Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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३५
१९४२ १९४३
१८८५ १८८६
३७
१९४४
१८८७
१९४५ १९४६ १९४७
१८८८ १८८९ १८९०
सूरत, चातुर्मास जैनमत वृक्ष लिखा। पालीताणा, चातुर्मास अष्ट प्रकारी पूजा की रचना, आचार्य पद से अलंकृत। राधनपुर, चातुर्मास विजय वल्लभ की दीक्षा, चतुर्थ स्तुति निर्णय-१ लिखा, जीवन के पचास वर्ष पूर्ण हुए स्वास्थ्य गिरने लगा, एक आंख में मोतिया आया। मेहसाना चातुर्मास। जोधपुर, चातुर्मास जैन धर्म विषयक प्रश्नोत्तर लिखा। मालेरकोटला, चातुर्मास चतुर्थ स्तुति निर्णय भाग-२ लिखा। पट्टी, चातुर्मास नवपद पूज की रचना होशियारपुर, चातुर्मास पचपन वर्ष की अवस्था, 'चिकागो विश्व धर्म परिषद्' में पधारने के लिए निमंत्रण ‘चिकागो प्रश्नोत्तर' लिखकर वीरचंद राघवजी गांधी को भेजा। जंडियालागुरु, चातुर्मास स्नात्र पूजा की रचना की। जीरा चातुर्मास 'तत्त्वनिर्णय प्रासाद' लिखा। अम्बाला, चातुर्मास सनखतरे में प्रतिष्ठा करवा कर गुजरानवाला पहुंचे। गुजरांवाला में स्वर्गवास । उनसठ वर्ष और उनसठ दिन की कुल आयु
१ ४२
१९४८ १९४९
१८९१ १८९२
१८९३
१९५० १९५१ १९५२
१८९४
४५
१८९५
४६
१९५३
१८९६ ।
नवतत्त्व
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श्री विजयानंद सूरि द्वारा विरचित ग्रन्थ सूची
विक्रम सं. १९२४ बिनौली में लिखना प्रारंभ किया
और १९२५ में बड़ौत में समाप्त किया। जैनतत्वादर्श १-२ वि. सं. १९३७ में गुजरांवाला में प्रारंभ और १९३८
में होशियारपुर में समाप्त किया। अज्ञान तिमिर भास्कर वि. सं. १९३९ अम्बाला में प्रारंभ और १९४२ में
खंभात में समाप्त किया।
श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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