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क्रं०
विषय
४२.
श्रमण भगवान् महावीर का समवसरण
४३. दर्शन, वंदनं हेतु - श्रेणिक का गमन४४. साधु-साध्वियों का निदान - संकल्प
४५. साधु द्वारा उत्तम मानुषिक भोगों का निदान ४६. साध्वी द्वारा श्रेष्ठ मानुषिक भोगों का निदान
४७. साधु द्वारा स्त्रीत्व प्राप्ति हेतु निदान
४८. साध्वी द्वारा पुरुषत्व प्राप्ति हेतु निदान ४९. देवलोक में स्व- पर देवी भोगैषणा निदान
५०. देवलोक में स्वदेवी भोगैषणा निदान ५१. स्वकीय देवियों के साथ दिव्यभोग निदान ५२. श्रमणोपासक होने का निदान
५३.
श्रमण होने का निदान
५४. निदानरहित को मुक्ति
१.
२.
३.
४.
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बृहत्कल्प सूत्र
पढ़मो उद्देसओ - प्रथम उद्देशक
साधु साध्वियों के लिए फल ग्रहण विषयक विधि - निषेध साधु-साध्वियों के लिए गाँव आदि में प्रवास करने की कालमर्यादा
क्रय-विक्रयकेन्द्रवर्ती स्थान में ठहरने का कल्प- अकल्प
कपाटरहित स्थान में साधु-साध्वियों की प्रवास मर्यादा साधु-साध्वी को घटीमात्रक रखने का विधि-निषेध मशकादिनिरोधिनी आवरणवस्त्रिका का विधान
जलतीर के निकट अवस्थित होने आदि का निषेध
५.
६.
७.
८.
चित्रांकित उपाश्रय में ठहरने का निषेध
९.
सागारिक की निश्रा में प्रवास करने का विधान .
१०. सागारिक युक्त स्थान में आवास का विधि-निषेध ११. प्रतिबद्धशय्या. ( उपाश्रय) में प्रवास का विधि-निषेध
१२. प्रतिबद्ध मार्ग युक्त उपाश्रय में ठहरने का कल्प- अकल्प
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