Book Title: Vijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Author(s): Navinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
Publisher: Vijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
View full book text
________________
जब कि हिंदी भाषा अपने शैशव काल में थी एवम् उसकी संगीतमयता अभी तक नहीं खिल खिलाई थी ऐसे अपरिपक्व काल में ऐसी अनुपम कृति रच पाना गुरुवर की मेधावी मानस की फलद्रुपता ही कारण थी ।
आत्माराम
संघ रंग उमंग निज गुण, भावतां शिव पदलहे ॥ नामे अम्बाला नगर, जिनवर वैन रस भविजन पिये ॥ संवच्छरो खं आनि निधि विधि रूप आतम जस किये । अब गुरुवर रचित दोहे का भी रस पान कीजिये ॥ जिनवर जस मन मोद थी, हुक्म मुनि के हेत । जो भवि गावत रंग सूं, अंजर अमर पद देत ॥
Jain Education International
O
For Private & Personal Use Only
३८९
www.jainelibrary.org