Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज (आत्मारामजी) के नाम से पांच शिक्षण संस्थाएं कार्यरत हैं। उनमें एक संस्था कन्याओं के नाम से है-'श्री आत्मानंद जैन कन्या सीनियर सैकंडरी स्कूल'। यह शहर के मध्य में जैन मंदिर और उपाश्रय के अत्यन्त निकट है। इसकी स्थापना ई. सन् १९५० में हुई थी। स्थापना के समय इसका उद्देश्य महिलाओं को तकनीकी शिक्षा देने का था। इसका प्रारंभ शिल्प विद्यालय के रूप में हुआ था। कुछ वर्षों तक यहां कन्याओं और महिलाओं को तकनीकी शिक्षा दी जाती थी। परंतु यह प्रशिक्षण अधिक समय तक नहीं चल पाया। इसके स्थान पर शिक्षण संस्था प्रारंभ की गई।
ई. सन् १९७० में इस विद्यालय को हरियाणा सरकार की ओर से मिडिल स्कूल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई । बाद में यह दसवीं कक्षा तक पहुंच गया और अब सीनियर सैकंडरी स्कूल के रूप में केवल अम्बाला में ही नहीं, किन्तु सम्पूर्ण हरियाणा राज्य में सर्वोपरी स्थान प्राप्त कर रहा है। इस समय इस विद्यालय में ८६३ विद्यार्थियों की संख्या है और ३५ अध्यापिकाएं अध्यापनरत हैं। श्री आत्मानंद जैन शिशु निकेतन उच्च विद्यालय,
अम्बाला शहर अम्बाला में श्री आत्मानंद जैन कन्या सीनियर सैकंडरी स्कूल के साथ श्री आत्मानंद जैन शिशु निकेतन उच्च विद्यालय' का भी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय नाम है। इन दोनों संस्थाओं का प्रबन्ध एक ही ट्रस्ट के द्वारा हो रहा है। दोनों शिक्षा मंदिर संयुक्त रूप से जुड़े हुए हैं। दोनों साथ ही साथ बढ़े और विकसित हुए हैं।
श्री आत्मानंद जैन शिशु निकेतन उच्च विद्यालय की स्थापना ई. सन् १९७६ में हुई थी। इसका उद्देश्य नन्हें बालकों को अच्छे संस्कारों से संस्कारित करने का था। उस समय यह विद्यालय केवल पांच बालकों से प्रारंभ हुआ था । व्यवस्थापकों के उत्तम प्रबन्ध एवं शिक्षकों के परिश्रम ने इस विद्यालय की नींव को सुदृढ़ किया और अब यह नर्सरी से हाई स्कूल बन गया है। पांच बालकों से प्रारंभ होने वाले इस विद्यालय में इस समय ५६१ बालक-बालिकाएं विद्या ग्रहण कर रहे हैं और २४ अध्यापिकाएं उन्हें उच्च संस्कार प्रदान कर रही हैं।
विद्यालय की प्रमुख विशेषता यह है कि यहां उत्तम धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा-संस्कारों की शिक्षा देने के साथ-साथ गरीब एवं मध्यम वर्गीय विद्यार्थियों को विशेष सहयोग दिया जाता
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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