Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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द्वारा उनसे लोहा लिया । स्थान-स्थान पर सत्य के लिए शास्त्रार्थ किया और विजय प्राप्त की । जिन शासन की प्रभावना के लिए पंजाब के प्रमुख छह नगरों में गगन स्पर्शी जिन मंदिरों का निर्माण कराया, सम्यग् ज्ञान, दर्शन और चारित्र से युक्त श्रावक तैयार किए। चालीस वर्ष तक यहां घोर संघर्ष करके जैन धर्म के अनुयायियों को आदर और गौरव के साथ जीने की कला सिखाई । चार सौ वर्षों से चले आ रहे यतियों के शक्तिशाली साम्राज्य को समाप्त किया और उपेक्षित श्रमण परम्परा को पुनः उच्च पद पर आसीन किया। आज तपागच्छ में जितने भी मूर्तिपूजक साधु हैं, वे सभी अपनी श्रृंखला उस महान प्रकाशमान ज्योति पुरुष, प्राणाधार, क्रांतिकारी गुरुदेव से जोड़ते हैं । जैन धर्म और समाज के अतिरिक्त मूर्तिपूजक, श्रमण परंपरा भी उनके इन अनंत उपकारों से कभी उऋण नहीं हो सकती ।
जिस धरती ने ऐसा युग पुरुष पैदा किया, उस धरती का कण-कण पवित्र और पावन है । भूमि का जितना उपकार हम मानें उतना कम है। वह भूमि हमारे लिए प्रणम्य है, वंदनीय है और तीर्थ रूप है ।
पूज्य गुरुदेव की यह जन्मस्थली लहरा एक छोटा सा गांव है। लगभग सौ घरों का यह गांव अत्यन्त रमणीय एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है । चारों ओर बारह मास वनश्री का घना सम्राज्य छाया रहता है । गांव में अधिकांश सिक्ख हैं और कुछ घर ब्राह्मणों के हैं । उनका जीवन कृषि पर निर्भर है । गांव में हाई स्कूल तक शिक्षा की व्यवस्था है ।
गांव के मध्य में पूज्य श्री विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज की पावन स्मृति में एक गुरु मंदिर निर्मित हुआ है। उस गुरु मंदिर में पूज्य गुरुदेव की एक आकर्षक, नयनरम्य और दर्शनीय प्रतिमा स्थापित की गई है। उसी गुरु मंदिर के पास एक कीर्तिस्तम्भ का निर्माण हुआ है पूज्य गुरुदेव की साठ वर्ष की आयु थी, इसलिए कीर्तिस्तम्भ भी साठ फुट ऊंचा बनाया गया है। इस आत्मकीर्ति स्तम्भ की प्रतिष्ठा वि. सं. २०१५ में हुई थी। इस गुरु मंदिर एवं कीर्ति स्तम्भ के आद्य प्रेरक पंजाब केसरी, युगवीर आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज एवं राष्ट्र संत, शांत मूर्ति आचार्य श्रीमद् विजय समुद्र सूरीश्वरजी महाराज थे । परमार क्षत्रियोद्धारक, चारित्र चूड़ामणि, जैन दिवाकर आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज के आशीर्वाद से साध्वी श्रीमृगावती श्रीजी ने इस कीर्ति स्तम्भ का कार्य पूर्ण करवाया ।
प्रतिवर्ष यहां लहरा गांव में गुरु आतम जन्म जयन्ती का भव्य आयोजन होता है । जिसमें सम्पूर्ण पंजाब के जैन यहां उपस्थित होते हैं और एक मेला सा लग जाता है। इस जन्म जयन्ती के प्रसंग के अतिरिक्त अन्य दिनों में भी अपनी सुविधानुसार गुरुभक्त गण इस गुरु भूमि के
श्री विजयानंद सूरि एवं उनकी जन्म स्थली लहरा
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