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| जीवन के छेद । १५८ आप अपने व्यक्तिगत जीवन को जाँचने का प्रयास करें, और तटस्थ आलोचक की दृष्टि से उसकी आलोचना करें, तो मालूम होगा कि कितने छेद पड़े हुए हैं ! स्वार्थ और वासनाओं से जीवन चलनी बना हुआ है। इसी प्रकार पारिवारिक जीवन की नाव भी गड़बड़ी में पड़ी है। सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन भी छिद्रमय हो रहा है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति या समाज का उद्धार किस प्रकार हो सकता है। ___ अतएव सर्वप्रथम वासनाओं और स्वार्थों के छेदों को बंद करने के लिए सम्यग्दृष्टि प्राप्त करने की आवश्यकता है। सम्यग्दृष्टि प्राप्त होने पर अन्योन्य छिद्र भी बंद होते चले जाएंगे, और आपकी जीवन-नैया महाकल्याण की दिशा में अग्रसर होती चली जाएगी।
कुन्दन-भवन ब्यावर, अजमेर
१९-९-५०
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