघ ९....श्रीश्रीमालज्ञा० पितृठ० वस्ता वउलदे ठ० सोमसूत मलदे ठ० तेजा प्र० पूर्वनश्रे० सुतमाणसिंहेन श्रीपार्श्व० पंचायत तस० का० प्र० श्रीचैत्रगच्छे श्रीमानदेवसूरिभिः ॥ २५७. सं० १५२१ वर्षे ज्ये० शु० ४ मंडपदुर्गे प्राग्वाट सं० अर्जुन भा० टबकू सुत सं० वस्ता भा० रामासुत सं० चांदाभार्यया जीविणीनाम्न्या पुत्रलांबा आकादिकुटुंबयुतया स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब २४ पट्टः का० प्र० तपापक्षे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ २५८. संवत् १५०९ वर्षे मार्गशीर्षशुदि ६ दिने श्रीमालवंशे मथा(घा)लगोत्रे सा० नानिगपुत्र सा० मेघा सा० खीमाभगिन्या चंगाईश्राविकया श्रीविमलनाथवि कारितं श्रीनिनराजसूरिपट्टे श्रीजिनभद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं॥ ___ २५९. सं० १५८० वर्षे वैशाखशुदि १३ शुक्रे श्रीश्रीमालीज्ञातीयसा० रत्नभा० फदू सु० सा० जइतपालभार्या श्रीवाईनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः । For Private And Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छाणी. २६०. संवत् १५२५ वर्षे आणंदवासिवायडज्ञा० श्रे० सिंघामा० वारूपुत्रश्रे० राजाकेन भ्रातृठाकुरसी भा० रमादे पुत्र कुपा राणाभाणापोईआलाखा अमरादिकुटुंबयुतेन निनभ्रातृश्रे० कुराश्रेयसे श्रीकुंथुनाथचतुर्विशतिपट्टः का० प्र० श्रीसोमसुंदरसूरिसंताने तपागच्छेश श्रीश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ २६१. संवत् १४२२ वर्षे वैशाखशुदि ११ बुधे ओसवालज्ञातीयव्यव० केल्हणसीसुतमुलूश्रेयोऽथ सिंघाकेन श्रीपार्श्वनाथ कारा.... २६२. सं० १५३० वर्ष माघवदि २ शुक्रे वलादवासि श्रीश्रीमालज्ञातिश्रे० बोडाभा० सूहवदेसुतहरदासेन भार्यासहिनलदे सुतदेवदासदेवाप्रमुखकुटुंबयुतेन आणंदेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथविवं कारितं श्रीवृद्धतपापक्षे प्रतिष्ठितं श्रीज्ञानसागरसूरिभिः शुभं भूयात् ॥ २६३. सं० १४८६ वर्षे वैशाखशुदि १० बुधे प्राग्वाटज्ञातीय व्य० सरवणभार्यासूहवदेसुतदेदाकेन भा० नासूसुत लखमण अमरसी समघर धनादिकुटुंबयुतेन श्रीविमलनाथवि स्वश्रेयोऽर्थ कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीश्रीश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ २६४. सं० १५२६ प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० तिहुणसी भा० करणूपुत्र श्रे० मणोरसिंहेन भा० चमकुपुत्रवरसिंहपितृव्यमुहणसीलखराजादिकु० युतेन श्रीविमलनाथबि का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः जयतपुरे ॥ २६५. सं० १५२३ वर्षे वै० व० ४ गुरौ आणंदग्रामे वायडज्ञातिश्रे० सदो भा० सुहवदे पुत्र श्रे० माला भा० मरगदेनाम्न्या भगिनिमहगलदे दौहित्रीजीविणियुतया स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्र० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीरस्तु । For Private And Personal Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. २६६. संवत् १५२९ वर्षे फागुणशुदि ७ बुधे श्रीश्रीमा० ज्ञा० सं० नरपालमा० सुल्हा तया पु० कुरपालजिणदास पौत्र पासवीरतया सुत ३ पुण्यार्थे श्रीसुविधिनाथचित्र का० प्र० श्रीमलधार गच्छे श्रीश्रीश्रीगुणनिधानसूरिभिः || ४५ २६७. सं० १४७७ वर्षे वैशाखशु० १ श्रीश्रीमालज्ञा • ० पापचमा० प्रिमलदे श्रेष्ठीसुय भा० मेला दे आत्मश्रेयसे सुतपूजा श्रीअनंतनाथादिचतुर्विंशतिबिंबं कारितं श्रीचैत्रगच्छे भट्टा० श्रीगुणदेवसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं । २६८. संवत् ११३५ वर्षे आषाढशुदि १ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० मांडण भा० रूपी सु० गजानिमित्तं श्रे० जीवाकेन आत्मश्रेयोऽर्थं श्रीधर्मनाथर्बिवं का० पू० पिप्पलगच्छे त्रिमवी आश्रीधर्मसागरसूरिभिः दसाडा || २६९. सं० १४४७ फागुणवदि ८ चं० श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमालज्ञा० पाद्रवास्तव्य पितृदेवसीह मातृमघी पितृव्यनाश्रेयोऽर्थ सुतवयरा देपा जयताकेन श्रीवासुपूज्य मुख्यपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः ॥ २७०. सं० १९९५ (:) वर्षे महाशुदि १२ बा० पदमाइस० जावड श्री आदिनाथ प्रतिष्ठितं श्रीआनंदविमलसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only २७१. सं० १६१ (६) ७ वर्षे पो० व० १ दिने दो० संकर श्रीवज्र (विजय) देवसूरि (?) श्रीआदिनाथ........... Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीयोगाम. marwareneuruRNANAAUTANKRAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAnn - मीयागाम. श्रीमनमोहनपार्श्वनाथ जिनालयना लेखो. २७२. सं० १४८१ वर्षे माघशुदि ५ प्राग्वाटज्ञातीयश्रे. खेतसिंहभा० खेतलदेसु० देदलमा० हमीरदेसु० घोष (खोख)मा० प्रीमलदेसु० संघपतिसादाभार्यासलखणदे सुत संघवी मुंमुवभार्या कर्मादेव्या निजश्रेयसे श्रीशांतिनाथादिपंचतीर्थीवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ २७३. सं० १५३७ वर्षे वैशाखशुदि १० सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय उपमारूराजभा० लाछूत ठ० सहसाभा० वल्हादे ठ० सालिगभा० आसीठ० श्रीराजभा० हंसाईठ० सहिसासुतधनदत्तभाहर्षाई एतैरात्मश्रेयोथै श्रीशांतिनाथविवं कारितं । प्रतिष्ठितं श्रीवृहत्तपापक्षे श्रीविजयरत्नसूरिभिः श्रीगंधारवास्तव्यः ।। २७४. सं० १३८४ वर्षे............. ................श्रीपार्श्वनाथवि का० प्र० श्री...अमरचंद्रसूरिशिष्य श्रीधर्मघोषपूरिभिः ॥ २७५. संवत् १५०३ वर्षे ज्येष्ठवदि १३ शनौ ओसवालज्ञातीयव्य० कोठारिभा० कुतिगदेसुतव्य० धना गांगा रत्ना एतेषां पितृव्यव्य० पांचाश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथवि कारित पूर्णिमापक्षे जयचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ २७६. सं. १५५२ वर्षे माघवदि ८ शनौ श्रीवायडज्ञातीय मं० भीमाभा० आसूसु० म० येसाभा० जानूसु. २ अदराजवर्द्धमानाम्यां मातृपितृश्रेयोऽथ श्रीसुमतिनाथादिपंचतीर्थी आगमपक्षे श्रीसोमरत्नसूरिगुरूपदेशेन कारिता प्रतिष्ठिता च विधिना रूदातलिवास्तव्यः ॥ . . . . . . For Private And Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org .................... जैनप्रतिमालेख संग्रह. २७७. सं. १४६२ वैशाखशु० ३.............. .. श्रीपार्श्वनाथ विं का० आगमिकगच्छीयश्री अमरसिंहसू रीणामुपदेशेन प्र०.......... .भिः ॥ $0............. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७८. संवत् १६७७ वर्षे कार्त्तिकासितप्रतिपदनंतर द्वितीयायां बुधवासर स्तंभतीयें ओसवालज्ञातीयसा० श्रीमलमार्यारहीनाम्या कारितानि श्रीसुमतिनाथवित्रानि प्र० मं० तपागच्छभ० श्रीविजयदेवसूरिभिः ॥ ४७ २७९. संवत् १३५२ वर्षे वैशाखवदि ५ सोमे गुर्जरज्ञातीय महं. भीमसिंहेन निजपितृमहं. पाल्हण श्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथर्बिनं कारापितं प्रतिष्ठितं मलधारिश्रीपद्मदेव सूरिशिष्यश्रीश्रीतिलकसूरिभिः || २८०. सं० १३(२)८९ वर्षे फागुणशुदि.. ... गुणपालभा० पदमणिपु० महंम. छाडाम्यां पितृनिमित्तं श्रीपार्श्वविनं कारितं प्र० श्रीजनसूरिभिः ॥ ......... ********** २८१. सं. १५४९ वर्षे महावदि २ रवौ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० कोहा सु० हरभम मा० ललनूसुत उदेसीभा० जसिवा० सहितेन पितृमातृनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपजूनसूरिपट्टे श्रीशीलगुणसूरिभिः भीनमालवास्तव्यः ॥ For Private And Personal Use Only २८२. संवत् १५०६ वर्षे चैत्रवदि ५ वारगुरु श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयसा० जेसींगक० जासलदेपुत्र २ साहसीहासा० सागरक० गुरीपुत्रवस्ता पुत्रीकुरमाई सहितेन सा० सागरेण निजपूर्वजश्रेयसे चतुविंशतिजिनमयश्रीसंभवनाथर्बित्रं कारितं प्रतिष्ठितं आगमगच्छे श्रीहर्षतिलकसूरिभिः श्रीसिंहदत्तसूरिभिः ।। २८३. सं० १४२५ वर्षे वैशाखशुदि १०...... 4000 **** 0000 4000 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीयागाम. ..........देव्या स्वश्रेय० श्रीपार्श्वनाथवि कारि० प्र० श्रीवयरसेणमूरिभिः ॥ २८४. संवत् १५५६ वर्षे आमलेसरवास्तव्यः लाडूआश्रीमालीज्ञा० श्रे० करमसी भा० तेजूसुत श्रे० आसाकेन भा० कतासुतवेणा धेणाधनागोईआगांगाप्र० कुटुंबश्रेयसे श्रीवासुपूज्यवि कारितं प्र. तपागच्छनायकश्रीहेमविमलसूरिप्रवरैः ॥ श्रीसंभवनाथजिनालयना लेखो. २८५. सं० १४८८ ज्येष्ठशु० ५ रखौ उकेशज्ञातीय भ० नाथू भार्या धरमिणिसुत भ० पूनाभा० पूनादे सुत भ० साईआकेन भार्यासहजलदेहासूमुतमाणिकभार्या डाहीसुत भ० थणतप्रमुखकुटुंबयुतेन वृद्धमातुः श्रेयसे श्रीआदिनाथपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता तपाश्रीसोम. सुंदरसूरिभिः ॥ २८६. संवत् १४७९ (८) वर्षे माघशुदि ७ शुक्रे प्रा. ग्वाटज्ञातीय पं० महणसिंहभा० रूपलपु० पं० धरणा गदा सोभ्रमा मातृ. पितृश्रेयसे श्रीशांतिनाथवि कारित पं० धरणाकेन । प्रतिष्ठितं श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ २८७. संवत् १५८७ वर्षे माहशु० ५ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीयडहिरवालीयमं० ढालाद्वि० भ्रातृ रेलाम० ढालासु० म० भीम म० अर्जुन मं० जसा मं० लहूआ माताधर्मणिपुण्यार्थ श्रीअंचलगच्छे श्रीगुणनिधानसूरीणामुपदेशेन श्रीसुपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ।। श्रीशान्तिनाथजिनालयना लेखो. २८८. संवत् १५१८ वर्षे वैशापशुदि दरवौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसंघवीटीलाभा० सं० लापूसुतहांसाभार्याहांसलदेसुतरूपा जुठा For Private And Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह धूडा एतैः पितृमातृश्रेयोऽर्थ चतुर्विंशतिपट्टमुख्यश्रीशीतलनाथविंबं कारिवं प्रतिष्ठितं श्रीमधुकरगच्छे भट्टा० श्रीधनप्रभसूरिभिः पाटरीवास्तव्यः।। २८९. सं० १४२३ फागुणशुदि ८ प्राग्वाटज्ञातीयव्य० झाटाभा० लखमादेपितृव्य० वीक्रमरावणभ्रातृवहुवडश्रे० श्रे० सीहडेन पंच० श्रीआदिनाथका० श्रीगुणभद्रसूरीणामुपदेशेन ॥ २९०. सं० १५२५ वै० शु० ३ कुतुबपुरे श्रीमालीश्रे० फाफामा० मजूपुत्रश्रे० घेताभार्यया मं० हीदाभार्याहांसीपुञ्या मांजूनाम्न्या श्रीवासुपूज्यवि कारित प्रतिष्ठितं तपागच्छनायकश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टालंकारश्रीलक्ष्मीसागरमूरिभिः श्रीरस्तु पूजाकारकस्य ॥ २९१. सं० १५३७ वर्षे वै० शु० १० श्रीश्रीमालज्ञातीय. परीक्षनावडमा० बढासुतपरी० गोराकेन स्वभा० लालाईश्रेयसे श्रीसंभवनाथमूलनायकालंकृतश्रीचतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० श्रीतपागच्छे श्रीश्रीश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः गंधारवास्तव्यः । भरुच. श्रीआदिनाथ जिनालयना लेखो. २९२. संवत् १५९१ वर्षे वै० वदि २ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० मं० करणाभा० पहुतीसु० जेसिंगभा० वीरूपु० राणा रामदास माधव मं० रामदासकेन भा० रमादेसु० हरदासयुतेन श्रेयसे श्रीसुमतिनाथविवं कारापितं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुणमेरुसूरीणामुपदेशेन विधिना प्रतिष्ठित मातरग्रामे कल्याणं भूयात् ॥ २९३. सं० १५२२ का० व० १ श्रीमालज्ञातीयश्रे० धणपालभा० लीलादेपुत्रश्रे० रत्नसीमा० सोमीनाम्न्या सुतमाला सुताडाही For Private And Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AAAAAVRAVAN.AAAAAAA प्र० कु० युतया स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथविबं का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः सुरत्राणपुरवास्तव्यः ।। २९४. सं० १५७८ वर्षे माघवदि ५ गुरौ गंधारवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातिव्य० डूंगरसुतव्य० कान्हाकेन भा० पोषीमेलादेसुतवस्तुपालादियुतेन धर्मनाथचतुर्मुखबिंब आगमगच्छे श्रीविवेकरत्नसूरीणामुपदेशान्मेलादेप्रमोदार्थ कारितं प्रतिष्ठितं ॥ २९५. सं० १४८९ वर्षे लाडूआश्रीमालज्ञा० श्रे० खीमसी भा० राणी सु० श्रे० आमा सूदा....ना कालाभगिनी श्रा० लाहूनाम्न्या निजश्रेयसे मुलनायकश्रीशांतिनाथयुतश्चतुर्विंशतिजिनपट्टः का० प्रति० श्रीसूरिभिः ॥ २९६. सं० १४[८]९ वर्षे लाडूआश्रीमालज्ञातीयश्रे० देपा भा० फाकीसुतया बोआवास्तव्यश्रे० वइनाभा० वनीसु० डूंगरभार्यया श्रीलालू(हू)नाम्न्या निनबांधवश्रेयसे मूलनायकश्रीशांतिनाथयुतश्चतुर्विशतिपट्टः का० प्र० श्रीसूरिभिः ॥ २९७. संवत् १५२५ वर्षे फागुणवदि १२ हींगडगोत्रे सा० कोल्हा भा० कमलश्रीपु० सं० बालाभार्या पुन्नीपु० रूपा खेमा हेमा पु० नासिंह भा० केलू पु० जइतायुतेन श्रीवासुपूज्यवि कारितं उपकेशगच्छे प्र० श्रीकक्कसूरिभिः ।। श्रीअनन्तनाथ जिनालयना लेखो. २९८. सं० ११(२)८५ वैशाखवदि ६ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीयशोभद्रसूरिषु लक्ष्मीधरपद्मीश्रेयसे ठ० श्रीकुमारेण चतुर्विंशतिप्रतिमा कारिता ॥ २९९. सं० १३८६ माघवदि २ श्रीश्रीमालज्ञातीयपितृवस्ता For Private And Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह human मातृकील्डश्रेयसे सु० पासडेन श्रीपार्श्वनाथ[बिंबं] कारित प्र० श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीबुद्धिसागरसूरिभिः ॥ ३००. सं० १४०५ वर्षे वैशाखशुदि ७ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयपितृकेल्हा मातृकाराबारदे....श्रेयसे सुत............न श्रीपार्धनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीभावचंद्रसूरीणामुपदेशेन ॥ ३०१. सं० १५०५ वर्षे माघशुदि १० सोमे श्रीश्रीमा० ज्ञा० श्रे० लाषा (खा) भा० लषमादेसु० सीहाकेन भ्रातृसारंगनिमित्त आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं पिप्पलगच्छे श्रीविजयदेवसूरिभिः ।। ३०२. सं० १५५९ फागुणशुदि ७ दिने श्रीश्रीमालीज्ञातीय साहमाणिकभा० अपूरवपु० भाइआकेन स्वमातृपित्रोः श्रेयसे श्रीसंभवनाथबिंब कारितं तलाझीआश्रीशांतिसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ३०३. संवत् ११२५ वर्षे वैशाखवदि १० शनौ प्राग्वाटज्ञातिश्रे० नाथाभा० खेतूपुत्रजूठाकेन भा० लाडीभ्रातृशाणावासण माइआप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथसिंबं का० प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ३०४. संवत् १४४५ वर्षे फागुणवदि ११ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीयपितृकेलूमातृपाईआबाईश्रीलाल्हणदेसुतमापापुत्र तत्सुतैः श्रीसंभवनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः श्रीवरा(ब्रह्मा)णगच्छे प्रति० श्रीवि. मलमुरिभिः ॥ श्रीशान्तिनाथजिनालयना लेखो. ३०५. सं० १६७६ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञातीयलधुशाखीयसा० पासासुतवीरपालमा० अमरी तत्पुत्रसा० सागरेण भा० जाकुपुत्र For Private And Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरुच. श्रीवंतयुतेन श्रीवासुपूज्यबिंबं निजपितृश्रेयोऽर्थं श्री पूर्णिमापक्षे श्रीसुमतिरत्नसूरीणामुपदेशेन का० प्र० श्रीखंभायतवास्तव्यः ॥ श्री पाश्वनाथ जिनालयना लेखो. ३०६. संवत् १५५६ वर्षे वैशाखशुदि ४ दिने आम्रद्रवास्तव्य लाडू आश्रीमालीज्ञातीयश्रे० लावडीभा० रामति सुतमूराभार्या कस्तुरी कुटुंब तेन श्रीकुंथुनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री हेमविमलसूरिभिः || ३०७ संवत् १९०३ माघवदि २ शुक्रे ओसवालज्ञातीय व्य० सहसा सुतहरपतिभार्या रत्नाई तया स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं श्रीवृहत्तपोगणे श्रीरत्नसिंहसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं | ३०८. सं० १५३३ वर्षे मात्रशुदि ५ खौ प्राग्वाटज्ञा० व्य० पेथड संताने व्य ० हराजसु ० व्य० गुणी आभार्या लाली सु० व्य० भूपतिवस्तादेपालाः चतुर्थः सहजपालस्तद्भार्या देमतिस्तया 'स्वश्रेयसे भर्तृश्रे० श्रीसंभवनाथविंवं आगमगच्छे श्रीश्रीदेवरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च ॥ ३०९. सं० १५२९ वर्षे आसाढशुदि २ सोमे प्राग्वाटज्ञातीय सं० लपा (खा) तृसं० गुणिआसुतवीराभार्या नाथी देवरसं० कालूकेन स्वश्रेयसे श्रीश्रीश्रीमुनिसुव्रतस्वामिर्विवं कारापितं प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छाधिराजश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीगंधार मंदिरे | ३१०. संवत् १६१५ वर्षे पौषवदि ६ शुक्रे श्रीजंबूसर वास्तव्य सा० सिंहसवीरसुतसा० बच्छराजनाम्ना श्रीसंभवनाथ श्रीविजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ कारापितं ३११.० ११६१ वर्षे फा० शु० १३ दिने पितृ ० For Private And Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. महणाभार्या मातामाल्हणदेवीश्रेयसे पुत्रपाल्हाकेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपद्मप्रभसूरिशिष्यश्रीगुणाकरसूरिभिः ॥ ३१२. सं० १५२४ वर्षे वैशाखशुदि ६ गुरौ उपकेशज्ञातीय सो० धनाभा० कीरहणदे पु० सो० नरपाल भा० नामलदे पु० सो० रत्नपालभा० मेलादे भ्रातृकुंरपाल भा० धनाई आत्मपुण्याथै श्रीश्रीकुंथुनाथर्विवं का० प्र० चैत्रगच्छे श्रीरामचंद्रसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ३१३. सं० १९३२ वर्षे वैशाखशु० १० सोमे उकेशवंशे श्रेष्ठिगोत्रे से० भीमसीपुत्रसेठिपाल्हापुत्रसेठिकर्मसीपु० से० वीकमपु० से० श्रीरंगना भार्या कीकी हंसाई पु० जागा अमरसी विजइसी परिवारसहितेन स्वपुण्यार्थ श्रीकुंथुनाथचतुर्विंशतिजिनपट्टः कारितः प्रति० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसुंदरसूरिपट्टे श्रीजिनहर्षसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यः ॥ ३१४. संवत् १५१५ वर्षे फागुणशुदि ९ रखौ प्राग्वाटज्ञातीयमं० मोषाभा० माणिकदेसुतभीम भार्याचंगाईसहितेन आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरत्नसूरिभिः श्रीपत्तनवास्तव्यः ।। ३१५. सं० १५०८ वर्षे चैत्रशुदि १३ रवौ प्राग्वाटज्ञातीय मं० देवाभा० देवलदेसु० आसाभा० कर्माईसु० मं० जूठा शाणाकेन श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीआगमगच्छे भ० श्रीसिंहदत्तसूरीणामुपदेशेन विधिना श्राद्धैः श्रीरस्तु ॥ ३१६. संवत् १५६(४)७ वर्षे माघशु० १३ रवौ श्रीमंडप श्रीमालज्ञातीयसं० उदा भा० हर्षु० सं० पीमामा० पूंजीपु० सं० जगसी भा० माकु० सं० गेल्हाभा० सापांपु०. मेघाभा० शाणी लघुभ्रातृसं०. राज....भा० सांगूपु० . सं० जावडभा० धनाई जीवादे For Private And Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir wom AAAAAAmar सुहागदे सक्तादे धनाई पु० सं० हीराभा० रमाई सं० लालादिकुटुंब. युतेन १०४ विवकारयित्रा निजश्रेयसे श्रीपद्मनाभवि कारितं प्रतिष्ठित श्रीतपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिश्रीलक्ष्मीसागरसूरिपट्टे सुमतिसाधुसूरिभिः । ___ ३१७. सं० १५२६ वर्षे श्रीमालश्रेष्ठिगोपालमा० गुरीपुत्री माणिकिश्रे० तेनादियुतेन श्रीआदिनाथ] बिंबं कारितं प्रति० तपाश्री. लक्ष्मीसागरसूरिशि० श्रीसोमजयसूरिभिः ॥ ३१८. संवत् १९७९ वर्षे वैशाखशुदि ६ सोमे इडरवास्तव्य हूंबडज्ञातीयफद्रीआ आसामा० कुंअरिसुतराणाकेन भा० रंगादेप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीसुमतिनाथवि कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीधनरत्नसूरिश्रीसौभाग्यसागरसूरिभिः ॥ . ३१९. संवत् १५१२ वर्षे फागुणशुदि ८ शनौ श्रीहूंबडज्ञातौ बुधगोत्रे वि० नरपालभार्या पची तत्पुत्र वि०....सी व्य० तेजाभार्या गुरी एतेषां श्रेयोऽथ सं० नाकरनाम्ना भार्यासं० डाहीसुतसं० हरपतिसहसाप्रमुखस्वकुटुंबसहितेन श्रीविमलनाथबिंब कारितं श्रीवृहत्तपागच्छे भ० श्रीजिनतिलकसूरि भ० श्रीज्ञानकलससूरि भ० श्रीविजयतिलकसूरिपट्टे श्रीविनयधर्मसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ .. श्रीमुनिसुव्रतस्वामिजिनालयना लेखो. ३२०. संवत् १६१५ वर्षे पौषवदि ३ दिने शुक्रवासरे गंधारमंदिरवास्तव्यठाकुर अतासुतठ० सूरजीनाम्ना श्रीशांतिनाथबिंब प्रतिष्ठापितं तपागच्छयुगप्रधानश्री श्रीविजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ३२१. सं० १९४६ वर्षे माघवदि १३ दिने दो० मूरासु० देवदास स्वश्रेयसे पट्टः का० श्रीआगमगच्छे श्रीविवेकरत्नसूरिभिः प्र०॥ ३२२. संवत् १६६१ वर्षे मार्गशिरवदि गुरौ श्रीऊकेशवंशे For Private And Personal Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह MARAAAAAAAAmain - भ० गोत्रे भं० रूपाभा० रूपलदेपुत्र नगूभार्या नागलदेपु० मेवराजभा० महिमादेपुत्रप्सा० जिनदास तद्माता वीरदासेन पुत्रजीवराजादिसपरिकरण कारितं श्रीविमलनाथबिवं प्रतिष्ठितं श्रीवृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरिपट्टालंकारसारपंचनदीसाधकश्रीअकबरपातिसाहिप्रतिबोधकसर्वत्राषाढाष्टाहिकामारिप्रवर्तकसाहिदत्तयुगप्रधानपदधारकयुगप्र० श्रीजिनचंद्रसूरिभिः आचार्यश्रीजिनसिंहसूरिसपरिकरैः लिखितं वा० श्रीसुंदरगणिना ॥ ३२३. संवत् १४८९ वर्षे वैशाखशुदि ३ बुधे श्रीहुंबडज्ञातीयमहं० सूराभार्या बा० सोमलदेपुत्रमहं० वणसीपत्नीबा० शाणीपु० सं० वीरधवलभार्याबाईचापू युतेन स्वकुटुंबश्रेयसे श्रीअजितनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीज्ञानकलससूरिभिः शुभं भवतु ।। ३२४. सं० १५२६ आ० सु० ८ शुक्रे गंधारवासिश्रीमालज्ञातीयठ० शिवाभा० धारूपुत्रठ० हावाकेन भा० इडीप्रमुखकुटुंबयुतेन निजश्रेयसे श्रीअभिनंदनवि का० प्र० श्रीजयचंद्रसूरिभिः पूर्णिमापक्षे ॥ ३२५. संवत् १५१२ वर्षे फागुणशुदि ८ शनौ श्रीहूंबडज्ञाति ऊतरेसरगोने म० वणसिंहभार्या धारू तयोः सुतसं० देवराजेन स्वकुटुंबसहितेन मातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथवि कारितं श्रीवृहत्तपापक्षे श्रीविजयधर्मसूरिभिः प्रतिष्ठित ॥ ३२६. सं० १६०८ वर्षे वैशाखशुदि ३ दिने जंहरवारवासि प्राग्वाटज्ञातीयसा० घेताभा० घेतलदेसुतसा० क्यनामा० जस्तूसुत हरपतिना स्वश्रेयोऽर्थं श्रीअभिनंदनवि कारितं प्रति० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ __ ३२७. सं० १५५५ वर्षे वै० शु० ३ आमलेसरवासि लाडूआश्रीमालीज्ञा० श्रे० गजामा० बकसुतश्रे० चांपाकेन भा० For Private And Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरच. अकू सु० अचिंतराजादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीनमिनाथवि का० प्र० तपागच्छनायकश्रीहेमविमलमूरिभिः ॥ ३२८. संवत् १४८८ वर्षे ज्ये० शु० ५ श्रीप्राग्वाटज्ञातीयपरी० कडूआभार्यारूपिणिसुतपरी० सिवाकेन निजमातुः श्रेयसे श्रीशीतलनाथविबं पंचतीर्थी कारापिता प्रतिष्ठिता श्रीतपागच्छाधिराजश्रीसोमसुंदरसरिभिः शुभं ॥ ३२९. संवत् १५८४ वर्षे चैत्रवदि ९ सोमे आमलेश्वरवास्तव्य ला. श्रीमाल० ज्ञा० श्रीजिनधर्मनिष्ठिकश्रे० सदाभा० नाथीपुत्रश्रे० निणदासभा० पूतलिनाम्न्या भ्रा० श्रे० डूंगरश्रेष्ठिवर्द्धमान श्रे० हेमादियुतेन पुत्रभूपामंगासहितेन स्वश्रेयोऽयं श्रीमुनिसुव्रतचतु० का० प्र० तपागच्छे श्रीश्रीश्रीसौभाग्यहर्षसूरिभिः ॥ ३३०. स्वस्तिश्री संवत् १५४ ४ वर्षे वैशाखशुदि ६ गुरौ श्रीगंधारमंदिरवास्तन्यश्रीडूंबडजातीयव्य० नरपालभा० पची तत्पुत्र व्य० वजेसींभा० वरणू तत्पुत्रसं० नाकरकेन भार्या डाहीसुत सं० हरपतिभा० रत्नादे सं० सहिसाभा० सहनलदे सं० श्रीपतिप्रमुखपुत्रपौत्रादिसमस्तकुटुंबसहितेन श्रीसंभवनाथचतुर्विशतिजिनपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीविजयरत्नसूरिपट्टालंकारभ० श्रीधर्मरत्नसूरिभिः श्रीरस्तु सदा पूजकस्य ॥ ३३१. संवत् १९०९ वर्षे वैशाखवदि ५ शनौ प्राग्वाटज्ञातीय ठक्कुरकमलसीभार्या कमलादे सुतठकुर हरिजनभार्या रंगाईप्रमुखकुटुंबयुतेन मातृपितृश्रेयसे स्वश्रेयसे च श्रीआगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरीणामुपदेशेन श्रीकुंथुनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितश्च भृगुकच्छवास्तव्येन ॥ ३३२. सं० १५२१ वर्षे वैशाखशुदि १० रवौ गंधारवासि श्रीश्रीमालज्ञातिसं० कुंपाभार्या सरसई सुतसं० शिवाभार्या माणिक्यदे For Private And Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. - - सुतेन सं० भोजाकेन स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितश्च श्रीवृहत्तपापक्षे श्रीरत्नसिंहमूरिपट्टे श्रीउदयवल्लभसूरिभिः ॥ ३३३. संवत् १६२२ वर्षे माहवदि २ बुधे भृगुकच्छवास्तव्य पोरवाडज्ञातीयदो० लालासुत भा० बा० वच्छीसुतदो० कीका भट्टारकश्रीहीरविजयसूरिप्रतिष्ठितं श्रीअनंतनाथवि कारितं ॥ ___ ३३४. संवत् १५५६ वर्षे वैशा० शु० ३ साइषावासिलाडू. आश्रीमालीज्ञातीयश्रे० गदाभा० श्रा० हांसीसुतश्रे० सहिदेभा० गुरीभ्रातृश्रे० भाणाभा० कुतिगदे सु० नाथाकर्मसीधर्मसीप्रमुखसकुटुंब युतेन श्रीसुविधिनाथवित्र का० प्र० श्रीहेमविमलसूरिभिः ॥ __ ३३५. संवत् १५४३ वर्षे वैशाखव० १० शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० वीरमभार्या नीवादेसुतधरणभार्याउमादेभ्रातृअगराभार्यागुरी स्वमातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीआदिनाथबि कारापितं प्रतिष्ठितं पूर्णिमापक्षे श्रीकमलप्रभसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीप्रभमूरिभिः ।। ३३६. संवत् १५४ १ वर्षे माहशुदि ५ गुरु श्रीभावडारगच्छे श्रीश्रीमालज्ञा० मं० वयरसी० मं० जीवणभा० कुअरिपु० मं० शिवदासभा०देप्रतिपु० स्वश्रे० श्रीशीतलनाथवि का० श्रीजिनदेवसूरिपट्टे प्रति० श्रीभावदेवसूरिभिः देवाग्रामे ॥ ३३७. संवत् १५७८ वर्षे माघवदि ५ गुरौ श्रीगंधारवास्तव्यव्यव० परबतभा० लषीसुतव्यव० पाईआकेन भा० पूराईप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीसंभवनाथवित्रं श्रीआगमगच्छे शश्रीविवेकरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं ॥ ३३८. सं० १५०३ वर्षे माघादि ८ बुधे श्रीश्रीमालश्र० धणपालभार्याफडूसुतभावडेन भार्याचांपू सुतरत्नामालामाईआदियुतेन पि For Private And Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरथ. तृमातृश्रेयसे श्रीसुविधिनायविंबं आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरिउपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं ॥ श्रीसंखेश्वरपार्श्वनाथजिनालयना लेखो. ३३९. संवत् १९६१ वर्षे ज्येष्ठवदि ५ रवौ श्रीअहमदावादनगरवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातिवृद्धशाषायां सा० नरपालभार्याश्रा० नामलदेसुतस'० जगाकेन भा० पद्माईसहितेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीधर्मनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षे भट्टा० श्रीधर्मरत्नसूरिभिः ।। ___३४०. संवत् १५५४ वर्षे फागुणशुदि २ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० माणिकमा० रूडीसुतवस्तामार्यामणकईनाम्न्या श्रीशीतलनाथपंचतीर्थी कारिता प्र. पिप्पलगच्छे श्रीगुणसागरसूरिप्र० श्रीशांतिमूरिभिः गंधारे ॥ (२) श्रीशान्तिनाथजिनालयना लेखो. ३४१. सं० १६८३ व० फा० ४ शनौ कयरवाडावास्तव्य लाडूआश्रीश्रीमालीज्ञातीयसं० षीमामा० संघाईसुतसं० मेघनाम्ना भा० इंद्राणीसु० ठाकरभा० सहनलदेप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वप्रतिष्ठायां स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथस्बिं का० प्र० च तपाग० भ० श्रीहीरविजयसूरिपट्ट भ० श्रीविजयसेनसू० प० भ० श्रीविजयदेवसू० भ० श्रीविजयतिलकसूरिपट्टालंकारभ० श्रीविनयाणंदसूरिभिः । श्रीमहावीरजिनालयना लेखो. ३४२. संवत् १५०८ वर्षे वैशाखवदि ११ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० हरीआ ठ० मूदा ठ० धरणा तत्सुतः ठ०मांडण तद्भार्या For Private And Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रतिमालेखसंग्रह. बाईअरघू तथा आत्मश्रेयसे श्रीश्रेयांसनिं का० प्रतिष्ठितं आगमगच्छे श्रीहर्ष तिलकसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ३४३. सं० १९९२ वर्षे ला० श्रीमालीसो० देवसीभार्या - वाछूतसपधरभा० चांपू. सु० मांकादिकुटुंबयुतया भगिनीश्रा० आसिनाम्या स्वश्रेयोऽय श्रीकुंथुनाथ का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिष्य श्रीरनशेखरसूरिभिः || ३४४. संवत् १९१६ वर्षे फागुणशुदि ३ खौ उकेशवंशे छाजहडगोत्रे मं० • कालूपु० भयणाभा० नामलदे तयोः पुत्रेण व्य० सिंघाकेन मा० सिंगारदेपु० सादादिपरि० स० श्रेयोऽये श्रीचंद्रप्रभविं का० प्रति० श्रीखरतरश्रीजिनधर्म ( भद्र ) सूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ कबीरपुरा, श्री अजितनाथ जिनालय. ३४५. सं० १५४२ वर्षे वैशाखशु० १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० सा० आसामा० रंगाईसु० सा० अदाकेन भा० इंद्राणीसुत विद्याधरगदाधरबदासीयाप्रमुख कुटुंबयु० श्री अनंतनाथबिंबं का० प्र० श्री वृद्धतपा श्री उदयसागरसूरिभिः गंधार वास्तव्यः ॥ ...... ********* ३४६. सं० १३११ वर्षे चैत्रवदि ७ बुधे श्रीब्रह्माणगच्छे स्वमातुः पाल्हणदेव्याः श्रेयोऽर्थ ..... श्री आदिनाथबिंबं कारितं प्रति०......... • श्रीमह (?ज्ज)कसूरिभिः || ३४७. सं० १४११ वर्षे वैशाखखदि १२ गुरौ श्रीमालज्ञातीय .. देन का० प्र० श्रीशांतिनाथबिंबं ............ S श्री अमररत्नसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ********.... ......................... (२) श्रीमुनिसुव्रतस्वामिजिनालय. ३४८. संवत् १९८४ वर्षे वैशाखवदि ४ शुक्रे श्रीश्रीमाल - For Private And Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञातीयता० वालाभा० वल्हादेपुत्रसा० जावडभार्यालाडीसुतधनराजनिजकुटुंब आत्मश्रेयसे श्रीश्रीश्रीआदिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं आगमगच्छेः भट्टारकश्रीशिवकुमारसूरिभिः वटपद्रनगरे ॥ ३४९. सं० १५३३ वर्षे पौषशुदि १५ सोमे सिद्धपुरे भाव साल्हाभा० साकुंसु० वलाकेन भा० अमकूसु० रत्नादियुतेन स्वश्रेयसे श्रीशीतलनाथवि कारितं प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिपट्टे श्रीउदयसागरसूरिभिः ॥ ३५०. सं० १५२४ वर्षे वै० शु० ३ विद्यापुरवासिश्रीश्रीमालज्ञा० म० लषमीधरभा० मांगूपुत्रकडूभार्यावीजूनाम्न्या स्वश्रेयोऽर्थ श्रीशंभवनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं..................[द्विवंदनीक ]गच्छे श्री...............सूरिभिः ॥ ३६१. संवत् १६१५ वर्षे पौषवदि ६ शुक्रे श्रीगंधारवास्तव्य श्रीश्रीमालीज्ञातीयसाहपासवीरभार्यापूतलिसुतसा० वर्द्धमानभार्या विमलादेसुतसा० लहजीनाम्ना स्वश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथविवं कारापितं श्रीतपागच्छे श्रीविजयदानमूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ __ ३५२. संवत् १९४७ वर्षे मा० शु० १३ रखौ गंधारवासिसं० माईयाभार्यामाणिकदेसुतसं० भोजाभा० सं० हीरूनाम्न्या निजश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब का० प्रति० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिपट्टे श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः ॥ ३५३. संवत् १५०६ वर्षे वैशाखशुदि ६ सोमवारे पटर- . काय(?)गच्छे उपकेशज्ञातीयवुहरागोत्रे देमाभा० दिल्हादे. ...श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीयशोभद्रसूरिसंताने प्रति० श्रीशांतिसूरिभिः ॥ ३५४, संवत् १५९५ वर्षे माहशुदि .१.२ शुक्रे श्रीनाग्वंशे दरहाद........... For Private And Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह Rammanamanna - Paramhanumanimal हिगु. नानी धीना धरमसीभारजा कीलाई बिंब श्रीपारसनाथ तपागच्छ श्रीआणंदविमलसूरिभट्टारकश्री विनय]दानसूरिप्रतिष्ठितं ।। वेजलपुरा, श्रीआदिनाथ जिनालय. ३५५. संवत् १५१३ वर्षे वैशाखशुदि १० बुधे प्राग्वाटज्ञातीयव्य० पेथडसंताने व्य० हरराजभा० हीरादेसुतगुणीयाकेन मा० तालापुत्रभूपतिवस्तादेपालसहनपालादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः श्रीआगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च गंधारवास्तव्यः शुभं भवतु ॥ ३५६. सं० १५६० वर्षे ज्येष्ठव० ७ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय दो० वूमणभा० आपूपु० दो० धनदत्तेन भा० पद्माईपु० दो० श्रीराज मंगा चांपा प्र० कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीशंभवनाथबिंबं का० प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीउदयसागरसूरीणां पट्टे श्रीलब्धिसागरसूरिमिः श्रीगंधावास्तव्यः ॥ ३५७. संवत् १५२३ वर्षे वै० शु० ३ शनौ श्रीसींहुनग्रामवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयश्रे० झालामा० मेघादेपुत्रश्रे० कालाकेन भा० हचीपु० करणावतावीछागांगादिकुटुंबयुतेन स्वपितृव्यश्रे० भूणाश्रेयोऽर्थ श्रीनमिनाथविबं का० प्र० तपागच्छेशश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ __३५८. सं० १५०३. वर्षे प्राग्वाटज्ञातीय मं० सायरमा० कपुरीसुतमं० महणसिंहेन भा० वर्जूसु० घेतादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्र. श्रीतपागच्छनायकश्रीजयचंद्रसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ३५९. सं० १३३७ मा० ४............. ....................प्रतिश्रीविजय................................॥ For Private And Personal Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरच. ३६०. सं० १४३- वर्षे माव........२ सोमे................ ....................श्रीचंद्रप्रपत्रिबं....................श्रीहरिप्रभसूरिपट्टे श्री............घोषसूरिभिः ॥ ३६१. सं० १४८९ आ० शु० ८ आमलेसरवासिश्रीश्रीमालज्ञा • व्य० पीमजीमा० राणीसुतया लाहूनाम्न्या श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रति० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ १६२. सं० १.......वर्षे माधवदि ५ श्रीश्रीमालश्रे० कुंदलपुत्रश्रे. पाल्हा..........................श्रीपार्श्वनाथवि प्रति. पिप्पलाचार्यश्रीधर्मचंद्रसूरिभिः ॥ ३६३. स्वस्तिश्री संवत् १६०३ वर्षे वैशाखशुदि ५ दिने आमथडावास्तव्यमं० नरसिंगभार्यानामलदेपुत्रमाणाकेन निजश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंब कारित प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीसोमविमलसूरिभिः ॥ श्रीपद्मप्रभजिनालय(घरदेहरासर ). ३६४. सं० १९४७ वर्षे वैशाखशु० ३ सोमे श्रीगंधारवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञा० ठ० महिराजसु० ठ० सहिसाभा० सा० माईआमा० सूदीसुतावनीदेनाम्न्या स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथचतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीश्रीधर्मरत्नसूरिभिः ॥ ३६५. सं० १५४२ वर्षे वैशाखशु० १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० वि० महुणा भा० माणिकिदेपु० जगाभा० रूडीसु० जइताभा० परवूसु० धना भा०रूपाइ स्वश्रेयोऽर्थ श्रीशीतलविंबं का० प्र० श्रीअंच. श्रीसिद्धांतसागरमूरिभिः श्रीसंघेन गंधारमंदिरे ॥ For Private And Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. - सीनोर. श्रीसुमतिनाथ जिनालय. ३६६. सं० १५१९ माघशु०४ रवौ उकेशज्ञा० पितामहजयताभा० मेचू द्वि० भा० सारू पु०मालाभा०माणिकदेसु०वर्द्धनवीशलकमाभ्यां पित्रोः श्रेयमे श्रीश्रीवासुपूज्यविवं का० रुद्रपल्लीयप्र० श्रीदेवसुंदरसूरिभिः ॥ ३६७. सं० १२७९ वर्षे वैशाखशु० ३ बुधे ठ० विनयसिंहश्रेयसे सु०नरपतिना श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा का०प्र० श्रीनमिचंद्रसूरिशिष्यश्री........प्रभमूरिमिः ॥ ३६८. सं० १७१० वर्षे पौषवदि ६ गुरौ स्तंभतीर्थवास्तव्य प्राग्वाटज्ञा० लघुशाखायां राजयाकेन भाजीवादेगजु एतस्कुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीआदिनाथवि का ० प्र० च तपागच्छाधिराजश्रीविनयराजसूरिभिः शुभं भवतु ॥ श्रीअजितनाथजिनालय. ३६९. सं० १९४२ वर्षे फा० व० ( शनौ देवासिनगरवासिप्राग्वाटज्ञा० सा० देवसी भा० गुरीपु० सा० आसा० मा० धाईपु० सं० बचाकेन भा० माणिकदेपुत्रीनाथीप्रमुखकुटुंगयुतेन स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथवि का० प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ . ३७०. सं० १५५७ वर्षे वैशाखव० ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० गांगामा० गंगादेसु० गहिकाकेन भा० सोभागिणि स्वकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथविबं का० प्र० श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीसागरतिलकसूरिपट्टे श्रीगुणतिलकसूरिभिः॥ For Private And Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HAMAAAAAAAAAAAHRAAWha AAAAAAAAAAAAAAAA - श्रीविजयलक्ष्मीसूरिजीनी देरीना लेखो. ३७१. सं० १८१५ वर्षे चैत्रशु० १० वीरचंद भ० श्रीविजयसौभाग्यसूरीश्वरपादुकेभ्यो नमः सीनोरनगरे समस्तसंघेन का. श्रीकल्याणमस्तु शिवमस्तु ॥ ३७२. सं० १८६८ श्रावणव० १२ बुध श्रीसीनोरनामे संघप्तमस्तेन का० श्रीविनयलक्ष्मीसूरिपादुकेभ्यो नमः ॥ डभोई (दर्भावती). [भाग १ मां न आपेला लेखो ]. - ३७३. संवत् १७४५ वर्षे शाके १६१० प्रवर्तमाने मार्गशीर्षमासे शुक्लपक्षे एकादशीतिथौ त श्रीश्रीहीरविजयसूरीश्वरशिष्य उ । श्रीकल्याणविजयग । शिष्य पं। श्रीलाभविनयग। शिष्य पं । जीतविजयग । सोदर सतीर्थ्य पं। श्रीनयविजयग । शिष्यश्रीजसविनयगणीनां पादुका कारापिता प्रतिष्ठिता चेयं तचरणसेवकाय । उत्तिम] विनयगणिना । श्रीराजनगरे ॥ ३७४. सं० १८११ वर्षे शा० १९७६ माघशुदि १ शुक्र श्रीपं० श्रीकृपासौभाग्यग। पंश्रीश्रीदेवसौभाग्यग । पादुका कृता श्रीसागरगच्छे श्रीरस्तु ॥ ___ ३७९. सं० १८०८५० शा० १६७३ प्र० फालनवदि । गुरौ पं० श्री १०८ देवसौभाग्यग । शिष्य पं. रत्नसौभाग्यगणिपादुका स्थापिता श्रेयोऽस्तु श्रीसंघस्स ।। ...३७६. सं० १८३१ शा० १६९९ प्र० पोषशु० ७ रवि पं. श्री ५ रत्नविजय ५० दयाविनयगणिशिष्यपं० लक्ष्मीविनयपादुका का० ।। For Private And Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह NAAmarwar - नडीआद (गूजरात ). श्रीशान्तिनाथजिनालय. ३७७. सं० १५११ वर्षे आसाढशुदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० डूंगरसीमा० गोमतिसुतव्य० बालाभा० बासूसु० व्य० गोलाकेन भार्यारहीसहितेन स्वश्रेयोऽथ श्रीमुनिसुव्रतस्वामिप्रमुखजिनचतुर्विंशतिपट्टः श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुणसागरसूरिपट्टे श्रीगुणसमुद्रसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना पूर्व स्तंमतीर्थवास्तव्यः॥ ३७८. संवत् १५६३ वर्षे वैशाखवदि ११ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० वाछाभार्याविजलदेसुतकर्मसीधर्मसीरामाभीमाभार्यामावलदे मातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथबिंब कारापितं नागेंद्रगच्छे श्रीरत्नसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठित षिदिरपुरवास्तव्यः ॥ ३७९. सं. १५१९ वर्षे मागसिरवदि ५ गुरु श्रीमालवंशे सोवनगिरागोत्रे सं० धनराज सं० पूना जीता संग्रामयुतेन माताकणकूसुहागदेपुण्यार्थं श्रीकुंथुनाथवि कारितं प्र० खरतरगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः।। ३८०. सं० १५९५ वर्षे माववदि २ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयसो० भीमाभार्यात्राईभरमादेसुतसो० सधूभार्या बाई इंद्राणीनाम्नी श्रीपार्श्वनाथवि कारितं तपागच्छे श्रीआणंदविमलसूरिभिः प्रतिष्ठिनं ।। ३८१. सं० १७१० व० ज्ये० सि० ६ गुरौ राजतवा० बाईशिवानाम्न्या श्रीअभिनंदनबिंब का० प्र० तपा० आ० श्रीविनयराजसूरिभिः ।। ३८२. सं० १९२२ वर्षे आषा० व० ७ शनौ ऊमतावाप्ति श्रीश्रीमालीमं० आसाभा० चनूपु० सालिगेन भा० चाईपु० रत्ना For Private And Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नडीआद. भ्रातृवालासूरालांपादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽयं श्रीकुंथुनाथवि का० प्र० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीश्रीलक्ष्मीसागरसूरिश्रीसोमदेवसूरिभिः ॥ ३८३. संवत् १५८७ व० शा० १४५२ प्रवर्त्तमाने पोषवदि ६ रखौ श्रीहबतपुरे श्रीओसवंशे लघुशाखायां श्रे० हर्षाभार्या अजीपुत्री तथा स्वसुरपक्षे मं० सिंघासुतमंत्रिहापाभार्या नाकू तया स्वश्रेयोऽर्थ श्रीअजितनाथवि का० प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीधर्मरत्नसूरिपट्टे श्रीविद्यामंडनसूरिभिः ॥ __ ३८४. सं० १९२५ वर्षे आणंदवासिवायडज्ञा० श्रे०सिंघाभार्यावीरूपुत्रश्रे० राजाभ्रातृठाकुरसिंहेन भा० पाबूपुत्रमहिपादेपाला. दिकुटुंबयुतेन निजभ्रातृकुराश्रेयसे श्रीसंभवनाथचतुर्विशतिपट्टः का० प्र० श्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ _____३८५. सं० १६७० व० वै० सि० पंचम्यां बा० तेनबाईनाम्न्या श्रीपार्श्वनाथबिंब प्र० अंचलगच्छे श्रीविनयसेनसूरिभिः ।। ३८६. सं० १६९७ फा० शु० श्रीमालीज्ञा० फूलबाईनाम्न्या श्रीशीतलनाथवि प्र० अ० व भ. श्रीविजयदेवसूरिभिः ॥ श्रीआदिनाथजिनालय. ३८७. संवत् १५१८ वर्षे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे १५ तिथौ ओसवालज्ञातीयधन्नानागोत्रे मं० बालाभा० अमरीपु० भ० जेसा हाला भं० जेसाभार्यारतनाईपु० सहसवीरडूंगराभ्यां निजपितृमातुः श्रेयसे श्रीकुंथुनाथवि कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीबृहद्गच्छे बोकडीयाशाखायां श्रीमलयचंद्रमूरिभिः शुभं भवतु पूजकस्य । ३८८. सं. १५२१ वर्षे माघशुदि १३ गुरु श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लीवाभा०ललतादेसु० जेसिंगमा०देकू द्वि० भा० आसीभ्रा० समधर भा०श्रीयादे द्वि० भा०सहिनलदे सु० हीरावेलासेलासहितेन भ्रा० For Private And Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनमतिमालेखसंग्रह. जरता सु० वाछा सर्वपूर्वजश्रेयोर्थं आत्मश्रेयसे श्री कुंथुनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः पिप्पलगच्छे भ० श्रीव... देवसूरिपट्टे म० श्रीश्रीरत्नदेवसूरिभिः ॥ ३८९. सं० १५१२ वर्षे प्राग्वाट० ० झांझणभा० जापू पु० रत्नाभार्यारत्नादेपुत्रवासलाषाभ्यां भा० लषमादे पुत्र आसादिकुटुंबयुताभ्यां श्रीशांतिनाथवित्रं का० प्र० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिभिः । ३९०. सं० १४९८ वर्षे माघशु० ५ श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य ० धरणिगभार्यालाछलदे सुतमंजाकेन भार्याने भ्रातृद्दाश्रयोऽर्य श्रीचंद्रप्रभस्वामिर्वित्रं कारितं ब्रह्माणगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीश्री ॥ ६७. ३९१. संवत् १५९८ वर्षे वै० शुदि ५ गुरौ श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयसा० मेघाभार्या मरचाई तत्सुतसा० इंदाभा० टांकूपुत्ररूपायुतया स्वश्रेयसे श्री आदिनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं सर्वसूरिभिः विधिना चिरं जीयात् ॥ श्री अजितनाथ जिनालय. For Private And Personal Use Only ३९२ संवत् १९९८ वर्षे वैशाखशुदि ५ गुरौ श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयमंत्रिजावडभार्याजीवादे तत्सुतसा० धनजी भा० कुंअरिनाम्न्या स्वश्रेयोऽर्य श्रीशांतिनाथर्विनं कारितं प्रतिष्ठितं सर्वसूरिभिः विधिना शुभं भवतु ॥ ३९३. सं० १५२३ वर्षे वै० व० ४ गुरौ श्रीआणंदग्रामवास्तव्यप्रा० ज्ञा० श्रे० कुजाभा० डाहीनाम्म्या पतिश्रेयसे श्रीअजितनाथवि का० प्र० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसुधानंदनसूरिश्री रत्नमंडनसूरिपरिव्राजैः || ३९४. सं० १९२२ फा० शु० १० दिने प्राग्वाटज्ञाति • Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नडीआद. w AAAAAAAAAMRAama श्रे० अर्जुनभा० तेजूपुत्रश्रे० नाभाकेन भा० चांदूपु० धनाभ्रातृ जकुझामतासुताभोलीप्रमुखकुटुंबयुतेन निजश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारितं प्र० तपागच्छेश्वरश्रीरत्नशेखरमूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसीहुजनामे ॥ ३९५. संवत् १५५९ वर्षे माधवदि ४.सोमे मृगपल्लीवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० वरदेभा० सुहागदेसुत देवदत्त अदा देवदत्तभा० देवलदेपु० सीधरलपु० सामलनरसिंगयुतेन स्वमातृश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीलब्धिसागरसूरिभिः ॥ ३९६. संवत् १५०६ वर्षे वैशाखशुदि ६ दिने श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० सरवणभार्याटीबूसुतहेमराजेन भा० मटकूसुतजीवा भादाकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीअजितनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीरस्न. शेखरसूरिभिः ॥ ३९७. संवत् १५६१ वर्षे फागणशुदि ११ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० ढोलाभा० माणिकदेसुतसा० गोविंदभार्यालाच्छीसु० सा. वस्ताभा० सोभागिणिसुतरायमल्लसा० वस्ताकेन श्रीअजितनाथबिंबं कारितं आत्मश्रेयसे प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीश्रीलब्धिसागरसूरिभिः ॥ ___ ३९८. संवत् १४७५ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० देवडमा० देवलदेसुतचांपाकेन आत्मश्रेयोऽयं श्रीपद्मप्रभबिंबं कारापितं आगमपक्षीयभ० श्रीअमरसिंहसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ३९९. संवत् १५२८ वर्षे चैत्रवदि १० गुरौ श्रीश्रीवंशे सो० मनाभार्यारांभूपुत्रसो० मांडणसुश्रावकेण भा० लहिकूपुत्रसो० नरपति सो० जीवा सो० राजा पौत्रवस्ताकीकासहितेन पुत्रवधूजसमादेपुण्यार्थं श्रीअंचलगच्छाधीश्वरश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाथवि का० प्र० संघेन ॥ For Private And Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - जैनप्रतिमालेखसंग्रह. women-- - ४००. संवत् १५१५ वर्षे फागुणशुदि ९ रखौ श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० फालु(!)मा० हरषूसुतदो० जगासुताझटकूनाम्न्या देवसीभार्यया आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीअनंतनाथवि कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीजिनरत्नसूरिभिः ॥ ४०१. सं० १५०९ वर्षे ज्येष्ठवदि ९ गुरौ ओसवालज्ञातीयमं० सारंगभार्याबा० संपूरी तयोः सुतमं० कुरसीभार्या कुतिगदे तत्सुतागदीनाम्न्या निनपितृमातृश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे गच्छनायकम० श्रीरत्नसिंहसुरिभिः चतुर्विंशतिबिंबपट्टः ॥ ४०२. संवत् १५६१ वर्षे वैशाखवदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयकाहानामा० उछीसुतकोईआभार्यालषाईश्रेयोऽथ श्रीवासुपूज्यचतुर्मुखबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीहेमविमलसूरिभिः नडीआदवास्तव्यः ॥ ४०३. विक्रमसं० १४९५ वर्षे माक(?)तज्ञातीयश्रा० टवक्कभ्रातृमं० महिपाभा० लषमादेभा० साणीपुत्रमं० बुटाकेन निजश्रेयोऽथ श्रीवर्धमानचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसूरिभिः ॥ ___४०४. सं० १५०८ वर्षे वै० शु० ५ वायडज्ञातीयनटीपद्धवासिदो० कर्मसीमा० कर्मादेसु० दो० जूठाकेन भा० माणिकदेभ्रा० शिवाभा० राजलदेपु० विरुआजेसिंगादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाबिंब का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिपट्टे श्रीमुनिसुंदरसूरिश्रीजयचंद्रसूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ ४०५. संवत् १६१५ वर्षे श्रीनटपद्रवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयमा० निणदाससुतसा० अमीपालभारजाबाईमोहणदेसुतमा० For Private And Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Go खेडा. रत्नपालसा० श्रीपाल श्रीशीतलनाथविनं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीविजयदेवसूरिभिः वैशाखशुदि ६ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०६. सं० १६६६ वर्षे फाल्गुनसितैकादश्यां शुक्रवासरे पुनर्वसु नक्षत्रे च नटपद्रवास्तव्य.. ******** ........न स्वश्रेयसे श्रीहीरविजयसूरीश्वर पादुका कारापिता प्रतिष्ठिता च श्रीतपागच्छे पातसाहिश्री अकब्बरप्रतिबोधदायकश्रीशत्रुजयादितीर्थकर मुक्तिकारक भट्टारक परंपरापोलोमीपोलोमीप्राणप्रियभट्टारक - श्रीहीर विजयसूरीश्वर पट्टोदयाचल शिखरसहस्रकिरणसमानपातसाहिश्रीअकब्बरप्रदत्तषड्जल्पस्फुरन्मानसंप्रतिविजयमानभ० श्रीविजयसेन सूरीश्वर शिष्य श्रीविजयदेवसूरिभिरिति श्रेयोऽस्तु ॥ *****D For Private And Personal Use Only · खेडा ( गूजरात ). रबारीवाडो, श्री शान्तिनाथ जिनालय. ४०७. संवत् १५१५ वर्षे फाल्गुनशुदि ८ शनौ गूजरवाडावास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिकडू आभार्यारूदी सुतगंगचप्रवरेण आत्मश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथादिपंचतीर्थी कारिता आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरसुगुरूपदेशेन प्रतिष्ठिता च ॥ परामा श्री आदिनाथ जिनालय. ४०८. सं० १५२० वर्षे मार्गशीर्षव० ५ गुरौ प्राग्वाटज्ञातिसा० दुदाभा० देवलदेपुत्रसा० हरभाकेन भा० देमतिपुत्रदेवदावटसूरादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथमूलनायकश्चतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० तपागच्छनायकश्रीश्रीश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः मंडपे || Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ७ ४०९. संवत् १५०९ वर्षे पौषवदि ५ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय पितृव्यसं० चेपणपितृव्यापूरीश्रेयोऽयं भ्रातृव्यभामाकेन श्रीसुपार्श्वनाथबिंबं कारितं श्रीपूर्णिमापक्षीयश्रीसाधुरत्नसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ ___४१०. सं० १५३४ वर्षे फा० शुदि १३ दिने श्रीगूर्जरज्ञा० साहूगोत्रे सा० सहसाभा० श्रा० मानूपुत्रसा० वीराकेन भा० श्रा० सुहामणिपुत्र श्रीराजसहितेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरिभिः ॥ ४११. सं० १६४२ वर्षे माघवदि १० गुरौ अहिमदावादवास्तव्यगूर्जरज्ञातीयवृद्धशाखायां दो० मंगलसुतभमजी श्रीवासुपूज्यस्य बिंब कारितं कर्मक्षयार्थ शुभं भवतु । बाईमाणिकदेसुतगवडश्रीमहिवलछन ॥ ___४१२. संवत् १५०७ वर्षे ज्येष्ठवदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० मलुसीमा० महगलदे पितृमातृलघुभ्रातृसमधरश्रेयसे सु० वाघाकेन भा० चाईसहितेन श्रीशांतिनाथमुख्यपंचतीर्थी कारिता श्री पूर्णिमापक्षे भ० गुणसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं । ४१३. सं० १५५२ वर्षे ज्येष्ठशुदि १३ बुधे प्राग्वाटज्ञातीय अंबाईगोत्रनाभक्तश्रे० वीढाभा० शाणीपु० पदागदादेवायतनिमित्तं पुण्यार्थ श्रीआदिनाथविवं कारापितं प्रतिष्ठितं पीपलश्रीदेवप्रभसूरिभिः ॥ ४१४. संवत् १९७३ वर्षे वैशाखशुदि ६ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० भूचाभा० भावलदेसु० मं० अर्जन मं० चाचल अर्जनभाविनादेपुतषेतापाताभ्यां आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीश्रीवासुपूज्यविवं कारापितं For Private And Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेडा. श्रीआगमगच्छे श्रीसोमरत्नसुरिगुरूपदेशेन प्रतिष्ठितं च विधिना चोटिलायवास्तव्यः ।। ४१५. सं० १५१८ वर्षे ज्येष्ठशुदि ६ बुधे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० घेताभार्या साधूसुतमदामा० माणिकदेसुतजीवा भ्रातृवालाकुटुंबयु. तेन श्रीसुमतिनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ४१६. संवत् १५३० वर्षे माधवदि २ शुक्रे गोवूवास्तव्य प्राग० श्रे० राणाभा० शाणीपु० नागाभा० रूडीपु० आसराज कुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीश्रेयांसबिंब कारापितं प्रति० तपा० श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ४१७. संवत् १५१८ ज्येष्ठवदि ९ शनौ खेडाहरीआलावास्तव्यउपकेशज्ञातीयलघुशाखीयश्रेष्ठिनरसिंघभार्यानामलदेपुत्रश्रेष्ठिसांगा. केन भार्यारणकूप्रमुखस्वकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथवि कारितं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीजयचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ४१८. सं० १५२५ वर्षे फा० शु० ७ नीमाज्ञा० दो० वाछाभा० करणपुत्रदो० महिराजेन भा० रंगीपुत्रपासादिकुटुंबयुतेन भ्रातृदो० सहजाश्रेयोऽर्थ श्रीवासुपूज्यबिवं का० प्रतिष्ठितं तपागच्छशश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ४१९. सं० १९६८ वर्षे वै० शु० ७ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लापासु० श्रे० नगाभा० मानूसु० २ श्रे० रंगा धर्मसी रंगाभा० लषमाईसु० अमरसी देवदास प्र• कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीसुमतिरत्नसूरीणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना मांडलिवास्तव्यः ।। For Private And Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. HAMAAR hinAMAANAMAnti ___४२०. सं. १५२३ वर्षे वैशाखबदि ७ रवौ सीहुंनवास्तव्य प्रा० ज्ञा० सा० नागाभा० धारूसुतसा० आसाभा० . दूसीसुतसा० आणंदेन भा० संपूरीभ्रातृगेलाभा० कलू श्रेष्ठिगणपतिप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रेयोऽथ श्रीविमलनाथवि का० प्र० तपागच्छेशश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रील. क्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ४२१. संवत् १६२८ वर्षे वैशाखशुदि ११ बुधे वृद्धशाखाया श्रीश्रीमालज्ञातीयसो० अमासुतसो० मेवाभार्याश्रीवाईसुतप० सहसवीर भार्या अमरादे द्वितीयभार्या वच्छाईसुतप० सूरजीप० अवनीकेनस्वपितृसहसवीरवचनप्रतिपालनाय प० सूरजी अवनीकेन पित्रिपुण्यार्थ स्वकुटुंबयुतेन श्रीअनंतनाथवि कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीहीरविजयसूरिभिः अहमदावादनगरे । ४२२. संवत् १५३३ वर्षे पौषवदि १० गुरौ उकेशवंशे दो० भाचामा० माईपुत्रदो० समधरेण भा० डाहीपुत्रसापापासादिकुटुंचयुतेन निनश्रेयसे श्रीविमलनाथबिंबं का० प्र० खरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरिभिः।। ४२३. संवत् १९३७ वर्षे वै० शु० १० उकेशसा० धाऊआमा० धर्मादे कउतिगदेपुत्रसा० मेवाकेन भा० नसाईपुत्रसा० सीधरभा० सीतादेप्रमुखकुटुंचयुतेन स्वश्रेयोऽथ श्रीसुविधिविध कारितं प्र० तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ४२४. संवत् १९०९ वर्षे मार्गसिरिसुदि ६ शनौ उकेशवंशे कादीगोत्रे कादासा० नेमणमा० श्रा० गरिनारीपुत्रका० सा० जीवाभा० सोनाई स्वपुण्यार्थ श्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसागरसूरिभिः ॥ शुभं भवतु ।। ४२५. सं० १५२७ ज्ये०व० प्राग्वाटज्ञातीयसं० मोकलमा० नाणीसुतसं० कर्मसिंहेन भा०रमकूपुत्रसं० घिरपालभार्यावाल्हीप्रमु 10 For Private And Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेडा. खकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीनमिनाथविध का० प्र० तपागच्छनायकश्री. लक्ष्मीसागरसूरिभिः कर्करानगरे ॥ ४२६. सं० १६२२ वर्षे पोसवदि १ खौ अहमदावादे वृद्धशाषीश्रीमालीसा० सदयवंतभार्यया हरषादेनाम्न्या स्वश्रेयोऽर्थ श्रीआदिनाथविवं कारितं तपापक्षे श्रीहीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ लांबीशेरी, श्रीमुनिसुव्रतस्वामिजिनालय, ४२७. संवत् १२२९ ज्येष्ठवदि ५ जसवंतकुटुंबसहित संडेरण । ४२८. सं. १५२१ वर्षे माघशु० १३ गुरौ प्राग्वाटश्र० सापलभा० आसूसुतदो० धीगाकेन भा० भरमासुतसधारणनाथातागादिकुटुंबयुतेन मातृश्रेयसे श्रीशीतलविवं का० प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टालंकारश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीअहम्मदावादे ॥ ४२९. सं० १३०९ वर्षे फागुणवदि ५ गुरौ व्य० आषडभार्यापूनिणिश्रेयोऽथ सुतआसदेवेन श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ शेउवाडो, श्रीशान्तिनाथजिनालय. ४३०. सं० १५१३ वर्षे फागुणवदि १२ सोमे जंबडगोत्रे चंदूमंताने सं० चैतापुत्रसं० सीरंगपुत्रैः भानासीदेउरानासे० श्रीपालवीरधवलारैयः निनमाताकोडीपुण्यार्थ श्रीपार्श्वनाथबि का० प्र० तपागच्छे श्रीहेमहसूरिभिः ॥ ४३१. संरत् १५८० वर्षे ज्येष्ठदि ९ गुरौ श्रीमालज्ञातीयसं० नारदभा० पहुतीसु० सं० जेठाकुरपालनीसलश्रीपालैः भार्यास For Private And Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमासंग्रह. दियुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीधर्मनाथचित्रं का० प्र० तपागच्छेशश्री हेमविम लसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४३२. संवत् १९४३ वर्षे वैशाखवदि १० शुक्रे श्रीमद्गूर्जरज्ञातीयमं० गोपालभ: • झाईसुत मं० संग्रामेण भा० रामतियुतेन श्रीसुविधिनाथ कारितं आगमगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ ० ४३३. सं० १६२४ वर्षे महाशुदि ६ सोमे नागुरमध्ये श्रीश्री ओसवालज्ञातीयसं० श्रीकणमा० अरघादेसं० अचलदासभा० अचरंगदे श्रीवासुपूज्यबिंब कारापितं श्रीतपागच्छे श्रीहीरविजयसूरिभिः ।। w ४३४. सं० १९२० वर्षे माघशुदि १ शुक्रे श्रीश्रीमालवंशे सो० मनामा० शंभूपु० सो० सामलभा० चांदूपुत्रसो० सिंहासुश्रावकेण मार्यावाल्ही वृद्धभ्रातृसो० वावा तत्पत्नी रामतिपुत्रतेजपालप्रमुखसमस्त कुटुंबसहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीगच्छनायक श्री जय के सरिसुरिगुरूपदेशेन श्रेयसे श्रीआदिनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः श्रीसंघेन प्रतिष्ठितः ॥ दormat टेकरी, श्रीपद्मप्रभजिनालय. ४३५. सं० १५०९ वर्षे महाशु० २ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातौ श्रे० जेसिंगभा० जसमादे द्वि० भा० झबूसुतवांदाकेन पि० मा० पितृव्यमेवा भ्रातृदेवा स्वपूर्वजश्रेयोऽर्थं श्रीश्रीधर्मनाथबिंबं का० प्र० श्रीपिपलगच्छे भ० श्रीसोमचंद्र पुरिपट्टे श्रीउदयदेवसूरिभिः ॥ ४३६. स्वस्तिश्री सं० १९१३ वर्षे वैशाखशुदि २ सोमे श्रीगुर्जरज्ञातीयमं० सुहडाभार्या बाईसुहड |दे तत्पुत्रमं० सारंगभा० सांतूपुत्रेण मं० वीरमनाम्ना भा० बाईगांगीसुत वस्ता तेजा हापा हंसराज पंचायण प्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीसुमतिनाथवित्रं कारितं श्रीवृह For Private And Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ७६ www.kobatirth.org रखे डा. तपागच्छे भ० श्रीविजयधर्मसूरिपट्टे भ० श्रीविजयरत्नसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीघोघावास्तव्यः ॥ ४३७. संवत् १९१९ वर्षे पोषवदि ५ शुक्रे उ० ज्ञा० कूकूलोलगोत्रे महं० गोपालपु० जावडभा० २ संपूरी जीवादेपु० अदाहरराज सोमाएतैः मं० जावडनिमित्तं पितृनिमित्तं श्रीआदिनाथवित्रं का० प्र० श्रीवृहद्गच्छे श्रीजयमंगलमूरिसं० श्रीकमलप्रभसूरिभिः शुभं भवतु ॥ 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री महावीर जिनालय. ४३८. संवत् ११०९ वर्षे ज्येष्ठशुदि ११ श्रीश्रीमालीयज्ञातीय सा० सीत्तलमा० सुहागदेपुं० जीदाकेन आ० श्रीधर्मनाथवि का ० प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीपद्मशेखरसूरिपट्टे श्रीविजयचंद्रसूरिपट्टे श्रीपदमाणोदयसूरिभिः ॥ ४३९. सं० १९४३ वर्षे फा० ६० ८ शनौ सीदरसावासि प्रा० सा० सोळाभा० रूडी पु० सा० मांजाभा० धरणूनाम्न्या प्रा (का) कीमा प्रमुख कुटुंबयुतया स्वश्रेयसे श्रीशीतलनाथविवं का० प्र० श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ४४० सं० १९३१ वर्षे वै० वदि १९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा ० व्य० घनाभा० भरमादेसु० व्य० जेसाभा० कपूरीसु० प० वस्ताकेन भा० गांगी सुतहर्षाभा० अजीप्र० समस्त कुटुंबयुतेन पितृमातृश्रेयसे श्रीशांतिनाथादिच० पू० श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुप० कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना | श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ जिनालय. ४४१. संवत् १९०७ वर्षे मात्रशुदि ११ बुधे श्रीश्रीमाल• For Private And Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. rammmmmmmmmmmwwwroom ज्ञातीयमं० गुंजाभा० वाछू भा० मचक मं० मेवाभा० षीमा मं० सालिगमा० सोमलदे एभिः मातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथेवि कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीपूर्णिमापक्षे भ० गुणसमुद्रसूरिभिः । वा० बालसासण ॥ ४४२. संवत् १६८३ ज्येष्ठशुदि ६ गुरौ श्रीश्रीमालीज्ञातीयपरीक्षसोनजीकेन श्रीचंद्रप्रभबिंब कारित प्रतिष्ठित संघेन श्रीअंचलगच्छे भ० श्रीकल्याणसागरसूरीणामुपदेशतः सा० पदमसीकारितप्रतिष्ठायां श्रीरस्तु॥ ४४३. सं० १५२० वर्षे वैशाखशु० ११ दिने ५ उकेशवंशे साशाखायां सा० सिवापु० सा० सद्धाभा० सुहागदेपुत्रसा० श्रीमल्लेन भा० पल्हाईप्रमुखानि पूजार्थ श्रीआदिनाथबिंब कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसुंदरसूरिपट्टे श्रीजिनहर्षसूरिभिः । अहमदावादवास्तव्यः ॥ ४४४. संवत् १५२३ वर्षे वैशाखशुदि १३ श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० नरपालसुतश्रे० जईताकेन भा० धनीसुतहीरसीहहर्षा प्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽथ श्रीधर्मनाथबिंब का० प्रति० श्रीविमलसूरिभिः वीजापुरनगरे ॥ __४४५. सं० १२२० ज्येष्ठवदि........सोमे सुनावलीकया महावीरः कारितः ॥ ४४६. संवत् १९७० वर्षे पौषवदि २ गुरौ श्रीअहम्मदावादनगरे श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० डूंगरभा० वीरूसुतसा० नरपतिमा० जीवणिसुतदो० लषासुश्रावकेण भा० धारीसु० सा० जावडसहितेन स्वपितुः कारितनीलमणिपार्श्वनाथप्रतिमायाः श्रीअंचलगच्छेशश्रीभावसागरसूरीणामुपदेशेन स्वपुण्यार्थं परिकरोऽकारि प्रतिष्ठितः श्रीसंघेन शुभं भवतु॥ For Private And Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेडा: ... ४४७. संवत् १६... वर्षे मासे पक्षे अहमदावादन गरे ओसवालज्ञातीयसाहहांसाभार्या हांसलदेपुत्रसा० श्रीपालेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथविं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीराजविजयसूरिभिरिति भद्रम् ॥ ४४८. संवत् १९७३ वर्षे वैशाखशुदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा • सं० हापाभा० मटकीनाभ्या सु० श्रीरंगभा० शिरीयादेसु० रायमल्लश्रीमल्लादिस्व कुटुंबयुतया स्वश्रेयसे श्रीश्रीविमलनाथादिपंचतीर्थी श्रीअंचलगच्छे श्रीसोमरत्नसूरिगुरूपदेशेन कारिता प्रतिष्ठिता च विधिना अहमदावादवास्तव्यः ॥ ४४९. सं० १९३१ वर्षे वैशाखवदि १९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० सा० गोआभा० भाऊसु० सा० साजणभा० मंदोअरिसु० सा० लटकणभा० साडूसु० साहश्रीराजेन भा० हीराईप्र० कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीअरनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः पूर्णिमापक्षे श्रीपुण्यरत्नसूणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना श्री अहमदावादवास्तव्यः ॥ ४५०. सं० ११०१ वर्षे वै० शु० ३ शनौ उकेशज्ञातीय तेलहरागोत्रे श्रे० पद्माभा० झटकूसुतश्रे० पूनाभा० हर्षूसंपूरीसुतहीराकेन भा० कपूरीभ्रातृधीराभा० पूरीसु० हादाडाहादिकुटुंबयुतेन स्वपितृश्रेयोनिमित्तं श्री अजितनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमुनिसुंदरसूरिभिः तपागच्छेशैः ॥ ४५१. संवत् १९२८ वर्षे माघशुदि १३ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० सा० लीबाभार्यारत्नू सुतसा० समराभार्या साधूसुतमेचाकेन भार्याजीविणिसुत असपतिभार्याहरषू द्वितीय सुतबडूयाभा० रमाईसुतहीरादिसमस्त कुटुंबयुतेन स्वश्रयसे श्रीशीतलनाथमुख्यचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिभिः श्रीरस्तु || For Private And Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह ७९ ४५२. संवत् १६२८ वर्षे वैशापशुदिशुक्लैकादशीबुधे सकलसंघेन बिवं कारितं श्रीतपागच्छाधिराजश्रीहीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठित।। ४५३. सं० १५९५ वर्षे माघवदि २ बुधे बाई करमाईनाम्नी श्रीपार्श्वनाथवि कारितं श्रीतपागच्छे श्रीआणंदविमलसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ___४५४. सं० १५४७ वर्षे माघशुदि १३ स्वौ श्रीमंडपे श्रीमालज्ञातीयसं० उदाभा० ह पु० सं०षीमामा० पूतीसं० नगसीभा० माकुपु० सं०गोल्हाभा० सामापु० सं० मेघापु०शाणी लघुभ्रातृ मं० राजाभा० सागूपु० सं० जावडभा० धनाईजीवादेसुहागदेसकूदेधनाईपु० सं०हीराभा० रमाई सं० लालादिकुटुंबयुतेन ४ बिंबकारापिता निजश्रेयसे श्रीनेमिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिश्रीलक्ष्मीसागरमूरिपट्टे श्रीश्रीसुमतिसागरसूरिभिः ॥ ४५५. सं० १५२१ वर्षे ज्येष्ठशुदि १० बुधे बंलगोत्रे सा० कर्मणपुत्ररेलणपुत्रडीडाभा० देल्हणीदेपुत्ररामाकेन पुत्रनरसिंहादियुतेन निजपितृडीडापुण्यार्थ श्रीविमलनाथबिंब का० प्र० कृष्णर्षिगच्छे श्रीनयचंद्रसूरिपट्टे श्रीनयसिंहसूरिभिः ॥ ४५६. संवत १५९६ वर्षे वैशाखमासे शुक्लपक्षे श्रीउकेशज्ञातीयसो० गोव्यंदभार्यागंगादेसुतसो० मेघाभार्या श्रा०माहलणदेसो० कीकाभार्याश्रा० धर्माईसो० मेघारूडासो० काहनायुतेन आत्मश्रेयोऽथ श्रीधर्मनाथविवं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छे श्रीविनयदानसूरिभिः ॥ ४५७. संवत् १५२८ वर्षे माघशुदि १३ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० म० राजाभार्याश्रमकूसुतया तथा सा० समराभार्यासाधूसुतसा० बहिवासमा पा० कुतिगदेनाम्न्या सुतसा९ पहिरानवदाप्रमुखकुटुं For Private And Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८० मातर. wammanormanormomorrowroommmmmmmine बयुतया स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथमुख्यचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिभिः श्रीअहम्मदावादनगरे ॥ ४५८. सं० १७०० वर्षे द्वि० चैत्रसित ८ गुरौ श्रीउमतावास्तव्य उकेशज्ञातीयदो० करमसीभार्या बाईकरमादेसुतदो० सोमजीनाम्ना श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छाधिरानभट्टारकश्रीश्रीविजयदेवसूरिभिः............मलकीपुरे...... मातर. श्रीमुमतिनाथ मुख्य बावनजिनालय. ४५९. सं० १३४० वर्षे वैशाखवदि १० शुक्रे श्रीमालपितृ० .....मातृसाहिणिश्रेयोऽयं सुत जालू...श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं ॥ ४६०. सं० १४११ व० ज्येष्ठशुदि १२ शनौ प्रा० ज्ञा० दो० लोलाभा० कुंरदे उभाभ्यां निमित्तं आकाहेन श्रीआदिनाथविक का० मदा(डा)हडीयश्रीमाणिक्यसूरिपट्टे प्र० श्रीमाणदेवापूरिभिः ।। ___ ४६१. सं० १४७७ व० वैशाख.......उपकेशज्ञातीय दो०. गोदाभा० गंगादेसु० साचानिमित्तं वेला सहसा रंगा सामत्त पांचाकेन श्रीमहावीरवि कारितं श्रीजीरापल्ली[य]गच्छे प्र० म० श्रीसालिभद्रसूरिभिः ॥ ___४६२. सं० १५११ वर्षे ज्येष्ठवदि १० सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० परबतभा० मरगदिसु० केल्हाकेन. भ्रातृजीदायुतेन For Private And Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. आत्मश्रेयोऽयं श्रीधर्मनायबिंबं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरीणामुपदेशेन का० प्रतिष्ठितं ॥ ४६३. सं० १४३५ माघवदि १२.......व्यव० डूंतालमा माल्हणदेपुत्रमरहणाकेन पित्रोः श्रे० श्रीसंभवनाथबिंब का० प्रति० मदहडीपश्रीउदयप्रभसूरिभिः ॥ ४६४. सं० १४९९ आ० शु० १० प्राग्वाटव्य० सांगणभा० सूदीसुतखेताकेन बाछाऽपरनाम्ना भा० कांऊपुत्रवस्तावावादियुतेन भ्रातृहकश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंब का० प्र० तपागच्छे श्रीमुनिसुंदरसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ४६५. सं० १४८३ वर्षे वैशाखशुदि ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० मेघाभार्यारामलदेसुतवयरसिंहेन भार्याकाऊं भ्रा. हाथिया गांगा कुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठित पूर्णिमापक्षे श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥ ४६६. सं० १५५४ वर्षे फागुणशुदि...श्रीप्राग्वाटज्ञातीय व्य० पेथडसंताने व्य० भूपति भा० साधूसुतापतूनाम्न्या भ्रातृसचवीर ढूंदादिकुटुंच्युतया स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथविवं श्रीआगमगच्छे श्रीविवेकरत्नसूरीणामुपदेशेन कारापितं प्रतिष्ठितं चेति ॥ ४६७. संवत् १५८१ वर्षे माघशुदि १३ रवौ श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयसा० रतनामा० धाकापु० सा० डाहीयामा० पदमाईसहितेन स्वपुण्यार्थ श्रीशांतिनाथबिंब श्रीअंचलगच्छे श्रीभावसागरसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ४६८. सं० १५२७ वर्षे वैशाखवदि १० भावसार स० करणा मा० राजूमुतनीवाभा० ...........तृश्रेयसे श्रीपद्मप्रभस्वामिबिंबं श्रीआगमगच्छेशश्रीदेवरत्नसूरींद्राणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ 11 For Private And Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org વર मातर. ४६९. सं० १९२३ वर्षे वैशाखशु० ३ प्राग्वाटज्ञा० सा० भोजाभा० हीरूपुत्र्या मानूनाम्न्या श्रे० नरसारपुत्र हीराभार्यया निनश्रेयोऽर्थं श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ऊंनरहटवास्तव्यः श्रीरस्तु || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७०. संवत् १४७६ वर्षे चैत्रवदि ९ खौ भावसारबडूयाभार्याबा० लाडकीसुतेन मा० हरदेवेन स्वश्रेयसे आगमगच्छे श्रीजयानंदसूरीणामुपदेशेन श्रीशांतिनाथादिपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता श्रीसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ४७१. संवत् १४६१ वर्षे ज्येष्ठशुदि १० शुक्रे उपकेशज्ञा • श्रे० सांगण भार्यासु हवदेपुत्रवणसीहेन सु० मेघासहितेन पितृपितृव्यराणानिमित्तं श्रीपार्श्वनाथर्बिनं का० प्र० काशह्रदगच्छे श्रीदेवचंद्रसूरिभिः ॥ ४७२. सं० १५०८ वर्षे वैशाखशुदि ९ सोमे ओसवंशे दुसाझगोत्रे सा० राउलपुत्रेण सा० वस्ताकेन स्वपुण्यार्थं श्रीअजितनाथ - बिंबं का० प्र० श्रीमलधारिश्रीगुणसुंदरसूरिभिः ॥ ४७३. .............. श्रीशांतिनाथ प्र० श्रीमदनसूरि ॥ ४७४. सं० १-२५ वर्षे वैशाखशुदि १०.... श्रीमालि० सारहणमा० ....रणह.... निमित्तं........ पंचतीर्थीनिनं प्र० उ० श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः ॥ .......... . ४७५. सं० १९२० वर्षे वैशाखवदि ५ दिने श्रीमालीयज्ञातौ लघुशाखायां मं० ऊदाभार्यावाऊंपु० मं० साईयाकेन भा० पूरीपुत्रमं० खेतावरूआसहितेन श्रीआदिनाथवित्रं कारि० श्रीउप० गच्छे कक्क० संताने प्र० श्रीकक्कसूरिभिः ॥ ४७६. संवत् १५४९ वर्षे कार्त्तिकशुदि १२ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा श्रे० देवाभा० धर्मिणि पु० गहियाकेन मा० सहितेन स्वमातृ For Private And Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मैनप्रतिमालेखसंग्रह पितानिमित्तं आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीनमिनाथविवं का० प्र० श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीशीलगुणसूरिभिः वढवाणवास्तव्यः || ४७७. सं० १३४५ वैशाखशुदि.... श्रीमालज्ञातीयश्रे ० क (म)हणसिंहेन भार्या........श्रेयोऽयं श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपासदेवसूरिभिः ॥ ४७८. सं० ११२५ वर्षे मार्गशिरशुदि १० शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीयमं० मांडणार्याआसूसुतसोलाकेन भार्यामाणिकदेपुत्रमचातेजादिसहितेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीशीतलनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः कौढरवग्रामे ॥ ४७९. सं० १९१९ वर्षे माघशुदि १ शुक्रे प्राग्वाटज्ञा ० परी० गाभार्यावाहूपुत्र हीराभा० हीरादे पितृमातृश्रेयोऽर्थ आत्मश्रेयसे श्रीमजितनाथबिंबं का ० प्रतिष्ठितं क्षीमा० पूर्णिमापक्षीयम० श्रीजयशेखरसूरीणामुपदेशेन श्रीसूरिभिः ॥ ४८०. सं० १५१६ वर्षे वै०व० १ उकेशव्य० वाछाभा० झनकूपुत्रव्य० देवराजेन भा० नगलदेपुत्र पासडलोकादिकुटुंबयुतेन श्रीनमिनाथर्बिनं का० प्र० ब्र० गच्छे श्रीसूरिभिः सीरोहीनगरे || ४८१. सं० १९४६ वर्षे मा० शु० ३ शनौ आशापलीय प्राग्वाटज्ञातीयदो • सापाभार्या गिरमू पुत्रीनाथीकया निजमातृश्रेयोऽर्थ श्री आदिनाथर्जिनं कारितं प्रतिष्ठितं श्रोसोम सुंदरसूरि संताने श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः॥ ४८२. सं० १५०५ वर्षे वैशाखशु०३ प्राग्वाटज्ञा० व्य ० नरसीमा० पूरीसुतसदाकेन मा० रूपिणिसुतहेमागणी आदिकुटुंब युतेन निजश्रेयोऽर्थं श्रीसंभवनाथर्बिवं कारितं प्र० तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरि : शिष्य श्रीजयचंद्रसूरिभिः || For Private And Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra بن www.kobatirth.org मातर. ४८३. सं० १४५९ वर्षे माघशुदि १२ खौ श्रीमालज्ञातीयठ० गोराभा० जयतिलदेपितृगोवलमातृललतादेभ्रातृसिंघा श्रेयोऽयं सूराकेन श्रीशांतिनाथपंचतीर्थी कारिता प्र० श्री पूर्णिमापक्षीयश्रीपासचंद्रसूरीणामु० ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८४. संवत् १५६१ वर्षे ज्येष्ठशुदि ९ दिने श्रीमालवंशे फोफलियागोत्रे सं० लाषाभार्यालीलादेपु० सं० जेसिंघमा० षीमाईनामन्या श्रीमुनिसुव्रतनिं कारितं प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे श्रीजिनहंससूरिभिः ॥ ४८५. सं० १९०१ वर्षे ज्येष्ठवदि १२ ओ० पीपाडा गोत्रे सा० सूमणपु० कमलभा० कील्हणदेपु० सा० केलाकेन श्रीधर्मनाथनिबं का० प्र० श्रीपल्लिकीयगच्छे श्रीशांतिसूरिपट्टे श्रीयशोदेवसूरिभिः ॥ ४८६. सं० १३७९ वर्षे फागणशु० ८ सोमे कापडवाणिज्ये श्रीगुर्जरज्ञातौ मातृजयतलदे विश्रयोऽर्थ ठ० साजणेन श्रीआदिनाथर्बिनं श्रीकमलप्रभसूरीणामुपदेशात् कारितं प्रतिष्ठितं च || ४८९. संवत् १ ४८७. सं० १५१९ वर्षे आसाढव० १ दिने श्रीमंत्रिदलीयश्रीभगाडगोत्रे ठ० चंदन भार्या सिंगारदेवीपुत्रठ० सं० नाथेन भार्यानामलदेव्यादिपरिवारसहितेन आत्मश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसागरसूरिपट्टे श्रीजिनसुंदरसूरिपट्टे श्रीजिनहर्षमूरिभिः ॥ ४८८. सं० १९०५ वर्षे प्राग्वाटसा० महणामा० भर्मीपुत्रसा० कूर्माकेन मा० गुरीकुतीपुत्रवस्ताहांसादियुतेन श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोमसुंदरसूरिप० श्रीजयचंद्रसूरिभिः पौष शु० १५ ॥ For Private And Personal Use Only **** *** **********............................ .......... णेन Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. पितृपा........ श्रेयोऽयं श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्रीवंकेधरमूरिशिष्यश्रीवीरप्रमसूरिशिष्यश्री पृथ्वीचंद्रसूरिभिः ॥ ४९०. संवत् १९९६ वर्षे वैशाखमासे शुक्लपक्षे ६ तिथौ सोमवासरे श्रीअहिम्मदाबादवास्तव्य श्रीउकेशज्ञातीयंसा० जीवाभार्थीकी बू सुतसा० सीवाकेन भार्यामांगयुतेन आत्मश्रेयोऽर्थ श्री आदिनाथ मि कारितं प्रतिष्ठितं तपोगच्छे श्रीविजयदानसूरिभिः ।। ४९१. सं० १९१३ वर्षे वैशाखव० २ सोमवारे श्रीश्रीमालज्ञां० दो० चांपाभा० पुनीपु० दो० धनाभा० जीविणिसु० सिवासीहादिकुटुंब युतेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीसंभवनाथविवं का० प्र० तपाश्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ ४९२. संवत् १९२२ वर्षे पौषशुदि १३ सोमे प्राग्वाटज्ञातीयश्रेष्ठिघनामार्यामेचूपुत्रबाछा केन मार्यासाधूपुत्रजीवराजसहितेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीवासुपूज्यर्जिनं कारितं द्विवंदनीगच्छे मट्टारक श्री सिद्धसूरिमिः प्रतिष्ठितं झालोडाप्रामे || ४९३. सं० १९१९ वर्षे आषाढशु० ७ गुरौ वीसलनगरवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० जेसा भार्यानीनू सुतसहिसा भूचराभ्यां अमकूगरीसुतवासादिकुटुंबयुतेन श्रीविमलनाथर्बिनं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्री उदयवल्लभसूरिभिः ॥ ४९४. संवत् १४५४ वर्षे माघशुदि अष्टमी शनौ श्रीमाल - ज्ञातीयव्य० लाषाभार्यालाषणदे तत्श्रेयोऽर्थं वाघासीहाकेन आदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीदेवप्रभसूरिभिः ॥ ४९१. संवत् १५१५ वर्षे माघशु० ७ गुरौ पोसीनासाबलीनिवासी ओसवालसं ० लाषामा० हर्षसु० सं० तिहुणाकेन भा० नीती For Private And Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मातर, AA भ्रातृषीमायुतेन श्रीसुपार्श्वनाथविवं का०प्र० खरतरगच्छे श्रीजिनमद्रसूरिभिः ॥ ४९६. सं० १४२४ वैशापशुदि २ बुधे प्राग्वाटज्ञा० पितृदेलामातृलाछिश्रेयोऽर्थ सुतनरदेवेन श्रीमहावीरवि कारितं श्रीनेमिचंद्रसूरिपट्टे श्रीदेवचंद्रसूरीणामुपदेशेन ॥ ४९७. सं० १६१७ वर्षे पौषवदि १ गुरौ अमदावादे आगमगच्छीयश्रीमालीसा० तेनामा० मल्हाईसुतहासामा० हर्षाईसुतहरपतिना भा० कोडमदेयुतेन श्रेयोऽर्थ श्रीसुविधिनाथवि कारितं प्रतिष्ठित तपागच्छे श्रीविजयदानसूरिमिः श्रीरस्तु ॥ ४९८. सं० १२७८ वर्षे श्रे० श्रा०....लसुतमहआम्हणेन स्वमातृमंदोदरिश्रेयसे श्रीमहावीरबिंब कारितं ॥ ४९९. सं० १५१६ वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ गुरौ श्रीमालज्ञा० वि० जगसीमा० जासलदेसुतशाणाभा० अमकू तया भर्तृश्रेयसे श्रीवासुपूज्यवि का० आगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरिगुरूपदेशेन प्रतिष्ठितं च ॥ ५००. सं० १४७१ वर्षे माघशु० ७ प्राग्वाटज्ञातीयव्य० सांगामार्या उमलपुत्रलींबाकेन स्वमातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनायबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छनायकश्रीदेवसुंदरसूरिशिष्यश्रीसोमसुंदरसूरिभिः।। ५०१. संवत् १५२७ वर्षे पौषवदि १ सोमे श्रीप्रा........ दाकेन भा० धाईसु० अमीपालसहितेन पितृनिमित्तं श्रीश्रीकुंथुनाथबिंब का० वृद्धतपापक्षे म० श्रीजिनरत्नसुरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ ५०२. सं० १४८४ वर्षे वै० शु० २ शनौ श्रीश्रीमालीमं० सिंहामा० सींगारदेसुतवाछाकेन भा० राजूसुतमहिराजजोगामुख्यकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुपार्श्वनाथबि श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकीर्तिसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ For Private And Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह AmarnamannamannanimumAAAAAAAAvain ~ ~ ~ maavanama - ५०३. संवत् १६४४ व० फा० शु० २ रवौ श्रीअमुदावादवास्तव्यश्रीश्रीमालीज्ञातीयसा० रहीयामा० बाईनाकसुतभीमामा० अजाईसुतसुश्रावकसा० नाकरमा० मकूसहितेन श्रीअंचलगच्छेशश्रीधर्ममूर्तिसुरीणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाथबि कारापितं श्रीसंघेन प्रतिष्ठितं स्वश्रेयोऽर्थ श्रीरस्तु ॥ ५०४. सं० १५२७ आषाढशुदि १० बुधे श्रीओएसवंशे मीठडीयाशाखायां सोनीमहुणसीभार्याकरमाईपुत्रसो० गोराभार्यारजाई पुत्रसोनीसकलचंदसुश्रावकेण वृद्धभ्रातृसूरचंदसहितेन पितुः पुण्यार्य श्रीअंचलगच्छे श्रीनयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीशीतलनाथबिंब का० प्र० श्रीसंघेन ॥ ५०५. संवत् १५८४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १३ श्रीश्रीमालिज्ञातौ श्रीआचवाडियागोत्रे मं० हर्षामार्याकीकीपुत्रमं० महिपालेन भार्याइंद्राणीपु० मं० चांपसीनाकरठाकुरपौत्रश्रीकरणधरणादिपरिवृतेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथवि कारित प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनहंससूरिपट्टे श्रीजिनमाणिक्यसूरिभिः ॥ ५०६. संवत् १९६१ वर्षे ज्ये० शुदि २ सोमे श्रीविमलनापचतुर्विशतिपट्टः प्रतिष्ठितः श्रीनिगमाविर्भावकश्रीइंद्रनंदिसूरिभिः कारितः श्रीश्रीमालीज्ञातीयदो० जुसामा० पूगीमुतपहिराजेन भार्यासोनाईयुतेन स्वश्रेयो) ॥ . ५०७. संवत् १५२५ वर्षे ज्येष्ठवदि १ शुक्रे हुंबडज्ञातीयजंगमलषमसीहभार्याफडूसुतजंगमदेल्हास्वसा लीलू एतया आत्मश्रेयसे श्रीश्रेयांसनाथस्य चतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः वृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरत्नसूरिभिः । हेमसुंदरगणिश्रेयसे भवतु पूजकस्य श्रीभवतु ॥ ५०८. सं० १४९२ वर्षे पौषवदि..शनौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे For Private And Personal Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मातर. NAVRAN armananewwwwwwwwwww साजपामा० सहजलदेसुतलीबाभार्यालाछलदेसुतदेवराजझांझण एताभ्यां पितृव्यलाषामूलागांगाकोकाश्रेयोर्थ तथा भ्रातृराजासहजासागरश्रेयोऽर्य श्रीविमलनाथचतुर्विशतिपट्टः का• प्र० ब्रह्माणगच्छे श्रीवीरसूरिभिः शुभं ५०९. संवत् १५३१ वर्षे माहवदि ८ सोमे प्राग्वाटज्ञातीय मंत्रिमंडलिकभार्याडाहीपुत्रवरसिंहभार्यावईजलदेयुतेन श्रीश्रेयांसनाथर्वि कारितं प्रतिष्ठितं द्विवंदनीकगच्छे भ० सिद्धसूरिभिः ॥ ५१०. सं० १५०६ माघे वीसलनगरे डीसावालज्ञातीयश्रे० वीकामा० मचकूपुज्या श्रे० समधरभार्यया कालीनाम्न्या श्रीश्रीश्रीमुनिसुव्रतबिंब का० प्र० तपाश्रीजयचंद्रसूरिभिः॥ ५११. सं.............. ............विवं कारितं प्र. नागेंद्रगच्छे श्रीपद्मचंद्रसूरिमिः ॥ - ५१२. सं० १३७० श्रे० चोद्भडिमार्या विजयसिरिपुत्रीताल्हास्वश्रेयसे श्रीमहावीर का० प्र० ब्रह्माणेशश्रीमदनप्रभसूरिपट्टे श्रीमद्रेश्वरसूरिमिः ॥ . ५१३. सं. ११०....................श्रेः। बिंब का० प्र० श्रीर्वानंदमूरिभिः ॥ ५१४. सं० १९१७ वर्षे मार्गशिर ७ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिमांडणमामाल्हणदेसुतमणोरसीमा-मांजूमुतनागाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीश्रेयांसनाथवि का० प्र० श्रीहारीजगच्छे श्रीमहेसरसूरिभिः सासषडावास्तव्यः ॥ - ५१५. संवत् १५१५ वर्षे माहशुदि १ शुक्रे श्रीश्रीमालीज्ञातीमं० मेवामा० माल्हामुतम० रत्लाभार्या तेजूसुतञ्चमरासीधर For Private And Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेख संग्रह. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८९ पुत्रसहितेन मातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीवासुपूज्यवित्रं कारितं वृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरत्नसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीशुभं ॥ ५१६. सं० १९४३ वर्षे वैशापत्र० १० शुक्रे गूर्जरज्ञा०म० गोपालमा० झाईसु० म० संग्रामभा० रामतिनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीशीतलनाथत्रिंवं कारापितं आगमगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं गंवारमंदिरे ॥ ५१७. संवत् १९२८ वर्षे पौषवदि ५ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० देवाभा० देऊसुतगणीयानीसलेन स्वपितृव्यसनाभ्रातृषेाझीथानिमित्तं श्रीनमिनाथविं कारापितं प्र० अं अच्छे श्रीजय के परिसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ५१८. संवत् १३४६ ( ? ) ............. .श्रीपार्श्वनाथविं कारितं प्र० श्रीलितदेवसूरीणामुपदेशेन ब्रह्माण....सूरिभिः । ......... ५१९. सं० १३७१ वर्षे मात्रशुदि १४ सोमे पितृसूमदेवपितृव्यतेजपाल पितामही रतनसिरि तथा मातृमेषू एतेषां श्रेयसे सुतमूलूधनपालपूनप्रभृति श्रीशांतिनाथर्बिवं कारितं प्र० मलधारिश्रीतिलकसूरिभिः ॥ ५२०. संवत् १२७९ मात्रादि २ गुरौ मातृठ० सुहागदेविश्रेयोऽर्थी परीक्षजयताकेन श्रीपार्श्वनाथ त्रिं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीचंद्रगच्छीयश्रीश्री चंद्रसूरिभिः || For Private And Personal Use Only ५२१. सं० १३८६ वैशाखवदि १० सोमे व्य० तेनपालभार्या... देविपुत्र आवडेन मातृश्रेयसे श्री आदिनाथबिंबं का० प्र० श्री सूरिभिः || ५२२. सं० १४८० वर्षे वैशाखव० ७ शुक्रे प्राग्वाटज्ञा • 12 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मातर. महं. पूनाभार्या पूरी सुतपाल्हाकेन मातृपितृत्रेयोऽर्थं श्रीसंभवनाथ कारि० प्र० श्रीगुणाकरसूरिभिः || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२३. सं० १....१ कार्त्तिकवदि ४ शनौ श्रीमालज्ञातिपितृलोलाथेयोऽर्थं मातृवीसलदे विपूजार्थ सुतजगाकेन श्रीशांतिनाथचिंचं कारितं ॥ ५२४. सं० १४४६ वर्षे वैशाखवदि .... उपकेशज्ञातीयव्य • छाडाभार्या किल्हणदे पितृमातुश्रेयसे सुतमेघासिंत्राभ्यां श्री आदिनाथत्रिं का० श्रीपू० श्रीदेवचंद्रसूरिप० श्रीपासचंद्रसूरि उपदेशेन ॥ ५२५. संवत् १५३१ वर्षे ज्ये० शु० २ खौ नागरज्ञातीय वृ० सं० त्रिचीयाणागोत्रे पा० हापाभार्याराजूसुत भला गोपालाभ्यां कुटुंब ताभ्यां मातृश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरिभिः वद्धनगरे ॥ ५२६. सं० १४३८ वर्षे ज्येष्ठव ० ४ शनौ प्राग्वाट० व्य ० मोषट भा० सोमलदेपु० झांझणेन पित्रोः श्रेयसे श्रीधर्मनाथर्बित्र का० प्र० श्री गुणसागरसूरिपट्टे श्रीमलय चंद्रसूरीणामुपदेशेन || ५२७. सं० १४(१) २६ वर्षे वैशाखशुदि १० खौ श्रीमालज्ञा • .... नाथबिंबं कारितं श्रीकमलचंद्रसूरीणा ........ मुपदेशेन ॥ १२८. संवत् १४१५ ज्येष्ठवदि १३ वायडज्ञा० पितृमंडलिक मातृमाल्हणदेश्रेयसे सुतवाघाकेन श्रीपार्श्वनाथवित्रं कारितं प्र० श्रीरासिलसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेख संग्रह. श्रीस्तंभतीर्थ ( खंभात ). श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालयप्रशस्तिः । ॥ ६० ॥ ॐ ॥ १२९. श्रेयः संततिधामका मितमनः कामद्रुमांभोवरः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पार्श्वः प्रीतिपयोजिनीदिनमणिश्चितामणिः पातु वः । ज्योतिः पंक्तिरिवाब्जिनीप्रणयिनं पद्मोत्करोल्लासिनं संपत्तिर्न जहाति यच्चरणयोः सेवां सुनन्तं जनं ॥ १ ॥ श्री सिद्धार्थ नरेशवंश सर सीजन्माब्जिनीवल्लभः पायाद्वः परमप्रभावभवनं श्रीवर्द्धमानप्रभुः । उत्पत्तिस्थितिसंहृतिप्रकृतिवाग् यद्गीर्जगत्पावनी स्वर्वापीव महात्रतिप्रणयभूरासीद् रसोल्लासिनी ॥ २ ॥ आर्सद्वासवृंद वंदित पदद्वंद्वः पदं संपदां तत्पट्टांबु चिचंद्रमा गणधरः श्रीमान् सुधर्माभिधः | यस्यौदार्ययुता प्रहृष्टसुमना अद्यापि विद्यावती संततिरुन्नतिं भगवतो वीरप्रभोगौरिव ॥ ३ ॥ बभूवुः क्रमतस्तत्र श्रीजगच्चंद्रसूरयः । पारुले बाणसिद्ध्यर्क १२८५वत्सरे ॥ ४ ॥ क्रमेणास्मिन् गणे हेमविमलाः सूरयोऽभवन् । तरपट्टे सुरयोऽभूवन्नानन्दविमलाभिधाः || ९ || साध्वाचारविधिपथः शिथिलतः सम्यश्रियां धाम यैरुदधे स्तनसिद्धिसायकसुधारोचिमिते १९८२ वत्सरे । For Private And Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. जीमूतैरिव थैर्जगत्पुनरिदं तापं हरद्भिभृशं सश्रीकं विदधे गवां शुचितमैः स्तोमै रसोल्लामिभिः ॥६॥ पद्माश्रयैरलमलंक्रियते स्म तेषां प्रीणन्मनांसि जगतां कमलोदयेन । पट्टः प्रवाह इव निजरनिर्झरिण्या: शुद्धात्मभिर्विजयदानमुनीशहंसः ॥ ७ ॥ तत्पट्टपूर्वपर्वतपयोजिनीप्राणवल्लभप्रतिमाः। श्रीहीरविजयसूरिप्रभवः श्रीधाम शोभते ।। ८ ।। ये श्रीफतेपुरं प्राप्ताः श्रीअकबरशाहिना । आहूता वत्सरे नंदानल शशिभृ१६३९ मिते ॥ ९ ॥ निजाशेषेषु देशेषु शाहिना तेन घोषितः । पाण्मासिको यदुक्त्योचैरमारिपटह: पटुः ॥ १० ॥ स श्रीशाहिः स्वकीयेषु मंडलेप्वखिलेप्वपि । मृतस्वं जीजिआख्यं च करं यद्वचनै हौ ।। ११ ॥ दुस्त्यनं तत्करं हित्वा तीर्थ शत्रुजयाभिधं । जनसाद्यगिरा चक्रे माशक्रेणामुना पुनः ॥ १२ ॥ ऋषी( षि )श्रीमेवनीमुख्या टुंपाकामतमात्मनः । हित्वा यच्चरणद्वंद्वं भेजुर्भूगा इवांबुजं ॥ १३ ॥ तत्पट्टमब्धिमिव रम्यतमं सृनंतः स्तोमैर्गवां सकलसंतमसं हरंतः । कामोल्लसत्कुवलयप्रणया जयंति स्फूर्जकला विजयसेनमुनींद्रचंद्राः ॥ १४ ॥ यत्प्रतापस्य माहात्म्यं वर्ण्यते किमतः परं । अस्वप्नाश्चक्रिरे येन जीवंतोऽपि हि वादिनः ॥ १५ ॥ For Private And Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. mer सुंदरादरमाहूतैः श्रीअकबरभूभुना । द्राग् यैरलंकृतं लाभपुरं पद्ममिवालिभिः ॥ १६ ॥ श्रीभकब्बरभूपस्य सभासीमंतिनीहृदि । यत्कीतिमौक्तिकीभूता वादिवृंदजयाब्धिजा ॥ १७ ॥ श्रीहीरविजयाह्वानसूरीणां शाहिना पुरा । अमारिमुख्यं यद्दत्तं यत्सात्तत्सकलं कृतं ॥ १८ ॥ अर्हतं परमेश्वरत्वकलितं संस्थाप्य विश्वोत्तम साक्षात् शाहिअकब्बरस्य सदसि स्तोमैर्गवामुद्यतैः । यैः संमीलितलोचना विदधिरे प्रत्यक्षशूरैः श्रिया वादोन्मादभृतो द्विजातिपतयो भट्टा निशाटा इव ॥ १९ ॥ सैरभी सौरभेयी च सौरभेयश्च सैरभः। न हंतव्या न च ग्राह्या बंदिनः केऽपि कर्हिचित् ।। २० ॥ येषामेष विशेषोक्तिविलासः शाहिनामुना । ग्रीष्मतप्तभुवेवाब्दपयःपूरः प्रतिश्रुतः ॥ २१ ॥ युग्मम् ॥ जित्वा विप्रान् पुरः शाहेः कैलास इव मूर्तिमान् । यैरुदीच्यां यशःस्तंभ: स्वो निचख्ने सुधोज्ज्वलः ॥ २२ ॥ इतश्चउच्चैरुच्छलिताभिरूमिततिभिर्वारांनिधेबंधुरे. __ श्रीगंधारपुरे पुरंदरपुरप्रख्ये श्रिया सुंदरे । श्रीश्रीमालिकुले शशांकविमले पुण्यात्मनामग्रणी रासीदाल्हणसी परीक्षकमणिनित्यास्पदं संपदा ॥ २३ ॥ आसीदेल्हणसीति तस्य तनुनो जज्ञे धनस्तत्सुतस्तस्योदारमनाः सनामुहलसीसंज्ञोऽभवन्नंदनः । For Private And Personal Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. -rum...... ... तस्याभूत् समराभिधश्च तनयस्तस्यापि पुत्रोऽर्जुन स्तस्यासीत्तनयो नयोजितमतिर्मीमाभिधानः सुधीः॥२४॥ लालूरित्यजनिष्ट तस्य गृहिणी पद्मेव पद्मापते रिभ्योऽभूत्तनयोऽनयोश्च जसिआसंज्ञः सुपर्वप्रियः । पौलोमीसुरराजयोरिव जयः पित्रोर्मनःप्रीतिकृद् विष्णोः सिंधुसुतेव तस्य जसमादेवीति भार्याऽभवत् ॥२५॥ सद्धर्म सृजतोस्तयोः प्रतिदिनं पुत्रावभूतामुभा___ वस्त्येको वजिआभिधः सदभिधोऽन्यो राजिआह्वः सुधीः । पित्रोः प्रेमपरायणौ सुमनसां वृंदेषु वृंदारको शर्वाणीस्मरवैरिणोरिव महासेनैकदंताविमौ ॥ २६ ॥ आद्यस्य विमलादेवी देवीव सुभगाकृतिः । परस्य कमलादेवी कमलेव मनोहरा ॥ २७ ॥ इत्यभूतामुभे भार्ये द्वयोधवयोस्तयोः । ज्यायसो मेघजीत्यासीत् सूनुः कामो हरेरिव ॥२८॥ युग्मम् ॥ सुस्निग्धौ मधुमन्मथाविव मिथो दस्राविव प्रोल्लसद् रूपौ ख्यातिभृतौ धनाधिपसतीनाथाविव प्रत्यहं । अन्येद्युतहदिभ्यसभ्यसुभगं श्रीस्तंभतीर्थ पुरं प्राप्तौ पुण्यपरंपराप्रणयिनौ तौ द्वावपि भ्रातरौ ॥ २९ ॥ तत्र तौ धर्मकर्माणि कुर्वाणौ स्वमुनार्जितां । श्रियं फलवतीं कृत्वा प्रसिद्धि प्रापतुः परां ॥ ३० ॥ काबिल्लदिपतिरकबरसार्वभौमः स्वामी पुनः परतकालनृपः पयोधेः । For Private And Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ARANAanana.. कामं तयोरपि पुरः प्रथिताविमौ स्त स्तत्तद्दिशोरसदृशोरनयोः प्रसिद्धिः ॥ ३१ ॥ तेषां च हीरविजयतिसिंधुराणां तेषां पुनर्विनयसेनानीश्वराणां । वाग्भिर्मुधाकृतसुधाभिरिपौ सहोदरौ ___ दाग द्वावपि प्रमुदितौ सुकृते बभवतुः ॥ ३२ ॥ श्रीपार्श्वनाथस्य च वर्द्धमान-- प्रभोः प्रतिष्ठां जगतामभिष्टा घनधनैः कारयतः स्म बधू तौ वाद्धिपाथोधिकलामितेऽब्दे १६४४ ॥ ३३ ॥ श्रीविजयसेनसूरिनिर्ममे निर्ममेश्वरः । इमां प्रतिष्ठां श्रीसंघकैरवाकरकौमुदीं ॥ ३४ ॥ चिंतामणेरिवात्ययं चिंतितार्थविधायिनः । नामास्य पार्श्वनाथस्य श्रीचिंतामणिरित्यभूत् ॥ ३६ ॥ अंगुलैरेकचत्वारिंशता चिंतामणेः प्रभोः । संमिता शोभते मूत्तिरेषा शेषाहिसेविता ॥ १६ ॥ सदैव विध्यापयितुं प्रचंड___ भयप्रदीपानिव सप्तसपर्पान् । योऽवस्थितः सप्त फणान् दधानो विभाति चिंतामणिपार्श्वनाथः ॥ ३७ ॥ लोकेषु सप्तस्वपि सुप्रकाशं किं दीप्रदीपा युगपद्विधातुं । रेजुः फणाः सप्त यदीयमूर्ध्नि मणिविषा ध्वस्ततमःसमूहाः ॥ ३८ ॥ For Private And Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. - सहोदराभ्यां सुकृतादराभ्या माभ्यामिदं दत्तबहुप्रमोदं । व्यधायि चिंतामणिपार्श्वचैत्य___ मपत्यमुर्वीधरभित्सभायाः ॥ ३९ ॥ निकामं कामितं कामं दत्ते कल्पलतेव यत् । चैत्यं कामदनामैतत् सुचिरं श्रियमश्नुतां ।। ४० ॥ उत्तंभा द्वादश स्तंभा भांति यत्राहतो गृहे । प्रभूपास्त्यै किमभ्येयुः स्तंभरूपभृतोऽशवः ॥ ४१ ।। यत्र प्रदत्तदृक्शैत्ये चैत्ये द्वाराणि भांति घट । १ण्णां प्राणभृतां रक्षार्थिनां मार्गा इवागतेः ॥ ४२ ॥ शोभते देवकुलिकाः सप्त चैत्येऽत्र शोभनाः । सप्तर्षीणां प्रभूपास्त्यै सद्विमाना इवेयुषां ॥ ४३ ॥ द्वौ द्वारपालौ यत्रोचैः शोभेते जिनवेश्मनि । सौधर्मेशानयोः पार्श्वसेवार्थ किमिती पती ॥ ४४ ॥ पंचविंशतिरुत्तुंगा भांति मंगलमूर्तयः । प्रभुपाचँ स्थिताः पंचत्रतानां भावना इव ॥ ४५ ॥ भृशं भूमिगृहं भाति यत्र चैत्ये महत्तरं । किं चैत्यश्रीदिदृक्षार्थमितं भवनमासुरं ॥ ४६ ॥ यत्र भूमिगृहे भाति सौपानी पंचविंशतिः । मार्गालिरिव दुरितक्रियातिक्रांतिहेतवे ॥ ४७ ।। संमुखो भाति सोपानोत्तारद्वारि द्विपाननः । अंतः प्रविशतां विघ्नविध्वंसाय किमीयिवान् ॥ ४८ ॥ यद् भाति दशहस्तोचं चतुरस्रं महीगृहं । दशदिकसंपदां स्वैरोपवेशायेव मंडपः ॥ ४९ ॥ For Private And Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 13 www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेख संग्रह. षड्विंशतिर्विबुधवृंद वितीर्णहर्षा राजेति देवकुलिका इह भूमिधानि । आद्यद्वितीयदिवनाथरवींदुदेव्यः श्रीवाग्यता: प्रभुनमस्कृतये किमेताः ॥ ५० ॥ द्वाराणि सुप्रपंचानि पंच भांतीह भूगृहे । जिघत्सव होहरिणान् धर्मसिंहमुखा इव ॥ ११ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वौ द्वास्थौ द्वारदेशस्थौ राजतो भूमिधामनि । मूर्तिमंतौ चमरेंद्रवरणेद्राविव स्थितौ ॥ १२ ॥ चत्वारश्यमरवरा राजते यत्र भूगृहे । प्रमुपार्श्वे समायाता धर्मास्यागादयः किमु ॥ ५३ ॥ भाति भूमिगृहे मूलगर्भागारेऽतिसुंदरे । मूर्तिरादिप्रभोः सप्तत्रिंशदंगुलसंमिता ॥ ९४ ॥ श्रीवीरस्य त्रयत्रिंशदंगुला मूर्तिरुत्तमा । श्रीशांतेश्च सप्तविंशत्यंगुला भाति भूगृहे ॥ ५५ ॥ यत्रोद्धता धराधाम्नि शोभते दश दंतिनः । युगपज्जिनसेवायै दिशामीशा इवाययुः ॥ १६ ॥ यत्र भूमिगृहे भांति स्पष्टष्ट मृगारयः । भक्तिभाजामष्टकर्म्मगजान् हंतुमिवोत्सुकाः ॥ ५७ ॥ श्रीस्तंभतीर्थपूर्भूमिभामिनी मालभूषणं । चैत्यं चितामणेर्वीक्ष्य विस्मयः कस्य नाभवत् ॥ १८ ॥ एतौ नितांतमतनुं तनुतः प्रकाशं यावत् स्वयं सुमनसां पथि पुष्पदंतौ । For Private And Personal Use Only ९७ Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. ANAVAJMAAVVNAAVANVAJANAVAVALAAAANA AAAAAAAAAAAAAAAAVANAVAAAAAVANAVAANAAN - - श्रीस्तंभतीर्थधरणीरमणीललाम तावच्चिरं जयति चैत्यमिदं मनोज्ञं ॥ ५९॥ श्रीलाभविजयपंडिततिलकैः समशोधि बुद्धिधनधुर्थः । लिखिता च कीर्तिविजयाभिधेन गुरुबांधवेन मुदा ॥ १० ॥ वणिनीव गुणाकीर्णा सदलंकृतिवृत्तिभाग् । एषा प्रशस्तिरुत्कीर्णा श्रीधरेण सुशिल्पिना ॥ ६१ ॥ श्रीकमलविजयकोविदशिशुना विबुधेन हेमविनयेन । रचिता प्रशस्तिरेषा कनीव सदलंकृतिजयति ॥ ३२ ॥ इति परीक्षकप्रधानप० बजिआप० राजिनामसहोदरनिर्मापितश्रीचिंतामणिपार्श्वजिनपुंगवप्रासादप्रशस्तिः संपूर्णा । भद्रं भूयात् ॥ ___ ॐ नमः । श्रीमद्विक्रमनृपातीतसंवत् १६४४ वर्षे प्रवर्त्तमानशाके १५०९ गंधारीयप० जसिआ तद्भार्या जसमादे संप्रति श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यतत्पुत्रप० वजिआप० राजिआभ्यां वृद्धभ्रातृभार्या विमलादे लघुभ्र तृभार्या कमलादे वृद्धभ्रातृपुत्रमेघनी तद्भार्या मयगलदेप्रमुखनिजपरिवारयुताभ्यां श्रीचिंतामणिपार्श्वनाथश्रीमहावीरप्रतिष्ठा कारिता श्रीचिंतामणिपार्श्वचैत्यं च कारितं । कृता च प्रतिष्ठा सकलमंडलाखंडलशाहिश्रीअकबरसन्मानितश्रीहीरविजयसूरीशपट्टालंकारहारसदृशैः शाहिश्रीअकबरपर्षदि प्राप्तवर्णवादैः श्रीविजयसेनसूरिभिः ।। श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालयना लेखो. ५३०. सं० १५०९ वर्षे मार्गशीर्षशुदि ६ दिने उकेशवंशे श्रे० सीहाभार्यासलपुत्रेण श्रेष्ठिमहिराजेन निजमातृपुण्यार्थ श्रीसुमतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टेशश्रीजिनभद्रसूरियुगप्रवरागमैः ॥ For Private And Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह AAVANAVAN ५३१. सं० १३८० वर्षे माहशुदि ६ सोमे श्रीउपकेशगच्छे वेसटगोने सा० गोसलाव्य० जेसंगमा० आसधरश्रे० भ्रातृसंघ० श्रा० देसल तत्पुत्रसा० सहजपालसा० साहणसा० समरसिंहपितुव्यसा• लुणा तत्पुत्रसा० सागतसांगणप्रमुखैश्चनुर्विंशतिपट्टः का० प्र० श्रीकदाचार्यसं० श्रीककसूरिभिः ॥ ५३२. सं० १४१० वर्षे माधवदि ६ बुधे...........मरसीहेन स्वपितुः सा०............थं श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपद(?)ममूरिसंताने श्रीराजगच्छे श्रीहरिभद्रसूरिभिः ॥ ५३३. सं. १५२२ वर्षे फागणशुदि ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० हलामा० रंगाईसु०सा० सदासा० वस्तासा० मदनाख्या सा० सदाभा० धर्माईनाम्न्या सु० मलादिकुटुंबयुतया स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंब का० प्र० श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुपदेशेन प्र० विधिना श्रीस्तंभतीर्थे ॥ ५३४. सं. १९६८ वर्षे ज्येष्ठवदि ८ रवौ उपकेशज्ञातौ चीचटगोत्रे देसलशाखायां सा० सूरपालभा० रामतिपु० सा० सधारणेन भा० पदमाईपु० सहसकिरणसमरसीसहितेन बाईपारबतीपुण्यार्थं श्रीमरनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीउपकेशगच्छे भ० श्रीदेवगुप्तसूरिपट्टे भ० श्रीसिद्धसूरिभिः ॥ ५३५. संवत् १५१७ वर्षे फागणशुदि ३ शुक्रे श्रीभावडह(र) गच्छे श्रीश्रीमालीयज्ञातीयमं० हांसाभा० हीराईपु० निणदत्तदेवसीह स्वकुटुंबेन निनपूर्वजनिमित्तं स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथविध कारितं प्रति. श्रीकालिकाचार्यसंतानीयश्रीमावदेवसूरिभिः स्तंभतीर्थे । ५३६. सं० १४९५ वर्षे माधवदि ८ शनौ श्रीश्रीमालजातीय, For Private And Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०० 'खभात. श्रे० घेतामा० घेतलदेसु० पांचाकेन पितृमातृभ्रातृपासापरबतघूलाश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथबिंब का० प्र० श्रीपिप्पलगच्छे श्रीश्रीउदयदेवसूरिभिः ॥ ५३७. संवत् १९०७ वर्षे माघशु० १३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० जाल्हाभार्या वाऊनाम्न्या तया भर्तुः श्रेयसे श्रीश्रेयांसनाथवि आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरिगुरूणामुपदेशेन कारित प्रतिष्ठितं कारीयाणीवास्तव्यः ॥ ५३८. सं० १९१३ वर्षे माधवदि २ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय गां० देवराजमा० देवलदेसु० गां० गहिगाकेन मा० गुरदेसु० युगपालसहितेन पितृमातृश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंब का०प्र० तपागच्छे श्रीरत्नसिंहसूरिभिः रजोडाग्रामे ॥ ५३९. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीगंधारवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयवृद्धशाखायां परी० जसीआमा० जसमदेसु० परी० राजीआभा० ललनादेकारितं श्रीसुमतिनाथबिंब प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छाधिराजजगद्गुरुबिरुदधारिविजयमानश्रीश्रीहीरविजयसूरिपद्यालंकारश्रीविनयसेनसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ५४०. सं० १५१९ वर्षे वैशाखवदि ११ शुक्रे ओसवालज्ञातीयसं० चापापु० सं० सारंगपु० सं० आसधरभा० वीरूपु० संघवी गाइआमार्याबाईमाणिकदेव्या श्रीसुविधिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठित श्रीसंडेरगच्छे भ० श्रीशांतिसूरिपट्टे श्रीश्रीईश्वरसूरिभिः ॥ ५४१. सं० १४२२ वैशाखसु. ११ बुधे श्रीउपकेशग.... .....................प्र. श्रीककुदाचार्यसंताने श्रीदेवगुप्तसूरिभिः ॥ ५४२. सं० १५२५ वर्षे आसाढशुदि....आणंदग्रामवासिवायडज्ञातिने गोवलमा० माल्हणदे कउतिगदे पुत्र देवदासपुत्रजना हरषा For Private And Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह रत्ना। हरदासभ्रातृमहिराजेन भा० वल्हादेभ्रातृसागा पुत्री सोहीगोई कुटुंबयुतेन निनश्रेयसे श्रीपद्मप्रभविंबं का० प्र० श्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ५४३. सं० १३९६ ज्येष्ठवदि ८ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठिमहिपाल श्रे० लावूश्रेयोऽर्थ श्रे०....हनागसीहाभ्यां श्रीश्रीपार्थनाथबिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ।। ५४४. संवत् १६१२ वर्षे वैशाखशु० बीनिदिने श्रीजंबुसरग्रामे श्रीप्राग्वाटज्ञातीयवृद्धराजनै बाई दूना तस्य सुताबा० चंगाईपुत्रवु० वेगडकारितं श्रीचंद्रप्रभबिंब श्रीविजयदानसूरिप्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ ५४५. संवत् १६६६ वर्षे....शु० ५ सोमे श्रीस्तंभतीर्थवासि मं० मूलाभा० मणकाईसु० मं० विद्याधरभार्या न्य. राजामा० नाथीपुत्री पूराई तया सु० मंका मं० नारसिंघ मं० श्रीदत्तप्रमुखकुटुंबसहितया स्वमातृश्रेयोऽथ श्रीअजितनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृ०शाखायां भ० श्रीपूज्यश्रीधर्मरत्नसूरिभिः ॥ - ५४६. संवत् १६४३ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ सोमे श्रीवटपद्रवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० गोराभार्या जमनादेसुतसा० वस्ताभार्या विमलादेसुतसा० पंचायणनाम्ना पुत्रदेवाप्रमुखस्वकुटुंबयुतेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारापितं श्रीमत्तपागच्छाधिराजजगद्गुरुभट्टारकप्रभुश्रीश्रीहीरविजयसूरि आचार्यश्रीविजयसेनमूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ५४७. सं० १२५८ ज्येष्ठशुदि ९ ठ० जोलाकेन पितृठ० वीजडश्रेयोऽयं श्रीनेमिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीदेवप्रभसूरिभिः ॥ ५४८. सं० १३०७ वर्षे वैशाखवदि ११ नाहरगोत्रे सा० जगपालमा० जयतलदेविपुत्रवीकमभार्या विजयदेविपुत्रहरपाल ...............खणसी.................सुत डासागण.......ख्याकैः For Private And Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १०२ www.kobatirth.org खंभात. पितृमातृश्रे० श्रीआदिनाथ[:]कारितः प्र० श्रीधर्मघोषसूरिपट्टे श्रीअमरचंद्रसूरिशिष्य श्रीज्ञानचंद्रसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४९. सं० १३०९ वर्षे चैत्रवदि ५ गुरू थारापद्रीयगच्छे श्रे० चावाभार्यापद्मलश्रेयसे बिंबं का० प्र० श्रीमदनचंद्रसूरिभिः ॥ १५०. सं० १९०३ वर्षे माघशुदि ६ गुरौ श्रीसंडेरगच्छे श्रीयशोभद्रसूरि संताने हु० ० पदमप० लीबाभा० लीलादे प.... सातामा० जसमाई प० रयणीयरभा० श्रीकरणन्या सापानिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथर्बिवं का० प्र० श्रीशांतिसूरिभिः || श्रीगूर्जर ५५१. सं० १३८७ वर्षे माहशुदि १० ज्ञातीयठ० दुबासुतठ० वरणिगेन पितृव्य........ श्री अजितनाथस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ।। ******* ............ ......... ५५२. ............. का० प्र० श्रीविबुधप्रभसूरिभिः पिप्पलाचार्यगच्छे ॥ For Private And Personal Use Only ...**** ५५२. सं० १९४७ १० वैशाखशु० ३ सोमे गंधारवासिप्राग्वाटज्ञा० सा० महिराजभा० रूडीपु० सं० पासवीरकेन भा० पूरी स्वकुटुंबयुतेन अंबिका मूर्ति[:] का० प्र० श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः ॥ १५४. संवत् १३२८ वैशाखशु० ७ सो० ६० चाचासीलपुत्र्या हीरीश्राविकया आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीनेमिनिनं कारितं प्र० श्रीशिष्यश्रीवर्द्धमानसूरिभिः ॥ ५५५. संवत् १२७५ ज्येष्ठशुदि १३ भौमे श्रे० साढापुत्रहरिश्चंद्रेण स्वश्रेयोऽर्थं श्रीआदिनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं बृहद्गच्छीयश्रीहरिभद्रसूरिशिष्यैः श्रीधनेश्वरसूरिभिः ॥ ५५६. सं० १४७१ वर्षे माघशुदि १० शनौ श्रीमालीसा ० Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह - आसधरमा० तिलुपुत्रेण सा० हांसाकेन पितुः श्रेयसे श्रीअंचलगच्छे श्रीमहीतिलकसूरीणामुपदेशेन श्रीअजितनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च ।। ५५७. संवत् १९२४ वर्षे चैत्रवदि ५ भूमे श्रीश्रीमालीज्ञा० श्रे० डूंगरभा० देल्हणदेसु० सुमण मांडणयुतेन नमिप्र० कारापि० पूर्णि० प्र० श्रीगुणसुंदरसूरिणा ॥ ५५८. सं० १४९७ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० झांझणभार्या रूडीपुत्रव्य० पुत्रामल पितृमातृश्रेयोऽर्थ श्रीश्रीसंभवनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं नागेंद्रगच्छे श्रीपद्माणंदसूरिभिः ॥ ५५९. संवत् १५२५ वर्षे फागुणशुदि ९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० सुगालभा० मदीसु० चांपाकस्य स्वभर्तुः निमित्तं आत्मश्रेयसे भा० लीला तया श्रीनमिनाथपंचतीर्थीश्रीजीवितस्वामिबि कारितं प्रति० पिप्पलगच्छे श्रीगुणरत्नसूरिभिः । मंडुआनगरे ॥ ५६०. संवत् १४६८ वर्षे आषाढशुदि ३ रवौ उपकेशज्ञातौ वेसटान्वये चिंचटगोत्रे सा० श्रीदेसलसुतसाधुश्रीसमरसिंहनंदनसा० श्रीसजनसिंहसुतसा० श्रीसगरेण पितृमातृश्रेयसे श्रीआदिनाथप्रमुखचतुर्विंशतिजिनपट्टकः कारितः श्रीउपकेशगच्छे श्रीककुदाचार्यसंताने प्रतिष्ठितं श्रीदेवगुप्तसूरिभिः ॥ ५६१. संवत् १७०६ वर्षे ज्येष्ठवदि ३ गुरौ श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीश्रीमालीज्ञातीयवृद्धशाखीयगां० सूराभा० बा० लीलाई सुतया दो । यादसुतदो । जीवराजमार्या राजबाईपुत्रस्य परी। वजिआराजिआह्वानां भागिनेयस्य पालितपुत्रस्य च सकलश्रावकगुणमणिभूषितगात्रस्य नानाविधधर्मकार्यसमर्थगेद्भुतकीर्तिसुधारसपात्रस्य नेमिदासस्य वनितया दानगुणनिर्जितनिर्जरलतया सुकृतिकृतिस्तवनीयसम्यक्त्वशीलशोमितया श्रा० नारिंगदेनाम्न्या श्रीनारिंगपुराख्यश्रीपार्श्वनाथविवं कारितं For Private And Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir '१०४ खंभात. प्रतिष्ठितं च तत्त्व(? त्सुत)कारितप्रति(ठा)यां तपागच्छाधि(धी)शपातसाहिश्रीमदकब्बरप्रदत्तजगद्गुरुविरुदधारकभट्टा० श्रीहीरविनयसूरिपट्टालंकारभ० श्रीविजयसेनसूरिपट्टोद्योतकम० श्रीविजयतिलकसूरिपट्टांबरमास्करैर्भट्टा० श्रीविजयाणंदसूरीश्वरैः आचार्यश्रीविनयराजसूरिराजपरिकरितैः ........... ............... ॥ आचंद्रार्क नंदतादिदं श्रीधरणेद्रश्रीपद्मावतीदेवीसान्निध्यात् ॥ ५६२. संवत् १६३२ वर्षे वैशाखशुदि १३ शुक्रे श्रीस्तंमतीर्थे श्रीहीरविजयसूरिप्रसादात् श्रीसंघेन श्रीपंचासरापार्श्वनाथेति नाम बिंब कारापितं श्रीमत्तपागच्छेशश्रीहीरविजयसूरिभिः आचार्यश्रीविजयसेनसूरिभिः सह प्रतिष्ठितं समस्तश्रीसंघस्य भद्रं भवतु ॥ ५६३. संवत् इलाही ४६ वर्षे संवत् १६५८ वर्षे माघसित ५ सोमे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीश्रीमालीज्ञातीयप० वनिआराजिआभ्यां स्वश्रेयसे श्रीस्तंभनकपार्श्वनाथर्बिबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे महानृपप्रतिबोधकसुविहितभ० श्रीहीरविजयसूरितत्पट्टोद्योतकारकभट्टारकश्री श्रीविजयसेनसूरिभिः आचार्यश्री ५ श्रीविजयदेवसूरिउ० श्रीविमलहर्षग० उ० श्रीकल्याणविजयग० उ० श्रीसोमविनयग० प्रमुखपरिवारपरिकरितैः ॥ ५६४. श्रीमन्नृपविक्रमसमयातीतसंवत् १४९१ आसाढादि ९२ वर्षे शाके १३५७ प्रवर्त्तमाने मार्गशीर्षशुक्लत्रयोदश्यां १३ तिथौ शनिवारे कृत्तिकायां घडी ३८ अपरांतरोहिणीनक्षत्रे सिद्धियोगे रात्रिघ० १२ समये सिंहलग्ने वहमानेऽस्यां शुभग्रहावलोकितकल्याणवतीवेलायां श्रीराजगच्छे श्रीराजप्रमुगुरुसंताने श्रीहेमप्रभसूरिसंताने श्रीहरिप्रभ. सूरिपट्टे श्रीभट्टारकसंताने श्रीमेरुचंद्रसूरिजीवितस्वामिमूर्तिः ॥ चिरं जयतु शुभं भवतु ॥ ( जमणी बाजू ) श्रीमलयचंद्रसूरिमूर्तिरिय ॥ (डाबी बाजू ) श्रीमुनितिलकसूरिमूर्तिरियं ॥ For Private And Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. marnamamaramanawwww - आरीपाडो, श्रीशान्तिनाथ जिनालय. ५६५. संवत् १९९१ वर्षे वै० वदि ६ शुक्रे श्रीगधारवास्तन्यप्राग्वाटज्ञातीयसा० लषामार्थया व्य० परबतपुया श्री. झकूनाम्न्या सुतधर्मसिंह अमीचंद्रप्रमुखकुटुंबयुतया श्रीअनंतनाथवि श्रीअंचलगच्छे श्रीगुणनिधानसूरीणामुपदेशतः कारितं प्रतिष्ठितं चिरं नंदतु ॥ ५६६. संवत् १७६४ वर्षे ज्येष्ठशुदि ५ गुरौ स्तभतीयादिरवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयवृद्धशाखीयव० मेघराजभा० तेजकूमरिसुत भूलाकेन श्रीपार्श्वनाथपंचतीर्थी कारापिता प्रतिष्ठिता तपागच्छे म. श्रीज्ञानविमलमूरिभिः ॥ ५६७. संवत् १७६४ वर्षे ज्येष्ठशुदि ५ गुरौ श्रीस्तंभतीर्थबंदिरवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयवृद्धशाखीयव० मेघराजभा० तेजकवरिसुतभूलाकेन स्वद्रव्येण श्रीशांतिनाथपंचतीर्थी कारापिता प्रतिष्ठिता श्रीतपागच्छे भ० श्रीविजयप्रभसूरिपट्टे संविज्ञपक्षीयभ० श्रीज्ञानविमलसूरिभिः ॥ ५६८. सं० १५२३ वर्षे वैशाखवदि ११ दिने गुरुवारे बोरसिद्धिवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयसोनीसगरमा०बा० सहिनलदेपु. ४ सौ० गोल्हणगोविंदगोपासासिंवाभा० पूतलि पु०१जसाकेन स्वपितृश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथबि कारापित प्र० श्री० पू० प्र. भट्टा० श्रीगुणसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्र० विधिना श्राद्धैः ॥ .... ५६९. संवत् १७६४ वर्षे ज्येष्ठशुदि ६ गुरौ श्रीस्तभतीर्थवैदिरवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयवृद्धशाखीयदो० मेघराजमा० तेमकूअरिसुतभूलाकेन स्वद्रव्येण श्रीआदिनाथपंचतीर्थीवि कारास्तिं प्रतिष्ठित च तपागच्छम० श्रीविजयप्रभ रिपट्टे संविज्ञपक्षीयभ० श्रीजीन विमल A 14 For Private And Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra .२०६ www.kobatirth.org संभात. ५७०. संवत् १७६४ वर्षे ज्येष्ठशुदि ५ गुरौ श्रीस्तंभतीर्थबंदिरवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयवृद्धशाखीयदो० मेघराजभा ० तेजकुअरिसुत भूलाकेन स्वद्रव्येण श्री अजितनाथपंचतीर्थीविवं कारापितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छभ० श्रीविजयप्रभसूरिपट्टे संविज्ञपक्षीयभ० श्रीज्ञानविमलसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५७१. संवत् १९६५ वर्षे वैशाखशुदि ३ खौ वटपद्रवासि प्राग्वाटज्ञातिसा० गजाभार्याजीविणिसुतसा०लपाकेन पितृष्वसा श्रा० देमाश्रयोऽय श्रीसंभवनाथवित्रं का० तपागच्छे श्रीहेमविमलमूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ******* १७२. संवत् १६०४ वर्षे वैशाख ७ सोमे श्रीपोरवाडज्ञातिवु० वीरजीभार्याबा० गौरीपुत्रजेराजजिवण श्रीधरमनाथ विंनं........ .नसूरिभिः ॥ ५७२. संवत् १६३७ वर्षे वैशाखशुदि १२ खौ श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्य श्री नागरज्ञातीयसा० पताभार्या लीलादे सुतसा० हांसाभार्या हांस देनान्या श्री आदिनाथपंचतीर्थी कारापिता श्रीमत्तपागच्छे भट्टारकप्रभुश्रीहीर विजयसूरिभिः प्रतिष्ठिता शुभं भवतु ॥ १७४. संवत् १९०७ वर्षे फागणव ० ५ प्राग्वाटज्ञातीयश्रे ० कडू आभार्या कमलादे सुतइनाकेन भार्याआल्हणदे सुता राजू कुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीकुंथुनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसूरिभिः तरवाडीवास्तव्य शुभं भवतु || ५७५. सं० १९७६ वर्षे वैशाखशु० ६ सोमे उपकेशवंशे वृद्धशाखायां कम्र्मेंदीयागोत्रे सा० देवाभा० देवलदेपु० सा० धीरासा० हीरामा० हीरादेपु० सा० सोनपालमा० पूनी तयोः पुत्रेण मेघराजेन मा० मटकुपृ० जइतपालरत्नपालादिपरिवारयुतेन स्वपुण्यार्थं श्रीकंधु For Private And Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १०७ नाथबिंबं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरि पट्टालंकार श्रीजिन चंद्रसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ५७६. सं० १४७३ वर्षे वैशाखवदि ७ शनौ श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयश्रेष्ठिदेदाभार्यापचूपुत्रसंत्रखीयाकेन मार्याखेतलदेसंग्राममुख्यवहुपुत्रसहितेन श्रीधर्मनाथचि सर्वश्रेयोऽर्थं श्रीअंचलगच्छे श्रीगच्छनायकश्रीजयकीर्त्तिसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठापितं च श्रीभवतु ॥ ५७७. सं० १६५६ अलाई ४५ वर्षे वैशाखसित ७ बुधे स्तंभतीर्थवास्तव्य वृद्धशाखामोदज्ञातीयव० कीकाख्येन भा० बनाईपुत्र व० काला ठ, लालजी ठ. हीरजी प्रमुखपरिवारयुतेन श्रीनमिनाथबिंब स्वयं प्रणामकारापणपूर्व का० प्र० च भट्टारक श्रीहीरविजयसूरिपट्टालंकार कोटीर हीरश्रीतपागच्छाधिराजभट्टारक श्रीविजयसेनसूरिभिः || ******** ५७८. सं० १६८२ व० वै० शु० १ वार पंत्तनवास्तव्य प्रा० वृ० बा० वच्छाई स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीविजयदेवसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५७९. सं० १६२६ व० फागुणशुदि ८ सोमे तपागच्छे श्रीहीरविजयसूरि. • कथनातः बा० सखमाई ****.**.**** **** *.*..... 3004 ...................... 11 ९८०. संवत् १९२९ वर्षे फागुणशुदि २ शुक्रे श्रीश्रीवंशे रसोईयागोत्रे ० डाहाभार्यारंगाई पुत्रश्रे० देवरसुश्रावकेण भा० कूपरिभ्रातृसीधरयुतेन श्रीअंचलगच्छेश्वरश्रीजय के सरिसूरीणामुपदेशेन स्वश्रेयोऽर्य श्रीशांतिनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीपत्तननगरे ॥ ५८१. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयपरी० वजिआभा० वहलदेसुतपरी० मेवजीनाम्ना श्रीशांति For Private And Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. Janaman www Aarusia... नाथवित कारापितं- श्रीतपागच्छे जगद्गुरुश्रीहीरविनयसूरिविजयराज्ये पट्टालंकारश्रीविजयसेनसूरिभिः प्रतिष्ठितं च श्रीरस्तु ॥ ५८२. सं० ११६० ज्येष्ठवदि २ सांतिरुद्रेण महावीरमियं (? बिंबं) काग़पितं ॥ __ ५८३. संवत् १९३७ वर्षे वैशाखशुदि १० सोमे दिने. श्रीगंधारमंदिरे, श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० सहसाभार्या बाई वाल्हीतायाः पुत्रीबा० अरघूनाम्न्या स्वसृपक्षे सो० गणाभार्यामणकाईपुत्रस्य सा० वसुपाल स्वस्य भर्तुः पूजित्ततश्रीसुविधि९ जिनबिंब कारितं. प्र. श्रीवृद्धतपापक्षे मट्टा० श्रीश्रीश्रीउदयसागरसूरिभिः ।। ५८४. सं० १५.१७ वर्षे ज्येष्ठ शुदि. ५ गुरु प्राग्वाटलातीय पारिषमादामार्यामासुतजीवामूलासहितेन आत्मश्रेयोऽर्थ. श्रीसुमतिनाथ: जीवितस्वामिबिंब का० प्र० वृहद्गच्छे सत्यपुरीशाखायां भ० श्रीपासचंद्रसूरिभिः झायणायामे ॥ ५८५. संवत् १६२२ वर्षे माघवदि २ बुधे सोनी देवचंद. सोनी भीमजी. बाई मनाई सिद्धचक्रपट्टः कारापितः पूज्यश्रीश्रीश्रीहीरविजयसुरिप्रतिष्ठितं ॥ ५८६. सं० १६८३ व. फा. व० ४ स्तंभीर्थवास्तव्यगर.. कुअरजीना श्रीमुनिसुव्रतबिंब का० प्र० भ० श्रीविजयाणंदसूरिभिः ।। ५८५, सं०. १५२१ व० वैशाखव.० ५ ओसवंशे मक सूरसीमा० हीसुतमं० सिंघाभा०. धनीसुतश्रीरंग तथा मं० मेवा भा० कपूराई सु०. नगरान शिवदास प्र० कुटुंबयु • हीरूसुतया श्रा० लीलाईनाम्न्या निजश्रेयसे श्रीआदिनाथविं का० प्रति० श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीरत्नसिंहसूरिपट्टे श्रीउदयवल्लभसूरिभिः स्तंभतीर्थे । For Private And Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. ५८८. सं० १६५४ मा० व० ९ खौ श्रीअंचलमच्छे. श्रीधर्ममूत्तिसूरि संततीयमंत्राससं० डुंगरकेन श्रीसुपार्श्वबिंबं प्रतिष्ठापि[] गंधारप्रतिष्ठायां ॥ १०९. ९८९. सं० १५१२ वर्षे फा० शु० ९ श्रीमालवंशे छक्कडियागोत्रे सं० गुणराजभार्याचां पलदेपुत्रसं० देवदत्तश्रावण, मार्यामाणि कदेपुण्यार्थं पुत्रादिपरिवारयुतेन श्रीश्रेयांसनाथर्बिनं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनद्रसूरिभिः ॥ arrateडी, श्रीपद्मप्रभस्वामिजिनालय. ५९० सं० १९०८ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञातीया काळाभार्या कपूरीसुतसा • मालाभार्यावातूश्रेयसे श्रीसुमतिबिंबं कास्तिं प्रतिष्ठितं वैशाखशु० १२ ॥ १९१. सं० १३९१ वर्षे माहवदि ११ शनौ प्राग्वाटज्ञातीय व्य• डूंगरेण पितामही बाई गुरदेवी श्रेयोऽर्थ बिंबं कारापितं ।। ५९२. सं० १९६३ वर्षे वै० शु० ६ शनौ श्रीस्तंभतीर्थवा● उकेशज्ञा० सो० जिणी आभार्या माचीसुतसो० जीवाभार्याजीवादेनान्या पुत्रवच्छासंग्राममेघजीप्र० कुटुंबयुतया श्रीपद्मप्रभबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीहेमविमलसूरिभिः श्रेयोऽस्तु ॥ For Private And Personal Use Only ५९३. सं० १९१५ वर्षे कार्त्तिकवदि १ खौ श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयश्रे० भीमासुतश्रे० पाचाभार्या लापूसुतश्रे० आरहणसीकेन मा० जीवणियुतेन स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंबं आगमगच्छे श्रीदेवरत्न - सूरिगुरूपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च माणकुलिवास्तव्यः ॥ १९४. सं० १३०१ फा०शुद्धि ९ श्रीमाज्ञातीयववसाम Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. नेन पितृठ० चिलामात...तश्रेयोऽर्थ चतुर्विंशतिपट्टः कारितः श्रीचंद्रगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिशिष्यश्रीनेमिचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितः ॥ ५९५. सं० १५२० वर्षे वै० शु० ३ त्रिपुरपाटकवासि प्राग्वाटनं० भीमाभार्याकांऊंपुत्रघूघाकेन भार्यावानूपुत्रधनदत्तझांझणादिकुटुंचयुतेन निनश्रेयसे श्रीतृतीयतीर्थकरचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्र. तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीश्रीश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ५९६. संवत् १६४३ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ सोमे श्रीप्राग्वाटज्ञातीयसीहाभूतिमार्याभरमादे पुत्रसाहासिहिसकरणभार्याधनादेपुत्री वाहालबाई प्रेमाईयुतेन स्ववंशश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमत्तपागच्छाधिराजजगद्गुरुश्री६हीरविजयसूरिपट्टप्रभाकरश्री६ विजयसेनसूरिभिः ॥ ५९७. सं० १५४४ वर्षे माघशुदि १३ खौ उपकेशवंशे कर्मदियागोत्रे सा० देवापु०सा० धीराभा०धीरादेपु० सा० सोनपालेन भा० पूतलिपु० सा० मेघराजयुतेन स्वपुण्यार्थं श्रीशीतलनाथवि का० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसागरसूरिपट्टे श्रीजिनसुंदरसुरिपट्टमंडनजिनहर्षसुरिसद्गुरुभिः ॥ १९८. सं० १६१२ वर्षे पौषशुदि ६ बुधे भावणायगोत्रे आदकरणश्रीअजितनाथप्रति० श्रीचे० सूरि ॥ ५९९. सं० १४३२ व० फागु० शुदि २ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० पितृरणसी धणसी पुनसी रणसीभा० लूगादेसुतसहनानिमित्तं सुतकुंझाकेन श्रीपद्मप्रभपंचतीर्थी का० प्र० श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीरत्नशेखरसूरीणामुपदेशेन ॥ ६००. संवत् १४७६ वर्षे वैशाखशुदि ५ उकेशवंशे सो० गोईद । राजलदेसुतसो० वीसलभार्यासो० तीव्हणदेपुत्रेण सो हरपतिना For Private And Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. भार्याहमीरदेसुतसो० हीरावीरागणपत्यादिकुटुंबसमेतेन निनश्रेयोऽर्थ भीअभिनंदनादिचतुर्विशतिपट्टकः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसूरिभिः ॥ १०१. संवत् १२६३ वर्षे आमाडशुदि १० शनौ महं. चा(वा)हडनावकेण पितृठ० आसपालश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठापिता च ॥ कडाकोटडी, श्रीशान्तिनाथजिनालय. ६०२. सं० १५२२ वर्षे माहशुदि ९ शनौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० माईआभार्यामेचूसुतनाथाकेन भा० नामलदेव्या कुटुंबयुतेन स्वश्रे. यसे श्रीआदिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ओडियामे ॥ ६०३. सं० १९६३ वर्षे माघशु० ५ सोमे स्तंभतीर्थवा. श्रीश्रीमालज्ञा० सा० कानाभा० लखाई पु० सा० रामाकेन भार्या रत्नाईलघुभ्रातृसा० हरदासविण्णादियुतेन निनश्रेयसे श्रीश्रेयांसबिन कारितं प्रतिष्ठितं सर्वसूरिभिः श्रीसुतसंतानवृद्धिरस्तु ।। ६०४. सं० १६३७ माधव० ३ शनौ. सा. हंसराजभा. इंद्राणीसुधनजीना श्रीशीतलनाथः श्रीतपागच्छभ० श्रीहीरविजयसूरिभिः प्र०॥ ६०५. संवत् १५२५ वर्षे माहशुदि ११ भूमे उकेशवंशे साहसपागोत्रे साहसउद्रभार्यासोनलदेपुत्रसाहदेवदत्तभार्या रत्नाई तत्पुत्र साहहर्षासहितेन रत्नाईपुण्धार्थ श्रीविमलनाथविवं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसुंदरसूरिपट्टे श्रीजिनहर्षसूरिभिः ॥ शुभं भवतु ॥ ६०६. सं० १३८८ वर्षे वैशाखवदि ६ शुक्रे गौरज्ञातीय For Private And Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खभात. महं. सोमाभा० सूरितश्रेयसै न० पात....ठरूपि श्री... तश्रीशांतिः कारितः प्र० श्रीसूरिभिः ॥ ६०७. सं० १५५१ वर्षे पौषदि ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० सा० नागसीभा० जासुसुतसा० वाच्छाभार्यया श्राविकाअमकूनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीअनितनाथजीवितस्वामिबिंब सद्गुरूणामुपदेशेन कारित प्रतिष्ठितं च विधिना श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यः श्रीरस्तु ॥ ६०८. सं० १५१२ वर्षे आषाढवदि १ श्रीउकेशवंशे सा० आभूसंतामे भ० कर्मासाधूपुत्रसा० वच्छाकेन भार्याहसाईप्रमुखपरिवारसहितेन स्वश्रेयसे श्रीशीतलनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिभिः ।। ६०९. सं० १२५९ ज्येष्ठशु० १५ थारागच्छे श्रीशांतिमुरिसंतानेऽकारिटावडग्रामे पाजाश्रेयोऽर्थ पौत्रयशश्चंद्रेण श्रीपार्श्वनाथविवं कारितं ॥ मः १ ॥ ६१०. संवत् १६६७ ३० वैशाखमासे कृष्णपक्षे ७ तिथौ भृगुवासरे श्रीस्तंमतीर्थवास्तव्यलघुशाखायां श्रीमालज्ञातौ सा०वछू भा० अछबादेपु० बईलाछि श्रीआगमगच्छे श्रीकलसेन(ह)सुरीणामुपदेशेन श्रीशांतिनाथवि कारितं...........................तेपा० श्री.... है]मसोमसूरिप्र० ॥ ६११. सं० १६६७ वैशाखवदि ७ बुधे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्य उकैशज्ञातीयवृद्धशाखायां साधर्मसीमा० धर्मादेसुतसा कर्मसीभार्या सपमादेसुतउदयवंतरहीयायुतेन स्वकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीआदिनाथविब कॉरितं तपागच्छे श्रीसोमविमलसूरिपट्टे श्रीहेमसोमसूरिभिः आचार्यश्रीविमलसोमसूरियुतैः प्रतिष्ठितं स्तंभतीथे श्रीप्रतिष्ठाकारि श्रा० पाची ॥ ६१२. सं० १९३७ वर्षे ध्ये वे० ११ शुक्रे आशापल्ली For Private And Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. वासि उकेशज्ञातीयसं० झांझणभा० झमकूपुत्रसं० जइताभा० झटकूसुत सा० महिपालेन भा० मल्हाईसुतरत्नपालस्वलघुभ्रातृसा० लटूभा० इंद्राणीप्रमुखकुटुंचयुतेन श्रीशीतलनाथबिंब का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिप्यश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ६१३. सं० १४८२ वर्षे फाल्गुनशुदि ३ रवौ प्राग्वाटज्ञातीयसं० व्य० पेथडसंताने व्य० आल्हणसीहभाव्यि० उमादेसुतसंव० व्य० मंडलिकेन स्वश्रेयसे आगमगच्छे श्रीजयानंदसूरीणाप्नुपदेशेन श्रीश्रीसुमतिनाथबिबादिपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता श्रीसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ६१४. सं० १५४७ वर्षे माघशुदि १३ रवौ श्रीमंडपे श्रीमालज्ञातीयसं० कूडाभा० हपु०सं० खीमाभा० पूजीपु०सं० जगसीभा० माकूपु०सं० गोल्हाभा० सामापु०सं० मेघापुत्रीशाणीलघुभ्रातृसं० राजाभा० सांगूपुत्रसं० जावडेन भा० धनाई जीवादे सक्तादे सुहागदे धन ईपु० सं० हीराभा० रमाईसं० लालादिकुटुंबयुतेन निनश्रेयसे १०४ विवकारयित्रा विहरमानश्रीविशालनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिश्रीश्रीलक्ष्मीसागरसूरिपट्टे श्रीमतिसाधुसूरिभिः ॥ ६१५. संवत् १५७९ वर्षे फागुणशुदि ५ सोमे वृद्धशाखायां उसवंशे सा० ठाकरसीमा०पचीपु० वरद हासा वरदभा०जीवणिसु०संग्राम तेजा लहूआ नाईआ गांगा साईआ नरपति हांसामा० लीलादेसु० आणंद कमलसी भूपति श्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथर्विबं श्रीआगमगच्छे भट्टा० श्रीशिवकुमारसूरिभिः प्रतिष्ठितं चतुर्विशतिपट्टे कारितं ।। ६१६. सं० १६२२ वर्षे पौषवदि १ रवौ ओसवालज्ञातीय मडावरागोत्रे सा० धवकरणमार्यासिवादेपुत्रसा० पा....भार्याअमर....पुत्र 15 For Private And Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૨૪ सा० श्रीपतिधनपति सर्वकटं श्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथवित्रं कारितं प्र० श्री सोमविमलसूरिविजयराज्ये ॥ खंभात. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मांडवीपोल, श्री आदिनाथ जिनालय. ६१७. संवत् १४४७ फाल्गुनशुदि ८ सोमे श्रीमालवंशे ढोरगोत्रे ठ० रतनपु० नरदेवभार्याचा० नाल्हीपु० उ० धिरियारामकर्मसीटीलादिभिः श्रीपार्श्वनाथसहिता पंचतीर्थी का०प्र० खरतरगच्छे श्रीजिनमेरुरिपट्टे श्रीजिनहितसूरिभिः || ६१८. संवत् १९२१ वर्षे ज्येष्ठशुदि १ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० लापामार्यालापण देसुतहीरा भार्याही रादेश्रेयोऽर्थ सुतजगमालेन श्रीविमलनाथर्बित्रं कारितं श्रीपूर्णिमापक्षीयश्री साधु रत्नसूरिपट्टे श्रीश्री साधु सुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं विधिना उगाणवास्तव्यः ॥ ६१९. संवत् १९१० वर्षे फागु० वदि ३ शुक्रे सौराष्टकज्ञातीयठ० मालाक० सल्हीसु० ० टाहाक० चनूसु० श्रे० माईया क०माणिकिदेसुत सधारण एतैः स्वकुटुंबश्रेयोऽर्थं श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं आगमगच्छे श्री सिंहदत्तसूरीणामुपदेशेन विधिना श्रीरस्तु || ६२०. संवत् १२१४ माहशुदि १ कंबोवीग्रामे श्रीब्रह्माणगच्छे श्रे० नंदाकेन नाथूभार्यासमेतेन भाः पितृयशोधनस्वश्रेयोऽर्थ श्रीपा र्श्वनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं च श्री महेंद्रसूरिभिः ॥ ६२१. संवत् १९९५ वर्षे माहशुदि १२ शुक्रे ओसवंशग्ना(ज्ञा )तीय आंगोठीवान्य भारज्यारंभूसुतराजपालकारयेत श्री आदिनाथः तपागच्छे श्रीआणंदविमलमूरिभट्टारक श्रीविजयदानसूरिप्रतिष्ठितं सुखकरः ।। ६२२. संवत् १२७९ वर्षे वैशाखशुदि............ For Private And Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. जदेवप...........नामा सुश्रा................श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीदेवसूरिंगच्छे श्रीवयरसेणसूरिभिः ॥ ६२३. सं० १३७१....................केन....ज श्रीवासुपूज्यबिंब कारितं प्र० श्रीविपुवामसूरिभिः ॥ ६२४. सं० १४३० माहवदि २ सोमे...................म ............नावलपु०............भ्रातृधरणापुण्यार्थ पंचतीर्थी का० प्र० श्रीधनदेवसूरिभिः वृहद्गच्छे ॥ ६२५. स्वस्ति सं० १५१० वर्षे फागुणवदि ३ शुक्रे....... ............पुत्रेण सा० सगरेण भा० बा० लाडूसुतसा० गदा वीकागोरा प्रमुखस्वकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीअभिनंदनबिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीविजयतिलकसूरिपट्टे भ० श्रीविजयधर्मसूरिवरैः शुभम् ॥ ६२६. सं० १६८१ वर्षे फा० शु० १० कडूआमतीगच्छे सो । अमीआसुत सो । रतन श्रीपार्श्वनाथवि प्रतिष्ठापितं सुश्रावकेण सा । श्री तेजपालेन प्रतिष्ठितं ॥ ६२७. सं० १२८१ वैशाखशुदि ३ शनौ पितामहश्रे० साम्वपितृश्रे० जसवीर मातृलाघू एतेषां श्रेयोऽथ सुतगांधिस्गोसलेन वि कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीचंद्रप्रभसूरिशिष्यैः श्रीजिनेश्वरसूरिभिः ॥ ६२८. सं० १४९१ वर्षे माधवदि १० सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लूणाभा० लक्ष्मादे पितृमातृश्रेयसे पितृव्यमोकलसूहडा गोरा हीरा भ्रा० नरबदाश्रेयसे नरपालषोनाभ्यां श्रीश्रेयांसनाथचतुर्विशतिपट्टः कारापितः प्र० पिप्पलगच्छे भ० श्रीसोमचंद्रसूरिपट्टे श्रीश्री उदयदेवसूरिमिः श्रीशुभं भवतु ॥ ६२९. सं० १६० ३ वर्षे माधव ० ६ वीरमग्रामवासिपाग्याट For Private And Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खंभात. ० ११६ व्यo हेमाभा० रुदीपुत्रव्य नरबदभ्रातृवाच्छाकेन भार्याशाणीपुत्रधनानगराजादिकुटुंबयुतेन श्रीसंभवनाथविवं का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदर मूरिशिष्यश्रीजय चंद्रसूरिभिः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६३०. संवत् १६१२ वर्षे वैशाखशुदि ६ बुधे श्रीश्रीमालीज्ञातीयवृद्धशाखायां स्तंभतीर्थे सा० समधरण भार्या टाकूसुतसा ..... ..... बुढाभा० सोनाई .....श्रेयसे श्रीआदिनाथविं कारितं श्रीविजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ मांडवीपोळ, श्रीनेमनाथ जिनालय. ६३१. संवत् १४३९ वर्षे पौषवदि ८ रवौ प्राग्वाटज्ञातीय चिवयेस हे भा० माणिकदेपु० हावाभार्या जीणीपु० चांपा सांगा व्य० हावांकेन मातृपित्रोः श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजयाणंदसूरिभिः ॥ ६३२. संवत् १९१६ वर्षे माहवदि ८ सोमे ओसवालज्ञातीय सा० माकडभा० माल्हणदे द्वि० भा० मेलादे पितृमातृभ्रातृनयणश्रेयसे • नाथाकेन भा० धनीपु० पदनापोमायुतेन श्रीश्रेयांसनाथबिंबं का० पृनिमपक्षे भीमपल्लीयभ० श्रीपासचंद्रसूरिपट्टे म० श्रीजयचंद्रसूरीणामृ* पदेशेन प्रतिष्ठितं ॥ सु० ६३३. सं० १९२१ वर्षे माघशुदि १३ प्राग्वाटज्ञा० सं० हापाभा० हांसददेसुतसं० नासणभा० नागलदेपुत्रसं० नारदेन भा० कर्माईप्र० • कु० निजश्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथबिंबं का० प्र० तपागच्छे श्री सोमसूरिसंताने श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरि श्रीसोमदेवसूरिभिः अहम्मदावादे ॥ ६२४. संवत् १९९६ वर्षे वै० शु० ३ आमलेश्वरवास्तव्य - For Private And Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ravivarma लाडूआश्रीमालीज्ञातीयश्रे० भादाभा० भोलीसु० श्रे० देपालकेन भा० जीवासु० श्रे० ठाईआ वीराहीरामहीआदिस्वकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथबिंब का० प्र० श्रीहेमविमलसूरिभिः श्री ॥ ६३५. सं० १४३२ फा० शुदि २ शुक्रे उपकेशज्ञातौ चेचटगोत्रे वेशटशाखायां सं० देसलसंताने सं० समरसिंहसु० सा० डुंगरसिंह भा० डूलहदेव्या सु० समरसिंहश्रे० श्रीआदिनाथबिंब का०प्र० ककुदाचार्यसंताने श्रीदेवगुप्तसूरिभिः । ६३६. सं० १३८० माघशुदि ६ सोमे श्रीभावडारगच्छे उकेशज्ञातीयश्रे० कालूभार्याचांचीसुतेन भ्रातृझांझणलालतीडाकालाश्रेयसे मातृपित्रोश्च श्रीशांतिनाथप्रभृतिपंचतीर्थी सा० घांगाकेन कारिता प्रतिष्ठिता श्रीजिनदेवसूरिभिः ॥ मांडवीपोळ, श्रीमुनिसुव्रतस्वामिजिनालय. ६३७. संवत् १५१२ फागुणशुदि ८ शनौ श्रीमालज्ञातीय मं० नरूआभार्यावाछीपुत्रकूरणा मं०..नणसीप्रमुखस्वकुटुंबसहितेन मं० पेथासुश्रावकेण भार्या वीरूसंजितेन च निजश्रेयसे श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीश्रेयांसनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं संघेन ॥ ६३८. संवत् १९५७ वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ गुरौ श्रीस्तंभतीर्थे श्रीगूर्जरवंशे मं० वदामा० राणीपुत्रमं० महिराजमार्यासंपूरीपु० मं० वंकासुश्रावकेण भा०हीराईलघुभ्रातृमंत्रिप्सहसाभा० सहजलदेप्रमुखसमस्तकुटुंबसहितेन स्वश्रेयसे श्रीमदंचलगच्छेशश्रीसिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीसुविधिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ६३९. संवत् १६०४ वर्षे वैशाखवदि ७ सोमे श्रीस्तंभतीर्थे For Private And Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात, ओसवालज्ञातीयवृद्धशाखायां से० कर्माभार्याकरमादे श्रीमुनिसुव्रतस्वामि प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीअमररत्नसूरिभिः ॥ मांडवीपोळ, श्रीकुंथुनाथ जिनालय. ६४०. संव० १५०६ वर्षे वै० शुदि प्राग्वाटज्ञातीयव्य० विरुआभार्यावीझुसुतव्य० नरसिंहेन स्वश्रेयसे श्रीवीरबिंबं का० प्र० तपाग० श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ ६४१. सं० १४२० वैशाखशुदि १० शुक्रे उपकेशज्ञातीय ................पितृमातृपूर्वज................श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीहेमसूरिसंताने श्रीहरिभद्रसूरिभिः ॥ ६४२. संवत् १६६७ वर्षे वैशाखवदि ७ बुधे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्य उकेशज्ञातीयसा० कर्मसीभा० सषमादे स्वकुटुंबश्रेयसे श्रीसुपार्श्वनाथवि कारितं तपागच्छे श्रीसोमविमलसूरिपट्टधारिश्रीहेमसोमसूरिभिः आचार्यश्रीविमलसोमसूरियुतैः प्रति० स्थंमतीर्थे प्रतिष्ठाकारि श्रा० पांचीकेन ॥ ६४३. सं० १५२९ वर्षे वैशाखशुदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालि. ज्ञातीयसा० पूंजाभार्यालीलसुतसा० सूंटाकेन भा० रानाईसुतनाथा चांदादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे रत्नमयश्रीपार्श्वनाथविबे परिकरः श्रीआगमगच्छेशश्रीदेवरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठापितश्च श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यः ॥ ६४४. संवत् १४७४ वर्षे ज्ये० व० ११ रवौ डीसावालज्ञातीयमं० नरसीभा० सुहवदेसुतमं० दूदाकेन भार्याफदीभोलीसुतलापागोवनादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽयं श्रीविमलनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं तपापक्षे श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. AmmarAmAmanna ६४५. संवत् १५१८ वर्षे पोसवदि १३ भूमे श्रीमालन्या० रम्यकगोत्रे मंत्रिधर्मसीभा० रूपणिसुत राणउ परबत फालु परबतभा० वाल्हीसुतपोपट गोपउ फालाभा० पूरीसु० काजउविजउसहिनासहितेन पूर्व० श्रेयो० श्रीशीतलनाथबिंब का० प्र० श्रीचैत्रगच्छे चांद्रसमी भ० श्रीमलयचंद्रसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः पानसीशा........। ६४६. सं० १३८६ वर्षे वैशाखशुदि १३ सा० अरसीभा० धानीपु० हरदेवभा० हीरलपु० सांगण वीनाराजसाहडकरमणलणासांग....पु० वीसल सकुटुंबेन भ्रातृलाषणश्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथबिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ ६४७. सं० १५१० वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयठ० वउलासु० ठ० छाडासु० पाताभा०साधूसु० भीमाभा० रूपाईनाम्न्या स्वश्रेयोऽथ जीवितस्वामिश्रीशीतलनाथादिजिनचतुर्विंशतिपट्टः श्रीपूर्णिमापक्षे सद्गुरूणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना श्रीस्तंमतीर्थे श्रीभूयात् ॥ ६४८. संवत् १७०६ वर्षे ज्येष्ठशुदि १३ खौ श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीश्रीमालीज्ञातीयवृद्धशाखायां सा० हीरासुतसा० सेसकरणकेन श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं त० श्रीविजयाणंदमूरिराजआ० श्रीविजयराजसूरिभिः ॥ कुंभारवाडो, श्रीशीतलनाथजिनालय. ६४९. संवत् १६६७ वर्षे वैशाखमासे कृष्णपक्षे ७ तिथौ भृगुवासरे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यलघुशाखायां श्रीश्रीमालज्ञातीयबलू तत् भार्या बाईपाचाई....सु० बबादे तत्सुतसा० यजलवंतभा० मोहणदेसुतरिष For Private And Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खंभात. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० भदास आगमगच्छे भट्टारकश्री कुलवर्द्धनसूरीणामुपदेशेन श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना चिरं नंदतु शुभं || ६५०. सं० १४०८ वर्षे वैशाखशुदि ५ गुरौ पल्लीवालज्ञातीय पितृश्रे० श्रीखेता श्रेयोऽर्थं मातृआल्हूपुण्यार्थं सुतसमेतेन श्रीशांतिनाथ - बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीचैत्रगच्छे श्रीपद्मदेवसूरिपट्टे श्रीमानदेवसूरिभिः ॥ ६५१. संवत् १६०४ वर्षे वैशाखखदि ७ सोमे बटका ४ श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० वजिकरणभार्याबा० हांसलदेनाम्म्या परतमा श्रीसुमतिनाथ श्रीविजयदानसूरिप्रतिष्ठितं ॥ ६५२. संवत् १४१६ वर्षे ज्येष्ठशुदि ७ सोमे श्रीमालज्ञातीय पिताकडूआभा० लषमादेत माकड मूंमा तेऊ पितृमातृश्रेयसे श्रीवासुपूज्यत्रिंवं प्रतिष्ठितं नागेंद्रगच्छे श्रीरत्न[सूरिभिः ] ॥ ६५३. संवत् १४...... वर्षे फागुणशुदि २... प्राग्वाटज्ञातीय .... तेजपाल श्रे०........घर पितृश्रेयसे सुतपूजाकेन श्रीसंभवनाथ का० नागेंद्रगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीगुणाकरसूरिभिः ॥ .......******** ६५४. सं० १५५३ वर्षे माघशुदि १ खौ प्रा० ० पाता - भार्यासुहामणिसुत गोगनेन भार्यामनकाईसुतवीपाफतालकादिकुटुंबयुतेन पितृश्रेयसे श्रीपार्श्ववित्रं का० प्र० तपागच्छाधिराजश्री हेमविमलसूरिभिः ॥ ६५५. सं० १३४३ माघशुदि १२ पल्लीवालज्ञातीयसंघ ० हरिचंदसुतसंघ. तेजपालेन मातापाल्हणदेव्या श्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथबिंब रत्नमयं कारापितं || ६५६. सं० १६११ व० ज्येष्ठशु० १२ शनौ ओ० ज्ञा० सा० हेमा सं० सा० सिधराजेन श्रीसुपार्श्वबिंबं कारितं श्रीकोरंटंगच्छे श्रीनन्नसूरिभिः प्रति० ॥ For Private And Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १२१ - - ६५७. संवत् १७६५ व०फा०शु० ५ गुरौ श्रीस्तंमतीर्थवास्तव्यसा०चिदकिरणमा० कपूरबाईसुतसा० जयकरणकेन स्वद्रव्येण भावीजिनश्रीपेढालनाथवि कारि० प्रति० तपागच्छे संविज्ञपक्षे भ० श्रीज्ञानविमलसूरिभिः ॥ शेरडीवाळानी पोळ, श्रीसुविधिनाथजिनालय, ६५८. सं. १५६५ वर्षे वैशाखव० ३ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय लघुशाखायां सं० विख्या भा०ककूसुयमाणिकभा० पूतलि मं० मेघराजभा०मयगलदेअनाईसा० श्रीराजभा०सहिजलदे तत्सु० सं०रामसा हर्षा आमराज अजयराजप्रभृतिसमस्तकुटुंबश्रेयोऽथ मं० मेघराजेन श्रीसुविधिनाथचतुर्विंशतिपट्टबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भ० पूज्यश्रीविजयरत्नसूरिपट्टे म० श्रीधर्मरत्नसूरिभिः ॥ ६५९. संवत् १४९० वर्षे वैशाखव० ७ उकेशवंशीयम. धरणिगभार्यानामलदेसुतमहणसीमा० महणदेसुतम आवाकेन भ्रातृलीबाकेन भ्रातृजमंदिरमेवादियुतेन स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छनायकश्रीसोमसुंदरसूरिभिः श्रेयोऽस्तु ॥ दंताळ पोळ, श्रीशान्तिनाथजिनालय. ६६०. सं० १९४४ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० धनाभा० मरगदिपुत्रसा० देवाकेन मा० पूरीपुत्रषीमाशाणादिकुटुंबयु० पुत्रवइजाश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथबिंब का० प्रति० श्रीसूरिमिः॥ ६६१. संवत् १५७५ वर्षे माहवदि १ शनौ श्रीमालज्ञातीयम गांगाभार्यानाथीसुतहर्षारूडाश्रीपालहर्षाकेन कलत्रपुत्रादिकुटुंबयुतेन श्रीकुंथुनाथवि कारितं श्रीपू०श्रीपलब्धिसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं विधिना वडवास्तव्यः॥ For Private And Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ खंभात. AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAmaran - anemnmanAmAAAAAAAAAAAnand ६६२. संवत् १९८४ वर्षे चैत्रवदि ५ गुरौ वीसलनगरवास्तव्यनागरज्ञातीयछालीयाणगोत्रे 'श्रे०राजाभा० रानलदेपु०श्रीगोइआकेन भाकृअरिस० सीपामांगाप्रमुखपरिवारयुतेन श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं विधिपक्षे श्रीगुणनिधानसूरिभिः ॥ ६६३. संवत् १५३१ वैशाखशुदि ५ सोमे श्रीवायडज्ञातीय व्यव० कान्हडभा० सहनलदेपुत्रकर्मणभार्या खेतू पु० नगराजमहिरान जावडनगराजेन भा० रंगीपु० धनादियुतेन स्वश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारितं श्रीकोरंटंगच्छे श्रीसर्वदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ६६४. सं० १५४२ वै० शु० १३ उकेशसा. देवाभा० कउतिगदेपु० कान्हाकेन महिरानसमरामणोरभा० रंगाइसोभागिणि चंगाईसोभागिणि चंगाईमल्हाईपु० वांदाकीका चांपा सहसराजादिकुटुंबयुतेन श्रीपार्श्वनाथवि का०प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिरानैः चंपकनेरवासि ॥ ६६५. सं० १९४९ वर्षे ज्ये० शु० ५ सोमे श्रीश्रीमालीय बोरसिद्धिवा० सो० गोविंदभार्यारूपाईसुतसो० गांगाकेन भार्या लखाईसुतानश्रेयसे श्रीश्रेयांसबिंब का० प्रतिष्ठितं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुणरत्नसूरिभिः ॥ श्रीकुंथुनाथजिनालय. ६६६. सं० १५२० वर्षे आषाढशुदि ९ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० कोरंटीआश्रे० अमराभा० लासुतकडूआकेन भा०कउतिगदेप्रमुखकुटुंबयुतेन पितृश्रेषसे श्रीमुनिसुव्रतस्वाम्यादिपंचतीर्थी आगमगच्छे श्रीहेमरनपुरीणामुपदेशेन कारिता प्रतिष्ठिता च विधिना राणपुरवास्तव्यः श्रीः॥ ६६७. संवत् १५६७ वर्षे माघशुदि ५ गुरौ श्रीश्रीवंशे सा० For Private And Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १२३ महिराजभा० माल्हणदेपु० सा० श्रीराजभा० देमाई पु०मेघाकेन भा० रमादे भ्रातृसा० रत्ना सा० रींडां सा० लालावाघावळा प्रमुख स्वकुटुंबसहितेन स्वश्रेयसे श्रीअंचलगच्छे राश्री भावसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीश्रीशीतलनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीअहम्मदाबादनगरे | ६६८. संवत् १६३२ वर्षे माघशुदि १० बुधे मोदज्ञातीय ठकर जागाभार्याचाई ठकराणी पुत्री बाई ही । ईनाम्या श्रीशांतिनाथमूलनायक चतुर्विंशतिपट्टः कारापितः श्रीस्तंभतीर्थे तपागच्छे श्रीहीर विजयसूरिभिः प्रतिष्ठितः स्वहस्तेन श्रीश्रीसंघेन महतादरेण श्रीसंघस्य भद्रं भवतु ॥ ६६९. सं. १२२८ ज्ये........ श्रीश्रीमालज्ञा०श्रे० लषमाभा० साधुसु० महिराजभा० पूरीपु० झांझणभार्यापदमाईदेव्या आत्मश्रेयसे श्रीमुनिसुत्रतादिपंचतीर्थी कारापिता श्रीमाधुसुंदरसूरीणामुपदेशेन धंधूकावास्तव्यः ॥ ऊंडीपोळ, श्री शान्तिनाथ जिनालय. ६७०. स्वस्ति संवत् १५११ वर्षे माघशुदि ९ गुरौ श्रीमूर्जरज्ञातीय डूंगरी आगोत्रे सा० समवरभा० बाई पांचू तयोः पुत्रेण सा० सालिगनाम्ना स्वकुटुंबश्रेयोऽयं श्रीआदिनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only . ६७१. संवत् १९०९ वर्षे ज्येष्ठवदि ९ शुक्रे श्रीकोरंटगच्छे श्रीनन्नाचार्य संताने श्रीउपकेशवंशे सौगंधिक साहघणसी पु० साह पाल्हाभार्या पाल्हणदेपु० लींबाभा० रंगाई पुत्र साहमाणिकनाम्ना सुश्रावकेण आत्मपुण्यार्थ श्रीवासुपूज्यमूलनायकयुतश्चतुर्विंशतितीर्थंकरपट्टः कारापितः प्रतिष्ठितः पूज्यश्री ककपिट्टे श्रीश्रीश्रीसावदेवसूरिभिः साहमाणिक भार्याहर्षाईपुत्रप्राप्तिर्भवतु ॥ Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra સરક www.kobatirth.org खंभात. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६७२. संवत् १५२८ वर्षे चैत्रवदि १० गुरौ श्रीवीरवंशे श्रे० O मांडणभार्याजयतूपुत्रश्रे० कुंपासुश्रावकेण भा० कुंपासुश्रावकेण भा० मनीपुत्रकीका भ्रा देवसीसहितेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीअंचलगच्छाधीश्वर श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीनेमिनाथ त्रिं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ६७१. संवत् १९९१ वर्षे वैशाखख० ६ शुक्रे श्रीगंधारवास्तव्यश्री प्राग्वाटज्ञातीयव्य० कान्हामा० पोषीमेलादेसु० व्य० वस्तुपालेन मा० वल्हादे प्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीवासुपूज्यबिंबं श्रीआगमगच्छे श्रीसंयमरत्नसूरीणामुपदेशतः कारितं प्रतिष्ठितं पूज्यमानं चिरं नंदतु श्रीरस्तु ॥ ६७४. संवत् ११४९ वर्षे आषाढशुदि २ शनौ बोरसिद्धिवास्तव्यश्रीश्रीमाळज्ञातीयठ० पासा भार्याराजूसुतठ० हरपतिश्रेयोऽर्थं ठ० सिंहाकेन श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीश्रीश्रीउदयसागरसूरिभिः ॥ ६७९. सं० १९८४ वर्षे वै० शुदि ८ खौ श्रीश्रीमालीज्ञा ० सा० डुंगरमा० कुंतुसुतसा० हीराकेन भा० राजसुतसा० हांसासा० पासवीरसा० मोनासु ० मेघा सिंघराजादिपुत्रपौत्रादिपरिवारयुतेन निजश्रेयसे श्रीशांतिनाथर्बिनं का० प्र० तपागच्छनायक श्री हेमविमलसूरिभिः ॥ ६७६. सं० १५२९ वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ रवौ श्रीश्रीमालीज्ञा • सं० देवाभा० चसुतसा • लूणाकेन भार्या सुहगीसुतमांडणसदादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थे श्रीमुनिसुव्रतर्विवं कारितं प्रति० श्रीसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ६७७. सं० १५३२ वैशाखशु० ३ प्रा० ० हेमाभा० दूबीपु० शिवाकेन वृद्धभ्रा० पुंजादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीअभिनंदनर्जिवं का० प्रतिष्ठितं तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः || For Private And Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १२५ ६७८. संवत् १५५१ वर्षे वैशाखशुदि १३ गुरौ श्रीओएसवंशे वागडीआशाखायां सा० साजणमार्यासुहडादेसुतसा० वयजासुश्रावकेण भार्यापदमाईसुतसा० श्रीपतिवृद्धभ्रातृसा० सहिजासहितेन श्रीअंचलगच्छेशश्रीसिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीभूयात् श्रीस्तंमतीर्थनगरे ॥ ६७९. संवत् १६१७ वर्षे पौषव० १ गुरौ बोरसिद्धिवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयसा० हापामार्याकुर्माईपुत्र जयवंतनाम्ना श्रीपद्मप्रभ का० प्रतिष्ठितं तपाश्रीश्रीश्रीहीरविजयसूरिभिः ।। ६८०. सं० १५६४ वर्षे ज्ये० शु० १२ शुक्रे श्रीओसवंशे सा० श्रीथावरभा० पूनाईसुतजयवंत....वतक श्रीपार्श्वबिंब का० प्र० श्रीलब्धिसागरसूरिभिः॥ देताळवाडो, श्रीशान्तिनाथजिनालय. ६८१. संवत् १९२१ वर्षे वैशाखशुदि ६ बुधे श्रीप्राग्वाटवंशे लघुसंताने श्रे० भरमाभा० छालीपुत्रदीनानाम्ना जीवासुश्रावकेण मा० कुंअरिभ्रातृसदाचांदाचांगासहितेन निनश्रेयोऽयं श्रीअंचलगच्छेश्वरश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ६८२. संवत् १९०७ वर्षे माघशु० १३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० कर्मसीभार्याकर्मादेसुतकालाभा० फसुतधनाकेन भा० हीमतिभ्रातृवडूआयुतेन पितृमातृश्रेयोऽर्थ श्रीअभिनंदनस्वामिबि कारित श्रीआगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरिगुरूपदेशेन प्रतिष्ठितं श्रीपत्तनवास्तव्य शुभं भवतु ॥ ६८३. संवत् १९८७ वर्षे वैशाखवदि ७ सोमे श्रीश्रीवंशे दो० जणीयाभार्याजसमाई पु० दो० घेतामा० धीमाईपु० दो० For Private And Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६ खंभात. नाकरभा० दीवी लघुभ्रातृ दो० ठाकुरर्भा० घनाई स्वपुण्यार्थं पितुः दो.... सहितेन श्रीअंचलगच्छाधिश्वरश्रीगुणनिधानसूरीणामुपदेशेन श्री आदिनाथबिंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीचंपकदुर्गे ॥ ६८४. संवत् १९४८ वर्षे मात्रशुदि ४ अनंतर ५ सोमे गोधिरावास्तव्यः श्रीमालज्ञातीयल साजनिकमं० धनाभार्यामांकसुतमं० सादासु श्रावकेण भार्याभोली सुतमाधव भ्रात्रिमं० सूरामं० परबतमं० सिंघास हितेन स्वश्रेयोऽयं श्रीअंचलगच्छेशश्रीसिद्धांत सागरसूरीणामुपदेशेन श्री आदिनाथमूलनायक चतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसंघेन ॥ ६८५. सं० १५२३ वर्षे वै० व० ४ गुरौ सोझीत्रावासि प्राग्वाटज्ञातीयव्य ० हापाभार्या हांसलदेसुतव्य० गुणियाकेन भ्रा० राजाभा० रमादेसुतव्यव० आसधीर श्रीपाल श्रीरंगादिकुटुंबयुतेन श्री कुंथुनाथविं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छेशश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः || श्री आदिनाथ जिनालय. ६८६. सं० १४१५ वर्षे ज्येष्ठवदि १३ खौ जघरालवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीयव्यव० गाहिसभ्रातृनालाकेन मातापितृव्य० वीकमश्रे ० श्रीपार्श्वनाथ पंचतीर्थी कारापिता प्र० नायलशाखायां श्रीसाम (ग) रचंद्रमूरिभिः ॥ ७४ ॥ ६८७. संवत् १६८३ वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ सोमे कडूआमतीगच्छे ओसवंशे वृद्धशाखायां सोनीपोमसी मार्यावा० इंद्राणीसुत सोनीपनीआकेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं सा० तेजपालेन प्रतिष्ठितं ॥ ६८८. सं० १६१० व० श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीश्रीमाल - ज्ञातीयसा० श्रीपालपुत्रसा० शिवाभार्याशृंगारदेव्याः पुत्रकुंरजीसहितेन For Private And Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १२७ wwwww 4TA स्वपुण्यार्थं श्रीसंभवनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीछापरीआपूर्णिमापक्षे श्रीहर्षरत्नसूरीश्वरेण ॥ चोळापोळ, श्रीसुमतिनाथ (चौमुख) जिनालय. ६८९. संवत् १५२४ वर्षे चैत्रवदि ६ बुधे श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिरामाभार्यारामलदेसुतदेवाभार्या चमकूसुतरत्नदेवराजकेन मातृपितृश्रेयसे श्रीश्रीसंभवनाथविं का० प्रतिष्ठितं श्रीविमलसूरिभिः दसाडाग्रामवास्तव्यः ॥ ६९०. सं० १५२० वर्षे वैशाखशुदि ११ बुधे उपकेशवंशे साधुशाखायां सा० डूंगरभा० दूल्हादेसुतसा जीवाकेन भा० हंसाईपु० साहसहसधीरसहसवीरयुतेन श्रीनमिनाथबि का० प्रति० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसुंदरसूरिपट्टे श्रीजिनहर्षसूरिभिः ॥ ६९१. संवत् १५६१ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ बुधे श्रीप्राग्वंशे वृद्धशाखायां संघ० कुझाभार्यागुरुदेपुत्रसं० हंसराजभार्याहांसलदेसुश्राविकया पुत्रसं० हर्पामुख्यकुटुंबसहितया निजश्रेयोऽर्थ श्रीसुविधिनाथविवं का० प्रति० श्रीकक्कापूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थे । ६९२. संवत् १९३७ वर्षे वैशाखशुदि १० सोमे श्रीगंधारवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयठ० महिराजभा० ला सुतठ० सहसाभा० वाल्ही ठ० सालिगमा० आसीठ० श्रीराजभा० हेमाईठ० सहसासुतठ० धनदत्त भा० हर्षाई एतैरात्मश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीविजयरत्नसूरिभिः ।। ६९३. सं० १४७९ वर्षे श्रीभावदेवसूरिमूर्तिः ॥ ६९४. सं० १६२६ वर्षे फागणशुदि ८ सोमे श्रीश्रीमाल For Private And Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात, - ज्ञातीयसाहराजपालभार्या श्राविका पूनी श्रीशीतलनाथबिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीहीरविजयसूरिभिः ॥ ६९५. संवत् १५१२ वर्षे फागुणवदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० वाघा भा० चेदपुत्रदो० वाछासु०दो० बदालदादो० वाछा भा० लक्ष्मीसुत कर्मसीमा० रामति तया आत्मनि ।श्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्र० श्रीआगमगच्छे श्रीहेमरत्नमूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ गीपटी, श्रीमहावीरस्वामिजिनालय. ६९६. संवत् १६१२ वर्षे शाके १४७८ प्रवर्त्तमाने साह जीवाभा०जीवादे पुत्रीबाईरत्नाई बिंब कारापितं श्रीशांतिनाथः । कर्मक्षयार्थ प्रतिष्ठितं च श्रीकोरंटंगच्छे भट्टारिक श्रीदनन्नसूरिभिः श्रीशांतिनाथबिंब प्रतिष्ठितं शुभं ॥ ६९७. सं० १४३९ पौषवदि सोमे उपकेश............हषी. माभार्या वाउपुत्र-केन पितुः श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवि का०प्र० उपकेशगच्छे श्रीदेवगुप्तसूरिभिः ।। ६९८. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीगंधारवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयपरी. वजीआभार्यावलादेपुत्रपरी. मेघनीभार्यामंगलादे कारितं श्रीवासुपूज्यबिंब प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छाधिराजजगद्गुरुबिरुदधारिविजयमानश्रीहीरविजयसूरिपट्टे श्रीविजयसेनसूरिभिः श्रीरस्तु॥ ६९९. सं० १६६७ व० वैशाखशु० ४ दिने प० भीमसीकेन का० प्र० श्रीजिनसिंहसूरिभिः श्रीखरतरगच्छे । ( श्रीदादागुरुचरणपादुका)॥ ७००, संवत् १९०९ वर्षे ज्येष्ठशुदि ५ रखौ श्रीश्रीमाल. For Private And Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ज्ञातीयमंत्रिमाईआभार्यामाल्हणदेसुतधाराकेन श्रेयसे श्रीशीतलनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं पिप्पलगच्छे श्रीगुणरत्नसूरिभिः षापडीग्रामे ॥ ७० १. संवत् १५१३ वर्षे वैशाखवदि ४ शुक्रे वायडज्ञातीय व्य० ठाकुरसीभार्यावीरूसुतनरवदेन भा० रूदी तया सुतमूलाराईआसहितेन मातृपितृश्रेयसे श्रीश्रेयांसनाथविवं कारितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरत्नसूरिभिः ।। ७०२. सं० १३३१(२) वर्षे वैशाखशुदि ३ रखौ डीसा(दाभा)वालज्ञातीयश्रे० पूवडभा० पाचूपुण्यवृद्धयर्थं पुत्र....तेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं श्रीचांद्रगच्छीयश्री....सूरिशिष्यश्रीरत्नप्रभसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ७०३. संवत् १४८८ वर्षे वैशाखशुदि १३ रखौ श्रीबुद्धगोत्रे श्रीहुंबडज्ञातीयव० नरसिंहभार्याबा० जामू तया श्रे०देवडमार्यादेवलदे ] पुत्रठ. हीराठ०वईराठ० पेथाकेन श्रीआदिनाथ[विव] कारापितं स्वश्रेयसे प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भट्टा० श्रीज्ञानकलससूरिभिः शुभं भवतु ॥ ___७०४. संत् १५७९ वर्षे फागुणशुदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० पाल्हासुतमं० मांडणमा० माणिकदेसुतनरपाल जेसंगकेन भा० जसमादे भ्रातृव्यजीवासहितेन मातृपितृपूर्वजश्रेयोऽर्थ आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारापितः प्रतिष्ठितः श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिपट्टे पूज्यश्रीवीरसूरिभिः संषीसरग्रामवास्तव्यः ॥ ७०५. सं० १५३५ पौषवदि १३ बुधे उपकेशज्ञातीय असुभगोत्रे साहनयणाभा० लषमादे द्वि० गांगीसुतसाहभुणाभा० जयकूभ्रातृवेला साहमांडा श्रीशांतिनाथवि कारापितं श्रीज्ञानकीयगच्छे प्र० श्रीधनेश्वरसूरिभिः ॥ ७०६. संवत् १५४६ वर्षे माघशुदि १३ दिने प्राग्वाटज्ञातीयव्य० कर्माभार्याधर्मणिपुतव्यः सुभगिरेण भार्या शरीयादेपु० 17 For Private And Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. व्यव० अमीपाल रत्नपाल भ्रातृमु० व्य० वीरपालादिसहितेन श्रीचंद्रप्रभवि कारित प्रतिष्ठितं आगमगच्छे श्रीविवेकरत्नसूरिभिः ॥ ७०७. संवत् १९५२ वर्षे माघवदि १२ बुधे श्रीमालज्ञा० संघवीभोटाभा० कउतिगदेपुत्रसा० रांपसीमा० जीजीश्राविकया स्वपुण्यार्थ श्रीसुमतिनाथवि का० प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरिभिः ॥ ७०८. सं० १५२० प्राग्वाटश्रे० पाहाभार्यामेचूपुत्रश्रे० धनाकेन भार्यारूडीपुत्रहीराजूठाप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीशीतलनाथबिंबं का० प्र० श्रीसूरिभिः श्रीतपाः ॥ ७०९. संवत् १५५४ वर्षे पौषशुदि ५ गुरौ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिवराईमार्यारत्नादेसु० श्रे०वेलामा० वील्हणदेपु. मूलाकेन भार्यागौरीमातृपितृआत्मश्रेयोऽथ श्रीपद्मप्रभस्वामिबिंबं का० प्र० श्रीविमलसू रिपट्टे श्रीबुद्धिसागरसूरिभिः मांडलिवास्तव्यः ॥ ७१०. संवत् १५६६ वर्षे माघशुदि ५ सोमे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीश्रीमालीज्ञातीयसा० सागाभा० रूपाईसु० तेनाकेन भ्रातृसा० पहिजासु० जीवा नागाहांसाप्र० कुटुंचयुतेन श्रीवासुपूज्यबिंब कारितं प्र० आगमगच्छे श्रीशिवकुमारसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ७११. सं० १५३० वर्षे माघवदि २ शुक्रे लाडउलिवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञा० दोसीठाकुरसीभा० लाडीपु० भोजामा० लीलादेसु० धरणाहर्षासापासहितेन आत्मपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथवि का०प्र० श्रीपृर्णिमापक्षे चतुर्थशाखीयश्रीधर्मशेखरसूरिपट्टे श्रीश्रीविशालरानसूरीणामुपदेशेन विधिना ॥ ७१२. सं० १५४९ वर्षे फा०शु० २ सोमे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञा० सो०माणिकसु० सो०सीहाभा० पुतलिपुत For Private And Personal Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. सो० जीवाजगमालअमीयावीराकैः श्रीनेमिनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः सूरिभिः ॥ श्री अजितनाथजिनालय. ७१३. ....व. मर्गशु० ३ रवौ उ० ज्ञा० महाजनीगोत्रे मं० घडसीपु० देपाभा० मेवादेषु० हेमा अंबाई का० प्र० श्रीको० नन्न । ७१४. संवत् १६१२ वर्षे वैशाखशुदि ६ बुधे ओसवालज्ञातीयवृद्धशाखायां सा० जीवराजमार्याधनाईपुत्रीबुधी श्रीधर्मनाथवित्र कारितं तपागच्छे श्री विजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ७१५. सं० १९४७ वर्षे माघशुदि १३ रवौ उकेशसा० देवाभा० श्रा० कउतिगदेनाम्न्या सुतदो० कान्हामहिरानसमरामणो. रप्र० कुटुंचयुतया निनश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंब का० प्रति० तपाश्रील. क्ष्मीसागरसरिपट्टे श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः श्री ॥ ७१६. सं० १४०४ वर्षे........................रपाल लषमसी........................श्रीआदिनाथपंचतीर्थी श्रीपूर्णिमापक्षीयश्रीविधाणंदसूरीणामुपदेशेन कारिता प्र० श्रीसूरिभिः ॥ ७१७. संवत् १९३२ वर्षे वैशाखशुदि ६ दिने श्रीमालज्ञातीयनाचणगोत्रे सं० श्रा० दौसी० नाल्हापूर्वनश्रेयोऽर्थ तत्संतानीय. सा० श्रा० धरणात्रसा० लुणासुश्रावकेण श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ ७१८. सं० १५२८ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ श्रीमाग्वाटज्ञातीयव्य० रत्नाभा० अरघूसुतधगपति संडलिकयुतेन व्य० रत्नाकेन पुत्रीकतूनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीशीतलनाथवि कारपितं प्रतिष्ठितं तापक्षे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ।। For Private And Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. - __७१९. संवत् १५५२ वर्षे माघवदि १२ बुधे श्रीमालज्ञा० सं० फमण सं० सारंग पु० सं० पोचा भ्रातृसं० भोटाभा० सं० कुतिगदेव्या पु० सं० दत्ता सं० जावडप्रमुखपरिवारयुतया स्वपुण्यार्थ श्रीसुविधिनाथबिं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरिभिः ॥ जीरारपाडो, श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथजिनालय. ७२०. संवत् १५११ वर्षे महाशुदि ५ गुरौ ओएसवंशे वडालीयागोत्रे साहदेवराज तत्पुत्रसा० गुणिआभा० भोली तत्पुत्रसाहकरणाकेन स्वश्रेयसे श्रीआदिजिनबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमलधारिंगच्छे श्रीविद्यासागरसूरिपट्टे भट्टारकश्रीगुणसुंदरसूरिभिः ॥ . ७२१. संवत् १९८९ वर्षे वैशाखशुदि १२ सोमे प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० गोविंदभा० गौरीपुत्रनरपालभार्या...वीपुत्रनाकरभा०पना... रदे कुटुंबयुतेन श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं द्विवंदनीकगच्छे भ० श्रीकक्कसूरिभिः ॥ ७२२. स्वस्ति संवत् १५०८ वर्षे कार्तिकवदि १० गुरौ वृद्धश्रीमालज्ञातीयभ० नासू तस्य भार्यावा. हासू बा० साडूसुतभ० माईआभार्याबा० कुंअरि ताभ्यां स्वकुटुंबश्रेयोऽयं श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षीयभ० श्रीविजयधर्मसूरिभिः ॥ . ७२३. सं० १९३२ वर्षे ज्येष्ठव० ३ रवौ उकेशज्ञातीयसीरोहीवा० खाटडगोत्रे पितृघेतामातृनयणूसुततोलाभ्रातृभीदाभा० रूपाईनाम्न्या सुतसिंहदत्तभुजबलदुर्जनसल्लसहितया स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब कारितं धर्मघोषगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ॥ ७२४. संवत् १५२१ वर्षे वैशाखशुदि ३ दिने सिद्धपुरवासिउकेशश्रे० धरणिगभा० सारूपुत्रगदागणपतिना भा० मटूपुत्रहेमा For Private And Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. सामादियुतेन श्रीपार्श्वविनं का० प्र० तपागच्छनायकश्रीलक्ष्मीसागरसू रिभिः ॥ १३३ O ७२५. संवत् १९६० वर्षे वैशाखशुदि ३ दिने ओसवालज्ञा०लघुसंताने मं० ईचाभा० संपूरीसु० मं० गोविंद्भा • गंगासुतसहितेन स्वयसे श्रीकुंथुनाथबिंबं का० श्रीद्विवंदनीकगच्छे सिद्धाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्रीककसूरिभिः पेट+ग्रामवास्तव्यः ॥ - ७२६. संवत् १६७७ वर्षे कार्त्तिकासितप्रतिपदनंतर द्वितीयायां बुधे स्तंभतीर्थे वृद्धशाखीय ओसवालज्ञातीयसा श्रीमलभार्यया श्र० बल्हादेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथविवं प्रतिष्ठापितं पातशाहिश्रीसलिमशाहिराज्ये प्रतिष्ठितं च तपागच्छालंकार भट्टारकप्रमुश्रीविजयसेनसूरीश्वरपट्टोदयाचल सहस्रकिरणायमानभट्टारकश्रीविजयदेवसूरीश्वरैः सपरिकरैजयादा चंद्रार्क श्रेयोऽर्थ सकलसंघस्य ॥ ( पाषाणप्रतिमा ) ॥ श्री शान्तिनाथ जिनालय. ७२७. संवत् १५२० वर्षे वैशाखशु० १२ बुधे ओसवालज्ञातीयश्रे० लाडणभा० टीबूसुतपनाकेन भा० बनादे सुतमांकायुतेन स्वश्रेयसे श्री अजितनाथ बिंबं कारापितं प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरनसूरिभिः जमालपुरवास्तव्यः || ७२८. सं० १२९१ वर्षे वैशाख शुदि १३ बुधे....... सुतदेव चंद्र पाचडसुत. क० कुटुंबसमस्तयुतेन कारिता प्रतिष्ठिता ........ श्रीमाणदेवसूरिभिः ॥ 0000 s For Private And Personal Use Only ... ७२९. सं० १६२२ वर्षे वैशाखशुदि ३ सोमे श्रीओसवंशे शंखवालगोत्रे सा०कोचरसंताने सा० देवापुत्रसा० भादापुत्रसा० भोजापुत्रता० ताम्हणभार्या रंगादेपुत्रसा० वच्छाभा० बल्हादे व जलदे पुत्र सा० हीरजी सा० सूरजी० वीरजी सपरिवारान् श्रेयोऽर्थं सद्गुरुपादुकानि Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खैभात. कारापितानि श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनेश्वरसूरिश्रीजिनचंद्रसूरिश्रीअभयदेवसूरिश्रीजिनवल्लभसूरिश्री जिनदत्तसूरिपट्टानुक्रमे श्रीजिनमाणिक्यसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिप्रतिष्ठितानि सुखं भवतु ॥ ७३०. सं० १५२४ वर्षे वै० शु० ५ शनौ श्रीस्तंभतीर्थे प्राग्वाटज्ञा० श्रे० गोधाभा० कूअरिसुतकालाकेन भा० कुतिगदे भ्रातृ भला गेजाराजा मा० भावलदे भइर्मा दे रंगी सुतवईनासहनामांकाश्रीपालादियुतेन स्वपितृव्यश्रे० लांपापुण्यार्थ श्रीआदिनाथबिंब कारितं प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ।। भोयरामां. ७३१. सं० १५०२ डीसावालज्ञातीय जामलिआ गोगन चमकूपुत्रसूराभा० शाणी मूरानुननरपालगांगीपुत्रसमधरेण भ्रातृमाधवशिवदाससूरास्वभा० सोहीपुत्रजसराजहंसरानादियुतेन श्रीआदिनाथचतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० तपाश्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ __७३२. संवत् १५६५ वर्षे वै० शुदि । शनौ श्रीओसवाल. ज्ञातीयसा० वीरासुतसा० हकाभार्यालीलीपुत्रीबाईचांदूपितृव्यसा० जिणदत्तभार्याइंद्राणीसुत ४ सिवदास पचा कुरा जयचंद ससुरपक्षे भ्रातृसा० काहनागो० श्रीराजभा० सोमाईसुतसुभगिरभार्यया श्रा० चांदूनाम्न्या श्रीशांतिनाथर्षि कारितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षे श्रीलब्धिसागरसूरिभिः श्रीचारित्रसागरसूरियुतैः शुभं भवतु ॥ ___७३३. सं० १३४६ वर्षे वैशाखशुदि ७ सोमे दिने श्रीसंडेर............पुत्रदेवकुमारसुत............ ...........जिनबिंब कारापितं ।। ७३४. सं० १३५१ माघवदि १ श्रीप्रल्हादनपुरे श्रीयुगादिदेवविधिचैत्ये श्रीजिनप्रबोधसूरिशिष्यश्रीजिनचंद्रमूरिभिः श्रीजिनप्रबो. For Private And Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन प्रतिमालेख संग्रह. १३५ धसूरिमूर्तिः प्रतिष्ठिता कारिता... रामसिंहसुताभ्यां सा० नोहाकर्मण श्रावकाभ्यां स्वमातृराईमई श्रेयोऽर्थं ॥ ( पाषाणमूर्ति ) | ७३५. संवत् १३१५ वर्षे वैशाखशुदि ११ खावद्येह स्तंभतीर्थे थारापद्रीयगच्छे श्रीऊदावसहिकायां श्रीमत्पत्तन वास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीय महं० श्रीआंबूसुतमहं० श्रीयशोराजांगजमहं० श्रीपृथ्वीपालप्रसुतमहं ० श्रीऊदामहं० श्रीउदयमतिकुक्षिसं .... महं० श्रीदेव सिंहस्य भार्यया महं० श्री श्रिया देव्या स्वश्रेयोऽयं भविष्यचतुर्विंशतिजिनप्रतिमाः कारिताः प्रतिष्ठिताः श्रीविजयसिंहसूरिभिः ॥ श्रीपद्मनाभ ॥ १ ॥ ७३६. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयसीद्धवजीभार्याठकराणी पुत्रीजीवाइ श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं श्रीतपागच्छे जगद्गुरुबिरुदधारक श्रीहीर विजयसूरिपट्टालंकार आचार्यश्रीविजयसेनसूरिभिः || ७३७. संवत् १५३७ वर्षे वैशाखशुद्धि १० सोमे गंधार - वास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयठ ० महिराजभा० सुतठ० सहसाभा० वाल्हीठ ० सालिगभा० आसीठ० श्रीराजभा० हंसाईठ० सहिसासुत धनदत्तमा० हर्षाई एतैरात्मश्रेयोऽयं श्रीशांतिनाथत्रिवं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री वृद्धतपापक्षे श्री विजयरत्नसूरिभिः || ७३८. सं० १६१३ वर्षे वैशा० शु० १३ खौ प्राग्वाटज्ञातीयदो० श्रीझालणभा० कमलीसुतदो० कान्हा जीमा आत्मश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतनाथविं कारापितं तपगच्छनायक श्रीविजयदानसूरीश्वर विजयराज्ये आचार्यश्रीहीर विजयसूरियुवराज्ये शिष्यपंडितधर्मविमलगणिना प्रतिष्ठितं नंदरबारनगरे || ७३९. सं० १९०५ वर्षे पौषशुदि १५ दिने उकेशवंशे सा० सुधर्मभा० सलषणदे सुतसा • बलाकेन भा० चंपाईसु० सहसकरणश्रीकरणादि For Private And Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात, कुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यानामेषां ऋद्धिर्वृद्धिर्भवतु कल्याणं भवतु ॥ ७४०. संवत् १४९१ वर्षे माघशुदि १० सोमे उपकेशज्ञातीयसा० अदाभार्याबा० रूपादे तत्सुतेन सा०पोपटायेन भा०श्रा० धरमाईसहितेन पितृमातृश्रेयसे श्रीशीतलनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्री. कोरंटगच्छे श्रीसावदेवसूरिभिः ॥ ७४१. सं० १९०९ माघे उकेशको० नरपतिभा०देमाईपु० को पूनसीभा० को०मनाभ्रातृजासा सा०वीरपालभा०वापु०नेताईनाम्न्या पु० हेमाईयुतया श्रीमुनिसुव्रतबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्री. सोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीरस्नशेखरसूरिभिः बेदुरवास्तव्यः ॥ ७४२. सं० १४९१ वर्षे द्वितीयज्येष्ठवदि ८ रवौ उपकेशज्ञातौ भोचू (?) गोत्रे च साहजेसलमा०साऊंपु०सा० देइयामा०देवलदेपु० सा० नींबाकेन पित्रोः श्रेयसे पूर्वननिमित्तं च सुविधिनाथचतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० धर्मघोषगच्छे भ० श्रीमलयचंद्रसूरिपट्टे भ०श्रीपद्मशेखरसू. रिभिः शुभं भवतु । ७४३. सं० १५१९ वर्षे कार्तिकवदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० गां० तिहुणासुतमेघाभा० सांपूसुतसारंगभा० अरघूभ्रातृसहसापुत्र बांगणसहितेन पितृमातृभ्रातृआत्मश्रेयोऽयं श्रीश्रीकुंथुनाथचतुर्विंशतिपट्टः का० श्रीपूर्णिप्रधानशाखायां श्रीजयसिंहसूरिपट्टे श्रीजयप्रभसूरीणामुएदेशेन प्रतिष्ठितं गेहडीया ॥ ७४४. सं० १३८५ वर्षे प्र० आषाढव दि १ रवौ श्रीआंचलगच्छे सा० समधरपुत० जसदेव धणसीहसुतमलयसीहपुनसीहेन कुटुंबश्रेयोऽर्थे श्रीशांतिनाथबिंब कारापितं ।। For Private And Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. ७४५. सं० १५३० व० माघशुदि ४ शुक्रे सांबोसणवास्तव्य प्राग्वाटज्ञा० व्य० रामसीमा० सोमीपु० व्य० लालाभा ० झटकूनाम्न्या भ्रातृव्य • कालादिकुटुंब युतया निजश्रेयसे श्रीनमिनाथविवं का० प्र० तपाग० श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ १३७ ७४६. संवत् १६२२ वर्षे पौषवदि १ खौ श्रीप्राग्वाटज्ञाति - वृद्धशाखायां सा० पदमाभा० भूलाईसुतसं० भचाभा० हरषादे सुतसं० जिवंत कीका श्रीधरमनाथबिंबं तपागच्छे गुरु श्रीहीर विजयसूरि प्रतिष्ठितं ॥ ७४७. सं० १९२८ वर्षे मात्रवदि ५ तपागच्छे प्राग्वाटज्ञातीयपंचाणेचागोत्रे सा० सारंगभा० सुहडादेपु० देहडमा० देवलदे - पु० नाथा धना आत्मश्रेयसे श्रीसंभवनाथ विं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ७४८. संवत् १५३१ वैशाखशुदि ९ सोमे श्रीओसवंशे वृद्धशाखीयश्रे० श्रवणसुतश्रे० सारंगभा० सहजलदेपुत्रश्रे० हापा - मा० मटकूपुत्रश्रे० माणिकजीवाभ्यां पुत्रपौत्रशृंगारिताभ्यां स्वश्रेयसे श्रीश्रेयांस कारितं श्रीकोरंटगच्छे श्रीनन्नाचार्य संताने श्रीकक्कसूरिपट्टे प्रमुश्रीसावदेवसूरिवरैः प्रतिष्ठितं भलाडाग्रामे || ७४९. सं० १५०३ वर्षे सं० माइआभार्यामाणिकदेपुत्रवच्छराजतनुजश्रेयसे श्रीश्रेयांसबिंनं का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिष्य श्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only ७५०. सं० १९३१ वर्षे वैशाखशुदि १० शनौ श्रीश्रीमा० श्रे० भीमाभा० हर्षुसु० लाखाजनाम्यां पितृव्यश्रे० धनाश्रेयसे श्रीश्रेयांसबिंबं श्री पूर्णि० श्रीश्रीश्रीगुणधीर सूरीणामुप० कारितं प्र० विधिना नंदीसालाग्रामे ॥ 18 Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. __७५१. संवत् १९०८ वर्षे माहशुदि ऊ० टपगो० गे० अं० () सा० हेमामा० हेमादेपु० सहिसा भा० डाहीपु० नाथासहितैः सा० मेघानि० श्रीअजितनाथबिंब कारापितं श्रीसंडेरगच्छे प्र० श्रीशांतिसूरिभिः ॥ जीरारवाडो, श्रीअमीजरापार्श्वनाथजिनालय. ७५२. संवत् १६२२ वर्षे माधवदि २ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयवृद्धशाखायां सा० भावडभार्याबा० सबू सुतदोसीज(१)नपालभार्या बा० जीवादेसुतदो० जयवंतेन श्रीश्रीचतुर्विंशतिपट्टः कारापितः श्रीतपागच्छे श्री ५ सोमविमलमूरिप्रतिष्ठितं श्री हीरविनयसरिभिः प्रतिष्ठित श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यः ॥ ७५३. संवत् १५२० वर्षे मार्ग० शुदि ९ शनौ श्रीप्राग्वाटवंशे सं० कउझाभा० गुरुदेपु० सिंघराजसुश्रावकेण भार्या ठणकपुत्र जीवराजभ्रा० हंसराजभ्रातृव्यभोजराजसं० जसराजसहितेन मातुः श्रेयसे । श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीश्रीओसवालगच्छे श्रीकक्कसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ७५४. संवत् १५०६ वर्षे माघशुदि १३ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० मेलामा० करमादेसुतश्रीरंगमा० अमरी स्वश्रेयोहेतवे श्रीश्रीचंद्रप्रमनाथमुख्यचतुर्विंशतिपट्टः कारितः चतुर्दशीपक्षे चैत्रगच्छे श्रीगुणदेवसूरिसंताने श्रीजिनदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितः शुभं भवतु ॥ .. . संवत् १५५३ वर्षे माघशुदि १२ शनौ श्रीधंधूके श्रीश्रीवंशे मं० तेजपालमा गोमतीसुतम० कान्हासुश्रावकेण भार्याकरमादेपुत्रम० देवासहितेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीनमिनाथमुख्यश्रीचतुर्विंशतिपट्टः कारितः श्रीपिप्पलगच्छेशश्रीधर्मवल्लभसूरिभिः प्रतिष्ठितः । For Private And Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेख संग्रह. ७५६. संवत् १५२८ वर्षे फा० व० १३ arty० देवाभा० वाल्ही द्वि० पु० देवसी प्र० यु० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरि संताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *****. १३९ ७५७. सं. १६६० वर्षे वैशाखशु० १३ दि० श्रीश्रीमाल - ज्ञा० श्रा० विमलादेपुत्री श्रा० वीरा श्रीसंभवनाथबिं० का० प्रति० तपाश्रीविजयसेन म० प्रण० श्रीनयविजयग० ॥ ० झांझणभा० श्रीअंबिका का० ७५८. संवत् १६७७ वर्षे मार्गशीर्ष ५ खौ श्रीहीरविजयसूरिपट्टणकर मट्टारकश्रीविजयसेनसूरीश्वराणां मूर्त्तिः भट्टारकश्री....... ..... ll For Private And Personal Use Only जीराखाडो, श्रीमनमोहनपार्श्वनाथ जिनालय. ७५९. सं० १४८९ वर्षे वै० शु० ३ ऊकेशज्ञा ० व्य० भादासुतधनाभा० साजूसुतसदाकेन भ्रा० मेघामा० कमलाईसु० माणिक हीरा वीरा भा० जीविणिप्र० कुटुंबयुतेनात्मश्रेयसे श्री सुमति - नाथबिंबं का० प्र० तपाश्रीदेवसुंदरसूरिपट्टभूषणश्रीसो म सुंदरसूरिशिष्यश्रीमुनिसुंदरसूरिभिः || ७६०. संवत् १३४९ वर्षे ज्येष्ठवदि ६ बुधे स्तंभतीर्थे श्रीरोथडीचैत्ये देवश्री आदिनाथ........बने श्रीनागेंद्रगच्छे आचार्यश्रीगुणसेणसूरिसंताने आचार्यश्री जिन ...... .... सूरिभिः स्वश्रेयसे श्रीशार - दामूर्त्तिः कारापिता स्वयं प्रतिष्ठिता शुभं ॥ ( पाषाणमूर्त्ति ) .......... ***** जीरारवाडो, श्रीअरनाथ जिनालय. ७६१. संवत् १९६६ वर्षे पौषवदि ९ सोमे गोटूआग्रा ० वास्तव्य ऊकेशज्ञातीयमं० कडूआभा० षूनिरिपुत्रमं० नागाकेन मा० Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. माकूपुत्रसहदेलटकणादिपंचपुत्रयुतेन श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीहेमविमलसूरिभिः ॥ ७६२. सं० १६५३ वर्षे का० सित० ८ दिने प्राग्वाटज्ञातीयसा० पोपटभार्या वीरा तत्सुतसा० अर्जुनकेन श्रीवासुपूज्यबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छाधिराजश्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ ७६३. संवत् १४२१ वर्षे चैत्रशु० १३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० वीरमभा० हीमादे भ्रा० नानु बानु प० मेघाकेन श्रीपार्श्वनाथबिंब का० श्रीरत्नशेखरसूरि उप................ ॥ ७६४. सं० १४९६ आषाढशुदि ३ गुरौ भीश्रीमालीज्ञा. वृद्धशाखीयम० ठाकुरसीपु० म० मणोरसीमा० ह पुत्रमहं० सहणकेन समस्तपूर्वजमातृपितृश्रेयोऽथ मूलनायकश्रीश्रीअभिनंदनजिनचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प० श्रीकोरंटगच्छे नन्नाचार्यसताने श्रीकक्कमरिपट्टे श्रीसावदेवसूरिभिः ॥ ७६५. सं० १५१८ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ शनौ उपकेशज्ञातौ कुकुटगोत्रे साह उदापुत्रसाहलाषापुत्रसाहगणपतिपु० सा० हरिराजेन मा० हमीरदेपु० समरसी जमणसी रत्नसी विनयसी पु० सा० कर्मसी श्रे० श्रीअजितनाथवि कारितं प्र० श्रीउपकेशगच्छे ककुदाचार्यसंताने श्रीकक्कसूरिभिः श्रीः॥ ७६६. सं० १९५२ वर्षे वैशाखवदि १३ सोमे प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० हरपाल भाषर मं० धनाभा० धरमादे पु० जागुभपतिनाथाभा० करमादे जीवाभा० लीलादे मातृ० भ्रातृश्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीनागेंद्रगच्छे भ० श्रीसोमरत्नसूरि तत्पट्टे श्रीहेमसिंहसूरिगुरुकरे चा(ण)॥ For Private And Personal Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ७६७. सं० १९०७ वर्षे वैशाखवदि ६ गुरु श्रीमालज्ञातीयश्रे० देवडभा० साल्हूपुत्रलीत्राकेन भा० पूरीसहितेन आत्मश्रेयसे श्रीशांतिनाथविं कारितं प्र० सिद्धांतीयगच्छेशश्रीसोमचंद्रसूरिभिः ॥ ७६८. सं० १३९९ मद्दाहडीय श्रे० झांझणमा ० देल्हणदे पु० धरणिरोला पुत्रश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० श्रीरत्नाकरसूरिशिष्यश्रीसोमतिलकसूरिभिः ॥ ७६९. संवत् १९७३ वर्षे आसाढशुदि ५ गुरौ ओसवालज्ञा ० वृद्धशाखीयसा० घर्मणमा० धर्मादेपुत्र्या तथा सा० सहसकिरणभार्यया सोनाईनाम्या श्री आदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं कोरंटगच्छे श्रीनन्नसूरिभिः मातरग्रामे ॥ ७७०. संवत् १९७१ वर्षे वैशाखशुदि १ गुरौ श्रीश्रीमालीज्ञा • श्रे० तांइयामा० मरघूसुतश्रेष्ठिसा ० ऊग्रामा० रत्नादेपुत्र जयवंत सहितेन स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं कारितं श्रीनागेंद्रगच्छे प्र० श्रीमहीरत्नसूरिभिः । ७७१. संवत् १७२१ वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ खौ खंभायतवास्तव्य - प्राग्वाटज्ञातीयवृद्धशाखीयसा० जगासुतसा काहनजीभार्याबाईपापडनाम्या श्रीपार्श्वनाथविं कारापितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छीयम० श्रीविजयानंदसूरिपट्टालंकारमट्टारक श्रीविजयराजसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ संघवीपाडो, श्रीसोमपार्श्वनाथ जिनालय. ७७२. सं० १९६३ वर्षे वैशाखशुदि ६ शनौ श्रीकुकुटगोत्रे उकेशज्ञा • सा० गुणिआभार्यामणकाईसुतसा० समरसिंहेन भार्या रूपाई धारूप्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीसुविधिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीओसवालगच्छे श्रीसूरिभिः ॥ ७७३ संवत् १६०४ वरसे वैशाखवदि ७ सोमे श्रीश्रीमाली - For Private And Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. ज्ञातिसा० गणपतिपुत्रगोविंदभार्या बा० गोराई सा० नारायण सा० हरजी सा० देवा बा० रूडी १६ श्रीशांतिनाथबिंब श्रीविजयदानसूरिप्रतिष्ठितं ॥ ७७४. संवत् १५६० वर्षे ज्येष्ठवदि ७ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय साहगणपतिभार्या रंगाई तत्सुत सा० जगा सा० राजा सा० गोविंद जगामार्याजासलदेनाम्न्या निजकुटुंबयुतया श्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुपदेशेन स्तंभतीर्थे श्रीरस्तु ॥ ___७७५. संवत् १५२१ वर्षे आषाढशुदि ३ गुरौ ओसवंशे सा० खीमामा० खीमादेपुत्रसं० करणाभा० सोमीपुत्रसं० श्रीवतेन भा० पल्हाईप्रमुखकुटुंबसहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीगच्छेशश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन स्वपितृपूर्वजश्रेयसे श्रीअजितनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीरस्तु ॥ ७७६. सं० १३५३ वैशा०व० १० शुक्र श्रीवायडीयश्रे० लणासुतश्रे० वीसलेन पितृमातृ आत्म....प्रभृतिश्रेयसे श्रीवायटगच्छीयश्रीजीवदेवसूरिमिः श्रीचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रातष्ठितः ॥ ___७७७. संवत् १९३३ वर्षे माघशु० ६ सोमे उकेशवंशे सा० सरवणभा० वासुतसा० वाचाभा० तेनलदेसुतसा० राणाकेन भा० आपूप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीसुमतिनाथचतुर्विंशतिपट्टः का० स्वश्रेयोऽर्थ प्र० तपागच्छेशश्रीश्रीश्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीस्तंमतीर्थनगरे ॥ ७७८. संवत् १९६१ वर्षे वैशाखवदि ५ बुधे श्रीओएसवंशे सा० हांसामा० हāपुत्रसा० गुणीयामा० गंगादेपुत्रसा० मेघरान. सुश्रावकेण भार्या वीराई वृद्धभ्रातृसा० कुरा लघुभ्रातृहेमराजसूरा For Private And Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेखसंग्रह. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४३ मुख्यकुटुंबसहितेन स्वमातुः श्रेयोऽर्थ श्रीअंचलगच्छे श्रीभावसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाथबिंबं का० प्र० श्रीसंघेन श्रीपत्तने ॥ ७७९. सं. १९२८ आषाढशुदि २ दिने श्री केशवंशे सा० सामलपुत्रसा • भांडामार्याभावलदेवीपुत्रेण सा० पूनाश्रावकेण भ्रातृसा० चोखाप्रमुखपरिवारसहितेन श्रीचंद्रप्रभर्विवं कारितं प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ७८०. संवत् १६२२ वर्षे माहवदि २ बुधे वडदलावास्तव्य प्राग्वाटज्ञातिशृंगार मंत्रिणिदास भार्यारहीपुत्रमं० की काभार्या कर्मा देवीपुत्र हंसराजभार्या इंद्राणीपुत्र धनराजहीरजीहरजीप्रमुख समस्त कुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽयं श्रीपद्मप्रभवं कारितं श्रीतपागच्छे श्री आणंद विमलसूरि तत्पट्टे श्रीविजयदानसूरि तत्पट्टे भट्टारकप्रभु श्री हीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं स्तंभतीर्थे शुभं भवतु ॥ ७८१. सं. १५१० ऊकेशगांधीगोत्रे सं. बाहडभार्या वल्हादे पुत्रसं. पासदेवपत्न्या सो. सिंघाडूल्हादेपुत्र्या सं. बा. सिरिनाम्या पुत्रसं. रयपति संमारठंई आसा रामा जयता पौत्र हीरा काला वीरा ठाकुर जयसिंघ जगसी रत्नादियुतया श्रीपार्श्वविनं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमूरिभिः ॥ संघवीपाडो, श्रीविमलनाथ जिनालय. ७८२. संवत् १६२६ वर्षे फागुणशुदि अष्टमी सोमवासरे श्रीमत्तपागच्छाधिराजश्री ५ श्रीहीर विजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीश्रीमालज्ञातीय साह कान्हआभार्या बाई कपूराई सुत कुंअरजी भीमजी रामजी इंद्रजी युतेन श्री अजितनाथबिंबं कारितं स्वश्रेयसे ॥ For Private And Personal Use Only ७८३ . संवत् १६१६ वर्षे वैशाखशुदि १० खौ श्रीश्रीमालज्ञातीयवृद्धशाखायां साहलटू पुत्र साहजीवाभा० जीवादेपुत्रदो ० Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खंभात. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४४ रतनपाल श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारापितं श्रीतपागच्छगुरुश्रीविजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ७८४. संवत् १९१७ वर्षे माघशुदि १ शुक्रे श्रीश्रीवंशे व्य० सालिगभार्या लहिकुपुत्रव्य० वेलासुश्रावकेण मार्याकुंअरिपुत्र देवदास गंगदाससहितेन श्रीश्रीश्रीअंचलगच्छेवरश्रीश्रीश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन पितृमातृपुण्यार्थे श्रीसंमवनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीरस्तु डहिरवालाग्रामवास्तव्यः ॥ · ७८५. संवत् ११३१ वर्षे पौषमासे कृष्णपक्षे षष्ठीदिने रविवासरे श्रीस्तंभतीर्थनगरे श्रीओसवंशे वृद्धशाखीयसा० जिइतसीभार्याजितलदे मुनी बनाई श्रीविमलनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीतपा गच्छनायकश्रीश्रीहीरविजयसूरीश्वरैः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ ७८६. संवत् १४८५ वर्षे माहशुदि १० शनौ ऊकेशज्ञातीय श्रे० नाथाभार्या वानू पु० सा० महुणाकेन भार्यापूरीप्रमुख कुटुंब युतेन स्वश्रेयसे श्रीजिनश्रीमुनिसुव्रतबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीदेवसुंदरसूरि पट्टधरश्रीसोमसुंदरसूरिराजैः सुविहितचूडामणिभिः ॥ चोकसीनी पोळ, श्रीविमलन, थजिनालय. ७८७. संवत् १९४४ वर्षे माघशुदि १२ खौ ओसवालज्ञातीयलघुशाखायां सा० भलाभा० हांसूसुतवीरपालकेन भा० जीवादेप्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीमूलनायक श्रीसुमतिनाथप्रमुखचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीधर्मरत्नसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यः ॥ For Private And Personal Use Only ७८८. संवत् १९२१ वर्षे वैशाखशुदि ३ प्राग्वाटज्ञातीयव्य० राउलभार्यावीझूसुतसमाकेन भार्यागउरीसुतधनाव नादत्तादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थं श्रीकुंथुनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AAAAAAAAAAAAAAAAMAvive - जैनप्रतिमालेखसंग्रह. m ommmmmmmmmmmor तपागच्छेशश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः शुभं भवतु ॥ . ७८९. संवत् १६३० वर्षे पौषवदिचतुर्थीदिने सोमवासरे श्रीमालीज्ञातीयदो० रीडामा० बाईजीवादेसुतदो० मेघजीनाम्ना श्रीवासुपूज्यप्रतिमा कारिता सकुटुंबनिनश्रेयोऽथ प्रतिष्ठिता च श्रीतपागच्छनायकभट्टारकप्रभुश्रीश्रीहीरविजयसूरिभिः श्रीपत्तननगरे श्रीरस्तु ॥ ७९०. संवत् १५१३ वर्षे पौषव०३ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसंघवीगोगाभार्यारतनादेसुतधीराभार्यारांकुसुतसिवाकेन मातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीआदिनाथवि का० प्र० पूर्णिमापक्षीयश्रीसाधुरत्नसूरीणामुपदेशेन श्रीसंघेन विधिना धाड्याग्रामवास्तव्यः ॥ ७९१. संवत् १५८७ वर्षे पौषशुदि १३ श्रीवीसलनगरवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयप० हरपतिमा० हीरूपुत्रपटुआहेमराजकेन भगिनीकतूमा झमकीप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीअजितनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीश्रीश्रीहेमविमलसूरिभिः ॥ ७९२. सं० १९५२ वर्षे माघव०८ शनौ उकेशवंशे सा०देवा पु०सा० चांपाभा० वीकूपु० वरसिंगधर्माभा० जीवादेसं० कुरपालभा० कमलादेपुत्रसं० गोइंदभा०गांगीपु०सं०देवाभा०देवलदेपु०सा०राजा भा० रमाईपुत्रसं०हेमाकेन भ्रातृसं० खीमासं० लाषासं० हेमापुत्रजगमाल जिणपाल सं०खीमाभार्यासिंगारदेपु०महिपालसं० लाषाभार्या लाषणदेपुत्रनयतपालप्रमुखकुटुंबयुतेन निनश्रेयसे श्रीश्रीश्रीअजितनाथवित्र चतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसंडा(डे)रागच्छे श्रीशांतिसूरिभिः।। ७९३. सं० १४१० माघव० १ रवौ उपकेशज्ञा० श्रे० सलषामा० सलपणदेपुत्रगुनपालभा० झणकूपुत्रसींघणेन श्रीपार्श्वबिंबं का० प्र० श्रीनाणकीयगच्छे श्रीधनेश्वरसूरिभिः ।। ___ ७९४. संवत् १६१७ वर्षे ज्येष्ठशुदि ५ सोमे श्रीपत्तनमध्ये 19 For Private And Personal Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४६ खंभात. श्री ओसवालज्ञातीयपरी ० मालाभार्या बाई मरवाई पुत्र जयवंत भार्याकीचाई श्रीवंतभार्याटांकुपुत्री कसतराई बिंबं श्रीअनंतनाथ कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीतपापक्षे श्रीविजयदानसूरिभिः कल्याणं शुभं भवतु ॥ चोकसीनी पोळ, श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथजिनालय. ७९५. संवत् १२०५ वर्षे ज्येष्ठशुदि ३ खौ कान्हामार्या सा.... श्रेयोऽर्थ चांदलालाकयोः कारापिता ना" (इ) लगच्छे ॥ ७९६. संवत् १९१७ वर्षे माहशुदि १० सोमे श्रीश्रीवंशे श्रे० मांडणभा० फदूपु० राजासुश्रावकेण मा० हर्षूभ्रा० मनामेहालाषासहितेन श्रीअंचलगच्छेश्वरश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन पितृमातृश्रेयोर्य श्री सुमतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ७९७. संवत् १९२१ वर्षे वैशाखशुदि १३ गुरौ श्रीश्रीमालीज्ञातीयश्राविका गांगी नाम्म्या भ्रातृव्यपुत्रनिटहीत (?) श्रे० कर्मसीभा० नामल तया श्वश्रनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्री श्रेयांसनाथर्बित्रं कारितं प्र० पूर्णिमागच्छे श्रीराजतिलकसूरिभिः ॥ ७९८. संवत् १९०५ वर्षे प्राग्वाटज्ञातीयव्य० मलाकेन निजभगिनीव्य० धनाभार्याचां श्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छनायकश्री जयचंद्रसूरिभिः उटववास्तव्यः || ७९९. सं० १५०३ वर्षे आषाढवदि ७ सोमे उकेशवंशीयगोठचांपाभार्या श्रा० चांपलदे तयोः सुतगोठीसोनपालेन स्वकुटुंबश्रेयसे श्रीशांतिर्विनं कारितं प्र० श्रीरत्न सिंह सूरिभिः ॥ ८००. संवत् १९१३ वर्षे माघवदि २ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० पातामा०माणिकिश्रे० चापुक० चांपलदेसुताकोईश्रेयोऽर्थ पातासुतेन वर्द्धमानेन क० वउदेयुतेन श्रीअजितनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं आगमगच्छे श्रीसाघुरत्नसूरिभिः गोधावीवास्तव्यः || For Private And Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह ८०१. सं० १३०...............................सीहभार्या नायकपुत्रनयता.................मातृपितृश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीअमरप्रभसूरिशिष्यैः श्रीज्ञानचंद्रसूरिभिः।। ०२. संव० १५१२ वैशाखमासे श्रुति ५ प्रामाज्ञातीय श्रे० पासडसु० पचाभा० पूजापु० श्रे० अर्जनमं० सहनाभार्यातिली तयोः आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीअजितनाथविवं प्रतिष्ठितं श्रीविजयधर्मसूरिभिः ॥ ८०३. सं० १३५६ ज्येष्ठ वदि । श्रे० दीणासुतश्रे० आजाश्रे० पीकमाभ्यां मातृलाछिश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवि कारित प्रतिष्ठितं वृहद्गच्छे श्रीहेमप्रभसूरिशिष्यैः श्रीपद्मचंद्रसूरिभिः॥ ८०४. सं० १५०७ वर्षे ज्येष्ठशुदि १० सोमे श्रीस्तंभतीर्थीयसौवर्णिकज्ञातीयसो० कर्मसीमा० राऊसुतावारूनाम्न्या श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीरत्नसिंहसूरिभिः ॥ ८०५. सं० १४७९ वर्षे............श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० वईजाभा० वनीसुत गरेण भा० लालुसुतसमधरादिकुटुंबयुतेन निजश्रेयसे श्रीश्रीधर्मनाथपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता श्रीसूरिभिः ॥ ८०६. संवत् १९४२ वर्षे वैशाखशु० १० गुरौ गूर्जरज्ञातीय वि. जेसाभार्यानारूपुत्रविसानाथामार्यामकीसुतलाइयामिधानेन निजपितुः श्रेयसे श्रीआदिनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारापितः श्रीआगमगच्छे श्रीजिनराजसूरि तत्पट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं कल्याणं भूयात् घोघावास्तव्यः।। ०७. सं० १४७७ वर्षे मार्गव० ४ ऊकेशवंशीयमं० कालामा० रणादेसुतम० सिंहाकेन भा० देवलदेपुत्रमं० लांपा सहसा आसधरदेवराजादियुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिगुरुराजैः श्रीः श्रीः॥ For Private And Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. ८०८. संवत् १९०६ वर्षे चैत्रवदि १ रवौ ब्रह्माणगच्छे श्रीमालज्ञातीयश्रे० कर्मणभार्याबाउंसुतपितृपर्वतमातृलाछूश्रेयोऽथ सुतनासण बचा गेला एतैः श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीबुद्धिसागरसूरिभिः ।। वडद्रावास्तव्यः ॥ ८०९. संवत् १४८६ वर्षे वैशाखशुदि ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयम० धणपालभार्या धांधलदे तयोः सुतम०अर्जन स्वपितुः श्रेयोऽर्थे श्रीअजितनाथस्य बिंबं श्रीमुनिसिंहसूरीणामुपदेशेन कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीशीलरत्नसूरिभिः पूर्व डाभिलावास्तव्यः सांप्रतः अरणी ओडावास्तव्यः।। ८१०. संवत् १९०८ वर्षे वैशाखवदि १० खौ ओसवंशे सिंघाभा० मचकूपु०सामनभार्यया बा०वीरूश्राविकया पुत्र रत्ना धर्मा कर्मासहितया श्रीअंचलगच्छे श्रीगच्छेशश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ ८११. संवत् १५१६ वर्षे मार्गशुदि ३ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे०मूलभार्या अरघूसुतश्रे० गोईआश्चयोऽर्थ श्रे० रत्ना श्रे० राणा श्रे० चांदाकेन कारितं श्रीसुमतिनाथविवं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ ८१२. सं० १५०५ वर्षे मावशुदि ५ रवौ श्रीश्रीपालज्ञातीय व्य० आसाभा० राजूसु०माणिकभा०रामतिसु०पशमलेन स्वपितृश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथबिंब पूर्णिमापक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना श्रीस्तंभतीर्थपुरे ॥ ८१३. सं० १४९१ फा०व० ५ श्रीश्रीमालज्ञातीयम० षोषाभाषेतलदेपुत्रमं० जेसाकेन भा०चमकूपुत्रीराजू तत्सुतश्रीपालयुतेन स्वश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंब का० प्र० तपागच्छप्रमुश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ।। ८१४. सं० १९३७ वर्षे पौषव०१० गुरौ ऊकेशज्ञातीय For Private And Personal Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १४९ सा० नरसिंगभा० नायकदेपुत्रवनांगेन भा० सूलेसरि भ्रा० हर्षासिंघापुत्र धीरारत्नागदादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठित तपागच्छनायकश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ।। ८१५. सं० १९७३ व० वै० शु० ८ बुधे गिरपुरे हुबडज्ञातीयमंत्रीसुरगोत्रे गां० शिवाभार्याभूवदेसुतगां. तेजा नाईआ तेजाभा० नाथीसु० वाघासिंघारंगानाईआभा० मरघीनायकदेसु० केशवप्रमुखकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीश्रेयांसनाथवि सूवदेनिमित्तं श्रीवृ० तपापक्षे भ० श्रीधनरनसूरिश्रीसौभाग्यसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। ८१६. संवत् १५२० वर्षे माधवदि १० गुरु श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिसाईआभार्याअरघूसुतचाईयाकेन भा० मीरूसु० भोनाराजायुतेन श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीविमलसूरिभिः जालीयावास्तव्यः ॥ ८१७. सं० १४९० वर्षे वैशाखशुदि ७ गुरु श्रीमोढज्ञा० दो० सहजामा० सूल्हीसुतदो० सायरेण पित्रोः श्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंब का० प्रति० श्रीविद्याधरगच्छे श्रीदेवप्रभसूरिभिः ॥ ८१८. सं० १३-१ ज्येष्ठवदि ३ गुरौ............लालिश्रेयसे........................श्रीशांतिनाथः कारितः श्रीविबुधप्रभसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ८१९. सं० १३९१ वर्षे आषाढशुदि ५ सोमे श्रीमालज्ञा० ४०.... जासु० ०० देवसीश्रेयसे ठ० लूणाकेन श्रीपार्श्वबिंब का० प्र० श्रीमेरुतुंगसूरिशिष्यश्रीमरुप्रभसूरिभिः ॥ २०. सं० १३०९ व० फागुणशुदि ८ प्राग्वाटश्रे० गहगडभा० नायकपु०पाल्हाकेन पित्रा श्रे० श्रीपार्थचिंबं कारितं श्रीसोमतिलकसूरीणामु०॥ For Private And Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १५० www.kobatirth.org खंभात. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोकसीपोळ, श्रीमनमोहनपार्श्वनाथ जिनालय. ८२१. संवत् १३८८ वैशाखवदि ६ शुक्रे पं० खेताश्रेयोऽयं मं० राणाकेन श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता || ८२२. सं० १५१९ वर्षे वैशाखवदि ११ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० व्य० निरूआभा० शाणीसु० व्य० भोजाभा० फालुसु० ठाईआकेन स्वकुटुंबयुतेन पितृमातृश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंबं पू० श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुप० कारितं प्रति० विधिना शेपपुरग्रामे || ८२३. सं० १३१४ वैशाखवदि १३ श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीपननू ( पज्जुन) सूरि संताने श्रे० जालासुतश्रे० आल्हणेन श्रेयसे श्रीआदिनाथविं कारापितं ॥ ८२४. सं० १९२० वर्षे वैशाखवदि ७ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० हीराभा० हरषूकेन स्वभर्तृश्रेयोऽर्थं श्रीसंभवनाथर्विवं कारितं प्रतिष्ठितं आगममच्छे श्रीआणंदप्रभरि उपदेशेन श्रीगुणरत्नसूरिभिः बजाणावास्तव्यः ॥ ८२५. सं० १४९९ वर्षे फागुणव० २ उपकेश० सुचिंतीगोत्रे सा०वीराभा० भाउलदेपु० देवाभा० कउतिगदेयुतेन श्रीविमलनाथ बिंब का० प्र० उपकेशगच्छे ककुदाचार्य ० श्रीकक्कसूरिभिः || चोकसीपोळ, श्रीमहावीर जिनालय. श्रीश्रीमाल - ८२६. संवत् १९८१ वर्षे मात्रवदि १० शुक्रे ज्ञातीय वृद्धशाखीयम ० झालाभा० सपीसु० म०कडूआभा० कामलदेसु टोकरनाकर कुटुंबयुतेन श्रीमन्निगमप्रभावकार मगुरुश्री आणंदसागरसूरिभिः श्रीशांतिनाथविनं कारितं प्रतिष्ठितं राइधानपुरवास्तव्यः ॥ For Private And Personal Use Only O Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. wwww - ८२७, संवत् १५१८ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० राणाभार्याराणीसुतश्रे० लाडणेन भार्यालाषणदेप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः आगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरिगुरूणामुपदेशेन प्रतिष्ठापितश्च मंडलीवास्तव्यः ॥ ८२८. सं० १६२७ वर्षे पौषशुदि १५ गुरु ओसवालज्ञातीयवृद्धशाखायां साहहांसासुतबा ० वरवा श्रीसंभवनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीविजयदानसूरि तत्पट्टे श्रीहीरविजयसूरिभिः स्वहस्तेन संमतीर्थे ॥ चोकसीपोळ, श्रीशांतिनाथजिनालय ८२९. सं० १३७१ श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमालज्ञातीयभ्रातृ भीमा समस्तपूर्वजानां श्रेयसे भ्रा०महूणाकेन पंचपरमेष्ठि कारितः प्र० विमलसूरिभिः ॥ ८३०. सं० १४७२ वर्षे फागुणवदि ११ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीयपितृश्रे० महिपा मातृप्रीमीश्रेयसे सुतमेघाकेन श्रीवासुपूज्यविवं कारित पूर्णिमापक्षे श्रीजयतिलकसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं सूरिभिः।। ८३१. संवत् १५३१ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ श्रीश्रीमा० पोमाभा०पोमादेसुतमहिराजभार्यापातीचा श्रा० स्वभर्तृश्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथबिंब का० प्र० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीश्रीश्रीकमलचंद्रसूरीणामुपदे० श्रीश्रीहेमरत्नसूरिभिः ॥ ८३२. संवत् १५३१ वर्षे माघवदि ८ सोमे श्रीओएसवंशे सा०कुनामा० कुतिगदेपुत्रप्ता० वाघासुश्रावकेण मा० कर्माईपुत्रभीमासहितेन पत्नीपुण्यार्थ श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथविवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीस्तंभतीर्थे । For Private And Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PAAKAAAAAAAAAAWwww - AAAAAAAAAmwww - - खंभात. immmmmmmmmmmmmmmmmmen ८३३. सं० १२............शुदि १३................ श्रीपार्श्वचिं....................श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ - ८३४. संवत् १५४८ वर्षे वैशाख०शु०२ शनौ गंधारवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीयप० लूणसीसु० गोपालसु० सारिगमा० धारूसु० भोजामा० वारूसु० पदमसिंहेन श्रीशीतलनाथवि कारापितं . आगमगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। . ८३५. संवत् १४८१ वर्षे माघशुदि ९ शनौ उकेशवंशीय सा० नागपालमार्याश्रा० नागलदेसुतया मल्हाईनाम्न्या श्रीजीवितस्वामिश्रीपार्श्वनाथवि कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीरत्नसिंहसूरिभिः श्रीवृद्धतपापक्षे ॥ ८३६. सं० १५३१ वर्षे ज्ये०शु० २ रवौ महिसाणावासिप्राग्वाटज्ञा० सा० गोधाभा० डाहीसुतसा० कर्मणेन भा० पतीनाम्न्या श्रेयोऽर्थ श्रीनमिबिंब का० प्र० श्रीतपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसुमतिसुंदरसूरीणामुपदेशेन श्रीरस्तु ॥ ८३७. सं० १५०६ वर्षे फागुणवदि ५ सोमे सा० डूंडामार्या भरमादेपुत्रसालाभार्यासातदेपुत्रसवपापोपापाचाचासहितेन आत्मश्रेयसे श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं ब्रह्माणगच्छे भ० श्रीउदयप्रभसूरिभिः॥ ८३८. संवत् १३८९ (१) वर्षे फागुणशुदि २ सोमे वीरा(१)पुरीयगूर्जरज्ञातीयश्रे० रानडभा........पितामहषीमामा० सरसई श्रीश्रीशांतिनाथबिंबं॥ ८३९. सं० १४९० श्रीपू० सोनीसालिगकारितं श्रीआ. दिनाथः ॥ __८४०. सं० १२६१ ज्येष्ठशुदि २ श्रीपार्श्वनाथवि सु० देदाराजापंचाजयनू.............श्रीध....सूरिशिष्यैः श्रीनय.... सूरिणा प्रतिष्ठितं !! For Private And Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १५३ ८४१. सं० १९६३ वर्षे पैशापशु० ६ शनौ श्रीस्तं मतीर्थका० श्रीऊकेशज्ञा० सो० जिणी आभार्या माचीसुतसो० जईतभार्या जई तलदेनाम्न्या पुत्रजयवंतादियुतया श्रीवासुपूज्यबिंबं का० प्रति० श्रीतपागच्छे श्री हेमविमलसूरिभिः ॥ ८४२. सं० १९०८ वर्षे चैत्रशुदि १३ खौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० पंत्रामा० अहविदेपु० अमरसी भ्रा० कमलसीभा० चमकूपु० देवाकेन भा० देल्हागदेसहितेन स्वपूर्वजश्रेयोऽर्य श्रीविमलनाथविनं कारितं प्रतिष्ठितं आगमगच्छे भट्टारकश्री सिंहदत्तमूरिभिः ॥ ८४३. सं० १९२४ वै० व० ७ प्रा० व्य० नारदमा ० करमीसु० व्य० लाईया भ्रा० कूंरपालेन भा० मरगदिपु० सुरदास वर्द्धमानादिकुटुंब तेन निजश्रेयसे श्रीपद्मप्रभबिंबं कारितं प्र० श्रीतपागच्छाधिराजश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिराजैः श्रीकालूपुरनगरे || ८४४. सं० १९११ मात्रशु० ४ चांगपद्रवासिऊ केशमं ० सखणसुतमं० राममा० लाढीसुतलुपाकेन भ्रा० चांपाभा० चमकू कीला सुत भपाहानाहराजादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० तपाश्रीमुनिसुंदरसूरिपट्टे श्रीरत्नशेखरसूरिभिः || O ० ८४१. सं० १५३४ वर्षे माघशुदि १० दिने ऊकेशसा० मकामा माल्हणदेव्या सुतसा पहापासामदे धर्मण पौत्रसुंटा समरा बच्छा प्रपौत्रसिंघदत्तादिकुटुंत्रयुतया श्री शीतलबिंबं का० प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः वीसलनगरे || ८४६. सं० १९३१ वर्षे माहशुदि १० सोमे श्रीश्रीमाळ मंत्रिमहामा० माणिकदेसु० सहिताभार्या बडी स्वभर्त्तारनिमित्तं आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीजीवितस्वामिश्रीविमलनाथर्बिनं कारितं प्रति० पिप्पलगच्छे त्रिभ० श्रीधर्म्मसागरसूरिभिः || 20 For Private And Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १५४ www.kobatirth.org भात. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४७. संवत् १६३९ वर्षे चैत्रवदि ११ भूमे षरदूथमा ० मीऊ पुत्र सोमापुत्रमहम स्वश्रेयो श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री उदय मंत्र (सिंह) सरिभिः गच्छे || ८४८ मं० १४८६ श्रीगल अबौत सा० गोहणसुतसा हरपालमा० [० सोनीपु० सा० बच्छराजेन भा० जजण भ्रातृसमधरादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपापक्षे श्रीमट्टारकश्री सोमसुंदरसूरिभिः ॥ सं० १४८६ श्रीमाल सा० हरपालपु० बच्छराजेन चतुर्विंशतिपट्टः का० ० अलिंग, श्रीमुनिसुव्रतजिनालय ८४९. संवत् १९१६ चैत्रवदि ५ गुरौ प्राग्वाट० कर्मसी मा० फदकुपुत्रमहिराजेन मा० सोहीयुतेन पितृश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंबं कारापितं श्रीवृद्धतपापक्षीयभ० श्रीविजयरत्नसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ८५०. संवत् १९१७ वर्षे मात्रशुदि १० सोमे स्तंभतीर्थवास्तव्य ओसवालज्ञातीयसा • वरसिंगभार्यामेघू सुतवीरा केन भार्या चंपाई भ्रातृहीरादिकुटुंबयुतेन श्रीश्रेयांसचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः डेग्गच्छे श्री ईसरसूरिभिः ॥ ११. सं० १९०६ ० कार्त्तिकव ० १ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा • सा० कर्मणभा० कामलदेपु० गजाकेन मा० जीविणिपृ० देवदत्तस० श्रीसुमतिनाथर्बित्र का० प्र० श्रीमाधुपूर्णिमाप० श्रीरामचंद्रसूरिप ० श्रीपूर्णचंद्रसूरीणामुपदेशेन विधिना श्राद्धैः ॥ For Private And Personal Use Only ८१२. संवत् १९२८ वर्षे फा० शुदि ७ डीनावालज्ञातीय सं० भीमाभार्या अरघुनामातृव्य० मोषाभा० गुरीनाम्न्या श्रीपद्मप्रभबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः शुभं भवतु कारकस्य ॥ Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह ८५३. सं० १५२८ फा० शु० १० बुधदिने भतीर्थवाति मोढनारिभृगार३० पर्वतभा० सावित्रि सहन दे पुत्रेण ० का हाकेन मा० मपुत्रनिणदामप्रमु बकुटुंवयु. निनश्रेय ले श्रीधर्मनायब हा० प्र० श्रीरत्न शेखरमूपि श्रीलक्ष्मीसागरजूरिभिः न माग छ ।नाधिरानैः ।। ८५४. संवत् १६६२ वर्षे द्वितीयचैत्रकृष्णषष्ठी शुके वृद्धशाखायां प्राग्वाटज्ञातीयम्तंभतीर्थवास्तव्यसा० सिंवासुतस लषा. सुतसा. हीमाभार्यावइनलदेसुतसा० अमिआख्येन भार्यातेनलदेसुतसा. पुण्यपालप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीचंद्रप्रभस्वामिवि कारितं प्रतिष्ठितं घ तपागच्छे भट्टारकश्रीविजयसेनसूरीश्वरैः ॥ १५. सं० १५०४ आषाढशु० २ प्रा. ज्ञा० व्य० रा. जसीमा० मेघूसुतधरणाभा० सारूसुतहेमाकेन भ्रातृअमरापिसव्यसावा स्वकुटुंबयुतेन पितृश्रेयसे श्रीअनंतनाथवि का० प्र० तपागच्छे श्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ ८५६. सं० १४९२ वर्षे चैत्रवदि ५ शुक्र प्रा० सा० पारहाभा० नागूपु० सिवाभा० अरघू आत्मश्रेयसे श्रीआदिनाथर्विवं कारित प्रतिष्ठितं श्रीसर्वसूरिभिः ॥ ८५७. संवत् १५६३ वर्षे वैशाखशुदि ६ शनौ श्रीश्रीवंशे सा० वाच्छामा० रूपाईसु० साल्हामा० कपूपुत्रश्रीचंद्रसुश्रावकेण मा०विमलादपुत्रनाकरसहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीभावसाग सूरीणामुपदे. शेन श्रीकुंथुनाथर्निवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन शुभं भवतु ॥ ८५८. सं० १५५६ वर्षे वैशाखशुदि ११ शुक्रे गंधारवासिश्रीश्रीमालज्ञातीयमांडवीआसा० सायरमा० गौरीसुतरणायरमा. ककूनाम्न्या पुत्रहंसराजयुतेन श्रीसुविधिनाथवि कारि प्रतिष्ठित पीपछगच्छे सर्वसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बभात. लाडवाडो, श्रीअभिनंदनजिनालय. ८५९. संवत् १६७७ वर्षे कार्तिकामित ६ वी स्तंमतीथे मोढज्ञातीयहानाश्राविक्रया अनंतनाथविध स्वप्रतिष्ठायां प्रतिधारितमतिष्ठितं तपागच्छे भट्टारकपुरंदरश्रीविनयदेवसूरिभिः ॥ ८६०. पातसाही ४१ फा० शु० ८ ओसवालवृद्धशा० साह जगपालमार्या बाई रूपाई कारितं श्रीशांतिविबं प्र० तपाश्रीविजयसेनसूरिभिः १६५३ ॥ ८६१. संवत् १५१५ वर्षे फागुणशुदि १२ बुधे श्रीकोरंटगच्छे उपकेशज्ञातीयसाहधर्मसीभार्याधर्मादेपुत्रश्रेष्ठिधाराश्रेष्ठिलाइआ श्रे० लाइआकेन भ्रातृवलाश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रति श्रीसोमदेवसूरिभिः ॥ भोयरापाडो, श्रीनवखण्डापार्श्वनाथजिनालय. ८३२. सं० १५१७ वर्षे माघशु०१० सोमे बोरसिद्धिवास्तव्य श्रीश्रीमालीज्ञातीयठ० मणोरसीभा०शाणीसुतामनीनाम्न्या श्रीपार्श्वनाधबिंब कारितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षे श्रीरत्नसिंहसूरिभिः ॥ ८१३. सं० १५१८ वर्षे फागुणवदि १. सोमे चंडालियागोत्रे उपकेशज्ञातीयसाहगुणीआभा० भोलीनाम्न्या पुत्रकमलाभोजासहितया स्वश्रेयसे श्रीनमिनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीमलधारिंगच्छे श्रीविद्यासागरसूरिपट्टे भट्टारकश्रीगुणसुंदरसूरिभिः ।। ८६४. संवत् १६७७ वर्षे कार्तिकासितप्रतिपदनंतरद्वितीयायां बुधवासरे स्तंमतीर्थे उ ज्ञातीयसा० चय(?)भा०वीरगाईनाम्न्या श्रीसुमतिनाथविध का० प्र० तपागच्छभ० श्रीविजयसेनसूरिपट्टालंकारभट्टारक श्रीविजयदेवसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. ८६५. सं० १३१० व० वदि १० गुरौ ... वाल्हणेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारापितं श्रीनागेंद्रसूरिभिः ************...* ८६६. सं० १४६९ वर्षे वैशाखशुदि ३ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० कालामा० पारहणदेसु० वीराकेन वृद्धश्नातृचांपाश्रेयोऽर्थ पंचतीर्थी श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीपू० श्रीविद्याशेखरसूरीणामुपदेशेन ॥ ८६७. सं० १४६५ वर्षे वैशाखशुदि ३ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे०मा... मार्याभावलदे पितृमातृश्रेयसे कारितं ब्रह्माणगच्छे श्रीवीरसूरिमिः प्रतिष्ठितं श्रीदेवेंद्रसूरि आदि............ ॥ ८६८. संवत् ११३७ वैशाखशुदि ३ दिने श्रीओसवंशे सूराणागोत्रेः संघवी वीरदेवपुत्रसं० गोसलभार्यारंगाई पुत्रसं० जीवणभा० जीवि णिपु०सं० विद्याधरसाडाभ्यां संघ० रंगाईपुण्यार्थं श्री आदिनाथर्निवं कारितं श्रीधर्मोपगच्छे श्रीपद्मशेखरसूरिपट्टे श्रीपद्मानंदसूरिभिः ॥ ८६९. सं० १६.१७ वर्षे पोषव० १ दिने बोरसिद्धि प्रतिष्ठितं प० सिंघीमा० राजलदेनाम्न्या श्रीशीतलनाथबिंबं तपापक्षे श्रीविजयदानसूरिपट्टे श्रीहीर विजयसूरिभिः भद्रं भवतु || ८७०, संवत् १९२७ वर्षे वैशाखबदि १ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयन्य० पांचाभा० प्रीमलदेसुतथर सीमा० रंगीभ्रातृपेथासह पितृमातृनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीश्रेयांसबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीनागेंद्गच्छे श्रीगु समुद्रसूरिपट्टे श्रीगुणदेवसूरिभिः विरूशाषा मोईकाग्रामे ॥ For Private And Personal Use Only ८७१. संवत् १९३१ वर्षे माघयदि ८ सोमे श्रीश्रीवंशे मं० रक्सीमा र्यालहकुपुत्र मं० वीराभार्यानाईपुत्रसिंघराजसु श्रावण भा० मटक पुत्रमं० हंसराजवृ० भ्रा ० नगरामलघुभ्रातृगोधूम हितेन स्वश्रेयोऽर्य श्रीसु Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. maa v aran.nicAnnanAAAAAAAAAAAAAAR - विधिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थमहानगरे श्रीरस्तु ॥ ८७२. सं० १५२६ वर्षे आषाढशु० ९ वौ प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० वाच्छाभा० बनीसुतश्रे०सांगाकेन भा० झाडूसुतवीर जेसिंगादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽथ श्रीकुंथुनाथबिंब कारित प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः कतबपुरवास्तव्यः ॥ ८७३. सं. १९३२ वैशाखशुद ३ प्रा०श्रे० नरपालमा० वरजूपु० झांझणेन भार्यानीविणिसु० विरूआभा०हांसीप्र० कु० युतेन स्वश्रेयसे श्रीनमिबिंबं का० प्रतिष्ठितं तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ७४. सं० १४६८ वर्षे वैशाखबदि ३ शुक्रे उपकेशज्ञा० ठ० रामभार्यादेईसुतमाधवेन स्वमातुः श्रेयसे श्रीश्रेयांसपंचतीर्थी का० प्र० श्रीनीरापल्लीयगच्छे भ० श्रीसालिभद्रसूरिपट्टे श्रोवीरभद्रसूरिभिः ॥ ८७५. संवत् १५१४ वर्षे माहशुदि १ शुक्रे उकेशज्ञातौ नाहरगोत्रे सा० मलूपु० गोपाल कामा पु० अमराकेन भार्या अहिवदे तयोः पु० जिणदत्तयुतेन आत्मपुण्यार्य श्रीअभिनंदनबिंबं का० प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीविजयचंद्रसूरिट्टे श्रीसाधु-सूरिभिः ।। ८७६. सं० १५६५ वर्षे वैशाखव० ३ खौ श्रीनवूसरवास्तव्यश्रीप्राग्वाटज्ञातीयवृद्धशाखायां व्य० रानाभा-राजलदेसु० व्य. कालूभा० धर्माईसु० व्य० शाणामा० रही तया स्वभर्तुः श्रेयसे श्रीसुमतिनाथर्विवं का० प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे भट्टा० श्रीधर्मरस्नमूरिभिः श्रेयसे ॥ ८७७. संवत् १५१२ वर्षे वैशाखशुदि............. बा..सलाभ्यां पितृमातृभ्रातुम्वपूर्व ऽयं श्रीश्रयासबिवं कारि० प्रति० पिप्पलगच्छे भ० श्रीतामचंद्ररि हिम० श्रीउदयदेवसूरिभिः तावीमामे ॥ For Private And Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm m . ८७८. सं० १४४५ वर्षे फ० वदि ११ खौ मोढज्ञा० पितृ० देल्हामा० पितृ० लाडी श्रे सु कपूआकेन श्रीपार्श्वनाथः का० श्रीविद्याधरगच्छे भ० श्री गुगप्रभातरिभिः ॥ ८७९. संवा १६४ ............ ५ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय ठ० पासू ठ० प्रथमदेविश्रेयोऽर्थ सुन रहेन श्रीपार्श्वनाथर्षि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीचैत्रगच्छे श्रीरत्नप्रभसूरिशिष्यैः श्रीपद्मप्रभसूरिभिः ॥ पादुका शिलालेख । ८८०. संवत् १७१३ वर्षे माहशुदि ६ तिथौ भट्टारकश्रीजि. नसिंहसूरिशि० पट्टे श्रीयुगप्रधानश्रीनिनरामसूरिपादुके भट्टारकयुगप्रधानश्रीजिनरंगसूरिप्रतिष्ठिते संघवी बाठीगा........तभार्यावीरमदेकारिते संघकल्याणाय॥ ८८ १. सं० १६९४ वैशा शुदि ३ दिने शुभवारे वा० श्रीहर्षविशालगणिपादुके प्रतिष्ठितं सवाईभट्टारकयुग० श्रीजिनरंगसूरिवचनैः महामहोपाध्यायश्रीज्ञानसमुद्रगणिशिष्यवा० ज्ञानराजगणिमिः ॥ ८८२. सं० १६७७ वर्षे माघवदि १० दिने गुरुवारे युगप्रधानश्रीजिनचंद्रसूरीणां पादुके कारिते खरतरगच्छे ओसवंशे............ते सं. जसराजभानसलदेपुत्रभं० मांडणकेन प्रति युगप्र० श्रीजिनसिंहसूरिवरैः ॥ ८८३. सं० १७९५ वर्षे शाके १६६० प्रवर्त्तमाने स्तंभतीचे श्रीखरतरग० श्रीपीपलीयागच्छे आसाढशुदि २ गुरुवारे मट्टारकयुगप्रधानश्रीजिनवर्द्धमानसूरि तशिष्यभट्टारकश्रीजिनधर्मसूरिप० भट्टारकयुगप्रधानश्रीप्रभाविकश्रीजिनचंद्रसूरिसूरीश्वराणां प्रसिद्धनामश्रीनिनचंद्रसू For Private And Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संभाल. - - रीणां पादुका कारापिता श्रीसमस्तश्रीसंघेन पादुका प्रतिष्ठिता मकारइ श्री ५ ॥ ८८४. संवत् १६७९ वर्षे वैशाखवदि १ सोमे श्रीबृहतखरतरगच्छे स्तंभतीर्थे आचार्यकीर्तिरत्नसूरिपादुके कारिते श्रीओसवंशे शंखवालगोत्रे सा० समदत्तपुत्रजसवीरभार्यानसमादेपुत्रसा० सुमकर सा० कस्मचंद्राभ्यां पुत्रपौत्रादिपरिवारपरित्रि(वृ)तैः प्रतिष्ठितः श्रीनिमराजसूरिवचनैः बा० हरषवल्लभगणिभिः ॥ भोयरापाडो, श्रीनेमनाथजिनालय. ८८५. संवत् १५२३ वर्षे माघवदि ९ शनौ प्राग्वाटज्ञातिश्रृंगारसा० भोलाभा० वइनाईपुत्रसा० कान्हाभा० वीजीपुत्रसं० केशवेन भा० जीनापुत्रसं० हांसा गुणपति सा० हांसामा० सोनाई पुत्रशांझणमांडणप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽयं श्रीमुनिसुव्रतस्वामिचतुर्विशतिपट्टः का० प्र० तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीमंडवाडानगरे श्रीरस्तु ॥ ८८६. सं० १४९० वर्षे वैशाखशुदि ३ सोमे श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकीर्तिसुरीणामुपदेशेन श्रीश्रीमालमंत्रिवाकाभार्या राजूश्राविकया मं० महिराजजोगामनन्या स्वश्रेयसे श्रीपार्श्वनावि कारित प्रतिष्ठितं च सुश्रावकैः ॥ ८८७. सं० १६५४ वर्षे भाद्रपदमासे वदिपक्षे दशमी.... ...........वृद्धशाखायां सा० श्रीशंकरमा० सोभागिनी.............. कारापितः वृद्धतपापक्षे श्रीस्तंभतीर्थे श्रीवैराग्यसागरसूरिभिः प्र० ५० विद्यासागरेण ॥ ८८८. सं० १९४० वर्षे माघशु० १३ स्वौ उकेशसा. For Private And Personal Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १६१ कर्मणभा० श्रा० सुदीसुतसा० मोषाभार्याश्रा० संपूरीनाम्न्या निजश्रेयसे श्रीकुंथुनाथबिंब का० प्रति० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिपट्टे श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः ॥ ८८९. संवत् १५१६ वर्षे चैत्रवदि ४ गुरु श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठिहाथीभार्यादूबीसुतरत्ना धारा वीरा रत्नाभार्या माजू वीराभार्या साधू स्वपूर्विनपितृश्रेयोऽर्थ श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीआगमगच्छे श्रीआणंदप्रभसूरिभिः रोझासरवास्तव्यः ॥ ८९०. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीगंधारवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयपणवजभार्या अमरादेपुत्रीगांगबाई कारितं श्रीपार्श्वनाथविवं प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छाधिरानजगद्गुरुविरुदधारकविनयमानश्री ५ श्रीहीरविनयसूरिपट्टे श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ भोयरापाडो, श्रीचंद्रप्रभजिनालय. ८९१. सं० १५१८ वर्षे ज्येष्ठशुदि २ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयदो० वीराभा० अमकूपु० गदाभा० लापूपु० श्रीवत्सभा० रंगाई कुटुंबस्य श्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीगुणसुंदरसूरिभिः बोरसिद्धिवास्तव्यः ॥ ८९२. सं० १३१४ वर्षे ज्येष्ठवदि १२ बुधे पितृव्यकचो.... श्रेयोऽर्थ भात्रिसुतमहं० वीरपालेन कारापितमिदमिति ॥ (पार्श्वनाथबिंब) ८९३. संवत् १४९४ मार्गशु० ११ शुक्रे प्राग्वाटमं० नागडभा० हीरादेसुतमं० गांगदभा० गंगादेसुतमं० पाकेन भा० रूपिणि भ्रातृनगं० वीसाहीरादियुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ ८९४. संवत् १५५२ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ श्रीश्रीमाल For Private And Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात ज्ञातीयश्रे० धरणाभा० मांजूसुतमेघाभार्या सोनाईसु० अमीपालादिस्वकुटुंबयुतेन आत्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाथर्षि श्रीआगमपक्षे श्रीसोमरत्नसूरिगुरूपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना छनीआरिवास्तव्यः ॥ ८९५. संवत् १९४८ वर्षे वैशाखवदि १० रवौ श्रीश्रीमालज्ञा० सिद्धशा० श्रे० लष्मसीभा० मांजूसु० मटामा० माकूसु० कर्मणकेन भा० सोभागिणिसहितेन पितृमा० भ्रा० नि० आत्मश्रे० श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबि का० प्र० पिप्पलग० श्रीरत्नदेवसरिपट्टे श्रीपद्माणदसूरिभिः ॥ पत्तनवास्तव्यः ॥ ८९६. संवत् १५५३ वर्षे भाद्रधाशुदि ९ वीरबुद्धश्रीगौतमस्वामि हेमकारापित ॥ भोयरापाडो, श्रीशान्तिनाथजिनालय. ८९७. संवत् १५७६ वर्षे चैत्रवदि ५ शनौ श्रीश्रीवंशे सा० वीराभा० नाईपु० सिंहराजमा० मटकीपु० हंसराजसुश्रावकेण भा० इंद्राणीपुत्रप्साहजसराजशांतिदासप्रमुखकुटुंबसहितेन इंद्राणीश्रेयोऽर्थ श्रीअरनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं सर्वसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थनगरे ॥ ८९८. सं० १५५६ वर्षे मा० शु० षष्ठयां श्रीश्रीमालिज्ञाति पा० देवाभार्याराणीसुतमा० सीहाकेन भार्याधनाईप्रमुखकुटुंचयुतेन श्रीकुंथुनाथबिंबं कारि० प्र० तपागच्छेशश्रीइंद्रनंदिसूरिभिः॥ ८९९. संवत् १३८३ वर्षे माहशुदि १० सोमे श्रीउपकेश. ज्ञातीयसा० पेथामा० प्रपुअदेपुत्रमोगाभा० लक्ष्मादेपुत्रसमरासलणामा० पूर्वनश्रेयोऽथ [पार्श्व]बिंब कारा० ३० श्रीपल्लीवालगच्छीयश्रीमहेश्वरसूरिशिष्यश्रीअभयदेवसूरिभिः ॥ ९००. संवत् १५२८ वर्षे मागसिरशुदि २ गुरु श्रीब्रह्माण For Private And Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जेनप्रतिमालेख संग्रह. १६३ गच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० चांपाभार्या चांपलदेसु० देल्हाभार्या देवलदेवानरकेन स्वपित्रोः श्रेयोऽर्थं श्रीविमलनाथबिंबं प्र० श्री विमलसूरिप०श्री बुद्धिसागरसूरिभिः राणपुरवास्तव्यः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९०१. सं० १९२३ वर्षे वै वदि ४ गुरु श्रीब्रह्म (गच्छे श्रीश्रीमालज्ञा० महं. सामसीभार्या अरघादेसुतनवा भार्यानामलदे मातृपितृश्रेयोऽर्य श्रीश्रेयांसनाथर्बिवं कारापितं पंचतीर्थी प्रतिष्ठितं श्रीवीर- सूरिभिः हमीरपुरे ॥ 19 भयrपाडो, श्रीमल्लिनाथजिनालय. ९०२. सं० ११६८ वर्षे वै० शु० ७ गुरौ गंधारवा० स० हरपतिमा रहीनामन्या पु० सं० धरणाभा० रूपादेपु० श्रीवच्छसदयवच्छयुतया स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीहे - मविमलसूरिभिः || ९०३. संवत् १९७३ वर्षे फागणशुदि २ खौ श्रीश्रीवंशे मं० वीरासुतमं० सिंहराजभार्यामटकीपुत्रसा० हंसराजसु श्रावकेण भार्या - इंद्राणीपुत्रसा० जसराजसा०शांतिदाससहितेन निजमातुः पुण्यार्थं श्रीविधिगणे श्रीसुविहितसूरीणामुपदेशेन श्री आदिनाथबिंबं कारितं प्रतिश्चितं श्रीसंघेन श्रीस्तंभतीर्थे ॥ ९०४. सं० १५४३ वर्षे शाके १४८८ प्र० मार्गशिरखदि २ दिने ओसवालज्ञातीयटालीयागोत्रे सा०माला पितापुण्यार्थे श्रीसुमतिनाथर्विं कारापितं प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीपुण्यवर्द्धनसूरिभिः ॥ ९०१. संवत् १५४८ वर्षे वैशाखवदि १० सोमे श्री सूरवा - स्तन्यश्री ओसवंशे संघवीवीरा भार्या हीरादेसु० पाताभार्या कत्थाई भ्रातृगो For Private And Personal Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६४ खंभात, ईआ नरबदा भ्रात्रि श्रीपतिभा० रूपाई स्वकुटुंबश्रेयसे श्रीअभिनंदनबिंबं का० प्र० श्री....णम ( ? ) भवसूरिभिः || ९०६. सं० १९२८ वर्षे आषाढशुदि २ सोमे श्री केशवंशे साधुशाखायां सा० पर्वतभा • मणकीपु० सा० तेजसीहश्रावकेण मा०डाही भ्रातृहपतिप्रमुख परिवार सहितेन श्रीसंभव बिंबं का० प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ ९०७. सं० १३५३ वैशा०व०१० शुक्रे श्रीवायटीयमहं ० सोमसुतवयराकेन पितृव्यऊदा श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवायटगच्छे श्रीजीवदेवसूरिभिः ॥ ९०८. संवत् १९५३ वर्षे वै०व०११ शुक्रे ओसवं० सा० वाघामा • कर्माईसुतसा ० भीमाभार्या मिरगाईसुतसा० शांतिदत्तभ्रा० पासदत्तसहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीसिद्धांत सागरसूरीणामुपदेशेन श्रीसुविधिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ शकोपुर, श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालय. ९०९. संवत् १९०८ वर्षे चैत्रशुदि १३ खौ प्राग्वाज्ञातीय श्रे० मेलाभा० अमकुसु० राजा सामंत मातृपितृश्रेयोऽयं श्रीशांतिनाथर्बित्रं कारितं प्रति० श्री आगमगच्छे श्रीसिंहदत्तसूरिभिः श्रीरस्तु || ९१०. सं० १६७७ वर्षे मार्गशीर्षशुक्ल ५ खौ स्तंभतीर्थे लघुशाखीयश्रीश्रीमालीज्ञातीयसा० नाकरपु० सा० रहिआकेन का० श्रीसुविधिनाथर्बित्रं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीभट्टारकश्रीविजयदेवसूरिभिः || ९११. संवत् १७८४ मागमिरवदि ६ दिने बुधवासरे श्रीस्तंभतीर्थमंदिरे श्रीतपागच्छे सुविहितभट्टारक श्री आणंदविमलसूरिपट्टप्रभावक श्री विजयदा नसूरि तत्पट्टे भ० श्रीहीरविजयसूरिपट्टे सद.... विजय सेनन् For Private And Personal Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १६५ रिपट्टे भ० श्रीविजयदेवसूरिपट्टप्रभावकसकलभ० पुरंदरभ० श्रीविनयप्रभसूरिपट्टे संविज्ञपक्षे भट्टारकप्रमुश्रीज्ञानविमलसूरीश्वरचरणपादुकाः शुभं भवतु ॥ ९१२. संवत् १८४८ वर्षे माहशुदि १० गुरौ भट्टारकश्री १०८श्रीज्ञानविमलसूरि तत्पट्टे श्रीलक्ष्मीविमलसरि तत्पट्टे श्रीमहिमाविमलसूरिचरणपादुका कारापिता खंभायतनगरे ॥ माणेकचोक, श्रीपार्श्वनाथ जिनालय. ____९१३. सं० ईलाही ४८ सं० १६५९ वर्षे वैशाखवदि ६ गुरौ श्रीस्तंभतीर्थबंदिरे श्रीओसवालवंशे वृद्धशाखायां आतूरागोत्रे सौवणिकसा० वछिआभार्यासोहामिणिसुतसो० तेनपालनाम्ना भार्यातेजलदेप्रमुखपरिवारयुतेन स्वश्रेयसे श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छे भ० श्रीहेमविमलसूरिपट्टप्रभाकरभ० श्रीआणंदविमलसूरिप्रमु[पट्ट]मुकुटमणिम० श्रीविजयदानसूरिपट्टपूर्वपर्वतपद्मपाथि(8)भट्टारककोटीरहीरम० श्रीहीरविजयस्मूरिपट्टपाथोनिधिपीयूषमब्ज(?)स्ववचनचातुरीचमत्कृतचित्तशाहिश्रीअकब्बरदत्तबहुमानभट्टारकपरंपरापुरंदरसुविहितसा - धुशिरोमणिभट्टारकप्रभुश्रीविजयसेनसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ( पाषाणप्रतिमा भोयरामां ) ___९१४. सं० १६६१ व० वै० शु० ७ सोमे श्रीकुंथुनाथवि कारि० सा० नाथुसुतसा० विजयकर्ण प्र० तपाश्रीविनयसेनसूरिभिः ॥ ९१५. सं० १६६१ वर्षे वै० शु० ७ सोमे सो० तेजपालभार्यातेनलदेकारितं श्रीपार्श्वनाथबिंबं प्र० तपागच्छे श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ ९१६. सं० १५१० वर्षे ज्येष्ठशु० २ दिने सकेश छ For Private And Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. १६६ जहडसा० हस्तिराजसा० नरसिंहसा ० सिवापु० सा० सहजपालेन सा० लखराजपुत्रसा० महिपालयुतेन सा० अदादिपूर्वज पुण्यार्थ श्रीचंद्रप्रभबिंबं का ० श्रीखरतर श्रीजिनसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ९१७. सं० १९७२ फाल्गुनशुदि ७ सोमे श्रीऊकेशीयसावदेवपल्या आदेव्या कारिता ककुदाचार्यैः प्रतिष्ठिता ॥ ९१८. सं० १९२५ वर्षे माघव० ६ प्राग्वाटव्य० पर्बतभार्याफलीपुत्रव्य० गेपा भ्रातृव्य० षीमाकेन भार्यारत्नादेप्र० कुटुंबयुतेन श्री अनंतनाथविं का० प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ ९१९. सं० १५२५ वर्षे ज्येष्ठवदि १ चिचटगोत्रे सा० श्रीरतनभा० अमरादेपुत्रसा० श्रीसूरपालेन भा० रामतिपु० सिंघराज सधारण श्रीवंतसहितेन मातृपित्रोः श्रेयसे श्रीसुमतिबिंबं का० प्र० श्रीकक्कपूरिभिः ॥ ९२०. सं० १३. महं० भीमेन श्रीमहावीरः कारापितः 1000..... ९२१. सं० १३७१........ श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सुकवि(ति) सूरिभिः ॥ ...........श्रे० वासभूव श्रीमदनसूरिभिः ॥ ................ For Private And Personal Use Only *********........ O ९२२. सं० १४२३ फागुणसु० ९ चं० श्रीश्रीमालज्ञा पितृसाल्हाभार्या हीरादेविश्रेयसे सुतदेऊदाकेन श्रीपद्मप्रभस्वामिबिंबं का० श्री पूर्णि० प्र० श्रीसुमतिसिंहसूरीणामुपदेशेन ॥ ९२३. सं० १५३६ वर्षे पौषवदि २ गुरू श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिमूजाभा ० नाईसुतपासई भार्याराणीश्रेयोऽर्थ जीवितस्वामिश्रीसुमतिनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठि० श्रीवीरसूरिभिः काद्भाणीवास्तव्यः || ९२४. सं० १०२४ वर्षे............१ १०.०.४००६ Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. .... महं पितामहीश्रे० श्रीपार्श्वचित्र का०प्र० श्री सागरचंद्रसूरिभिः ॥ ९२५. सं० १९२८ वर्षे माघवदि ५ बुधे श्रीश्रीमालज्ञा ० श्रे० शवाभा० माणिकिदेसुतगोनागोन्यद एतैः पितृपितृव्यसरवण पाल्हाश्रेयसे श्रीकुंथुनाथबिंबं का० प्र० श्रीब्रह्माणगच्छेशश्रीवीरसूरिभिः वणुद्रवास्तव्यः ॥ १६७ ९२६. सं० १३५४ वर्षे माघव० ५ पतनत्यश्रे० हरिपाल - भार्यासीतपु०४० अजयसाहमार्यालषमसुतगोनामूजापद्मधरणिग पित्रोः श्रेयसे [पार्श्व] बिंबं का० प्रति० चैत्रगच्छे श्रीधर्मदेवसूरिभिः ॥ ९२७. सं० १२६३ वर्षे वैशाखशु० ६ गुरौ श्रीब्रह्माणगच्छे उ० जयतसीह श्रेयोऽर्थ पदमसीहेन श्रीमहावीरप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्रीविमलसूरिभिः ॥ ९२८. सं० १२५९ ज्येष्ठशुदि ३ थारापद्रीयगच्छे श्रीजिनदत्तसूरौ पितृराणामातृशिवादेवि श्रेयोऽ अ (श्रणवकेन कारितः ॥ ९२९. सं० १३२९ वर्षे वैशाषत्रदि ९ शुक्रे श्रीमालज्ञांतीयदेपालभार्या दुल्हेविश्रेयोऽर्थं सुतमहं आल्हणेन श्री आदिनाथर्बिवं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीभावदेवसूरिभिः श्रीभावडारगच्छे || For Private And Personal Use Only ९३०. सं० १२५२ ज्येष्ठवदि १० श्रीमहावीरदेवप्रतिमा ठ० अश्वराजश्रेयोऽर्थं पुत्रभोजदेवेन कारिता प्रतिष्ठिता जिनचंद्रसूरिभिः ॥ ९३१. संवत् १४३७ वर्षे द्वि० वैशाखवदि ११ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य ० पूछा (?) भार्या कुंता देश्रेयसे सुतभादा केन श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्र० पिप्पलाचार्यश्रीधर्म्मतिलकसूरिभिः ॥ ९३२. सं० १२७० वैशा० शु० ६ रवौ ब्रह्माणगच्छे पितृयशोधर........ निमित्तं ठ० पालाकेन श्रीनेमिनाथर्विवं कारितं श्रीप्रद्युमनसूरि संताने ॥ Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १६८ खंभात. ९३३. सं० १९१३ प्राग्वाटसा० लीबाभार्यासिरीपुत्रसा० जमान भा० पूरी भ्रातृलाषा पुत्र छांछाप मादियुतेन श्रीधर्मनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोम सुंदरसूरिश्रीजय चंद्रसूरिशिष्य श्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्री लोहिआणावास्तव्यः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९३४. सं० १२०० वर्षे माघवदि १ गुरौ श्रीमालज्ञातीयपितृमहं श्रीआहुडमातृजयत लदे श्रेय से........हाभ्यां श्रीशांतिनाथबिंबं कापितं ॥ ९३५. सं० १६१७ वर्षे पोषध ० १ दिने बोरासयमा ० जगुभा० की कापुत्रसा० वस्ता पामा कारापितं श्रीसुमतिनाथबिंबं श्रीहीरविनयसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ O ९३६. संवत् १९६८ वर्षे वैशाखशुदि ३ शुक्रे दिने प्राग्वाट ज्ञातीयमं० सोमाभा० मटकू पुत्र जुठाकेन भाखविल्हादेपुत्र वच्छाहर्षादिसकल कुटुंब श्रेयोऽर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीहेमविमलसूरिभिश्चिरं जीयात् आचंद्रार्क नंयाद् वित्रं कर्त्ता च ॥ ९३७. सं० १५२५ वर्षे माघशु० १३ बुधे श्रीश्रीमालज्ञा० श्र० पांचाभा० पोमीसुतमं० आल्हणसिंहेन भा० जीविणिसुत हेमादिकुटुंबयुतेन पुत्रीधनीश्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंबं श्रीआगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरिगुरूपदेशेन का० प्रतिष्ठापितं च माणकुलिवास्तव्यः ॥ ९३८. सं० १४९९ वर्षे मात्रवदि ९ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० नरी आभा० देवपु० देपालमा० हीदेदीशांति (१) ५० माणिके पि० म० श्रीसुमतिनाथबिंबं का० नागेंद्रगच्छे प्रति० श्रीपद्मानंदसूरिभिः ॥ ९३९. सं० १९२८ वर्षे आषाढशुदि २ सोमे प्राग्वाटवंशे मं० साहूलपुत्रसा० सिवाकेन भार्यारत्नाई पुत्र श्रीराजगेईयादि For Private And Personal Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. PARAAKAAMAnn. KARNiranoramati amarnnarrantie.antertainment सहितेन पूर्वन पुण्यार्थ श्रीश्रेयांसवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीनिनचंद्रसूरिभिः ॥ ९४०. संव० १५३० वर्षे वैशाखशु० ३ उपकेशज्ञातीय गोवर्द्धनगोत्रे साहमूलाभार्यामूजीसुतशवाप्रथमभार्यासोनलदेनिमित्तं त पुत्रदेवा अपरभार्याकुंअरिपुत्र नगराजपौत्रछाजूयुतेन श्रीअभिनंदनवित्र का० प्र० श्रीउपकेशगच्छे ककुदाचार्यसंताने श्रीदेवगुप्तिसूरिभिः श्रीपत्तने ॥ ९४१. सं० १४२९ वर्षे माघवदि ७ सोमे श्रीमालज्ञातीय उ० कुरसीहभार्या आल्हणदेव्या सुतावानूश्रेयसे श्रीआदिनाथविवं कारितं श्रीपू० श्रीगुणभद्रसूरीणामुपदेशेन प्र० श्रीसूरिभिः ॥ . ९४२. सं० १३....वर्षे वैशाखशुदि ५ शुक्रे श्रीवासुपूज्यबिं बाईलांपू प्रणमति ॥ ९४३. सं० १४९१ वर्षे माघशुदि ५ बुधे श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकीर्तिसूरीणामुपदेशेन ऊकेशवंशे सं० गोपाभा० साधूच्या रमाईश्राविकया निनश्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च समग्रश्रीसंघेन ।। ___९४४. सं० १९८४ ज्येष्ठशुदि १३ उकेशवंशे कांकरीयागोत्रे सा रत्नाभार्याषीमाईपुत्रमाहरानपालेन भार्यावीराईपुत्रविद्याधरादिसहितेन स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथवि कारितं प्र० खरतरगच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरिभिः ।। ___९४९. सं० १४२४ वर्षे आषाढशु० ६ गुरु श्रीमालज्ञा० पितृमहंसांगणभा० नीसेलभा० महालक्ष्म्यालदेमाहण........श्रे० महं० देवसिंहेन श्रीमहावीरपंचतीर्थी कारिता श्रीश्रीकमलचंद्रसूरीणामुपदेशेन ॥ 22 For Private And Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात, ९४६. सं० १५३६ वर्षे पोषयदि २ गुरु श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० वाघाभा०वीजलदेसुतमाई आमा०माणिकिइसुतवस्तावीरासहितेन स्वपूर्विनश्रेयोऽयं श्रीविमलनाथवि कारापितं प्र० श्रीविमलसूरिपट्टे भट्टारकश्रीबुद्धिसागरसूरिभिः काहीआणावास्तव्यः ॥ ९४७. सं० १५२९ वर्षे वै० शुदि ५ शुक्रे श्रीमालज्ञातीयसा०पूजाभा०लीलसुतशाणाकेन भार्याहीराईपुतहर्षादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे प्रवा० श्रीअभिनंदनबिं श्रीआगमगच्छे श्रीदेवरत्नपूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठापितं च स्तंभतीर्थे । ९४८. संवत् १७१३ वर्षे कार्तिकवदि २ दिने पातिसाह श्रीसाहिनिहां विजयमानस्तंभतीर्थबंदिरवास्तव्य ओसवालज्ञातीय वृद्धशाखीयता० घूलासुतसा० षीमसीभार्यासपाईपुत्रीबाईसोनाई षीमाईई स्वकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीवीरपरंपरागततपागच्छाधिराजपातिसाहि श्रीअकबरप्रदत्तबहुमानभट्टारकश्रीहीरविजयसूरि तस पाटवी पातिसाहि श्रीअकबरसभाप्राप्तजयवादभ० श्रीविनयसेनसूरि तस पाटवी पाति. साहिश्रीजिहांगीरप्रदत्तमहातपाविरुदधारकभट्टारकश्रीविजयदेवसूरि तस पाटवी २ हवा आचारय श्रीविजयसिंहसूरि भ. श्रीविनयप्रभसूरि ते मध्ये प्रथम पाटवी मेवाडदेशाधिपतिराणाजगत्सिंहादिअनेक राजप्रतिबोधक श्रीश्रीविजयसिंहसूरि ते थाप्या. पछी २८ वरसे सुरलोकि पधार्या तेहनी पादुका करावी छै ते तदनंतर श्रीविजयदेवसूरि स्वहस्त स्थापित औदार्यवीर्यगांभीर्यादिगुणविराजमान वाणीविशाल भट्टारक श्रीविनयप्रभसूरि प्रतिष्ठावी छइ ॥ इति मंगलम् ॥ माणेकचोक, श्रीधर्मनाथ जिनालय. ९४९. सं० १५१५ व० माघशु० १ शु० श्रीमालज्ञा० For Private And Personal Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेखसंग्रह. हंत देव सुसाधु गुरुः ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महं० मालाभार्या माल्हणदेसुतधाराकेन मातृपितृश्रेयोऽर्थं श्रीशीतलनाथबिंबं कारितं पूर्णिमाप ० श्री साधुरत्नसूरीणामुपदेशेन घुटूग्रामे || ९५०. सं० १५१९ वर्षे ज्येष्ठवदि २ सोमे श्रीश्रीज्ञा ० कस्तूरीयाशाखायां व्यव० वुलाभार्यावुलदेसुतचुघानिमित्तं जगाकेन श्रीश्रीश्री चंद्रप्रभस्वामित्रिं कारितं प्रतिष्ठितं नागेंद्रगच्छे श्रीगुणसमुद्रसूरिपट्टे श्रीगुणदेवसूरिभिः | ९५१. संवत् १५५३ वर्षे वै० व० ११ शुक्रे श्रीश्रीमालीय ० सीहामा० सिंगारदेपुत्रश्रे० पूजापा० मटकुसु० श्रे० गोपालेन मा० गुरदेकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री वृद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिपट्टे श्रीउदयसागरसूरिभिः ॥ श्री डडाग्रामे || १७१ ९५२. सं० १५२५ वर्षे मार्गशु० १० प्राग्वाटश्रे० भीगामा० रमकुसुतकालाभा० दूबीनाम्न्या पुत्र जिनदास देवदास सिवदास प्र० कुटुंबयुतया श्रीआदिनाथवित्रं का० प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ॥ ९१३. सं० १५३५ वर्षे मा० शु० ५ गु० डीसा ० जूठा भार्याअमकुसुतश्रे० भोजाकेन भ्रा० वडूमा स्व० भा० नऊकू सुतनाथादिकुटुंब श्रेयसे श्रीधर्म्मवित्रं का० प्र० तपा० श्रीरत्नशेखरसूरिभ० श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभि: ॥ ९१४. संवत् ११५४ वर्षे फागुणशुदि २ शुक्रे श्री ऊसशे सा० शुभकरभा० कीकीपु० सा० जगमालसुश्रावकेण भार्याधनीपु० सा० श्रीकमलमा० शंगारदे लघुभ्रातृसा० जांबूभा० इंदी मुख्यकुटुंबसहितेन श्रीधर्मनाथ कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमदसाधुश्रीसूरिभिः अरि For Private And Personal Use Only ९५५. सं० १३०४ वैशाखशु० १० थारापद्रीय गच्छे Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७२ खंभात. श्रीमालज्ञातीयश्रे० बाहडश्रेयोऽर्थ सु....न चतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीपुरुषोत्तमसूरिभिः ॥ ९५६. संवत् १५१२ वर्षे फागुणशुदि । शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० सिंघाभार्या ब० सिंगारदेसुतसा० वाछाभार्या ब० राजूसुतसा० जोणकेन भार्या ब० मांजूपुत्र सा० रीडा सा० सांडा गोधाभ्रातृसा० महिराजभ्रातृव्यसा० हापाप्रमुखसमस्तकुटुंबसहितेन स्वश्रेयोऽथ त्रयोविंशतिजिनसहितश्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्ठि श्रीसंघेन श्रीरस्तु ॥ ९५७. सं० १५०८ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसं० कडूयाभा० सं० कुंतिगदेसु० सं० सालिगभा० सं० सूल्हीसु० सं० भोनाकेन भा० सं० पार्वतीसहितेन स्वभार्याश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथनीवितस्वामिपिं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीश्रीगुणसमुद्रसूरीणामुप. देशेन कारित प्रतिष्ठितं च विधिना श्रीस्तंभतीर्थे ।। ९५८. संवत् १५१३ वै० वदि २ श्रीश्रीपालीज्ञातीयकपर्द. शाखीयपरीक्षकसारंगभार्यालाछूपुत्रप० गलाकेन भा० माणि कपुतजइतावीराहीरायुतेन श्रीनमिनायविं का० प्र० श्रीसूरिभिः आशापल्लीनगरे ॥ .. ९५९. सं० १५३७ वर्षे ज्येष्ठादि ( सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय ठ० जइताभा०धाऊसुतठ० भांभटेन भा० नागिणिद्वि०भा० कुतिगदेप्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीपार्श्वनाथबिंब वृद्धतपापक्षे श्रीउदयसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितं बोरसिद्धिग्रामे ॥ माणेकचोक, श्रीमहावीरस्वामिजिनालय. ९६०. सं० १५१३ वर्षे मावशु० १३ सोमे श्रीमालीज्ञातीय For Private And Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १७३ श्रे० लाषाभा० लाडीपुया गांगीनाम्न्या मं० हरीयाभार्यया सुतदेवायुतया श्रीनमिनाचित्र कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीभट्टा० श्रीरलसिंहसूरिभिः ॥ ___९६१. सं० १९०६ वर्षे........श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० विनपालभा० पातृसुतघीघाकेन पितृव्यचांपाभा०सारूपितृव्यनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीशीतलनाथपंचतीर्थी कारापिता पूर्णिमाप० श्रीराजतिलकसूरिभिः प्रतिष्ठितः ॥ माणेकचोक, श्रीपार्श्वनाथ जिनालय. ९६२. सं० १९२५ व० वैशाखवदि ११ र० प्राहतीनवास्तव्यश्रीश्री. ज्ञा० वडागोत्रे दो० वाछउभा० फनूपृ० परबतनाथउभार्याहांसीपुत्रफडूआसहितेन स्वपु० श्रीमुनिसुव्रतबिंब का० पू० श्रीधर्मशेखरसूरिपट्टे श्रीविशालराजसूरीणामुपदेशेन । ९६३. सं० १९१२ वर्षे माघशुदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्यव० रामणभा० रमादे समस्तकुटुंबेन व्यव० देपानिमित्तं श्रीशांतिनाथबिंब का० श्रीपूर्णिमापक्षे प्रधानश्रीजयप्रभसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं विडाणे ॥ ९६४. सं० १५१० वर्षे फागु०शु०११ शनौ श्रीश्रीमालज्ञा० सं० देवाईतभा०सं० कर्मादेसु०सं०वीराभा०सं०लाखूनाम्न्या सु० मूलायुतया स्वश्रेयोऽयं जीवितस्वामिश्रीशांतिनाथबिंब श्रीपूर्णिमा० श्रीगुणसमुद्रसूरीणामु० का० प्र० ॥ ९६५. सं० १५३३ वर्षे वैशाखशुदि ३ दिने श्रीश्रीमालज्ञा० सं० हानामा० हकूपु० हीराकेन भा० तेजूपुत्रसं० विद्याधरादियुतेन श्रीश्रीनमिनाथर्विवं कारितं प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः घोघावास्तव्य शुभं भवतु ॥ For Private And Personal Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७४ खंभात. ___९६६. सं० १५१५ वर्षे माघशुदि ७ दिने गंधारवासिसं० वयरसीमा• जहतूसुतसं० नरपालेन भा० भरमादेसुतवर्द्धमानभ्रातृसं०शिवरा. जभा०कर्मादेसुतवस्तुपालादियुतेन मातुश्रेयोऽथ श्रीमहावीरबिंब कारितं प्र. तपागच्छनायकश्रीरत्नशेखरसूरिभिः प्राग्वाटज्ञातीयेन शुभं भवतु ॥ __९६७. संवत् १५५१ वर्षे वैशाखशुदि १३ गुरौ श्रीश्रीमाल. ज्ञातीयसं० भोटाभा० सं० कुंभरिपुत्रसं० पोचासुश्रावकेण भा० राजूपुं० थावरभ्रातृरंगाभा० रंगादेमुख्यकुटुंबयुतेन सं० णचाश्रेयोऽ। श्रीमुवि. धिनाथवि कारितं श्रीअंचलगच्छे श्रीसिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन धंधूकानगरे ॥ ९६८. संवत् १९६७ वर्षे वैशाखशुदि १० दिने ओसवाल. ज्ञातीयमं० समधरभा०कीकीपु०म० नाथामा चंगीपु०म० नारदम० नरबद द्वितीयामा० पूतली पु० राजपाल सहिजपाल तृतीयामा० रहीपु० वस्तुपालसहितेन स्वश्रेयोऽथ श्रीश्रीश्रीवासुपूज्यवि कारितं प्रतिष्ठित श्रीद्विवंदनीकगच्छे सिद्धाचार्येभ० श्रीदेवगुप्तसूरिभिः मंडलयामे वास्तव्यः।। ९६९. संवत् १५७३ व० फागुणशु० २ रवौ श्रीभावडहारग० ओसवालज्ञा० पांटडगो० साताभा०पेतूपु० विरसिंहभा० बगूकया पु०लकायुक्तया स्वश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिविध का०प्र० श्रीविनयसिंहसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ ९७० सं० १५१७ फागुणशुदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयसं० सिंवाभा० सरसतिपु०पोमाभा०पोमादेपु०महिरानवानरलाडणधना सहितेन स्वपुण्यार्थ श्रीसुविधिनाथवि का० प्र० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीविनयप्रभसूरिभिः लीवासी ॥ ___९७१. सं. १५०९ वैशाखवदि ११ शुक्रे श्री उपकेशवंशे बीचटगोत्रे देसलहरकुले साहसोलापुत्रसाहसांगापुत्रसाहश्रीसिंघ For Private And Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. १७५ दत्तनाम्ना श्रेयोऽर्थ श्रीकुंथुनाथमुख्यदेवयुतः चतुर्विंशतिजिनपट्टः कास्तिः प्रति० श्रीऊकेशगच्छे श्रीकक्कसूरिभिः || ९७२. संवत् १५१२ वर्षे मात्रवदि ५ सोमे श्रीस्तंभतीर्थवास्तन्यश्री ओसवालज्ञातीय सो० नरसिंगभा० नागलदेसुतसो ० शिपरभा० हर्षुसुतसो० सहसकिरणसो० पोमसीहाभ्यां श्रीअभिनंदनमूलनायक युतचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसुविहितसूरिभिः ॥ ९७३. संवत् १६७७ वर्षे मार्गशीर्षसित ५ रविवासरे स्तंभतीर्थे वृद्धशाखीय ओसवालज्ञातीयदो० मांईयासुतदो० हीराभार्यावा ० हर्षमदेसुतया सा० मेघभार्यामयगलदेसुतसा० सहसराजभायर्या बा० फूलानाग्न्या स्वश्रेयोऽर्य श्रीशीतलनाथजिनबिंचं स्वप्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छालंकारभ० श्रीविजयसेन सूरीश्वर पट्टालंकारभ० श्रीविजयदेवसूरिभिः जीयादाचंद्रार्कः ॥ ९७४. सं. १५३० वर्षे माघशुदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठिगणपतिभार्यात्रासूसुतवस्ताकेन पितृमातृनिमित्तं आत्मश्रेयोse श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंबं कारापितं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीवीरप्रभसूरिपट्टे श्रीकमलप्रभसूरिणा प्रतिष्ठितं विधिभि: षडहलग्रामे || २७५. संवत् १९१७ वर्षे वैशाखशुक्लपक्षे प्राग्वाटज्ञातीयश्रे० बादामा० मनीसुतश्रे० नाथाकेन भा० माहादिकुटुंबयुतेन निजश्रेयसे श्री मुनिसुव्रतस्वामिनिं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छनायकश्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्री अहमदाबादनगरे || ९७६. संवत् १९०८ वर्षे वैशाखशु०३ श्रीश्रीमालज्ञातीयसा ० नागसीभा० जासूसुतवाछाकेन मार्याअमकुसुतश्रीरंगप्रतापसीयुतेन स्वयोऽर्थ श्रीश्रेयांसनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः खंभाइतवास्तव्यः ॥ For Private And Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७६ खंभात. ९७७. संव० १५११ वर्षे माघशु० ९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे०सांगाभार्यासहिजलदेसुतलापाकेन पितृमातृश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथबिंब कारापितं ब्रह्माणगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः नीनरारवास्तव्यः ।। ९७८. संवत् १५१५ ज्ये० शु०१५ प्रा० श्रे० कर्मणभार्याकपूरीपुत्रकडूआकेन भार्यामानू स्वभ्रातृबडूआ भा०लीलाईप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीनमिनाथबिंब का० प्र० तपागच्छेशश्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ ९७९. सं० १५०६ वर्षे मा०शु०१३ कपटवाणिज्यवासि उकेशज्ञातीयश्रे० नरपालभा० नामलदेपुत्रकर्म गेन भार्याकर्मा देभ्रातृनभोजादियुतेन स्वभ्रातृश्रे० आसाश्रेयसे श्रीसंभवनाथवि का० प्र० वृहत्तपाश्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ ९८०. सं० १६६८ वर्षे आषाढशुदि २ शनौ सा० जसरान कारितचैत्ये श्रीसोमचिंतामणिपार्श्वनाथपरिकरः प्र० त० श्रीविनयसेनसूरिभिः ॥ ९८१. सं० १४४७ वर्षे फा० शु० ८ सोमे प्राग्वाटज्ञातीय व्य० गोला वृद्धभ्रातृव्य० षेतलसुतव्य० धरणभार्यासह नलदसुत व्य० भीलाकेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथमूलनायकसनाथा पंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता च श्रीमत्सूरिभिः शुभं भवतु ॥ माणेकचोक, श्रीशान्तिनाथ जिनालय. ९८२. सं० १४९८ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञातीयश्रेष्ठिभोलाभार्या चमकू तया भ श्रेयोऽर्थ आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबि कारापितं प्रतिष्ठित श्रीसूरिभिः श्रीसीतापुरवास्तव्यः । ९८३. संवत् १५१७ वर्षे फागणशुदि ३ शुक्र श्रीश्रीमाल. For Private And Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. १७७ ज्ञातीयसंघवी कर्मसीमा० कर्मा देसु० पितृरामाभा० वनूश्रेयोऽर्थं सु० राजा मूलू शिवा एतैः श्रीसंभवनाथ विं कारितं पूर्णिमापक्षीयश्रीसाघुरत्नसूरिपट्टे श्री साधुसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्र० श्रीसंघेन कागढावास्तव्यः ॥ ९८४. संवत् १६३२ वर्षे माघ १ शुक्रे मोदज्ञातीयठ० की काभार्या.... बाई पुत्रठ० नाइ आख्यस्य भगिनीबा०जीबाईनाम्न्या श्रीषनाथवि कारापितं स्वप्रतिष्ठायां तपागच्छे श्रीहीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं स्वहस्तेन श्रीसंघेन महतादरेण । श्रीसंघस्य भद्रं भवतु ॥ ९८५. संवत् १५२२ वर्षे पौषवदि १ दिने उकेशवंशे .... कारितं प्र० खरतरगच्छे श्रीजिन सुंदरसूरिपट्टे जिनहसूरिभिः शुभं भवतु ॥ ९८६. संवत् १५०८ वर्षे ज्येष्ठशुदि १९ सोमे श्रीमालज्ञातीयश्रे० कर्मसीभार्यागुरीसुतवाच्छाकेन भ्रातृकान्हा भार्यामागिणि द्वयोनिं - मित्तं श्रीविमलनाथविं कारितं श्रीब्रह्माणगच्छे प्रतिष्ठितं विमलसूरिभिः || ९८७. सं० १५२८ वर्षे वैशाखशुदि १२ सोमे श्रीमालज्ञातीयश्रे० जयताभार्यादवकूसुतभावडभार्याअमरी मांजाभार्यावीरूयुतेन पितृमातृश्रेयोऽर्थ श्री सुविधिनाथपंचतीर्थी का० प्र० पिप्पलगच्छे श्रीगुणरत्नसूरिपट्टे श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥ ९८८ संवत् १५१० वर्षे फागुणवदि ३ शुक्रे श्रीगुर्जरज्ञातीयमं० सहदेभा० जमकूपुत्र मं० शिवासीहासूमाकर्माई तयोः आत्मयसे श्रीअजितनाथर्बित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीआगमगच्छे श्रीहर्षतिलकसूरिभिः श्रीर्भूयात् ॥ ९८९. सं० १५०८ वर्षे बै०व०१० खौ प्राग्वाटज्ञातीय पाद्रावासिश्रे० मानाभार्याफकूपुत्रगलाकेन भार्यापुहतीप्रभृतिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथर्बिवं कारितं प्र० तपागच्छेशश्रीरत्नशेखरसूरिभिः || 23 For Private And Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १७८ www.kobatirth.org O खंभात. ९९०. संवत् १९०४ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ श्रीअंचलगच्छे गच्छेशश्रीजयकेसरिरीणामुपदेशेन श्रीऊकेशवंशे मणीयलींबा - भार्यावाहूपुत्रम फाइयाश्रावकेण भार्याहरूसहितेन श्रीसुमतिनाथविचं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९९१. सं० १५६३ वर्षे वैशाखशु० ६ दिने उकेशवंशे भंडारीगोत्रे मं० भोजापुत्र० मं० आसापुत्र मं० मूवराजभा० कस्तूराई पुत्रमं ० लटकणसुश्रावकेण पुत्रपौत्रसपरिवारेण स्वभार्याश्रा० नाकश्रेयोऽयं श्रीकुं थुनाथ कारितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनस मुद्रसूरिपट्टे श्रीजि - नहंससूरिभिः ॥ ९९२. संवत् १९९९ वर्षे माहशुदि १२ शुक्रे .... शज्ञातीय साहश्रीसाभा० नाकू कारापितं श्रीसुमतिनाथ तपागच्छे श्री आणंद विमलसूरिभट्टारक श्रीविजयदान सूरिप्रतिष्ठितं । शुभं भवतु ॥ ९९३ . संवत् १४८८ वर्षे ज्येष्ठवदि ४ शनौ उपकेशज्ञातीय साहसामलसुतसिंघाकेन कुटुंबयुतेन श्रीकुंथुनाथविंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छाधिराजश्री सोमसुंदरसूरिभिः शुभलग्ने || ९९४. सं० १५३० वर्षे चैत्रवदि ५ गुरु श्रीश्रीमालज्ञा • महंवीरासुतम० माइआमा० माणिकदे सुतनाथासहितेन पितृमातृश्रेयोऽर्थ श्रीश्रीश्रीसुमतिनाथ कारितं प्रतिष्ठितं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीदेवेंद्रसूरीणामुपदेशेन मालातिजग्रामे ॥ ९९१. सं० १४१७ वर्षे ज्येष्ठपुदि ९ शुक्रे श्रीगौर्जरज्ञा० पि० मना मा० लाछलदेश्रे० सुतम० पाल्हण सीहेन श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्रतिष्ठितं श्रीधर्मचंद्रसूरीणामुपदेशेन || ९९६. सं० १३४४ वैशाखशुदि १० आसपालमा० For Private And Personal Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह Tot मल्हणदे पुत्र सोलाछनडाभ्यां श्रीआदिनाथवित्रं का० प्रतिष्ठितं श्रीगुगाकरसूरि उपदेशेन ॥ ९९७. संवत् १६६५ वर्षे कार्त्तिकव दिपंचम्यां बुधे पत्तननगरवास्तव्यसा० वच्छूभार्या श्रा० श्री वाईपुत्र साहकान्हजीनाना पुत्रसा० मेघजी सा० भीमजी सा० सीरंगजी प्रभृतिकुटुंबयुतेन श्रीशत्रुजयोज्जयंतादितीर्थावतारपट्टः कारितः तपागच्छाधिराजभट्टारकश्रीविजयसेनसूरि आचार्यश्रीविजयदेवसूरिशिष्य उपाध्यायश्रीनय विनयगणिभिः प्रतिष्ठितः सकलसंघश्रेयसे स्तात् शुभाय भवतु || माणेकचोक, श्रीवासुपूज्य जिनालय. ९९८. संवत् १६४६ वर्षे ज्येष्ठशुदि ९ सोमे ऊकेशज्ञातीय सोनीतेजपालेन कारितं श्री अनंतनाथवित्रं प्रति श्रीहीरविजयसूरिभिः ॥ माणेकचोक, श्री आदिनाथ जिनालय. ९९९. सं० १९०८ वर्षे चैत्रशुदि ९ बुधे...गोत्रे ओसवंशे सं० पासदे तत्पुत्र सं० परइपतिमा० र........तत्पुत्रसं० हीराकेन पुत्रसहितेन मातुः श्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंबं का० प्र० श्रीमलवारिश्रीगुणसुंदरसूरिभिः ॥ १०००. सं० १३४७ (९) माघशु० १ गुरौ प्राग्वाटज्ञा ० पितृव्य ० १ (र) तनसीह...हंमहणसीहेन श्रीआदिनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमुनिरत्नसूरिभिः ॥ १००१. संवत् १९२८ आषाढशुदि २ ऊकेशवंशे ढींकगोत्रे मं० सिवाभार्याहर्षुपुत्रमं० हीराभार्यारंगाई पुत्र कडूयाकेन सपरिवारेण श्री मिनाथबिंबं कारितं प्रति० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरि पट्टे श्री जिनचंद्रसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खंभात: Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १००२. सं० ११३१ वर्षे वैशाखशुदि ३ शन श्रीश्रीमा० व्यव० देपाभा० कर्मणिसुतमाणिकभार्यामाणि किदेस हितेन स्वपितृमातृश्रेयसे श्री वासुपूज्यबिंबं का० प्र० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीकमलचंद्रसूरीणां पट्टे श्रीहेमरत्नसूरिभिः ॥ १००२. संवत् १४८९ वर्षे माघशुदि ९ शनौ श्रीमाल - ज्ञातीयव्य० विजाणंदव्य० मेहाव्य० षोनाभार्याषेतलदेसुतव्य • पातलेन जीवितस्वामिश्रीशांतिनाथर्विवं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीरत्नसिंहसूरिभिः वृद्धतपापक्षे शुभं भवतु ॥ १००४. संवत् १५२२ वर्षे माघवदि १ गुरौ श्रीश्रीवंशे श्रे० अर्जुनमा० अहवदेपुत्रश्रे० पाताभा० अरघुपुत्रश्रे० कालाकेन भा० भावलदेसहितेन लघुभ्रातृ० हीराश्रेयसे श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीशीतलनाथविं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ १००५. सं० १५२३ वर्षे कार्त्तिकवदि ९ सोमे कालुपुरवा ० श्रीवाय ज्ञातिदो० डूंगरभा० लाडिक तया स्वमातृमं० देपाभा० गांगीश्रेयसे आगमगच्छे श्रीमुनिरत्नसूरिगुरूपदेशेन श्रीशांतिनाथादिपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता च ॥ १००६. सं० १११३ वैशाखव० ९ शनौ वीरवंशे श्रे० हापाभार्या कांऊपुत्र्या श्रे० ठेपणभार्यया पूरीश्राविकया भ्रातृश्रे० केसव नरसिंह जेसा प्रमुख कुटुंबसहितया श्रीअंचलगच्छनायक श्रीजयकेसरिसूरि उपदेशेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथवित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ १००७. सं० १४८८ वर्षे वैशा० शु० १० गुरौ उकेशवंशे सा० ढोलाभार्या हीरादे सुतसा • अजेसीभार्याविजादेसुतवाच्छाकेन निजमातुः श्रेयसे श्रीअभिनंदनदेवचित्रं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपापक्षे श्रीरत्नसिंहसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेख संग्रह. १८१. १००८. संवत् १५५१ वर्षे वैशाखमासे शुकपक्षे १३ तिथौ गुरुवासरे आणंदग्रामे श्रीवायडज्ञातीयश्रे० गोवलमा० कुतिगदे पुत्री पूगी बिंबं सुतसं० देवदासभा० माईसु० श्रे० जनाभा० जसमादे सुतश्रे० चांदावांदादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता लघुशाखीयतपागच्छाधिराजश्रीलक्ष्मीसागरसूरिपट्टे गच्छनायक श्रीसुमतिसाधुसूरि तस्पट्टालंकारगच्छनायक श्री हेमविमलसूरिभिः || १००९. संवत् १९९८ वर्षे वैशाखशुदि १३ गुरौ मोढवंशे गांधीसधारणभार्यादीवडिपुत्रदेव चंदभार्याचंगाई पुत्र उदयवंतसमस्त परिवारयुतेन श्राविका पुण्यप्रभाविका चंगाई स्वपुण्यार्थे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छश्रीविजयदानसूरिभिः ॥ १०१०. सं० १५३० वर्षे माघशुदि १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० वाछासुतमं० पूजाभा० लीलूसु० साहमूंटाभार्या सताई तया सुतनाया चांदायुतया स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथबिंबं श्रीआगमगच्छावीश श्रीदेवरत्न सूरिगुरूपदेशेन कारितं प्रतिष्ठापितं च श्रीस्तंभतीर्थ वास्तव्यः ॥ १०११. सं० १२२६ माहशुदि १३ खौ श्रे० सरणदेवेन सांतिम० जसयानिमित्तं कारिता प्रतिष्ठिता श्रीहरिभद्रसूरिभिः ॥ ( पार्श्वनाथप्रतिमा ) १०१२. सं० [११]१२ वर्षे फागुणवदि १ सोमे धारापद्रीयगच्छे श्रे० नागराश्रेयोऽर्थं तस्य भार्या तिडुणदेवि श्रीपार्श्वनाथर्विनं कारितं श्रीसालिभद्रसूरिप्रतिष्ठितं ॥ १०१३. सं० १९०९ माघे शुदि १ गुरौ डामिलाग्रामे प्राग्वाय० लाडणभार्यापचीपुत्रव्य हीराकेन भार्यातिलुपुत्र हावड For Private And Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org खंभात. ટર कीता धना भोजादिकुटुंबयुतेन श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्री सोमसुंदरसूरिशिष्य श्रीरत्नशेखरसूरिभिः || १०१४. सं० १४८३ वर्षे फागुणशु० १० गुरु श्रीश्रीमारज्ञातीयव्य० व्यजपालभार्या वडलादेपु०ब्ध० डूंगरसीभार्यागोमतिसुगंधूवरेण पितृमातृश्रेयसे श्रीधर्मनाथवित्रं श्री पूर्णिमापक्षीय श्रीगुणसागरसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठिनं न विधिना ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०१५. सं० १९२० अहम्मदावादे प्राग्वाटव्य० वयरसीमा० गुउरीपुत्रेण व्य ० हेमराजजिनदत्तानुजेन व्य० धनदत्तेन भा० वल्हादे पुत्रमालदेवादिकुटुंबयुतेन श्रीशीतलनाथबिंबं का० प्र० तपापक्षे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिश्रीसोमदेवसूरिभिः ॥ O १०१६. संवत् १९६९ वर्षे चैत्रशुदि १० शुक्रे श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयसा • गणपतिभा • रंगाईसुतसा • गोविंदकेन सु० वसा) सु०जीवायुतेन निजभार्या अरघाईश्रेयोऽर्थ श्रीविमलनाथवित्रं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं विधिना ॥ १०१७. श्रे०राणाभार्यामंदोदरिश्रेयोऽर्थं सुतदेव. रिगच्छे श्रीवज्रसेन सूरिशिष्य श्रीनर चंद्रसूरिभिः ॥ . कंथे व्य० श्रे० धांधासुत श्रीदेवसू ******************* ...................... 2000 ******* १०१८. संवत् १५६३ वर्षे माघशुदि ९ सोमे स्तंभतीर्थवा ० श्रीश्रीमालज्ञा० सी०काजासु ० सा० रत्नपालभा० रत्नाईपु० सा० गंगदासभा०लकूपुत्र त्रह्माहाथी श्रीवंत जसवंत प्रमुख कुटुंबयुतेन निनश्रेयसे श्रीश्री - धर्मनाथ कारितं प्रतिष्ठिनं श्रीसुविहितसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only १०१९. संवत् १९९८ वर्षे वैशाखशुदि १३ गुरौ उकेशवंशे आंबलीयागोत्रे सा०त्रालाभार्याकर मीपुत्र देवसी भार्या देवलदे पुत्र संघराजबाई Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जेनप्रतिमालेख संग्रह. सोभागिणि स्वपुण्यार्थं श्री आदिनाथविवं कारितं श्रीविजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं तपागच्छे || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२०. संवत् १४८८ फा०शुदि ८ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठिगोधाभार्यागंगादेपितृव्यनाथाभा० नागलदेसुतनाइया कस्य महं अभय सीहेन मातृपितु आत्मश्रेयसे श्रीशांतिनाथपंचतीर्थी कारिता प्रतिष्ठिता तपापक्षे श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ १०२१. संवत् १५२० वर्षे चैत्रवदि ८ शुक्रे उप० शीलगो० झलारिजत्तगो० सा० धरणाभा • धांधलदेसु • तोलाकेन आत्मश्रेयसे श्री सुविधिनाथविं श्रीनाणावाल० प्रति० श्रीधनेश्वरसूरिभिः || १०२२. संवत् १६७७ वर्षे मार्गशीर्षसित ५ रविवासरे स्तंभतीर्थे श्रा० नयणीनाम्न्या श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छालंकारम० श्रीविजयदेवसूरिभिः || खारवाडो, श्रीमुनिसुव्रत जिनालय. महं० कुता भा०. श्रीसुमतिसूरिभिः ॥ १८३ १०२३. संवत् १३४. ..... आषाढ.............डरलीय (?) गच्छे . वासे श्रीशांतिनाथर्बित्र का० प्र० १०२४. सं० १५०४ वर्षे फा० शु० १३ शनौ प्रा० ० गोवलभा० करमादे तयोः पुत्रपांचाभा० नाथी एतैः मातृपितुः श्रीपद्मप्रभुवि कारापितं प्रति० के० सिद्धा० भट्टारि० श्रीकक्कभूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only १०२१. सं० १४८७ वर्षे मार्गशु० ९ शुक्रे श्रीओसवालज्ञा • पितृ० लूणा मातृवील्हणदेश्रेयसे सुतवस्ताकेन श्रीश्रेयांसबिंबं कारितं श्रीचैत्रगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीजिनदेवसूरिभिः ॥ Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. AAAAA A AAAAAAmain AAAmms - १०२६. संवत् १५१५ वर्षे फागुणशुदि । शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयवि० साहदेसलभा० देवलदेसु० पितृडोसा मातृकामलदेश्रेयोऽर्थ सु० सुंटाकेन श्रीआदिनाथवि कारितं पूर्णिमापक्षीयश्रीसाधुरत्नसूरिपट्टे श्रीसाधुसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन कोरडावास्तव्यः॥ १०२७. सं० १५०९ वर्षे माघे गूर्जरज्ञातीयमं० देवसीमा० कपूरीपुध्यामं० तर्नदपुत्रमं० सूराभा०श्रा० कुतीनाम्न्या श्रीशांतिनाथविवं का प्रति० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थे । १०२८. [१३....] शुदि ९ श्रीनेर्वत(?)गच्छीय पूंगीपांगाकेन पितृव्यवसीहड...........सीहेन........श्रेयसे श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं मलधारिश्रीश्रीतिलकसूरिभिः ॥ खारवाडो, श्रीमहावीरस्वामिजिनालय. १०२९. संवत् १९४९ वर्षे आषाढशु० २ शनौ बोरसिद्धिवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयठ० पासामा० टवकूसुतठ० सरपतिभार्यावल्हादेसुतठकरसिंहाकेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीश्रीश्रीउदयसागरसूरिभिः श्रीटबकूश्रेयसे ॥ १०३०. सं० १५२१ वर्षे माघवदि ९ सोमे गांधीगोत्रे ओसवालज्ञा० सं० पासदेमा० चांपासिरीपुत्रसं०संसारचंद्रभा०सीतादेपुत्रसं०वीराकेन पित्रोः श्रेयसे मूलाश्रेयसे स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथविवं का० प्र० श्रीमलधारिंगच्छे श्रीविद्यासागरसूरिपट्टे श्रीगुणसुंदरसूरिभिः स्तंभतीर्थवासि ॥ १०३१. स्वस्तिसं० १५१० वर्षे फागुणवदि ३ शुक्र For Private And Personal Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. nmnnnnamon menanam nayanamaARA श्रीहूंबडज्ञातीयठ० चनाभा० बा० रत्नू तयोः पुत्रठ० पेथामा० बा० कर्माई तयोः पुत्रौ महिराजमुकुंदनामानौ ताभ्यां स्वपितुः श्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीविजयतिलकसूरिपट्टे भ० श्रीविजयधर्मसूरिवरैः श्रीः ॥ १०३२. सं० १९१६ वर्षे कार्तिकशु० १५ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० नरबदसुतसालिगसोमाक० बा० वरजूपु० पचन सचन भार्याबा० रमाईपु० सहिना एतैः आत्मश्रेयसे श्रीवासु ज्यवि कारित प्रति० श्रीआगमगच्छे श्रीसिंहदत्तसूरिभिः स्तंमतीर्थे । १०३३. संवत् १९७६ वर्षे चैत्रव० ८ बुधे श्रीचांपकनेरवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयदो० रत्नाभार्याधर्मिणिसुतप० कालाभ्रातृ धूसाकेन भा० गंगादेयुतेन श्रीसुविधिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीधनरत्नसूरिभिः ॥ १०३४. सं० १५०९ वर्षे ज्येष्ठशुदि १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० षीमसीसु० व्य० अमरदेभा० रत्नीसु० व्य० आल्हणसीमा० राभूसु० व्य० लाइआकेन लघुभ्रातृसाइआसहितेन स्वपितृश्रेयसे श्रीशांतिनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः श्री र्णिमापक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना ॥ १०३५. सं० १९३१ वर्षे माघशुदि ५ शुक्र प्राग्वा० श्रे०. रामाभा० गूजरिपुत्रनारदेन भा० मचकूवृद्धभ्रातृश्रे० भीमादियुतेन स्वश्रेयसे श्रीश्रीमुनिसुव्रतनाथबिंब का० प्र० तपागच्छनायकश्रीश्रीश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः॥ १०३६. सं० १५१० वर्षे माघमासे देकावाटकीयप्राग्वाटव्य० पर्बतभा० सलूणिपुत्रसिवाकेन मा० रामतिपुत्रप्रमुखपरिवृतेन श्रीआदि 24 For Private And Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. - - - नाथवि कारितं प्र. तपाश्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्रेयो भवतु पूनकस्य ॥ खारवाडो, श्रीकंसारीपार्श्वनाथजिनाळय. १०३७. सं० १६७७ वर्षे कार्तिकासित ६ दिने स्तंभतीर्थवा० वृ० ओसवंशज्ञातीयसा० लंकाभार्या बाई मेघाई सुतसा० कान्हजीभार्यया श्रा० मरघादेनाम्न्या स्वकीयवक्त्रशोभाजितशशांकबिंब श्रीविमलनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छभट्टारकप्रमुश्रीश्रीश्रीहीरविनयसूरिपट्टप्रभावकभट्टारकश्रीविजयसेनसूरिपट्टप्राचीनाचलचूलासहस्रकिरणायमाण(नभट्टास्कश्रीविजयदेवसूरिभिः सपस्किरैराचंद्रार्क चिरं जीयात् ॥ खारवाडो, श्रीअनन्तनाथजिनालय. १०३८. सं० १४३४ वर्षे वैशाखवदि २ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयम०............सीभार्या धणदेवि........महं० लाडाकेन श्रीशांतिनाथबिंब कास्तिं प्रतिष्ठितं महूंकरश्रीगुणप्रभसूरिभिः ॥ १०३९. संवत् १५३२ वर्षे कार्तिकवदि १ सोमे श्रीमालज्ञातीयश्रे० पितृदेल्हामातृलाषीपु० बालाभार्या रामति भ्रातृ कालामा० डाहीसुतवरसिंगेन स्वपितुः श्रेयसे श्रीविमलनाथविवं कारितं श्रीपूर्णिमापक्षीयश्रीसाधुसुंदर सूरीणामुपदेशेन वालुकडवास्तव्यः श्रीरस्तु ॥ १०४०. संवत् १५२९ वर्षे आषाढवदि ३ ( महावदि १३ सोमे ) श्रीप्राग्वाटज्ञातीयदो० वरसिंगभा० मानूपुत्रदो० देपाभा० राजू तयोः पुत्रा दो० ठाइआदो० गांगाभार्या सू तयोः पुत्रा दो। गोगलराज प्रमुखकईश्रेयसे श्रीसुपार्धनाथवि कारितं वृहत्तपागच्छे श्रीविनग्रानसूरिभिः प्रतिषिवं श्रीरस्तु ॥ For Private And Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह २८७ १०४१. सं० १३८७ वर्षे माघशुदि ९ शुक्रे श्रीश्रीपालज्ञातीयपितृश्रे० दूरसीह अपरमात कपूरदेवि मातृकील्हणदेविश्रेयोऽर्थ सुतमहिपालेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीचैत्रगच्छे श्रीपद्मदेवसूरिपट्टे श्रीगनदेवसूरिभिः ॥ १०४२. संवत् १६५८ वर्षे माहशुदि ५ सोमे श्रीसुधर्मागच्छे भ० श्रीविनयकीर्तिसूरीणामुपदेशेन श्रीश्रीमालज्ञातीयहरवाईकया श्रीवि. मलनाथः प्रतिष्ठितः ॥ १०४३. संवत् १६७७ वर्षे कार्ति कासितप्रतिपदनंतर द्वितीयायां बुधवासरे स्तंभतीर्थे ओसवालज्ञातीयसा० जगसीभार्यातेजलदेपुत्रीबाईधर्माईनाम्न्या कारितानि श्रीसुमतिनाथचतुर्मुखबिबानि प्र० तपागच्छे भ० श्रीविजयदेवसूरिमिः ॥ खारवाडा, श्रीस्तंभनपार्श्वनाथजिनालय. १०४४. सं० १३५६ ज्येष्ठव० ८ श्रीउकेशगच्छे श्रीकक. सूरिसंताने सा० भाल्हणभा० सुहवदेविपुत्रपाल्हणेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं पित्रोः श्रे० प्रति० श्रीसिद्धसूरिभिः ॥ १०४५. सं० १३९३ वर्षे ज्येष्ठशुदि९ शुक्रे सौरा० प्राग्वाटज्ञातीचठ० सज्जननिमित्तं ठ० गणपतेन श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्र० श्रीरत्नचंद्रसूरिभिः॥ १०४६. सं० १५१८ वर्षे शाके १३ प्रवर्तमाने चैत्रशुदि तृतीयादिने ओसवालज्ञाती यसाह कलद सुता० माकूपुत्रश्रीपाल माकु आत्मपुण्यार्थ श्रीअभिनंदनबिंवं कारापितं प्रतिष्ठितं धर्मघोषगच्छे श्रीविजयचंदसूरिपट्टे श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ॥ १०४७, सं० १९०७ माहशुदि ५ शुक्रे ऊ० ज्ञातीयसा० For Private And Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८८ खंभात. AMMAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA हरसिंहभा०रूपाईपुत्रसा० सिंघराजभा० सिंगारदेव्यासु० महिराजमा० हषूसुतया श्रीकुंथुनाथबिंब का०प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ १०४८. सं० १५०८ वर्षे वैशाखशु० ३ प्राग्वाटज्ञा० म० सूराभा० सीतादेसुतसाजणसिंहेन भा० वरजुसुतसहसकरणभा० रामतिश्रेयोऽर्थे श्रीअनंतनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छनायकश्रीरलशेखरसूरिभिः ॥ १०४९. संवत् १५७१ वर्षे माघवदि १ सोमे वीसलनगरवास्तव्य उकेशज्ञातीयसा० रत्नामा० तारूसु०हीरानाथाकेन भा० माणिकिसारूप्रमुखकुटुंबयुतेन पितृव्यसाहदेवाभार्यालाडिकिश्रेयोऽर्थ श्रीमुनिसुव्रतस्वामिचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः सुविहितगच्छे श्रीसुविहितसूरिभिः ॥ १०५०. संवत् १६२६ वर्षे फाल्गुनशुदि अष्टमीदिने विमलनाथवि कारितं श्रीश्रीमालज्ञातीयसा० साधुसुत विमलसी प्रतिष्ठित श्री हीरविनयसूरिभिः ॥ १०५१. सं० १९२९ वर्षे माघशुदि ५ रवौ श्रीश्रीमालज्ञा० सो० पांचाभा० टीबूसु० समधरभा०कूयरि द्वि० भा० कमली पितृमातृ. भ्रातृश्रेयोऽथ श्रीकुंथुनाथबिंबं का प्रतिष्ठितं पिप्पलगच्छे भ० श्रीअमरचंद्रसूरि उपदेशेन सर्वसूरिभिः कोहरनामे ॥ १०५२. सं० १९०८ चैत्रशु० ७ उकेशमहं० पातलभा० पोमादेपुत्रमं० आकाकेन भा० कपूरीपुत्रमं० कालाभा० रामतिप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुविधिनाथवि का० प्र० तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीमुनिसुंदरसूरिपट्टे श्रीरत्नशेखरसूरिभिः लाडउलिग्रामे ॥ . १०५३. संवत् १६०० व० वइ० सु० २ गुरु चांपानेरवास्तव्य ओसवालज्ञातिसा० धरमापु० सा लटकण तास भार्या बा. For Private And Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ANN - ललतादे तासुपु० स० रीडा रानपाल रतनपाल चोपडागोत्रे खरतरगच्छे श्रीसूरिभिः उपाध्यायश्रीविद्यासागरप्रतिष्ठितं श्रीशांतिनाथबि कारापितं बा ललतादेश्रेयोऽथ शुभं भवतु ॥ शिलालेखः। १०५४. ॐ अर्ह ॥ संवत् १३६६ वर्षे प्रतापाक्रांतभूतलश्रीअलावदीनसुरत्राणप्रतिशरीरश्रीअल्पखानविनयराज्ये श्रीस्तंभतीर्थे श्रीसुधम्मस्वामिसंताननभोनभोमणिसुविहितचूडामणिप्रभुश्रीजिनेश्वरसूरिपझालंकारप्रभुश्रीजिनप्रबोधसूरिशिष्यचूडामणियुगप्रधानप्रभुश्रीजिनचंद्रसूरिसुगुरूपदेशेन उकेशवंशीयसाहनिनदेवसाहसहदेवकुलमंडनस्य श्रीजेसलमेरौ श्रीपार्श्वनाथविधिचत्ये कारितश्रीसंमेतशिखरप्रासादस्य साहकेसवस्य पुत्र. रत्नेन श्रीस्तंभतीर्थे निर्मापितसकलस्वपक्षपरपक्षचमत्कारकारिनानाविधमार्गणलोकदारिद्र्यमुद्रापहारिगुणरत्नाकरस्वगुरुगुरुतरप्रपेशकमहोत्सवेन संपादितश्रीशत्रुनयोजयंतमहातीर्थयात्रासमुपाजितपुण्यप्रागभारेण श्रीपत्तनसंस्थापितकोदडिकालंकारश्रीशांतिनाथविधिचैत्यालयश्रीश्रावकपौषध. शालाकारापणोपचितप्रसृमरयशःसंभारेण भ्रातृसाहराजदेवसाहवोलिय साहजेहडसाहलषपतिसाहगुणधरपुत्ररत्नसाहजयसिंहसाहजगधरसाह सलषणाहरत्नसिंहप्रमुखपरिवारसारेण श्रीजिनशासनप्रमावकेण सकलसाम्मिकवत्सलेन साहजेसलसुश्रावकेण कोदडिकास्थापनपूर्व श्रीश्रावकपौषधशालासहितः सकलविधिलक्ष्मीविलासालयः श्रीअजितस्वामिदेवविधिचैत्यालयः कारित आचंद्रार्क यावद नंदतात् शुभमस्तु श्री यात् श्रीश्रमणसंघस्य ॥ छ ॥ श्रीः ॥ खारवाडा, श्रीमनमोहनपार्श्वनाथ जिनालय. १०१५. संवत् १५०९ वर्षे माघशुदि १० शनौ प्राग्वाट For Private And Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संभात. ज्ञातीयश्रेष्ठिराणासंताने श्रेष्ठिमांडणभार्यासलघू पुत्र सुटाभार्यारत्नूपुत्रउमाकेन भा० हरपु० महिपालसहितेन आत्मश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंबं कारितं प्र० साधूर्णिमापक्षे श्रीरामचंद्रसूरिपट्टे श्रीपुण्यचंद्रसूरीणामुपदेशेन विधिना श्राद्धैः ॥ खारवाडा, श्रीसीमंधरस्वामिजिनालय. १०५६. सं० १४८३ वर्षे वै० शु० ३ शनौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० पेयामाग्रीमलदेसुतमांडणेन भार्या ह—सुतसहिसा भ्राता कर्मण धर्मण भार्या आसूसुत 'महिरानप्रमुखकुटुंबसहितेन पितृश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं नागेंद्रगच्छनायकैः श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥ १०५७. संवत् १९६६ वर्षे माघशुदि ५ सोमे ओसवंशे अंबिकागोत्रे सा० सिंघाभा० कतीपु० सा० राजासा० सीपामा० सिकूदेपु० हीरजी पद्मसी स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथवि कारितं श्रीभावडरायगच्छे श्रीकालिकाचार्यसंताने श्रीविनयसिंहसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीस्तंभतीर्थे ॥ १०५८. संवत् १६७७ वर्षे कार्तिक कृष्ण २ ( प्रतिपदनंतर द्वितीयायां ) बुधे स्तंभतीर्थे वद्वशाखीय ओसवालज्ञातीयसा० श्रीमल्लभार्यया तत्प्रथमभार्या बाईशिवादे पुत्रीबाईधनाईयुतया द्वितीयाभार्या बाई वल्हादेयुतया सा० रहिआमातृश्रा० शृंगारदेनाम्न्या श्रीअनंतनाथबि स्वप्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितं च तपागच्छालंकारभट्टारकश्रीविनयसेनसूरीश्वरपट्टोदयाचलसहस्त्रकिरणायमानभट्टारकश्रीविजयदेवसरिभिः सपरिकरैराचंद्रार्क चिरं श्रेयसे ॥ १०५९. सं० १५२२ वर्षे फागुणशुदि ३ सोमे श्रीडहरवालावास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयश्रे० गोगनभार्याकउतिगदेसुतश्रे० आसा For Private And Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जेनप्रतिमालेख संग्रह. १९१ भार्यासांऊसुश्राविकया सुतश्रे० कडूआश्रे ० चीमाश्रे० चांगाप्रमुखकुटुंबसहितया आत्मनः कुटुंबस्य च श्रेयोऽर्थे श्रीअंचलपच्छेश्वरश्रीजय केसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीः ॥ १०६०. सं० १४१८ वर्षे वशाखशु० ३ बुधे श्रीमालज्ञातीयठ० लाडा छाडा धरणि सु० हाडा ठ० साराभा० घटीसु ० देपालश्रे० सुतसांकआकेन श्रीपार्श्वनाथर्बिनं का० प्र० पू० श्रीविद्याधरसूरीणामुपदेशेन ॥ १०६१. सं० १९८९ वर्षे वैशाखशुदि १ गुरु श्रीमाज्ञातीयश्रे० धनासुतमाधवभार्यासुहवदेसुतलषमणभार्यागौरीसुतषोना केल्हाभार्या कामसुतरणायर आत्मश्रेयोऽथ श्रीकुंथुनाथबिंबं का० प्र० श्री. ह्माणमच्छे श्रीबुद्धिसागरसूरिपट्टे श्रीविमलसूरिभिः ववाणी आवास्तव्यः || १०६२. संवत् १९१९ वर्षे ज्येष्ठशुदि १३ सोमे प्राग्वाटज्ञा व्य० परबतभा० कुतिगदे पुत्र २ हरदास तेजा हरदासभा • लीलादेपु० श्री आदिनाथर्विवं का० श्रीसंडेरगच्छे श्रीयशोभद्रसूरिसता. श्रीसालिभद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीविपलासावास० ॥ १०६३ संवत् १६१७ वर्षे ज्येष्ठशुदि ९ सोमे श्रीपाश्वनाथबिंबं श्रीविजयदानसरिभिः बाईदाडमदेसुतळषमणकेन कारापितं ॥ १०६४. संवत् १५१७ वर्षे माहशुदि १ शुक्रे उपकेशज्ञातौ मंडोवरागोत्रे सं० धेनुपु० महिराजपु० जमणसिंहभा०जमणदेपु० वस्ताराजाभ्यां युतेन निजपत्नीपुण्याथ श्रीशीतलनाथत्रिवं का०प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे भ० श्रीविजयचंद्रसारपट्टे श्रीसारत्नसूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. AVARNAVAJANANANAVANAV R Aaway .... १०६५. संवत् १९९३ वर्षे माघशुदि १२ शनौ श्रीधंधूकानगरे श्रीश्रीवंशे महं. नगाभा० मानूपु० महं० धीरासुश्रावकेण भा० माल्हूसु० महं कामासहितेन स्वश्रेयोऽथ श्रीशीतलनाथबिंब कारतं. प्रतिष्ठितं श्रीपीपलगच्छे श्रीधर्मवल्लभसूरिमिः ॥ १०६६. सं० १९६९ वर्षे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे त्रयोदशीतिथौ भौमवारे श्रीमालीजातीयलघुशाखीयसा० हादाभा० हेमादेपु० सा० बलिराजेन भा० षीमाईपु० जयचंदयुतेन स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंब कारित प्रतिष्ठितं श्रीकोरंटगच्छे भट्टारकनीनन्नसूरिभिः श्रीस्तभतीर्थनगरे ॥ १०६७. सं० १४८६ वर्षे वै० शु० ३ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० डूंगरसीमा० गोमतिसुतगंधूभा० लाडूनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंब श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीश्रीश्रीगुणसागरसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं विधिना ॥ १०६८. सं० १३९२(३) माधवदि ११ शुक्रे प्राग्वाटज्ञातीयठ० अजयसीहेन सुतकेसवश्रेयोऽथ श्रीनेमिनाथवि कारित प्रति० श्रीचैत्रगच्छे श्रीपद्मदेवसूरिपट्टे श्रीमानदेवसूरिभिः ॥ -- १०६९, संवत् १५६१ वर्षे वै० वदि ८ उकेशज्ञातीयता० जिणीयाभार्या जालणदेसुतसा० षीमाकेन भ्रातृवेलाहाथीफनादिकुटुंबयुतेन स्वपितृनामेन कुटुंबश्रेयोऽथ श्रीआदिनाथवि कारित प्रतिष्ठितं साधुपूर्णिमापक्षे श्रीउदयचंद्रसूरिभिः कडीग्रामवास्तव्यः ॥ १०७०. संवत् १६०० वष ज्येष्ठशुदि ३ शनौ श्रीमालज्ञातीयलघुशाखायां सा०जीवाभार्या रमाईपुत्रसा० सहिसकिरणभार्याललितादेपुत्रीमनाईसुश्राविकया श्रीअंचलगच्छे श्रीगुणनिधानसूरीणामुषदेशेन श्रीसुमतिनाथबिंब कारित प्रतिष्ठित च श्रीसंघेन ॥ For Private And Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १०७१. सं० १९३१ वर्षे वैशाखशुदि ३ शनौ श्रीश्रीमा० व्यव०देपाभा० कर्मणिपुत्रमाणिकभा० माणिकिदेसहितेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसुपतिनाथवित्र कारा० प्र० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीकमलचंद्रसूरीणां पट्टे श्रीहेमरत्न सूरिभिः ॥ १०७२. संवत् १५२० वर्षे मार्ग.शुदि ९ शनौ श्रीओएसवंशे सा० अदाभा० हीरूपुत्रसा० हांसासुश्रावकेण भा० करमाईपुत्रसाह सहिसकिरण द्वितीयभार्याकपूराईसहितेन स्वश्रेयसे श्रीअंचलगच्छाधिरान श्रीनयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीश्रेयांसनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन श्रीस्तंभतीर्थे ॥ १०७३. सं० १३ (८) ५३ (१) वै० व० ११ वौ श्रीचंद्रगच्छे पितृव्यनरपति पितृवालनुश्रेयसे........तेन श्रीपार्श्वनाथः कारितः .........श्रीगुणाकरसूरिभिः प्रतिष्ठितः ॥ १०७४. सं० १५२३ वर्षे वै० ५० ५ गुरौ आनंदग्रामे वायडज्ञातीयश्रे० सादाभा० सुहवदेपुत्रश्रे० भादाभा० कुअरिपुत्रमं० भोजाकेन भार्याटबकूभ्रातृश्रे० जूठामा० रत्नादेश्रे० वरसाभा० बनादे. पुत्रपूजादाऊआशाणादिकुटुंबयुतेन श्रीमुनिसुव्रतस्वामिचतुर्विशतिपट्टः का. रितः प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीरस्तु ॥ १०७५. सं० १५२५ वर्षे वैशाखशुदि ६ सोमे ओसवालज्ञातीयमंडोवरागोत्रे सा० नाथाभार्यानागलदेपुत्रसा० वीरपालसा० पासवीरसा० वीरपालभार्याविमलादेपुत्रसा० मयणपालेन भ्रातृवस्ताश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथवि कारितं प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीविनयचंद्रसूरिपट्टे श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ॥ १०७६. सं० १४०० वर्षे वैशाखशुदि ३ उपकेशवंशे चीच. टगोत्रे संघपतिसा० देसलात्मनसा० सहनपालभार्याननणदेव्या संथ. 25 For Private And Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. श्रीसीरंग संघ ०.......सिंह सं० मूरा सं० दादूसाहाय्येन श्रीस्तभतीर्थे संघ० धनपत्य......समवसरणं प्रति० श्रीककसूरिभिः ।। १०७७. सं० १५२९ फागुणवदि त्रीज सोमे श्रीश्रीपालीज्ञा० व्य० देवदासभा० कूयरिपु० आंबाकेन भा० हेमाइसुतसिंघराजप्रमु० कुटुंबयुतेन स्वपूर्वजश्रेयसे स्वपुण्यार्थं च श्रीवासुपूज्यबिंबं का० प्रति० श्रीवृद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थे । १०७८. संवत् १६३२ वर्षे वैशाखशुदि ७ रवौ श्रीप्राग्वाटज्ञातीयपरीक्षकीकाभार्याबाईसहिजलदेसुतदेवराज तस्य भार्या बाई वीराई तत्पुत्रतेजपालकेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारापितं श्रीतपागच्छे श्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीहीरविजयसूरिभिः स्वहस्तेन श्रीस्तंभतीर्थे प्रतिष्ठितं शुभं भवतु।। नागरवाडो, श्रीवासुपूज्यजिनालय. १०७९. सं० १५०६ वर्षे माघवदि ७ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० आसाभा० राजूसुतव्य० मूलाभा० रंगाईनाम्न्या स्वश्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथबि पूर्णिमापक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरीणामुपदेशेन कारित प्रतिष्ठितं च विधिना खंभायते ॥ १०८०. संवत् १५४७ वर्षे चैत्रशुदि ५ दिने सिद्धपुरवासी व्य० श्रे० जावडश्रे० कीकामा० रमाईसुतहंसराजपहिरानमांका श्रीगौतमबिंब कारितं ॥ १०८१. संवत् १९२४ वर्षे वैशाख ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयव्य० डूंगरसीभा० गोमतिसु०व्य० बालाभा०मकांसु०व्य ०श्रीराजभा०कमलीनाम्न्या स्वश्रेयोऽयं श्रीनभिनाथबि श्रीपूर्णिमा० श्रीपु. ण्यरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रति० विधिना श्रीस्तंभे ॥ १०८२. संवत् १४८६ वर्षे वै० शुदि १५ सोमे श्रीओस For Private And Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जैनप्रतिमालेखसंग्रह १९५ वालज्ञातीयश्रे • कडूयटसुतसोमूलभार्याचा ० मुक्तादेतसो ० शिवाकेन o स्वपितुः मातृश्रेयोऽयै श्रीअजितनाथ कारितं प्रतिष्ठित श्रीवृद्धता श्रीरत्न महसूरिभिः श्रीः || १०८३. सं० १९६८ वैशाखशुदि १० श्री तावदेवाचार्य गच्छे वर्द्धमानपुत्रिका पापई (?) श्राविया श्रीमहावीरप्रतिमा आत्मश्रेोऽर्य कारिता || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८४. संवत् १६६७ वर्षे श्रावणशुदि २ बुधे श्रीअंचलगच्छे पूज्पगच्छाधिराजश्री ५ श्रीधर्ममूर्तिसूद्र आचार्यश्रीः ॥ १ ॥ श्री कल्याणमागः सूरीश्वर [H] मुपदेशेन श्रीस्तंभतीर्थवास्तत्र्यश्रीश्रीमालज्ञातीयसोनी जिचंद भार्याविजलदेपुत्र सोनी जीवराज भ्रातृसोनी संवजी लघुभ्रातासोनीदेवकरणयुतेन चतुर्विंशतिपट्टः कारापितः आत्मश्रेयोऽये प्रतिष्ठितः श्रीसंघेन चिरं जीयात् । चातुर्मासिकश्रीविद्यासागरोपाध्यायैः सपरिवारैः श्रीरस्तु कल्याणं भूयात् ॥ १०८५. संवत् १५२५ वर्षे वैशाखशुदि ६ दिने वायडज्ञातीयश्रे० सादाभा० सूहवदेपुत्रश्रे० मादाभा ० कूंअरिपुत्रसा० भोजाभ्रातृ जूठाकेन भा० रत्नादेव्यादिकुटुंत्रयुतेन निजश्रेयसे श्रीशांतिनाथ चतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० श्रीसोमसुंदरसूरि संताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः आणंदवास्तव्यः || बोलपीपळो, श्रीनवपल्लवपार्श्वनाथ जिनालय. १०८६. संवत् १४९६ वर्षे फागुणवदि २ शुक्रे स्तंभतीर्थवास्तव्यमोदज्ञातिवृद्धशाखायां ठकुरहीराभार्यासंपूरीपुत्रेण ठ० माहवेन मार्यावसुजीवाजिनदत्तमहितेन स्वमातृपितृश्रेयसे स्वश्रेयोऽर्थं च आगमगच्छे श्रीजयानंदसूरीणामुपदेशेन श्रीविमलनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसूरिभिः शुभं भवतु ॥ For Private And Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९६ खंभात. بومی مجرمی १०८७. सं० १४५० वर्षे माघवदि ९ सोमे तपागच्छ(!)... हरसूरिपक्षे श्रीजयतिलकसूरि उपकेशवंशे ठ० सिंहाभा० फनूसुतकर्णसिंहेन मातृपितृश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथवि० का० प्रतिष्ठितं सूरिभिः ।। १०८८. संवत् १९४१ वर्षे माहशु० ५ गुरु श्रीभावडारगच्छे श्रीश्रीमालज्ञा० सं० नाथापु०सं० जगाभार्यासं० संपू भ्रा० जयतसीपु०तेजसी भा०हर्षाईपु०स्वश्रेयसे स्वपु० श्रीसुमतिनाथवि का श्रीजिनदेवसूरिपट्टे प्र० श्रीभावदेवसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थे ॥ १०८९. सं० १५१९ वर्षे वैशाखबदि ११ शुक्रे वायडज्ञातीयमं० भीमाभार्यारासुतवाजाभा० संपूरीसुतगोइआकेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथादिपंचतीर्थी आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरिगुरूपदेशेन कारिता प्रतिष्ठापिता च दीकावाटकवास्तव्यः । १०९०. सं० १५१२ वर्षे वै० शुदि १० गुरू उपकेशज्ञा० मंडोवरागोत्रे सा० जगसीहपुत्रसा० नगराप्रभार्यालूणश्रीपुत्रहलावरपालथिरियाश्रीराजैः मातुः पुण्यार्थे श्रीआदिनाथवि० का० प्र० श्रीधर्मघोषग० श्रीविनयचंदसूरिपट्टे श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ॥ १०९१. सं० १९२३ वर्षे वैशाखशु० ३ वीरपुरवास्तव्य नीमाज्ञातीयश्रे० तेजाभा०लाडीपुत्रश्रे० सादाकेन भार्यामंदोदरिपुत्रप्रभा.... टचापानींपादिकुटुंबयतेन श्रीनमिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ १०९२. सं० १३११ वर्षे वैशाखशुदि ३ सोमे श्रे० महिपालमा माल्हणिदेवितच्चसापई(१)श्रेयोऽथ सुतवीरमेन श्रीमहावीरविंद कारापितं ॥ १०९३. सं० १३८२ वैशाखशु० १४ गुरौ श्रीब्रह्माणगच्छे माता For Private And Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. १२७ श्रीमालज्ञा० उ० अमीपालभार्यारतनल पितृमातृश्रेयोऽर्थ सुतकडूआकेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्र० श्रीजज्जगसूरिभिः ॥ १०९४. संवत् १५२९ वर्षे आषाढादि ३० वर्षे महावदि १३ सोमे श्रीप्राग्वाटज्ञातीयदेपाभार्याराजूपुत्रदो० गांगाभा० आसूसुतदो० गंगराजभा० माकूणदेप्रमुखस्वकुटुंबश्रेयसे श्रीश्रीवासुपूज्यबिंब कारि० च श्रीविजयरत्नसूरिभिः प्रतिष्ठितं बृहत्तपापक्षे ॥ १०९५. सं० १४...वर्षे वैशाखशु० १० बुधे श्रीश्रीमालज्ञा० व्य० वीकमभा० साजणिभ्रा० मूजागोवलाभ्यां पित्रोः क० श्रे० श्रीसंभवनाथवित्र कारापितं प्र० पिष्पलगच्छेशश्रीधर्मशेखरसूरिभिः ।। १०२६. सं० १५६४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ शुक्रे वालींबवास्तव्यप्राग्वाटज्ञातीयव्य० गदाभा० हलीमुतआबूकेन भा० अहवदेसु० वरूआसरूआप्रमु० कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीअजितनाथवि कारित प्रतिष्ठितं वृद्धतपापक्षे श्रीउदयसागरसूरि तत्पट्टे श्रीलब्धिसागरसूरिभिः॥ १०९७. सं० १५२१ वै० शु० ३ पत्तने प्राग्वाटव्य. जूठाभा० चकूपु० वेलाकेन भा० धनाईभ्रातृभीमामांनापासादिकुटुंबयुतेन भ्रातृपोपटश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथबिंब का० प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ १०९८. सं० १९१३ वर्षे आषाढशुदि २ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० राणाभा० राणीसुतश्रे० लाडणेन भा० लाषणदेसुतनारदप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीश्रेयांसनाथबिंबं आगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरीणामुपदेशेन का० प्रतिष्ठापितं च ॥ १०९९. सं० १३७१ माघशुदि १० श्री... ..रकगच्छे श्रीयशोभद्रसूरिसंताने श्रे० रामापु० लूणापु० वीकमसु० सोमाकेन स्वपितुः श्रेयसे श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्री...सूरिभिः ॥ For Private And Personal Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. mom ११००. संन्त् १६३८ वर्षे माघशुदि १३ सोमे श्रीस्तंभ-. तीर्थवास्तव्यश्रीओसवंशज्ञातीयसो० वच्छाभार्यावसादे सुतसो० अमीपालभार्याअमगदेनाम्न्या श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबि कारापितं श्रीमत्तपागच्छे भट्टारकप्रभुश्री ५ श्रीहीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ ११०१. सं० १४२२ वैशाखशुदि ११ बुधे श्रीश्रीमालज्ञा० पितृारालभा० आसलदेभ्रा० आल्हण मीहभ्रा० सेगाश्रेयसे व्य० वस्ताकेन श्रीचंद्रप्रभपंचतीर्थी कारिता श्रीपू ० श्रीउदयाणंदसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठिता च ।। ११०२. सं० १५२५ वै० शु० ३ अहम्मदावादे दीसावाल श्रे० मेघाभा० राजपु० प्रथमाभा० वानूपु० सिवाकेन भ्रातृसुरालटुआमाणिकभा ० माणिकिसुहवइपु० वेणादिकुटुंचयुतेन पितुः श्रेयसे श्रीकुंथुनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिमिः श्रीर्भवतु पूजाकर्तुः ॥ ११०३. संवत् १५६० वर्षे ज्येष्ठवदि ७ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयसाहशिवाभा० लीलुसुतसा० पानाभार्यासा० बदामा० जीवाई तत्पुत्रीचंपाईनाम्न्या श्रीधर्मनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना सद्गुरूणामुपदेशेन श्रीस्तंभतीर्थे । ११०४. सं० अलाई ४५ सं० १६५६ वर्षे वैशाखशुदि ७ बुधे व० कालाभा० लालबाईनाम्न्या श्रीशांतिनाथविबं का० प्र० च तपागच्छे श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ ११०५. सं० १९८३ वर्षे ज्येष्ठशुदि १३ सोमे श्रीबोरसिद्धिमहास्थानवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयदो० श्रीवच्छभार्याशीदेसुतदो. सीरंगाकेन वृद्धभ्रातृदो० सीधग्युतेन भा० सरीयादेपुत्रहाथीयामहितेन श्रीआदिनाथवि कारितं स्वश्रेयसे पूर्णिमापक्षे श्रीसूरिभिः न०॥ For Private And Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह ११०६. संव० १५३३ वर्षे पौषव० ५ गुगै श्रीश्रीमालज्ञातीयसाहमागाक० रूपाईयुतेन स्वकुटुंबश्रेयसे श्रीपद्मावतीप्रतिमा कारिता ॥ ११०७. सं० १६१२ वर्षे वैशाखशुदि ६ बुधे वृद्धशाखीय ओसवालज्ञातीयश्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यछामासोमचंदसुतभा० रूपचंदभार्या धिनाई श्रीशीतलनाथः प्रतिष्ठितः तपागच्छश्रीविजयदानसूरिभिः ।। बोलपीपळो, श्रीमुनिसुव्रतस्वामिजिनालय. ११०८. संवत् १६८१ वर्षे आपाढशुदि ७ रवौ श्रीअंचलगच्छे पूज्यश्री श्रीकल्याणसागरसूरीश्वरविजयराज्ये तीद्वीपबंदिरवास्तव्य श्रीउपकेशवंशाभरणसाहश्रीमहमकिरणसुतसाहश्रीसहजपालसुतकुलदीपकसाहश्रीतेजपालकारिता श्रीजिनप्रतिमा श्रेयसेस्तु भव्यैवेन्द्यमाना श्रीअकब्बरपुरोपाश्रये श्रीः ॥ ___ ११०९, सं० १९४९ वर्षे आषा० शु० २ शनौ बोरसिद्धिवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयदो० सुतभार्यासोभागिणिसुतदो० काणा ......श्रेयोऽर्थ श्रीपार्श्वनाथवित्र कारितं प्रतिष्ठितं पूर्णिमापक्षे श्रीगुणरत्नसूरिभिः ॥ १११०. संवत् १५४१ वर्षे वैशाखबदि ५ गुरौ श्रीमोढज्ञातीयठ० लाषाभार्यासिरीठ० मटकाकेन भार्यालाडिकिसु०सुरदासप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथस्य चतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीरत्नसिंहमूरिसंताने श्रीज्ञानसागरसूरिपट्टे म० श्री................। बोलपीपळो, श्रीसंभवनाथजिनालय. ११११. संवत् १६३४ वर्षे फागुणशुदि. १० सोमे श्रीस्तं For Private And Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खंभात. भतीर्थे सूराणागोत्रे उपकेशवंशे सं०तलासु०सं० श्रीसूराभा०वसुराईसुत सं० श्रीवंतमा० सहिजलदेपु०सं० पोइआ वीरपाल उदयकरण समस्तकु. टुंबश्रेयोऽर्थ श्रीसुपार्श्वनाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं गच्छेशश्रीसौभाग्यरत्नसरिभिः श्रीवृद्धतपापक्षे ॥ १११२. सं० १९३४ वर्षे वै०व०१० रवौ उकेशसा० भीमामा०भीमलदेपु० ताल्हामा० जयतूपुत्रमताकेन पितृव्यसा०पोमाभूणालूणादियुतेन श्रीसुमतिनाथबिंबं का० प्र० नाणावालगच्छे श्रीधनेश्वरसुरिभिः डीसावास्तव्यः ॥ श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथजिनालय. १११३. संवत् १९६० वर्षे ज्येष्ठवदि ७ बुधे श्रीओसवंशे सा० का...........केन सु० सहसकिरणसहितेन भार्यामलाईपुण्यार्थ श्रीअंचलगच्छेशश्रीभावसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन ॥ १११४. संवत् १९५२ वर्षे माघवदि ११ बुधे श्रीपत्तनवास्तव्यमोढज्ञातीयठ० गोनाभार्याकाऊसुतठ० राजाभार्यारंगीसुतठ० नपाकेन ठ० सपाठ० वर्द्धमानठ० विद्याधरप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीउदयसागरसूरिभिः पराकोटडीमध्ये ॥ १११५. संवत् १५२४ वर्षे चैत्रवदि ५ भूमे श्रीश्रीमालज्ञा० सा० सगरभार्यासहिजलदेपु० गोपाभार्याश्रा० कपूरीकेन पुत्रीदूसीयुतेन आत्मश्रेयसे श्रीचतुर्विशतिपट्टः मूलनायकश्रीनमिनाथप्रतिमा कारापिता प्रतिष्ठि० श्रीपूर्णि० प्र० गच्छनायकश्रीगुणसुंदरसूरीणामुपदेशेन विधिना श्राद्धैः वा० न्या० ज्ञानकलस ॥ For Private And Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. २०१ १११६. संवत् १९९५ वर्षे माहशुदि १२ शुक्रे ओसवंशज्ञातीयमा० साहसिंहममलभार्या रोहणिसुतनयचंद्र तपागच्छे भट्टारकश्रीआणंदविमलसूरिआचार्यश्रीविजयदानसूरि प्रतिष्ठितं ॥ (श्रीपार्श्वनाथवि०) १११७. सं० १९२९ वर्षे वैशाखबदि ११ शुक्रे श्रीअचलगच्छेशश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीउपकेशवंशे सा० साषापुत्रसा० चीतवभा०रूपाईसा० आणंदेन भा०रतनीईपुत्रमा०डूंगरतेजपालभ्रातृपा० धर्मसीधारसीसहितेन श्रीवासुपूज्यस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं च सर्वश्रीसंघेन श्रेयोऽस्तु ॥ __१११८. संवत् १६१२ वर्षे वैशाखशुदि ६ बुधे स्तभंतीर्थे श्रीश्रीमालज्ञातीयवृद्धशाखायां सा० सधारणभा० बकूपुत्रपासावच्छापुत्र...पुण्यार्थ श्रीरार्श्वनाथवि कारापितं श्रीतपागच्छे श्रीविजयदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ १११९. संवत् १५३१ वर्षे माघवदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीयमं० ठेपणमा० करणूसुतसा० सीधाभार्यापारबती तया पुत्रसा० जसवीरसहसवीरतेजपाल विनारतनपाल जातादिकुटुंबयुतया स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथादिचतुर्विशतिपट्टः श्रीआगमगच्छे श्रीजयाणंइसरिपट्टालंकारश्रीदेवरत्नसूरीणां श्रीशीलवर्द्धनसूरिप्रमुखपरिवारसहितानामु....... ..कारितः ..........पितश्च.........॥ ११२०. संवत् १९७३ वर्षे वैशाखशुदि १० गुरौ श्रीश्रीमालक्षातीयसोनी महिरानभा ० आमीसुतसो०पोमाभा० मंगाई सुतसोनीकान्हाभा० पल्हा प्रमुखकुटुंबश्रेयोऽर्थ श्रीनमिनायवि श्रीपूर्णिमाक्षे सदगुरूणामुपदेशे । कारितं प्रतिष्ठि विधिना श्रीवोरसिद्धिमहास्थाने ॥ ११२१. सं० १६६१ वर्षे वैशाखशुदि ७ सोमे सीतापुरवास्तव्यव्य० शा० श्रीश्रीमालीज्ञातीयसा०रामभार्याकोटमदेसुतसा० 28 For Private And Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०२ खंभात. लहूआभगिनीबाईजीवानाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंबं का० प्र० तपागच्छे भ० आणंदविमलसूरिपट्टप्रभावकभट्टारकश्रीविजयदानसूरिपहोदयगिरिदिनकरपातसाहिश्रीअकबरप्रतिबोधकसुविहितभ० श्रीहीरविजयसूरिपट्टे पातसाहिश्रीअकब्बरसभासमक्षजितवादिवृंदगोवलीवर्दमहिषमहिषीवधनिवृत्तिस्फुरन्मानकारकभट्टारकश्री श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ ११२२. सं० १५१० माघशु० ५ गुरौ श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्य श्रीश्रीमालीज्ञातीयसा० आसाभा० माजूसुतभोजाकेन भार्यार धर्माई १ हंसाई २ पुत्रहीरासहितेन आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रति० श्रीवृद्धतपाश्रीरत्नसिंहसूरिभिः ।। १११३. संवत् १६३८ वर्षे माघशुदि १३ सोमे श्रीस्तंभतीर्थवास्तव्यश्रीओसवंशज्ञातीयसा० उदयकर्णभार्याबाईअमरादेप्सुतसा० देवकर्णेन श्रीसंभवनाथवि कारापितं श्री तपागच्छे श्रीहीरविजयसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रेयोऽर्थ शुभं भवतु ॥ ११२४. संवत् १६०...श्रीश्रीमालज्ञातीयपा० सहिनासुतवर्धमानभा० अमरादेपुत्रनाकर श्रीआदिनाथवि कारापितं श्रीसरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीस्तंमतीर्थवास्तव्यः ॥ ११२५. सं० १९१२ वर्षे मार्गशुदि ५ गुरौ श्रीमालज्ञाती. श्रे०संता.........भा० राजलदेसुतधकिन पि०मा०श्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथवि का. प्रति० ब्रह्माणगच्छे भ० श्रीमुनिचंद्रमूरिभिः षा(?)वलवास्तव्यः ॥ ११२५. संवत् १५९५ वर्षे माहशुदि १२ शुक्रे श्रीप्राग्वंसिज्ञातीय सा०जसाभा० जसमादे श्रीआदिनाथः श्रीआणंदविमलसूरिभट्टारकश्रीविनयधनसूरि तपागच्छ सोहाका प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ ११२७. संवत् १६१२ वर्षे वैशाखशुदि ६ बुचे स्तंभतीर्य For Private And Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. श्रीश्रीमालीयज्ञातीयपृद्धशाखीयसा०वच्छाभार्यासोनानाम्न्या पुत्र... तेजपाल्हासंघादि श्रीआदिनाथबि कारापितं तपापक्षे श्रीविनययदानसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ११२८. सं० १६२७ व० पौषशुदि १५ गुरु श्रीगूर्जरज्ञातीयवृद्धशाषायां दो० त्रंबकभार्यावा. जासलदेसुतदोसीविजयकर्ण श्रीपार्धनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे श्रीविनयदानसूरि तत्पट्टे श्रीहीरविजयसूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थनगरे शुभं भवतु श्रीधरणेद्रपद्मावतीसहिताय तुष्टिर्भवतु पुष्टिर्भवतु श्रीः ॥ ११२९, संवत् १६७७ वर्षे स्तंभतीर्थे श्रीधनबाई कारितं श्रीपार्श्वनाथविंचं प्रतिष्ठितं तपागच्छे भट्टारकश्रीविजयसेनसूरिपट्टालकारं भट्टारकश्रीविजय देवसूरिवरैः ॥ ( पाषाणप्रतिमा ) बोलपीपळो, श्रीसंभवनाथजिनालय. ११३०. संवत् १९१७ वर्षे फागुणशुदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीयपितृणांगामातृवासूश्रेयोऽर्थ सं० भाव दर पु० विजयचंद्रेण वडभ्रातृनिननिमित्तं श्रेयोऽयं श्रीविमलनाथवि कारित पू० श्रीसाधुरत्नसूरिपट्टे श्रीसाधुसुंदरसूरिभिः ॥ ११३१. संत् १५५८ वर्षे फागुणशु० ११ गुरौ श्रीओसवंशे सो० पोमसीभा० रूडीसु० सो० जसाकेन भ्रातृमो० हांसाश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः॥ . ११३२. सं० १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीगंधारवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयसा० तोहीआभार्याकोडाईसुतसं० दत्तनीभाठिकराणीसु० ठाइहनी कारितं श्रीवासुपूज्यबिंब प्रतिष्ठितं च श्रीतपा For Private And Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०४ खंभात। गच्छाधिराजनगद्गुरुबिरुदधारकविराजमानश्रीहीरविजयसूरिपट्टालंकार श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ ११३३. सं० १४६६ वर्षे वैशाखशुदि ३ सोमे श्रीश्रीमा. लज्ञातीयपितामहसमरानिमित्तं श्रे० सुगकेन श्रीशांतिनाथः कारितः प्र० श्रीचैत्रगच्छे श्रीधर्मदेवसूरशिष्यश्रीपासचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। ११३४. सं० १३५० वैशाखशुदि ११ प्राग्वाटज्ञा० महं० जगसीहभासिंगारदेवि तयोः श्रेयोऽर्थ......श्रीपार्श्वनाथबि कारितं प्रतिष्ठित श्रीविमलचंद्रसूरिभिः ॥ ११३५. संवत् १४६६ वर्षे वैशाखशुदि १० सोमे श्रीमालज्ञातीयधरणीधरभार्याधांधलदेसुतमेवाकेन पितृमातृश्रेयोऽर्य श्रीवासुपूज्यलिंबं कारितं श्रीब्रह्माणाच्छे श्रीश्रीवीरसरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ११३६. संवत् १६५४ वर्षे पा० श्रीअकवरप्र० ४२ वर्षे माघवदि ९ रवी गंगाईनान्या श्रीसुमतिनाथविध आत्मश्रेयसे कारित प्रतिष्ठितं श्रीतपाभ० श्रीहीरविजयसूरिपट्टालंकारश्रीविजयसेनसूरिभिः ।। ११३७. संवत् १६४४ वर्षे ज्येष्ठशुदि १२ सोमे श्रीगंधारवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयसा० नाइआभा० काजईसु० मं० धनजीभा० करणीसु० हेमनी कारितं श्रीअजितना विवं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छाधिराजजगद्गुरुबिरुदधार कविनयमानश्री ५ श्रीहीरविजयसृरिपट्टालंकार श्रीविजयसेनसूरिभिः ॥ १३८. संवत् १६५४ वर्षे पा० श्रीअकबरप्रवर्तित ४२ व० माघवदि ९ वी वल्लाईनाम्न्या श्रीसंभवनाथविबं आत्मश्रेयसे कारितं प्रतिष्ठितं तपाभट्टारकश्रीहीरविनयसूरिपट्टालंकारश्रीविजयसेनसूरिभिः प्र० । For Private And Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैनप्रतिमालेखसंग्रह. ११३९. संवत् १५४९ वर्षे आषाढशु० ३ सोमे प्राग्वाटज्ञातीयव्य० पेथडसंताने व्य० परबतमा० लखीसुतव्य. फोकामा० श्रा० देमाईसुतविजयकणेन मातृश्रेयोऽर्थ श्रीअजितनाथवि श्रीआगमगच्छेशश्रीविवेकरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं चेति भद्रम् ॥ ११४०. संवत् १५२१ वर्षे आषाढशुदि १० गुरौ श्रीश्रीवंशे श्रे० (ताभार्यालबकूपुत्रहेमासुश्रावकेण भा० मल्हाईभ्रा० भोनामा० धनीसहितेन स्वश्रेयोऽर्थ श्रीअंचलगच्छाधीश्वरश्रीनथकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीअजितनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन सीगीवाडाग्रामे ॥ ११४१. सं० १५२९ वर्षे ज्येष्ठवदि १ शुक्रे श्रीप्राग्वाटज्ञा० साहभीमामा० मटकूसु० डुंगरदेवराजहेमराजपंचायणजिणदाससुतापुतलि तया आगमगच्छे श्रीअमररत्नसूरीणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथादिपंचतीर्थी कारापिता प्रतिष्ठिता च विधिना धंधूकावास्तव्यः ।। ११४२. संवत् १५१२ वर्षे फागुणशुदि ९ शनौ श्रीगूर्जरज्ञातो मं० कर्मसीभार्यामचकूत.......प्रमुखस्वकुटुंबयुतेन पितृश्रेयोऽर्थ श्रीसंभवनाथवि कारितं श्रीवृहत्तपापक्षे भ० श्रीविजयतिलकमूरिपट्टे श्रीविजयधर्मसूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ ११४३. संवत् १५६० वर्षे माघशुदि १३ सोमे श्रीश्रीवंशे सा० नगडूभार्यासांतूसुतसा० लटकणमार्यालीलादे श्रीअंचलगच्छे श्रीसिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीसंघेन स्तंभतीर्थे । ११४४. सं० १३११ प्रतिष्ठिता श्री...सूरिभिः......... कारिता ॥ ११४५. संवत् १४८९ वर्षे वैशाखशुदि ३ बुधे श्रीहुंबडज्ञा. For Private And Personal Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०६ खंभात. ती ठ० राजसीह मार्यात्रा ० राजलदे तयोः पुत्रठ० माजाप्रियाबा० नान्ही ठ० हेमराजभा ० तेजलदेयुतेन श्रीधर्मनाथवित्रं स्वश्रेयसे कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भट्टा० श्रीज्ञानकलससूरिभिः ॥ ११४७. संवत् १५३७ वर्षे वैशाखवदि २ सोमे श्रीश्रीमालीज्ञातीय सुगंधी मणोरभार्यारतनू सुतरसुगंधी भोजाकेन भार्या भरमादे सुरापानादि समस्त कुटुंत्रयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीपूरिभिः ॥ ११४८. सं० १५०६ वर्षे मा० शु० १० खौ प्राग्वाटज्ञातीयमं० घ्ठ भा० देईसुतसं० हेमाकेन भा० कपूरी भ्रातृसं० मूघाभा० कमलाईसु० पूजादिकुटुंत्रयुतेन श्री अनंतनाथचिवं कारितं श्रेयोऽर्थ प्रतिष्ठितं श्रीतप गच्छनायक श्री जयचंद्रसूरि शिष्य श्री उदयनंदिसूरिभिः ॥ ११४९. संवत् १५४७ वर्षे माघशुदि १३ खौ श्रीश्रीमालीज्ञा० प० मालाभा० पूरीसु० प० हांसाकेन भा० रूपाई भ्रातृव्यप० माभूमा कबाई सु० पूंजादिकुटुंत्रयुतेन श्रीकुंथुनाथत्रिबं का० प्र० तपा पक्षे श्रीलक्ष्मीसागर सूरिपट्टे श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः ॥ ० ११५०. संवत् १६२० वर्षे ज्येष्ठवदि ८ तथा ९ शुक्रे खंभा - यतवास्तव्यश्रीश्रीमालज्ञातीयवृद्धशाखायां संघवीदेवाभार्याबा० हीरादे राजाधिराजश्रीभानुः राजमाता श्रीसुत्रताराणी तयोः पुत्रश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीधर्मनाथस्य त्रिं कर्मक्षयाथं कारिर्त ॥ For Private And Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिष्ठा करनार आचार्योनां नामोनी गच्छवार संवत्क्रमथी सूची । अञ्चल (विधिपक्ष ) गच्छ । संवत लेखाङ्क सं. ९२४ १०११ arms १०२४ १२१० १२२६ १२(५)२८ १२९२ १२५८ १२५९ १२६१ १२७० १२७९ १२८१ १२८७ १२९१ १२९४ १२.... आचार्य नाम सागर चन्द्रसूरि आमदे सूरि हरिपद्रसूरि साधुसुन्दरसूर जिनचन्द्रसूरि देरप्रभसूरि ....प्रभसूरि जय....सूरि .................... ........प्रभसूरी जिनश्व सरि रत्नप्रभसूरि माण(न) देवसूरि श्रीसूरि विजयसेन्सूरि श्रीसूर धर्मदेवसूर . सोमतिलक सूर marr9:४ २३० m " १३०८ १२९ ८२० For Private And Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लेखाङ्क ८६५ ११४४ २४ १३११ १३२३ १३२८ १३३० १३३४ १३४३ आचार्य नाम नागेन्द्रसूरि श्रीसूरि श्रीसूरि वर्धमानसूरि .........सूरि माव(?)देवसूरि श्रीसूरि प्रद्युम्नसूरि पासदेव मुनिरत्नसूरि विमलचन्द्रमूरि शान्तिप्रमसूरि श्रीसूरि १२७ १०२ १३४५ ४७७ १००० १३५० ५४३ c cm श्रीसूरि २१३ १३७० १३७१ १३७३ ललितदेवसूरिशिष्य श्रीसूरि सुकवि(मति)सूरि श्रीप्रमसेनसूरि मेरुप्रभसूरि श्रीचन्द्रसूरि गुणप्रभसूरि श्रीसूरि कमलप्रभसूरि धर्मघोषसूरि . Am १३७९ c For Private And Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. २०९ संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम श्रीसरि ५८३, ६४६ ९९१ जनसूरि २८० १३८८ १३८९ १३९१ १३९३ मेरुप्रभसूरि ८१९ १०४५ १३९७ २३५ ११८ ४७३, ९२० १३.... १४०१ १४०५ १४१० १४११ हंसराजसूरि रत्नचन्द्रसूरि वज्रसेनसूरि कपर्सेन( ) मदनसूरि पृथ्वीचन्द्रसरि माणिक्यसूरि सर्वानन्दसूरि मावचन्द्रसूरि पुण्यप्रभसूरि (१) अमररत्नसरि धर्मचन्द्रसूरि रत्नशेखरसूरि कमलचन्द्रसूरि देवचन्द्रसूरि वयरसेणसरि कमलचन्द्रसूरि -~-घोषसूरि श्रीसूरि 0 Cr mm. १४२१ १४२४ ९४५ ४९९ ५२७ १४२५ १४२६ १४३.. १४४७ For Private And Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २१० संवत् १४५४ १४७६ १४७७ १४७९ "" १४८० १४८१ १४८६ १४८९ १४९२ १४९४ १४९५ १४९८ १५०७ " १५०८ १५०९ १५१० १५११ १५१२ 19 १५१३ १५१६ प्रतिष्ठा करनार आचार्यांना नामनी. आचार्यनाम देवप्रभसूरि श्री मूरि "> " भावदेवसूरिमूर्ति गुणाकरसूरि श्रीसूरि www.kobatirth.org मुनिसिंहसूर शीलरत्नसूर श्री सूरि सर्वसूरि श्रीसूरि "3 "" सुविहितसूरि श्रीसूरि 13 35 39 " सुविहितसूरि श्रीसंघ श्रीसूरि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only लेखाङ्क ४९४ ६०० ८०७ ८०९ १९३ ५२२ २७२ ८०९ २९५, २९६ ८५६ ८९३ ४०३ ९८२ १८३ २१, ५७४ ९७६ २९ ७८१ ६७० ९७२ ९५६ ९५८ ८११ Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संबत्क्रमथी सूची. संवत् __ आचार्यनाम श्रीसुरि लेखाङ्क ९५२ १५२५ १५३१ १५३३ ८७१ ११०६ श्रीसूरि १९४७ १५४२ १५४४ १९४८ १५४९ १५५१ -भवसूरि श्रीसूरि सद्गुरु सर्वसाधु श्रीसूरि श्रीसूरि सर्वसूरे १५५८ १५६३ श्रीसूरि गुणाकरसूरि श्रीसूरि २४८ १५६५ १९६९ १९७१ १५७६ १९७७ १५८० १५८८ १५९८ सर्वसूरि धनराजसूरि श्रीसूरि १२४ २५९ सर्वसूरि श्रीसूरि ३९१, ३९२ ११२४ ११५० १९२० For Private And Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१२ प्रतिष्ठा करनार भाचार्योना नामनी. - अञ्चल (विधिपक्ष) गच्छ. आचार्यनाम लेखाङ्क संवत् १३८५ मेरुतुङ्गसूरि १४७१ १४७३ १४८४ महीतिलकसरि जयकीर्तिसरि ४३ ९२, ६५६ ६७६ ८८६ ९४३ १४९० १४९१ १४९९ १५०४ जयकेसरिसूरि ५०, ९९० २६, २२९, ८१० १५१२ १९१३ १५१७ १५२० १५२१ १५१२ १५२७ १५२८ १५२९ १५३१ १५४२ १००६ ७८४, ७९६ १३७, ४३४, १०७२ ६८१, ७७५, ११४० १८६, १००४, १०५९ ३९९, ५१७, ६७२ ५८०, १११७ ५२५, ८३२ ३६५ सिद्धान्तसागरसूरि For Private And Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संवत् ११११ १५५३ १५५७ १५६० " १५६१ १५६३ १५६४ १५६७ १५७० १९७३ गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. आचार्यनाम 33 "" " www.kobatirth.org " भावसागरसूरि "1 13 सद्गुरु (,, ) }} 39 सोमरत्नसूर सुविहितमूरि भावसागरसूरि गुणनिधानसूरि 99 १५८१ १५८४ १९८७ १५९१ १६०० १६४४ १६५४ (अलाई ४२ ),, १६६७ १६७० १६८१ १६८३ "" "" "" धर्ममूर्तिपूरि कल्याणसागरसूरि विद्यासाग रोपाध्याय } विजय सेनसूरि ( ! ) कल्याणसागरसूरि 93 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only २१३ लेखाङ्क ६७८, ९६७ ६१, ९०८ ६३८ ११४३ १११३ ७७८ ८५७ १५७ १९१, ६६७ ४४६ ४४८ ९०३ ४६७ ६६२ २८७, ६८३ ५६५ १०७० ५०३ ६४, १८८ १०८४ ३८५ ११०८ ४४२ Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नामनी. mmmmmmware संवत् लेखाङ्क आगमगच्छ । आचार्यनाम जयाणन्दसूरि अमरसिंहमूरि c ६३१ २७७ c ३९८ oc जयानन्दसूरि १४३९ १४६२ १४७५ १४७६ १४८२ १४९६ २५०३ १५०६ १५०७ १९०८ १०८६ ३३८ २८२ हेमरत्नसूरि हर्षतिलकसूरि। सिंहदत्तसूरि । हेमरत्नसूरि हर्षतिलकसूरि सिंहदत्तसूरि देवरत्नसूरि ० ११७, ६८२ ३४२ ३१५, ८४२, ९०५ २२० ३३१ ९८८ ६१९ ० १५०९ १९१० ० १९१२ १५१३ हर्षतिलकसूरि सिंहदत्तसूरि हेमरत्नसूरि साधुरत्नसूरि देवरत्नसरि ८०० ३५५, १०९८ ५९३ १५१५ , हेमरत्नसूरि ४०७ १९१६ For Private And Personal Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. २१५ संवत् लेखाङ्क ४९९ आचार्यनाम देवरत्नसूरि सिंहदत्तसूरि आणन्दप्रभसूरि देवरत्नसूरि हेमरत्नसूरि १०३२ ८८९ " १५१८ १५१९ १५२० १६०, १०८९ ८२४ आणन्दप्रभसूरि। गुणरत्नसूरि । मुनिरत्नसूरि देवरत्नसूरि १५२३ १५२५ १५२७ १९२९ १००५ ९३७ अमररत्नसूरि देवरत्नसूरि ६४३, ९४७ ११४१ १०१० १११९ १५३० १५३१ १५३३ १६३७ १५४२ ३०८ १९४३ १५४४ १५४६ १९४७ सिंघदत्तसूरि (आगमगच्छीय !) श्रीसूरि १३६ जिनचन्द्रसूरि ९५, ८०६ ४३२, ५१६ २४९ विवेकरत्नसूरि ३२१, ७०६ ८५ जिनचन्द्रसूरि १५४८ For Private And Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नामनी. संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम विवेकरत्नसूरि सोमरत्नसूरि विवेकरत्नसूरि ११३९ २७६, ८९४ १५४९ १९५२ १९५४ १५५९ १९६६ १५७० १९७३ १९७६ १५७८ शिवकुमारसूरि ७१० ० ० ० ४ सोमरत्नसुरि आणन्दरत्नसूरि विवेकरस्नसूरि शिवकुमारसुरि २९४, ३३७ १७१ ६१५ ४८ १९७९ १५८४ १५८७ १५९१ संयमरत्नसूरि कुलवर्धनसूरि ६१०, १४९ उपकेश (ओसवाल ) गच्छ । ककुदाचार्य ९१७ सिद्धसुरि १०४४ ११७२ १३५६ १३७३ १३८० ककसरि १३८७ १०७६ For Private And Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. २१७ आचार्यनाम देवगुप्तसूरि लेखाङ्क ५४१ संवत् १४२२ १४३२ १४३९ १४६८ १४९९ १५०४ १५०८ १९०९ १५१८ ककसूरि ५६० ८२५ १०२४ २२१ ९७१ ७६५ ४७५, ७५३ २९७, ९१९ १५२५ देवगुप्तसूरि ९४० " २०२ १६३३ .१५३६ १५६३ २३७ श्रीसुरि श्रीसिद्धसूरि मुनिचन्द्रसूरि .७७२ ५३४ ४७४ .१-२५ कडूआमतीगच्छ। तेजपाल ६२६ १६८३ काशहदगच्छ। देवचन्द्रसूरि ४७१ १४६१ 28 For Private And Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २१८ संवत् १५२१ १३१२ १३३२ १४९१ १४९६ १९०९ १५१५ . १९३० १५३१ १५४९ १५६९ १५७३ १६११ १६१२ १३५१ १३६६ १४४७ १५०५ www.kobatirth.org प्रतिष्ठा करनार आचार्यांना नामनी. आचार्यनाम कृष्णर्षिगच्छ । जयसिंहसूर कोरण्टगच्छ । सर्वदेवसूरि 19 सावदेवसूरि 35 सोम (,, ) "" "1 रत्न (? नन्न ) सूरि नन्नसूर 11 " 31 खरतरगच्छ । जिनचन्द्रसूरि "" जिनहितसूरि जिनभद्रसूरि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only लेखाङ्क ४५५ २०४ १८९ ७४० ७६४ २०३, १७१ ८६१ २१८ ६६३, ७४८ १२३ १०६६ ७६९ ६५६ ६९६ ७३४ १०५४ ६१७ ७३९ Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. २१९ - आचार्यनाम लेखाङ्क संवत् १५०९ २५८, ५३० ४२४ जिनसागरसूरि १५१० १५१२ १५१५ १५१९ १५२० १५२२ १५२४ १५२५ १५२८ १५३२ जिनभद्रसूरि ५८९, ६०८ ४९५ जिनचन्द्रसूरि १६१, ३७९ जिनहर्षसूरि ४८७ ४४३, ६९० ९८५ १४८ ७७, ६०५ जिनचन्द्रसूरि ७७९, ९०६, ९३९, १००१ जिनहर्षसूरि १९३३ ३१३ ४२२ २२३ जिनचन्द्रसूरि जिनहर्षसुरि जिनचन्द्रसुरि जिनराज सूरि जिनहर्षसूरि १५३४ १५३६ १५३ १५४४ १५५२ ४१० ३४४ जिनहंससूरि ७०७, ७१९ ४८४ ९९१ o. १५६३ For Private And Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२० प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नामनी. - संवत् लेखाङ्क १९७६ १५८४ आचायनाम जिनचन्द्रसूरि जिनमाणिक्यसूरि श्रीसूरि ) उ. विद्यासागर जिनचन्द्रसूरि ५७६ ५०५, ९४४ १०५३ ७२९ ३०२ १६०० १६२२ १६६१ १६६७ १६७७ १६७९ १६९४ १७१३ जिनसिंहमूरि Cur १७९५ हर्षवल्लभगणि ज्ञानराजगणि जिनरङ्गसूरि मिनचन्द्रसूरि चन्द्रगच्छ । [वीर] चन्द्रसूरि नेमिचन्द्रसुरि रत्नप्रभारि गुणाकर सूरि १२७९ १३०१ १३३१ (२) १३४४ १३५३ r 10. १ / ० , १३४ चित्रावाल (चैत्र) गच्छ। पद्मप्रभमुरि धर्मदेवसूरि मानदेवसूरि ८७९ ९२६ १३५४ १५. For Private And Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संवत् १३८७ १३९१ १३९२ (३) १३९७ १४०८ १४३० १४४६ १४६६ १४७७ १४८७ १५०६ १५१३ १५२४ १५१८ १५०६ १५१७ १५२८ १२९.४ www.kobatirth.org resवार संवत् क्रमथी सूची. आचार्यनाम " धर्मदेवसूरि मानदेवसूरि "" 39 धर्मचन्द्रसूरि पासचन्द्रसूरि "" गुणदेवसूरि जिनदेवंसूंरि (चतुर्दशीपक्ष) 33 रत्नदेवसूरि रामचन्द्रसूरि 19 चैत्र (चान्द्रसमी) गच्छ । लक्ष्मीसागरसूरि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चैत्रगच्छ (धारणपद्रीय). विजयदेवसूरि लक्ष्मीदेवसूरि छत्रापल्लीयगच्छ । पद्मप्रभसूरि For Private And Personal Use Only २२१ लेखाङ्क १०४१ ४९ १०६८ २५६ ६५० १४ ५२४ ११३३ *२६७ १०२५ ७५४ ३२ ३१२ ६४५ ५ १९९ १५३ १३३ Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir રરર प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नामनी. संवत् १३४ आचार्यनाम सुमतिसूरि लेखाङ्क १०२३ जीरापल्लीगच्छ। शालिभद्रसूरि १४४० २१४ ८७४ १४७७ १४८३ उदयरत्नसरि १३० तपागच्छ। १४६ १०८७ देवसुन्दरसूरे जयतिलक सूरि गुणरत्मसूरि सोमसुन्दरसूरि V १४४७ १४५० १४६९ १४७१ १४७४ १४७९ १४८० १४८५ १४८६ १४८७ १४८८ १४८९ १७९ ७८६ १९२, २६३, ८४८ , २८५, ३२८, ९९३, १.२० १३५, ३६१ मुनिसुन्दरसूरि ७५९ सोमसुन्दर सूरि १२, ६५९ १४९० For Private And Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संवत् १४९१ १४९३ १४९६ १४९९ १५०१ १५०२ १५०३ १५०४ १५०५ १५०६ "" 39 १९०७ १९०८ १९०९ " १५१० " १५११ १९१२ "" १५१३ गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. आचार्य नाम सोमसुन्दर सूरि " जयचन्द्रसूरि मुनि सुन्दरसूरि " जयचन्द्रसूरि 14 19 " www.kobatirth.org "" उदयनन्दि रत्नशेखरसूरि "" "" ७७, ८९, ३२६, ४०४, ९८९, १०४८, १०५२ ७४१, १०१, १०२७ ८२ १८० ३७, १८० ५४, १५५, २२५, ८४४ ६६, ३४३, ३८९ "" २०९ उदयन न्दिसूरि रत्नशेखरसरि १६२, ४९१, ५३८, ९३३ 19 हेमहंससूरि "9 रत्नशेखरसूरि 13 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२३ लेखाङ्क ८१३ ८३ १९६ ४६४ ४५० ७३१ ३, १०३, ३५८, ६२९, ६२९,७४९ ५३, ८५५ ४१, ४८२, ४८८, ७९८ ५१०, ९७९ ११४८ १७, ३९६, ६४० १०४७ For Private And Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२४ प्रतिष्ठा करनार भाचार्योनी नामनी. - संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम हेमहंससूरि रत्नशेखरसूरि १५१५ ४३० ३३, ६९, १४०, १६८, १५१७ १९७८ १९१९ १५२० श्रीसूरि १५२१ १५२२ १७६, ९७५ लक्ष्मीसागरसूरि ३१, २२४, ४१५ पंडित पुण्यनन्दगणि १९४ सोमदेवसूरि १०१५ लक्ष्मीसागरसूरि ४०८, ९९९ ७०८ सोमदेवसूरि लक्ष्मीसागरसूरि १४९, २५७, ४२८, ७२४, ७८८, १०९७ ____३९४, ६०२ सोमदेवसूरि ३८२ , १४५, १७८, २६५, ३६७, ३९३, ४२०, ८८५, ९५३ ७३०, ८४३ , १८, २५२, २६०, २९०, ३८४, ४१८, ४७८, ५४२, ९१८, १०८५, ११०२ २६४, ३०३, ८७२ सोमजयसूरि ३१७ लक्ष्मीसागरसूरि ४२५ १५२३ १५२४ १५२५ १५२६ १५२७ For Private And Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA. लेखाङ्क संवत् १५२८ १५२९ १५३० १९३१ आचार्यनामः " ७१८, ७४७, ७५६, ८५२, ८५३ " १९, ३६, ५९, ३०९ ४१६, ७४५ सुमतिसुन्दर (? साधु) सूर ८३६ १५१, ६७७, ८७३ ७७७, ९६५ ८४९ १५३२ १५३३ १५३४ १५३६ १५३७ १५४० १६४२ १५४३ १५४६ १९४७ २०६ २९१, ४२३, ६१२, ८१४ सुमतिसाधुसूरि ८८८ लक्ष्मीसागरसूरि ३६९, ६६४ ४३९ सुमतिसाधु ४८१ " ३१६, ३५२, ४९४, ५५३, ६१४, ७११, ११४९ हेमविमरसूरि १००८ ६५४ ३२७ २८४, ३०६, ३३४, ६३४ इन्द्रन्द्रिसरि ८९८ २३१ गच्छीय. १५५१ १९५३ १५५९ निगम १५५८ १९६१ १५६३ 29 For Private And Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२६ प्रतिष्ठा करनार भाचार्योना नामनी. संवत् लेखङ्क आनार्थनाम हेमविमलसूरि जयकल्याणसूर ४०२ ur M १५६३ १५६५ १५६१ ५९२ ५७१, ८४१ २३९, ७६१ २३३ हेमविमलमूरि १९६८ १५७७ ९०२, ९३६ ९० १५८० १९८१ ८२६ १५८४ १९८७ १९९२ १९९५ ४३१ आणन्दसागसूरे हे विवरू सूर सौभाग्यहर्षसूरि ३२९ हेमविमलमूरि ७९१ विजयदा सूर ३५४, ११२५ आनन्दविरू सूरी २७०, ३८०, ४५३ विजयदा सूर ६२१, ९९२, १११६ ४५६, ४९० १०८९, १०१९ हीरविनयमूरि सोमविर सूरि विजयदा सूरि ६५१, ७७३ विसासोम (१ विजयदानसूरि) ११५ __ ५४४, ६३०, ७१४, ११०७, १११८, ११२७ १५९८ ११०३ १६०५ For Private And Personal Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत् कमथी सूची. २२७ संवत १६१५ आचार्यनाम लेखाङ्क पं. धर्मविमलगणि ७३८ विनयदे। (? दान) सरि ३१०, ३२०, ३५१, ४०५ ३९, ७८३ विजयदानमूरि ४९७, ७९१, १०६३ हीरविनयसरि ६७९, ८६९, ९३५ सोमविपलसूरि ६१६, ७५२ हीरविनयसरि ३३३, ४२६, ५८५, ७४६, 8 २६१७ १६२२ १६२४ १६२६ ६३, ४३३ , २०९, ५७९, ६९४, ७८२, १०५० ८२८, ११२८ २४३, ४२१, ४५२ ७८९ १६२८ १६३. १६३१ १६३२ १६३७ ११३८ १६४२ , २१५, २५०, ६६८, ९८४, १०५८ विन्यसेनमूरि ५६२ हीरविजयसूरि ५७३, ६०४ २५५, ११००, ११२३ विजयसेनमूरि १४२ ५४६, ५९६ ___, ७, २४२, २५१, ५२९, ५३९, ५८१, ६९८, ७३६, ८९०, ११३२, ११३७ For Private And Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२८ ਲੰਬਰ, १६४४ १६५३ १६५४ १६५६ १६५८ १६५९ १६६० १६.... १६६१ १६६२ १६६५ १६६७ १६६८ १६७७ " १६७८ १६८३ " १६९३ १६९७ १७०० www.kobatirth.org प्रतिष्ठा करनार आचार्यांना नामनी. आचार्यनाम हीरविजयपूरि "} विजयसेन् सूरि 99 19 $1 नयविनयगणि राजविनयपूरि विजय सेन् सूर ४४७ ९१४, १५, ११२१ ११३, ८१४ "" नयविनयगणि ९९७ विजयदेवसूरि ४०६ हेमसोम विमलसोमसूरि ६१०, ६११, ६४२ ९८० विजयराजगणि विजयदेवसूरि विजयानन्दसूरे विजयदेवसूर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विजयसेनसूरि ७५८ विजय सेन सूरिमूर्ति विजयदेवसूरि ७२६, २७८, ८५९, ८६४, ९१०, ९७३, १०२२, १०३७, 13 लेखाङ्क ९९८ ७६२, ८६०, ९१३ ११३६, ११३८ ३१, १७७, ११०४ ५६३ ९१३ ७५७ " १०४३, १०५८, ११२९ १६७ ५७८ २९४, २४१, १८६ ६५ For Private And Personal Use Only ३८६ ४५८ Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्कमयी सूची. २२९ संवत् १७०६ १७१० १७१३ १७२१ १७४५ १७६४ १७६५ आचार्यनाम लेखाङ्क विनयाण (न)न्दसूरि १६१ विनयराजसूरि ३६८, ३८१ विजयप्रभसूरि ९४८ विनयराजसूरि ७७१ उत्तमविजयगणि ज्ञानविमलसूरि ५६६, ५६७, ५६९, ५७० ३७३ ६६७ ९११ ३७५ ३७४ ३७१ १८०८ १८११ १८१५ १८३१ १८४८ १८६८ रस्नसौभाग्या. देवसौभाग्यग. विजयसौभाग्यसूरिपा. लक्ष्मीविनयपा. महिमाविमलसू. विजभलक्ष्मीसूरिपा. ९१२ ३७२ - वृद्धतपागच्छ। ज्ञानकल शसूरि रत्नसिंहमूरि १४८१ १४८६ १४८८ ८३९, १००३ १०८२ १००७ ७०३ ३२३, ११४५ १०७, ७९९ ज्ञानकलशसरि १४८२ १५०३ रस्नसिंहसरि For Private And Personal Use Only Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २३० संवत् १५०७ १५०८ १५०९ १९१० 19 १५११ १५१२. १९१३ 11 " १.५१५ १११३ "" १५१७ १५१९ १५२० १५२१ १९२४ १५२९ १५२७ १५२८ १९२९ "" १९३०. www.kobatirth.org प्रतिष्ठा करनार आचार्यांना नामनी. आचार्यनाम 13 विजयधर्मसूरि रत्नसिंहसरे 19 विनयधर्मसूरि रत्नसिंह सूरि जिनरलसूरि विजयरत्नसूरि जिनरत्नसूर १०७ विजयधर्मसूरि ३१९, ३२९, ८०२, ११४२ रत्नसिंह सूरि ९६० ७०१ ४३६ ३१४, ४००, ११५ ८४९ "3 रत्नसिंहरि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 93 ज्ञानसागरसूरि :" विजयरत्नसूरि ज्ञानसागरसूरि लेखाङ्क ८०४ ७२२ ४०१ ११२२ ६२१, १०३१ "} उदयवल्लभसूरि जिनरत्नसूरि ७२७ उदयवल्लभसूरि ३३२, १८७ ज्ञानसागरसूरि ११४, १११, २११, २३२ जिनरत्न सूरि ५०७ २२७, ५०१ ४५१, ४५७ . १८७७ १०४०, १०९४ २६२ For Private And Personal Use Only ५६ ११७, ८६२ ४९३ Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. २३१ - - आचार्यनाम लेखाङ्क संवत् १५३१ १८५ उदयसागरसूरि १५३७ विनयरसूरि उदयसागसरि १५४१ १९४२ १५४३ १५४४ १५४७ १५४९ १९५२ धर्मरत्नसूरि ५८३, ९५९ २७३, ६९२, ७३७ १११० - ३४९ ४५, १०६ ३३०, ७८७ ३६४ ६७४, १०२९ १११४ ९५१ उदयसागरसूरि १९९३ १९९४ धर्मरत्नसूरि उदयसागरसर लब्धिसागरसूति ३९५ १५५९ १५६० १५६१ -३५६ " धर्मरत्नसूरि लब्धिसागरसूरि १५६४ ३३९ ६८०, ७३२ १०९६ ६५८, ८७६ ५४९ धर्मरल सरि.. १५६७ श्रीसूरि. For Private And Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३२ प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नामनी. - लेखाङ्क . संवत् १९७३ आचार्यनाम उदयसागरसूरि सौभाग्यसागरसूरि धन (भं? ) रत्नसूरि सौभाग्यसागरसूरि ८१५ १५७६ १९७९ १५८४ १५८७ १६०४ १६३४ विद्यामण्डनसूरि अमररत्नसूरि सौभाग्यरत्नसरि वैराग्यसागसूर ३१८ २३४ १०, ३८३ ६३९ ११११ १९५४ [११]१२ १२६९ १०१२ ९२८ थारापद्रीयगच्छ । सा(शा)लिभद्रसूरि जिनदत्त ? सूरि शान्तिसूरिसन्तान मदनचन्द्रसूरि पुरुषोत्तममूरि मदनचन्द्रमूरि विनयसिंहसूरि नरचन्द्रसूरि १२९३ १३०४ १३०९ १३(३१५ ९५५ ७३९ १०१७ देवसरिगच्छ। क्यासेणसूरि For Private And Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. -AAIAAAAAAAN संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम द्विवन्दनीकगच्छ। सिद्धसूरि [ ] १५२२ १५२४ ३५० द्विवन्दनीकगच्छ। सिद्धसूरि . १५२२ १५२४ १५३१ १५६० ककसूरि १९१ देवगुप्तसूरि कक्कसूरि धर्मघोषगच्छ। ज्ञानचन्द्रसूरि ४. V ० ० ० , पद्मशेखरसूरि पदमाणोदयसूरि साधुरनसूरि १३०७ १३.-. १४९१ १५०९ १५१२ १५१४ १५१७ १५१८ १५२५ १५३२ 30 १०९० ८७५ ८०, १०९, १०४६ १०७५ For Private And Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३४ प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नाममी. देखाङ्क संवत् १५३७ १५१३ १५८(१)७ आचार्यनाम पद्मानन्दसूरि पुण्यवर्धनसूरि साधुरत्नसूरि ९०४ नाइ (गि)ल गच्छ। १२०५ १४१५ नायलशाखा। सागरचन्द्रसूरि १३९४ नागरगच्छ। प्रद्युम्नसूरि नागेन्द्रगच्छ । पजनू (पजून) मूरिसं. महेन्द्रसूरि जिन[सेन] सूरि हेमचन्द्रसर १३१४ १३३८ १३४९ १३८७ १४२९ १४३३ १४१४५२ १४५६ १४८३ १४९७ गुणाकरसूरि २१२ ६५३ ococo २४५ उदयदेः सूरि ...रस्मसूरि गुणप्तागरसूरि पद्माणन्दसूरि १०५६ ५५८ For Private And Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. आचार्यनाम लेखाङ्क ९३८ संवत् १४९९ १५१७ १५१९ विनयप्रभमूरि गुणदेवसूरि ९७० ९५० (७० १५३१ ८३१, १००२, १०७१ १५५२ १५६३ १९७१ हेमरत्नसूरि पद्मचन्द्रसूरि हेमसिंहमूरि [मही] रत्नसूरि महीरत्नसूरि २५ नाण(ज्ञान)कीय (नाणावाल) गच्छ । १३१५ सिद्धसेनसूरि १४१०(५) धनेश्वरसूरि १५२० १५३४ १५३५ १९८३ ............ ७९३ २०२१ १११२ निर्वृत्तिगच्छ। पार्श्वदत्तसूरि १३८९ पल्लिकीय ( पल्लीवाल) गच्छ । १३४३ १३८३ अभयदेवसूरि For Private And Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३६ प्रतिष्ठा करनार भाचार्योना नामनी. लेखाङ्क संवत् १५०१ १५२८ १५६६ आचार्यनाम यशोदेवसूरि नन्नसूरि उद्योतनसूरि ४८५ २२८ पिप्प (पीप)ल गच्छ। १३९६ १३... १३७१ आमदेवसूरि पद्मप्रभसूरि विबुधप्रभसूरि धर्मचन्द्रसूरि राजशेखरसूरि धर्मशेखरसूरि धर्मतिलकसरि उदयदेवमूरि ५५२ ५५२, ६२३, ८१८ ३६२ १७५ १०९५ ९३१ १४३१ १४०० १.४३७ १४९१ १४९५ १५०५ १५०९ ०० ० ० ६२८ ५३६ ३०१ विजय () ० गुणरत्नसूरि . १५१२ उदयदेवसूरि १५१५ १५२१ १५१५ ३८८ रत्नदेवमूरि गुणरत्नसूरि गुणसागरसरि ५५९ For Private And Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. ३३७ लेखाङ्क संवत १५२७ १५२८ १५२९ आचार्यनाम रत्नदेवसूरि ९८७ १.०५१ १५३१ ८४६ २६८ अमरचन्द्रसरित सर्वसूरि । धर्मसागरसूरि " (त्रिभवीआ) पद्माणन्दसूरि देवप्रमसूरि धर्मवल्लभसूरि शान्तिसूरि १९४८ १५५२ १९५३ १५५४ १५५६ १५५९ १९६० ४१३ ७५९, १०६५ ३४० ८५८ ३०२* ११०३ सर्वसरि शान्तिसूरि (तलाझीया) १३८७ १८४ १४१८ १४२२ १४१३ पूर्णिमापक्ष । कमलप्रमसूरि विद्याण(न)न्दसूरि विद्याधरसूरि उदयाण(न)न्दसूरि सुमतिसिंहसुरि गुणभद्रसूरि १०६० ११०१ ९२२ २८९ १४३२ रन्नशेखरसरि For Private And Personal Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ર૩૮ प्रतिष्ठा करनार आचार्योना नामनी. m a.m... .. . . . - संवत् १४५९ लेखाङ्क ४८३ आचार्यनाम पासचन्द्रसूरि विद्याशेखरसूरि जयतिलकसूरि गुणप्तागरसूरि १४७२ १४८३ १४८६ हेमरत्नसूरि गुणसमुद्रसूरि १५०५ १५०६ ८३० ४१५, १०१४ १०६७ १३९ ८१२ १०७९ ९६१ २३६ ४१२ ४४१ ९५७ १०३४ राजतिलकसरि गुणसुन्दरसूरि १५०७ गुणसमुद्रसरि १९०८ १५०९ १९१० साधुरत्नसूरि सदगुरु गुणसमृद्रसूरि ६४७ ९९४ १३८, ३७७, ४६२ १५११ १९१३ ७९० मुनिसुन्दरसूरि साधुरत्नसूरि जयशेखरसूरि साधुरस्नमूरि साधुसुन्दरसूरि १५१५ ४७९ ९४९ १०२६ १५१७ For Private And Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. - - आचार्यनाम संवत् १५१७ लेखाङ्क ९८३, ११३० १७० ८९१ पुण्यरत्नसूरि गुणसुन्दरसूरि (? मलधारि) १५१९ ८२२ १५०० १५२१ १५२२ १५२३ गुणसुन्दरसूरि साधुसुन्दरसूरि पुण्यरत्नसूरि रानतिलकसरि गुणसुन्दरसूरि १५२४ पुण्यरत्न साधुसुन्दरसूरि १५२५ १९३० ५३३ ७९७ १५८, ५६८ ५५७, १११५ १०८१ २२६ ९९१ ९७४ ७५० ४४०, ४४९ १०३९ देवेन्द्रसूरि १५३१ १९३२ १५४३ १९४८ १५४९ कमलप्रभसूरि गुणधोरसूरि पुण्यरत्नसूरि साधुसुन्दरसूरि लक्ष्मीप्रभसूरि गुणसुन्दरसरि गुणरत्नसूरि गुणतिलकसूरि पुण्यरत्नसूर १९५७ १५६० १५६१ ६६५, ११०९ ३७० ७७४ १०१६ सुमतिरत्नसूरि For Private And Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४० प्रतिष्ठा करमार आचायोना नामनी. संवत् लेखाङ्क १९७३ ܐ ܘ ܐ ११२० आचार्यनाम देवेन्द्रसूरि सद्गुरु लब्धिसुन्दरसूरि सुमतिरत्नसूरि निनहर्षसूरि सुमतिरत्नसूरि श्रीसूरि गुणमेरुसूरि १९७५ १९७६ १९७७ १५८० ३०५ - २७ ११०५ १५९१ २९२ पूर्णिमापक्ष ( प्रधानशाखो)। जयप्रमसूरि १५१२ १९१९ ७४३ पूर्णिमापक्ष (चतुर्थशाखा)। विशालराजसूरि १५२५ १५३० पूर्णिमापक्ष (भीमपल्लीय )। जयचन्द्रसूरि ६३२ ४१७ १५०३ १५०४ १५१६ १५१८ १५२४ १५२६ १५५८ १९९१ मुनिचन्द्रसूरि For Private And Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संयत्क्रमथी सूची. २४१ ranA.AARAAAAAArsnnANA... संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम पूर्णिमापक्ष (भृगुकच्छीय)। सागरदत्तसूरि १५७५ पूर्णिमापक्ष (छापरीआ)" हर्षरत्नसूरि १५०४ १५०६ १९०९ साधु पूर्णिमापक्ष । रामचन्द्रसूरि पूर्णचन्द्रसूरि ८५१ १०५५ १०६९ उदयचन्द्रसूरि १२७५ ५५५ बृहद्गच्छ । धनेश्वरसूरि पद्मचन्द्रसूरि कमलप्रभसूरि . १५१९ ४३७ बृहद्गच्छ (बोकडीया शाखा)। धनदेवसूरि मच्यचन्द्रसूरि १५ १६१८ बृहद्गच्छ (सत्यपुरी शाखा) पासचन्द्रसूरि ५ / १५१७ 31 For Private And Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४२ प्रतिष्ठा करनार भाचार्योनो नामनी. kamRIDAmaintinumKARomaniasmammam - संवत् २९८ ६२० ९२७ ९३२ ११८५ १२३४ १२६३ १२७० १३११ १३३८ १३४६(2) १३७० १३७१ १६९ आचार्यनाम ब्रह्माणगच्छ। यशोमद्रसूरि महेन्द्रसूरि विमलसूरि पद्युम्नसूरिसन्तान जज्नकसूरि वयरसेणोपाध्यायशिष्य ........सूरि भद्रेश्वरसूरि विमलसरि जज्जगसुरि बुद्धिसागरसरि विमलसूरि मुनिचन्द्रसूर देवेन्द्रसूरि वीरसूरि ५१२ १२९ १०९३ २९९ ३०४ २६९ १९८६ १४४५ १४४७ ११३५ ५०८ १४९२ १४९८ ३९० मुंनिचन्द्रसूरि उदयप्रभसूरि बुद्धिसागरसूरि विमलमूरि पजूनसूरि ०८ १५०८ १५०९ १५११ ०० उदयप्रभसूरि For Private And Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छधार संवत्क्रमथी सूची. २४३ -MAAAAAAAMWMMAAAAAAAAw wwwwwwwwwww संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम मुनिचन्द्रसूरि ९७७ ११२५ " १५१२ १९१३ १५१६ १५१७ १५२० १५२३ विमलमूरि श्रीसूरि () ४८० ८१६ वीरसूरि विमल सूरि ९०१ ४४४ ६८९ १५२४ १५२८ ९२५ वीरसरि बुद्धिसागरसूरि ९०० १५३६ ९२३ २८१, ४७६ १५४९ १५५४ ७०९ ७०४ १९७९ १५८९ १९९२ १०६१ वीरसूरि शीलगुणसूरि बुद्धिसागरसूरि मुनिचन्द्रसूरि वीरसूरि विमल सूरे श्रीसूरि भावडहा (डा)र गच्छ। भावदेवसूरि वीरमूरि जिनदेवमूरि भावदेवसूरि भावदेवसूरे २४१ 30 ९२० १३२ १३२९ १३६३ १३८० १९१७ १५४१ ६३६ ५३५ ३३६, १०८८ For Private And Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४४ संवत् १५६६ १५७३ १३९१ १४११ १४३५ १३५२ १३७१ १३ [७५] १५०८ १५११ १५१८ ११२१ १९२९ १४१० [१४] ३४ १५१८ www.kobatirth.org प्रतिष्ठा करनार आचार्याना नामनी. आचार्यनाम विजय सिंह सूरि 19 मडा (६) हडीय गच्छ । सोमतिलक सूरि माण (न) देवसूरि उदयप्रभसूर मलधारिगच्छ । श्री तिलब सूरि "7 19 गुणसुन्दरसूरि "" "" 33 गुणनिधानसूरि महु (धु) करगच्छ । गुणप्रभसूर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 धनप्रभसूरि For Private And Personal Use Only लेखाङ्क १०५७ ७०, ९६९ ७६८ ४६० ४६२ २७९ ५१९ १०२८ १२६, ४७२, ९९९ ७२० ८६३ १०३० २६१ १०४ १०३८ २८८ Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. .. संवत् लेखाङ्क आचार्यनाम मेरुतुङ्गसूरिशाखा। ...प्रभसूरि १३८६ राजगच्छ। हरिभद्रसूरि ५३२ १४ १० १४२० ५२६* १४९१-९२ मलय चन्द्रसूरि मेरुचन्द्रसुरिमूर्ति मलयचन्द्रसूरिमूर्ति मुनितिलकसूरिमूर्ति रुद्रपल्लीयगच्छ। देवसुन्दरसूरि १५१९ वडगच्छ। पूर्णचन्द्रसूरि उदयसंव(सिंह)सूरि १५१० १६३९ १५४ ८४७ वायट(ड)गच्छ। जीवदेवसूरि राशि(सि)लसूरि ७७६, ९०७ २१० १३७८ १४१५ १४५३ ५२८ जिनदत्तसूरि १२२ For Private And Personal Use Only Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४६ संवत् १४४५ १४९० १३७१ १९०३ १५०६ १५०८ १११७ १९१९ "" १५२१ १५५२ ११६८ १५०७ १९६३ www.kobatirth.org प्रतिष्ठा करनार आचार्यांना नामनी. आचार्यनाम विद्याधरगच्छ । गुणप्रभसूर देवप्रभसूरि संडेरगच्छ । श्री .... सूरि शान्तिमूरि "} "} ईश्वरसूरि "" शालिभद्रसूरि 19 शान्तिसूरि साव (?) देवाचार्य गच्छ । सिद्धान्तीगच्छ । सोमचन्द्रसूरि सुविहितगच्छ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुविहितसूरि For Private And Personal Use Only लेखाङ्क ८७८ ८१७. १०९९ ५५० ३५३ ७५१ ८५० ५४० १०६२ १३४ ७९२ १०८३ ७६७ १०१८ Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गच्छवार संवत्क्रमथी सूची. २४७ आचार्यनाम लेखाङ्क संवत १५७१ १५७९ १०४९ सुधर्मागच्छ । विनयकीर्तिसूरि १०४२ १३८३ १५१७ हारीजगच्छ। महेन्द्रसूरि महेसरसूरि दिगम्बर । मूलं(मूलसं)घ-देवायगण । कल्याणकीर्ति मूलसंघ-बलात्कारगण सरस्वतीगच्छ । मुवनकीर्ति विमलेन्द्रकीर्ति १२८ १२९ १५३१ काष्ठासंघनन्दीतटगच्छ । आ. वीरसेन सुमतिकीर्ति (दि०) हेमसूरे c moc [१]८०२ For Private And Personal Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only