Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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जो कार्य किया है, वह आश्चर्यजनक है । उनके महान जीवन और उदात्त कार्यों का सही और पूर्ण मूल्यांकन असंभव है। उनका जीवन और कार्य जैन इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर सदा अंकित रहेगा और आनेवाली पीढ़ियां उससे सदैव प्रेरणा लेती रहेंगी।
श्री विजयानंद सूरि महाराज के जीवन की संक्षिप्त रूपरेखा विक्रम सं. ईस्वी सन् १८९३ १८३६ जन्म-लहरां गांव (पंजाब) चैत्र सुदि। पिता का नाम गणेश
चंद, माता का नाम रूपा देवी। १९०६ १८४९ जीरा में जोधेशाह के पास रहने गए। १९१० १८५३ गुरु जीवनरामजी महाराज का जीरा में चातुर्मास और
मालेरकोटला में स्थानकवासी दीक्षा। १९११ १८५४ सिरसा रानिया, चातुर्मास और उत्तराध्ययन का पठन । १९१२ १८५५ सरगथला, चातुर्मास और औपपात्तिक सूत्र का पठन । १९१३ १८५६ जयपुर, चातुर्मास और आचारांग सूत्र का पठन । १९१४ १८५७ नागौर, चातुर्मास और अनुयोगद्वार सूत्र का पठन । १९१५ १८५८ जयपुर, चातुर्मास और सूत्रकृतांग का पठन । १९१६ १८५९ रतलाम, चातुर्मास और प्रज्ञापना जीवाभिगम आदि सभी
सूत्रों का पठन। १० १९१७ १८६० सरगथला चातुर्मास।
१९१८ १८६१ दिल्ली चातुर्मास। १९१९ १८६२ जीरा चातुर्मास। १९२० १८६३ आगरा चातुर्मास १० वर्ष तक अध्ययन। विचारों में
परिवर्तन, मुनि रतनचंदजी से वार्तालाप । १९२१ १८६४ मालेरकोटला, चातुर्मास विचार परिवर्तन का प्रचार दो
श्रावकों को अपने विचारों का बनाया। १९२२ १८६५
सिरसा, चातुर्मास विचार संघर्ष, अपने विचारों के लोगों का
संगठन बढ़ाया। १६ १९२३ १८६६ होशियारपुर चातुर्मास ।
१९२४ १८६७ बिनौला चातुर्मास।
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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