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१६० । उपासक आनन्द
(१) एक मानव जीवन वह है, जो सदाचार के स्वरूप को तो पहचानता है, परन्तु सदाचार का आचरण नहीं करता।
(२) दूसरा वह है, जो सदाचार का आचरण तो अवश्य करता है, परन्तु सदाचार का स्वरूप भली-भाँति नहीं जानता। आँख बंद किए गति करता है।
(३) तीसरा वह व्यक्ति है, जो सदाचार के स्वरूप को यथार्थ रूप से जानता भी है और तद्नुसार आचरण भी करता है।
(४) चौथी श्रेणी का वह जीवन है, जो न सदाचार का स्वरूप जानता है और न सदाचार का कभी आचरण ही करता है। वह लौकिक भाषा में अन्धा भी है, और पाद-हीन पंगुला भी है।
उक्त चार विकल्पों में से केवल तीसरा विकल्प ही जो सदाचार को जानने और आचरण करने का रूप है; मोक्ष की साधना को सफल बनाने वाला है। आध्यात्मिक जीवन-यात्रा के लिए ज्ञान के नेत्र और आचरण के पैर अतीव आवश्यक हैं।
जैन परिभाषा में आचरण को चारित्र कहते हैं। चारित्र का अर्थ है-संयम, वासनाओं का = भोगविलासों का त्याग, इन्द्रियों का निग्रह, अशुभ प्रवृत्ति की निवृत्ति, शुभ प्रवृत्ति की स्वीकृति। ___ चारित्र के मुख्यतया दो भेद माने गए हैं—'सर्व' और 'देश'। अर्थात् पूर्ण रूप से त्याग वृत्ति, सर्व चारित्र है। और अल्पांश में अर्थात् अपूर्ण रूप से त्याग वृत्ति, देश चारित्र है। सर्वांश में त्याग महाव्रतरूप होता है—अर्थात् हिंसा, असत्य, चौर्य, मैथुन और परिग्रह का सर्वथा प्रत्याख्यान साधुओं के लिए होता है। और अल्पांश में = अमुक सीमा तक हिंसा आदि का त्याग गृहस्थ के लिए माना गया है।
प्रस्तुत प्रसंग में मुनिधर्म का वर्णन करना हमें अभीष्ट नहीं है। अत: सर्व चारित्र का वर्णन न करके देशचारित्र का, यानि गृहस्थ धर्म का ही वर्णन करते हैं। भूमिका की दृष्टि से भी गृहस्थ धर्म का वर्णन प्रथम अपेक्षित है। गृहस्थ जैन तत्वज्ञान में वर्णित गुण स्थानों के अनुसार आत्मविकास की पंचम भूमिका पर है, और मुनि छठी भूमिका पर।
जैनागमों में गृहस्थ = श्रावक के बारह व्रतों का वर्णन किया गया है। उनमें पाँच अणुव्रत होते हैं। 'अणु' का अर्थ 'छोटा' होता है, और व्रत का अर्थ 'प्रतिज्ञा' है। साधुओं के महाव्रतों की अपेक्षा गृहस्थों के हिंसा आदि के त्याग की प्रतिज्ञा, मर्यादित होती है; अतः वह 'अणुव्रत' है। तीन गुणव्रत होते हैं। गुण का अर्थ है विशेषता। अस्तु, जो नियम पाँच अणुव्रतों में विशेषता उत्पन्न करते हैं, अणुव्रतों के पालन में उपकारक एवं सहायक होते हैं, वे 'गुणवत' कहलाते हैं। चार शिक्षा व्रत हैं। शिक्षा
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