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“ॐ ह्रीँ वाँ ” इस मंत्र का उच्चारण कर पूण्यांजलि क्षेपण करै ॥ १ ॥
ॐ हीँ अत्रस्थक्षेत्रपालाय स्वाहा || क्षेत्रपालबलिः ॥ २ ॥
इस मंत्र का उच्चारण कर क्षेत्रपालको बलि देवे ॥ २ ॥
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ॐ नहीँ ँ वायुकुमाराय सर्वविघ्नविनाशनाय महीं पूतां करु करु हूं फट् स्वाहा || भूमिसम्मार्जनम् ॥ ३ ॥
इस मंत्र को पढ़कर भूमिका सम्मार्जन- सफाई करै ॥ ३ ॥
ॐ नहीँ मेघकुमाराय घरां प्रक्षालय प्रक्षालय अं हं सं तं पं स्वं झं झं यं क्षः फट् स्वाहा || भूमिसेचनम् ॥ ४ ॥
यह मंत्र पढ़कर भूमीपर जल सीचें ॥ ४ ॥
ॐ हीँ अग्निकुमाराय इम्यूँ ज्वल ज्वल तेजः पतये अमिततेजसे स्वाहा ।। दर्भाग्निप्रज्वालनम् ॥ ५ ॥
यह मंत्र पढ़कर दर्भसे अग्नि सुलगावे ॥ ५ ॥
हीँ क्रौं षष्टिसहस्रसंख्येभ्यो नागेभ्यः स्वाहा । नागतर्पणम् || ६ ||
इस मंत्रका उच्चारण कर नागोंकी पूजा करै ॥ ६ ॥
ॐ ह्रीं भूमिदेवते इदं जलादिकमर्चनं गृहाण गृहाण स्वाहा । भूम्यर्चनम् ॥ ७ ॥
यह मंत्र पढ़कर भूमिकी पूजा करै ॥ ७ ॥
ॐ ह्रीँ अहं क्षं वं वं श्रीपीठस्थापनं करोमि स्वाहा || होमकुण्डा - प्रत्यक् पीठस्थापनम् ॥ ८॥
इस मंत्रका उच्चारण कर होम कुंडसे पश्चिमकी ओर पीठ स्थापन करै ॥ ८ ॥
ॐ न्हीँ ँ समग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यः स्वाहा || श्रीपीठार्चनम् ॥ ९ ॥
इस मंत्र को पढ़कर पीठकी पूजा करै ॥ ९ ॥