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भारतीय जीवन और योग । १७१ इस प्रकार सगुण-उपासना का रहस्य साधनाभूमि में स्वयं स्पष्ट हो जाता है । ज्योंज्यों योग की भूमिका बदलेगी साधक स्वयं ही पिछली क्रियाओं को भुला देगा।
भारतीयों के वर्तमान अशान्त जीवन में शान्ति संचार योग-भाव से ही संभव है । योग भारतीयों की पैतृक विभूति है, इससे लाभ उठाने के लिए उन्हें तत्पर हो जाना चाहिए। योग का आधार अपनाकर वे अपने को तो समझेंगे ही, प्राणिमात्र से उनका स्नेह-सम्बन्ध जुड़ जायेगा ।
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