________________
1000001PAN
| गो-पालक आनन्द । १५ चाहिए, उसका सफल निर्देश। अब यह स्पष्ट शब्दों में कहा जा सकता है, कि मनुष्य पशुओं को अपना सहयोगी समझें और उनके प्रति सद्व्यवहार करे। आज अन्न का एक-एक दाना, सोने के दाने से भी अधिक मूल्यवान है। सोने का ढेर पडा है, और अन्न का दाना नहीं है, तो क्या सोना चबाकर प्राणों की रक्षा की जा सकती है? अन्न का दाना बड़े-बड़े राजमहलों से लेकर झोपड़ियों तक उपयोगी है। राजा और भिखारी का जीवन अन्न पर निर्भर है। ऋषियों ने कहा है—अन्नं वै प्राणाः अर्थात् अन्न ही प्राण है। अन्न ही प्राण :
किस धर्म का अनुयायी नहीं कहता, कि गहनों के बिना काम चल सकता है, कपड़ों के बिना और मकान के बिना भी प्राणों की रक्षा की जा सकती है, किन्तु पेट में अन्न डाले बिना काम नहीं चल सकता।
आज देश के सामने अन्न का प्रश्न बड़ा महत्त्वपूर्ण है, और यह प्रश्न गायों और बैलों की सहायता के बिना हल नहीं हो सकता। अन्न उत्पन्न करने में पशु मनुष्य के सहायक रहे हैं, और आज भी वही सहायता कर रहे हैं। एक-एक अन्न का दाना गो-पुत्र ने दिया है।
ट्रेक्टर अब आए हैं, और संभव है, कि भारतीय कृषि-व्यवस्था में वह उपयोगी हों! विशाल ट्रेक्टर बड़े पैमाने पर मिट्टी को खोद कर फेंक देते हैं, किन्तु भारतीय किसानों के पास छोटे-छोटे खेत हैं। हमारे देश में बैलों से ही खेती की जाती है। बैल ही अन्न के ढेर पैदा करते हैं, और उस ढेर को घर तक पहुँचाने में मनुष्य के संगी-साथी बनते हैं।
इतनी महत्त्वपूर्ण सहायता के बदले में बैलों ने क्या चाहा है? अन्नोत्पादन में मनुष्य की अपेक्षा अधिक मेहनत उठाकर भी वे अन्न में साझा नहीं चाहते। वे ऐसे उदार साझीदार हैं, कि जो कुछ भी आप उन्हें दे देते हैं उसी को सन्तोष से खा लेते हैं। कृषि और बैल : ___ गायें भारतीय घरों के आँगन की शोभा रही हैं। भारत की संस्कृति में गाय को
बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। जब किसी को ऊँट पर सवार होकर जाते देखते हैं, तो अरब की संस्कृति याद आ जाती है। ऊँट अरब की संस्कृति का जीता-जागता प्रतीक है। इसी प्रकार भारतीय संस्कृति का प्रतीक गाय है। हरा-भरा वातावरण है, लहराता हुआ खेत है, गायें हैं, झौंपड़ी है और किसान के बाल-बच्चे खेल रहे हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org