Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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किया कि भावनगर में उनके नाम का एक जीवंत स्मारक बनना चाहिए। और उन्होंने 'श्री जैन आत्मानंद सभा' की स्थापना करने का दृढ निर्णय किया ।
उनके स्वर्गवास के ठीक बाईस दिन के बाद दि. १३-६-१८९६ को इस सभा की स्थापना हुई। प्रथम इस सभा का कार्यालय भावनगर के हेरिस रोड पर किराए के एक मकान में अस्थायी रूप से प्रारंभ किया गया ।
सभा के कार्यालय के उद्घाटन का एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था । पंन्यास श्री गंभीर विजयजी की पुण्य निश्रा में एक ज्ञान यात्रा रूप शोभायात्रा निकाली गई थी । इस शोभा यात्रा में सम्पूर्ण सौराष्ट्र के श्रीसंघों को आमंत्रित किया गया था । भावनगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए यह शोभायात्रा हेरिस रोड के उस मकान पर पहुंची जहां 'श्री जैन आत्मानंद सभा' कार्यालय का उद्घाटन होने वाला था। विश्व विख्यात विद्वान श्रीवीरचंद राघवजी गांधी ने इस कार्यालय का उद्घाटन किया। वे ही इस सभा के प्रथम अध्यक्ष हुए।
इस सभा के प्रमुख उद्देश्य थे
(१) जैन धर्म, दर्शन, इतिहास और संस्कृति विषयक ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना । (२) जैन धर्म का प्रत्येक अनुयायी जैन धर्म संबंधी ज्ञान प्राप्त कर सकें ऐसे उपाय करना । (३) धार्मिक और व्यावहारिक शिक्षा की वृद्धि के लिए यथा शक्ति प्रयत्न करना ।
(४) जैन धर्म के मूल आगम साहित्य एवं टीका, चूर्णि और उनके अनुवाद आदि प्रकाशित
करना ।
(५) जैन धर्म के दुर्लभ ग्रन्थों, हस्तलिखित पत्रों आदि की सुरक्षा करना ।
(६) पूज्य श्री आत्मारामजी महाराज के नाम से एक विशाल पुस्तकालय का निर्माण करना आदि ।
इन प्रमुख उद्देश्यों को लेकर श्री जैन आत्मानंद सभा का प्रारंभ हुआ। धीरे-धीरे इस सभा का विकास और उन्नति होती चली गई ।
वि.सं. १९६३ में सभा ने अपना स्वतंत्र भव्य भवन लिया जिसका नाम 'श्री जैन आत्मानंद भवन' रखा गया। तब से आज तक सभा की सम्पूर्ण प्रवृत्तियों का संचालन इसी भवन में होता आया है
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श्री जैन आत्मानंद सभा के अन्तर्गत एक के बाद एक अत्यन्त उपयोगी पुस्तकें प्रकाशित
श्रीमद् विजयानंद सूरि (आत्मारामजी) के नाम से चलने वाली शिक्षण संस्थाएं एवं सभाएं
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