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सोमसेनभट्टारकविरचित -
जिस कन्याके पैरोंकी उंगलियां बराबर हों, दोनों पैर स्निग्ध- चिकने हों, जमीन पर रखने से ज्योंका त्यों जिनका आकार खिंच जावे, कोमल हों और रक्तवर्ग हों, व बढ़ानेवाली है ॥ १४ ॥
कन्या घरकी शोभा
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अंगुष्ठेनातिरक्तेन भतीरं चैव मन्यते । --
अल्पवृत्तः पतिं हन्याद्बहुवृत्तः पतिव्रता ॥
१५ ॥
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जिसके पैर का अंगूठा खूब लाल हो वह अपने पतिको मान्य होती है । यदि अंगूठा थोड़ा गोल हो तो वह पतिका विनाश करती है और बहुत गोल हो तो पतिव्रता होती है ॥ १५ ॥ उन्नतैश्चन्द्रवत्सौख्यं मुसलैश्च तथैव च ।
सूचितैः पद्मपत्रैश्च पुत्रवत्यः स्त्रियो मताः ॥ १६ ॥
जिसके पैरोंकी उंगलियां चंद्राकार होकर ऊंची उठी हुई हों, वह सुख भोगनेवाली होती है। तथा मूसल जैसी सीधी और कमल जैसी लाल वर्ण हो तो वह पुत्रवती होती है ।। १६ ।। चक्रं पद्मं ध्वजश्छत्रं स्वस्तिकं वद्धमानकम् ।
यासां पादेषु दृश्यन्ते ज्ञेयास्ता राजयोषितः ॥ १७ ॥
जिनके पैरोंमें चक्र, पद्म, धुजा, छत्र, स्वस्तिक और वर्धमानक, ये चिह्न देखे जायँ, उन्हें राज-रानियां समझनी चाहिए ॥ १७ ॥
यस्याः प्रदेशिनी चापि अङ्गुष्ठादधिका भवेत् ।
दुष्करं कुरुते नित्यं विधवा वा भविष्यति ॥ १८ ॥
जिसकी प्रदेशिनी — अंगूठेके पासकी उंगली, अंगूठेसे अधिक लंबी हो तो समझना चाहिए कि वह दुष्कर्म करनेवाली है । अथवा वह विधवा होगी ।। १८ ।।
यस्याः पादतले रेखा तर्जनीसुप्रकाशिनी ।
भर्तारं लभते शीघ्रं भर्तुः प्राणमिया भवेत् ॥ १९ ॥
जिसकी पगतली में तर्जनी - अंगूठे के पासकी उंगली के नीचेकी रेखा स्पष्ट दिखती हो तो वह शीघ्र पति प्राप्त करती है । और पतिको प्राणोंसे भी प्यारी होती है ।। ५९ ।।
पादेऽपि मध्यमा यस्पाः क्षितिं न स्पृशति यदि ।
पुरुषावतिक्रम्य सा तृतीये न गच्छति ॥ २० ॥
जिसके पैरकी बीचली उंगली जमीनपर न टिकती हो तो समझना चाहिए कि वह दो पुरुषों को छोड़कर तीसरेके पास नहीं जायगी ।। २० ।।
अङ्गुल्यश्वाप्यतिक्रम्य यस्याः पादप्रदेशिनी । कुमारी रमते जारयौवने चैव का कथा ॥ २१ ॥
जिसके पैर के अंगूठे के पासकी उंगली, सारी उंगलियोंसे अधिक लंबी हो तो वह कुमारी ही यारोंके साथ रमण करती है । यौवन अवस्था में वह क्या करेगी इसका तो कहना ही क्या है ॥ २१ ॥