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[११४ । उपासक आनन्द
कहानी तो खत्म हो गई, परन्तु उसके आशय पर आपको ध्यान देना है। आप मनुष्य बने तो एक तरह से राजा ही बने हैं। चौरासी लक्ष योनियों में मनुष्य ही राजा है। मगर यह राजा की पदवी अनन्त काल के लिए नहीं मिली है। पहर भर के लिए थोड़े समय के लिए ही आपको मिली है। थोड़ा ही समय आपके पास है। जो कुछ करना है, कर लो और ढील मत करो। समय चुटकियों में निकल जाएगा और जब समय निकल जाएगा, तो फिर कुछ नहीं कर पाओगे। फिर हाथ मल-मल कर पछताना ही शेष रह जाएगा। इस शरीर को पाकर माया और लोभ में नहीं पड़ना चाहिए। जो अवसर मिला है, जीवन बिताने के लिए, तपस्या करने के लिए और सेवा करने के लिए। इसे सिंगार करने और रौब गाँठने में ही मत गँवा दो। ___ स्मरण रखो, यद्यपि समय थोड़ा है, किन्तु मूल्य इसका बहुत है। इस थोड़े से समय में ही अपने अनन्त-अनन्त काल को सुधार सकते हो ! आनन्द को भगवान् महावीर ने वह चीज बतलाई कि जरा-सी जिन्दगी में वह सदा के लिए आनन्द का भागी हो सके। वही चीज आपके सामने प्रस्तुत है। सच्चे आस्तिक बन कर आनन्द के चरण-चिह्नों पर चलोगे, तो आनन्द पाओगे।
कुन्दन-भवन, ब्यावर, अजमेर
२६-८-५०
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