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सोमसेनभट्टारकविरचित
निसैनी आदिपर चढ़कर घरके दूसरे तीसरे मंजिल परसे लाकर आहार देना मालारोहण दोष है। भावार्थ-आहार स्थानसे उपरकी मंजिलपर सीढ़ी निसैनी आदिपर चढ़कर वहांते आहार लाकर देना मालारोहण दोष है । इसमें आहार दाताका गिर पड़ना आदि अपाय देखा जाता है; इसलिए यह दोष है। इस तरह सोलह उद्गम दोष कहे । आगे सोलह उत्पादन दोषोंको कहते हैं ॥ ९६॥
धात्री दोष। मजनं मण्डनं चैव क्षीरपानादिकारकं । क्रीडनं तनुमा स्वाप विधिर्यः क्रियते ध्रुवं ॥ ९७ ॥ गृहिणीमेव चोद्दिश्य यदुत्पादितमन्नकम् । ..
तद्धात्रीदोष इत्येष कीर्तनीयो मनीषिभिः ॥ ९८॥ . घरकी स्त्रियोंके करने योग्य बालकोंको स्नान कराना, आभूषण पहनाना, दुग्ध पिलाना, खेल खिलाना, सुलाना-इस तरहकी पांच क्रिया स्वयं करके या इन पांचोंका उपदेश देकर आहार लेना सो धात्री दोष है । भावार्थ-स्नानादि पांच प्रकारके धात्रीकौद्वारा आहार लेना धात्री दोष है ॥ ९७-९८ ॥
. भृत्य दोष। स्वपरग्रामदेशादेरादेशं च निवेद्य च ।
गृह्णाति किञ्चिदाहारं दोषस्तभृत्यसंज्ञकः॥ ९९ ॥ अपने ग्राम और देशके समाचार दूसरे ग्राम और दूसरे देशको ले जाकर आहार ग्रहण करना सो भृत्य या दूत नामका दोष है । भावार्थ-कोई साधु नाव आदि द्वारा जलमार्ग होकर या स्थलमार्ग होकर या आकाश मार्ग होकर परग्राम या परदेशको जा रहा हो, उसे जाते देख कोई गृहस्थ यह कहे कि, हे भट्टारक ! मेरा एक संदेशा लेते जाना । उसके उस संदेशेको ले जाकर वह मुनि उसे कहे जिसके पास वह संदेश भेजा गया है । संदेशा सुनकर वह परग्राम या परदेश निवासी पुरुष परम संतुष्ट हुआ उस साधुको आहार दे और वह साधु उसके उस दिये हुए आहारको ले तो वह आहार दूत दोषसे युक्त माना गया है । अतः दूत कर्मद्वारा आहार उत्पन्न कर मुनियोंको नहीं लेना चाहिए । क्योंकि दूतकर्म द्वारा आहार लेनेसे जिनशासनमें मलिनता आती है ॥१९॥
. निमित्त दोष । .. व्यञ्जनाङ्गस्वरच्छिन्नभौमान्तरिक्षलक्षणम् ।
स्वप्नं चेत्यष्टनिमित्तं करोति तन्निमित्तकम् ॥ १० ॥ व्यंजन, अंग, स्वर, छेद, भौम, अंतरिक्ष, लक्षण और स्वप्न-इन आठ निमित्तोंद्वारा आहार उत्पन्न कर ग्रहण करना निमित्त दोष है । भावार्थ-तिल, मसा आदि व्यंजन कहे जाते हैं । शरीरके हाथ-पैर आदि अवयवोंको अंग कहते हैं । स्वर नाम आवाजका है । खड्ग आदिके पावको छेद कहते हैं। भमिका फट जाना भौमनिमित्त है । सूर्य-चंद्रमा आदिके उदय और अस्तको अंतरिक्ष कहते हैं। नंदिकावर्त, पद्म, चक्र आदि लक्षण माने गये हैं । स्वप्नमें हाथीपर चढ़ना, विमानमें बैठना, महिष (सा) पर चढ़ना आदिका देखना स्वप्न है। इन भाठ निमित्तोंको देखकर दूसरेके शुभाशुभ