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| पुण्य-पाप की गुत्थियों । ६० मैंने एक आदमी को देखा है। उसके यहाँ लड़का भी था और लड़की भी थी। लड़के ने सारी सम्पत्ति बर्बाद कर दी। वह बाप को भूखा मारने लगा और भूखा ही नहीं मारने लगा, डंडों से भी मारने लगा। उसे दो रोटियाँ भी दूभर हो गईं। आखिर उसने लड़की के यहाँ अपना जीवन व्यतीत किया और वहाँ उसे किसी प्रकार का कष्ट नहीं हुआ। जब वह मुझसे एक बार मिला तो वह कहने लगा, बड़ा भारी पुण्य का उदय था कि मेरे यहाँ लड़की हुई। अब जीवन ढंग से गुजर रहा है। लड़की न होती तो जिंदगी बर्बाद हो जाती।
मैंने लड़के के विषय में पूछा तो उसने कहा, न जाने किस पाप कर्म के उदय से लड़का हो गया।
तो उसने ठीक-ठीक निर्णय कर लिया। आपके सामने ऐसी परिस्थिति नहीं आई है, अतएव आप एकान्त रूप में निर्णय कर लेते हैं कि पुण्य से लड़का और पाप से लड़की होती है। लड़के का आना और जाना, यह तो संसार का प्रवाह बह रहा है। इसमें एकान्त रूप से पुण्य-पाप की भ्रान्ति मत कीजिए। ____ बताइए, गहना पहनना पुण्य है या गहना छोड़ना ? इसी तरह पर्दा छोड़ना पुण्य है या पर्दा रखना पुण्य है ? रोटी के लिए स्वयं परिश्रम करना पुण्य है या दूसरे से परिश्रम कराना ? इत्यादि बातें जब तक हमारे मस्तिष्क में नहीं सुलझेंगी, तब तक धर्म-कर्म की ऊँची फिलासफी को कैसे समझेंगे ? आप हर काम में पुण्य-पाप को ढूंढ़ना चाहते हैं, पर पुण्य की और क्षयोपशम की परिभाषाएँ नहीं समझते हैं। इसी कारण गलतफहमियाँ हो जाती हैं।
विचार करेंगे तो मालूम होगा कि जैनधर्म और जैनदर्शन संसार के सामने महत्त्वपूर्ण प्रश्न उपस्थित करता है। वह कहना चाहता है कि तुम वासनाओं के लिए भटक रहे हो और संसार के सुख-दुख पाने के लिए भटक रहे हो तो उसका क्षेत्र पुण्य-पाप का है। किन्तु जहाँ जीवन को साधनाओं का प्रश्न है, कोई साधक अपने जीवन को बनाना चाहता है तो वह क्षयोपशम तथा संवरभाव की बात है। जो नवकारसी, उपवास, बेला, तेला आदि कर रहा है, वह क्षयोपशम से कर रहा है। कर्मों के उदय से नहीं, वरन् कर्मों के बंधन टूटने से यह सब हो रहा है। उनके टूटे बिना न कोई साधु बन सकता है, न श्रावक बन सकता है। इस प्रकार त्याग की भूमिकाएँ न पुण्योदय से होती हैं और न पापोदय से ही होती हैं, किन्तु क्षयोपशम एवं संवर भाव से ही होती है। __कोई सोचता है-वृथा क्यों घोड़े पर चहूँ ? घोड़े को तकलीफ होगी और जीवों की यतना भी नहीं होगी। इस प्रकार की विवेकवृत्ति से प्रेरित होकर वह पैदल चल
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