Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
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को देखा जा सकता है । इन रचनाओं में जहाँ एक ओर हमें 'पेश न जाना' तथा 'चित्त भर आना' जैसे उर्दू मुहावरे प्रयुक्त हुए दिखाई देते हैं, वहां दूसरी ओर 'रस्ते में ढाना', 'चरण पाना', 'टहल कमाना’,‘झड़ी लगाना’,‘सीस निवाना' जैसे पंजाबी मुहावरे भी प्राप्त होते हैं
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कुल मिलाकर, इस ग्रन्थ की भाषा खड़ी बोली हिन्दी है । इस ग्रन्थ की रचना के समय (१९३५-५७ वि.) में कविता के लिए ब्रज भाषा को उत्तम भाषा माना जाता था। ऐसे समय में उनके द्वारा खडी बोली हिन्दी में काव्य-रचना बड़े साहस का कार्य था । निःसन्देह खड़ी बोली की साख बनाने में चन्दूलाल का योगदान श्लाघ्य है ।
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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