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११० | उपासक आनन्द
सकती। उसमें धर्म के संस्कारों की वृत्ति जागृत नहीं हो पाती। ऐसे लोग रावण बन सकते हैं, राम नहीं बन सकते ।
रावण के सामने सुन्दरी आई तो उसने सोचा, कि इसे उड़ाना है । संसार में जो सुन्दर चीज है, वह मेरी है। उसने नहीं देखा, कि मरने के बाद क्या होगा । उसने सोचा- मेरे पास तलवार है, और लट्ठ है, और इनके बल पर मैं इसे छीन कर ले जा सकता हूँ। अपने पास रख सकता हूँ। राम को, जो दुर्बल है, इस सुन्दरी को अपने पास रखने का अधिकार नहीं है। उसने लट्ठ के घमण्ड में भूत और भविष्य को नहीं देखा। उसने वर्तमान को ही देखा और चमड़ी के रंग में भूल गया। जो केवल वर्तमान देखता है, अपने भविष्य को नहीं, वह नास्तिक है ।
इस प्रकार भूलने वाला कोई भी व्यक्ति रावण ही बन सकता है, राम नहीं बन सकता। उसे अपने जीवन के उद्देश्य का पता नहीं चल सकता। भगवान् का भक्त ही आगा-पीछा सोचेगा—ऐसा व्यक्ति नहीं सोच सकता ।
आनन्द भगवान् का भक्त बन गया है, और वह कहता है- भंते! मैं आपके प्रवचन पर श्रद्धा करता हूँ ।
आपको भी भगवान् के प्रवचन पर श्रद्धा है या नहीं । उपवास अच्छा है या नहीं । दूसरों के लिए अच्छा है और जब तक हम न करें तब तक हमारे लिए भी अच्छा है और जब भूख लगे, तब की बात न्यारी है। तो, यह श्रद्धा की कसौटी नहीं है। उपवास के समय भी उपवास अच्छा है, और पारणा करते समय भी अच्छा है, तो यह है, श्रद्धा की कसौटी। श्रद्धा के बिना जीवन का विकास हो नहीं सकता।
दान देना अच्छा है— किन्तु कब तक। जब तक माँगने वाला नहीं आया, और तिजोरी खोलने की चाबी नहीं उठानी पड़ी। किन्तु जिनके अन्तःकरण में भगवान् की वाणी के प्रति श्रद्धा जाग गई; उनके अन्तःकरण में दान देने से पहले, देते समय, और देने के पश्चात् भी हर्ष की लहर पैदा होगी। वह मम्मण सेठ की तरह हाय-हाय नहीं करेगा। वह तो भगवान् की वाणी पर चलने का प्रयत्न करेगा। वह सत्कर्म करने से पहले, सत्कर्म करते समय और बाद में भी उसे अच्छा समझता रहेगा । वह तीनों कालों में से किसी को भी गड़बड़ नहीं होने देगा। जैनधर्म यहीं जीवन का खात्मा नहीं करता, वह जीवन के तीनों कालों को सुन्दर बनाने की प्रेरणा देता है । वह भविष्य को सुधारने का प्रयास करता है।
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इसीलिए आनन्द कहता है- भगवन् ! मैं आपकी वाणी में श्रद्धा रखता हूँ। जिन महान् आत्माओं को महावीर की वाणी मिली है, कैसे संभव है, कि वे पीछे रह जाएँ। वे तो छलांग लगाने वाले होंगे। जब समर - भूमि में मारू बाजे बजते है, युद्ध का
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