Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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होती गई। १७३६ दुर्लभ हस्तलिखित ग्रन्थ इस सभा के पास है। पुस्तकों की सुरक्षा के लिए सभा ने एक और भवन का निर्माण किया जिसका नाम 'श्री आत्म-कांति ज्ञान मंदिर' रखा गया।
_ वि.सं. २००८ में इसका उद्घाटन पंजाब केसरी, युगवीर आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में सम्पन्न हुआ।
सभा के द्वारा आज तक हजारों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज की अधिकांश पुस्तकें सभा ने प्रकाशित की हैं। श्री जैन तत्वादर्श और सम्यक्त्वशल्योद्धार का गुजराती अनुवाद भी सभा ने प्रकाशित किया है।
इनके अतिरिक्त सभा ने अलग-अलग ग्रन्थ सीरिज प्रकाशित की है । जिनमें प्रमुख हैं(१) श्री आत्मानंद जैन गुजराती ग्रन्थमाला। (२) श्री आत्मानंद जैन ग्रन्थरत्न माला। (३) श्री आत्मानंद जन्म शताब्दी सीरिज । (४) प्रवर्तक श्रीकांति विजयजी जैन ऐतिहासिक ग्रंथमाला। (५) श्री जैन सस्तुं साहित्य आदि । इस समय सभा के पास पच्चीस हजार पुस्तकों का संकलन है।
वि.सं. १९५९ में 'श्री जैन आत्मानंद सभा' ने अपनी एक मासिक पत्रिका निकालने का संकल्प किया और श्री आत्मानंद प्रकाश' निकलना प्रारंभ हुआ। जो आज तक निरंतर प्रतिमास प्रकाशित होता आ रहा है। श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज की स्वर्गारोहण शताब्दी के उपलक्ष्य मैं जैन दिवाकर आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से इस पत्रिका में हिन्दी विभाग प्रारंभ हुआ।
इस सभा के सभी पदाधिकारी और सदस्य आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरिजी महाराज के स्वर्गारोहण के दिन बसों के द्वारा प्रतिवर्ष पालीताणा आते हैं और शत्रुजय पर्वत स्थित गुरू आतम की प्रतिमा की अंग रचना कर पूजा पढ़ाते हैं और नीचे आकर स्वामी वात्सल्य करते हैं।
अब तक सभा अपना रजत महोत्सव, स्वर्ण महोत्सव, मणि महोत्सव और अमृत महोत्सव मना चुकी है। और अब उसके सौ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं इसके उपलक्ष्य में सभा अपना शताब्दी महोत्सव मना रही है।
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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