Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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बलवान है। अत: शंख योग होता है। इस योग वाला जातक धार्मिक कार्यों का भोग करने वाला, दयालु, शिष्यों से युक्त, पुण्य कर्म करने वाला, पण्डित, सज्जन और ७०/८० वर्ष तक जीने वाला हो सकता है।
कुण्डली में पारिजात योग भी है। ज्योतिष नियमानुसार लग्नेश जिस राशि में हो, और उस राशि का स्वामी जिस राशि में हो उस राशि का स्वामी यदि उच्च हो तो पारिजात योग होता है। महाराज साहिब की कुण्डली में लग्नेश शनि शुक्र की तुला राशि में है । और शुक्र गुरु की राशि मीन में और गुरु कर्क राशि में उच्च का होकर अवस्थित है। इस योग में जन्मा-जातक मेधावी, अन्तिम अवस्था में सुखी, राजा से भी वन्दनीय, समयानुसार युद्धप्रिय, वैभव में हाथी घोड़े से युक्त, धर्म कर्म में रत और दयालु होता है।
कुण्डली में गज केशरी योग भी है क्योंकि गुरु चन्द्र परस्पर केन्द्र स्थित हैं। गुरु उच्च है। इसके प्रभाव से जातक वाक् पटु चतुर तथा गुणवान होता है।
इस प्रकार महाराज आत्मारामजी की कुण्डली का अध्ययन उनके जीवन पर प्रकाश डालता है और कुण्डली की सत्यता प्रमाणित करता है।
श्रीमद् विजयानंद सूरि महाराज की जन्म कुंडली
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