Book Title: Syadvadarahasya Part 2
Author(s): Yashovijay Upadhyay, 
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 19
________________ * विषयमार्गदर्शिका * विषय N ८.६ . . . .. . . EWS . .. " ४०४ ४०६ पृन ज्ञानात्मक ज्ञेयाकार का ज्ञान में स्वीकार ४.७ अनुमानसप्तकेन सर्वज्ञसाधनम् गुशुण्ठीन्यायप्रदर्शनम् गुहशुण्ठीन्यायप्रदान . लोक - ६ स्याद्वादकल्पलता-नयरहस्य-धर्मसग्रहणीवृत्त्यादिसंवादः ४६० स्याखादं प्रत्येकान्तवाद्याक्षेपाः एकान्तवादिकृताक्षेपापाकरण प्रभानन्दसूरिवचन: भनेकान्तवादे भेदाभेदादिविरोधादिनिराकरणम् सातवें लोक की व्याख्या सप्तश्लोकान्वयदिग्दर्शनम् उदयतावच्छंदक और विधेय भिन्न होते हैं एकत्र नित्यानित्यादिप्रनीतेः सार्वजनीनत्वम् एक धर्मी में नित्यत्वाइनित्यत्वोभयप्रतीति प्रामाणिक अनेकान्तवादे विरोधपरिहारप्रकार: | प्रत्ययानां प्रकृत्यर्थ.. नियम में परिष्कार की आवश्यकता १६६ प्रत्ययानां प्रकृत्यान्वितस्वार्थबोधकत्वनियमविचार: दुपपदार्थविचारः सिद्भसाधनदोष का परिहार 'असत्प्रमाणप्रसिद्धत' इत्यस्य नानाच्याख्यानिरूपणम 'असत्प्रमाणप्रसिद्धितः' यहां समासविचार ४६५ एकत्राऽवच्छेदक देन नित्यत्वानित्यत्वसमावशः सन्चासत्त्वनिरोधपरिहारः व्यधिकरणधर्मावच्छिन्नाभावस्वीकारः वस्तु सामान्य विदोपोभयात्मक है '४७३ अन्योन्याभावगर्भितकारणतायां लाघवम् न्यापनयसम्मतजातेरखण्डोपाधिनाऽन्यथासिद्धता नयायिकसंमत जाति अप्रामाणिक | अभावादिसाधारणजातिस्वीकारीचित्यावेदनम् अखण्डोपाधिना जातेरन्यथासिद्धिः उपाधि कारणतावच्छेदक हो सकती है अनुवृत्तिव्यावृत्तिनियामकवविचारः तिर्यक्सामान्य की भाँति अर्धतासामान्य वास्तविक तिर्यगूलतासामान्यस्थापने परीक्षामुखसंवादः अनुगतत्व का निर्वचन द्रव्य-गुणपर्यायसाधारणोलतासामान्यस्वीकारः दिगम्बरसम्प्रदायानुसार अनुगतव्यवहार की उपनि अमृतचन्द्रव्याख्योपदर्शनम् जयसेनीययाख्योपदर्शनम् मतभेदेन स्वरूपास्तित्व सादृश्यास्तित्वविचार: सादृश्यास्तित्वेनानुगतन्यवहारविचारः अनेक दथ्य में सादग्यास्तित्व से ही अनुगतव्यवहार विषय योगमते सादृश्यनिरुक्तिः नयायिकमत से सादृश्य की व्याख्या सादृश्यमीमांसायां मम्मट-टाण्डे-रुद्रट-भाजप्रभृतिमतप्रकाशनम् प्राचीनमत में दूषणोद्भावन मुक्तावली -मञ्जूषा-दिनकरीयवृत्यादिसंबादः इवादिशब्द की खंडशः शक्ति - नंयायिक 'पटो न घटसदृशः' इतिधिय इएत्वम् घटभेदविशिष्टघटधर्मलक्षणसादृश्यसमर्थनम् घटे घटसादृश्यप्रसङ्गनिराकरणम् पट में घरभेद की झांका का परिहार तद्धिमत्वमात्रस्य सादृश्यत्वापाकरणम् सादृश्य में विशेष्य अंश आवश्यक पशुत्लादेः परम्परयाऽखण्डत्वोपपादनम् पशुत्व भी परम्परा से अखण्डधर्मरवरूप है. जैनमते सादृश्यनिर्वचनम् ४० उपमानपतधर्मकधर्मवत्त्व ही सादृश्य स्वस्मिन् स्वसादृश्याङ्गीकारः एय में स्वसाट्य सम्मत - स्याद्वादी ४०.५ 'अस्या इवारया' इतिवाक्यसमर्थनम् वधय॑ज्ञान के बिना भी सादृट्पभान मुमकिन -स्याद्वादी ४०.६ भेद इय आदि शब्द का अर्थ नहीं है . स्याद्वादी सादृश्यस्य न भेदगर्भितत्वम् ४५७ सादृदयबुद्धि और अनुगतबुद्धि के लक्षण्य की उपपत्ति सांदृष्ट्य अतिरिक्त पदार्थ है . नव्यनेपाविक सादृश्यव्यञ्जकल्पनागौग्वस्य फलमुखत्वम् 'पटो द्रव्यत्वेन घटसदृशो न गुणत्वेने निवाक्यविचार: सादयविषयकनव्यनवापिकमतनिरास सामान्ये नित्यत्वाऽनेकसमवेत्तत्वाऽसम्भवः जाति में नित्पत्वादि असिद्ध जातेर्यानव्यक्तिवृत्तित्वोपपादनापाकरणे जाति में अनेकसमवेतत्व की उपपत्ति का निराकरण ५.२ वर्धमान उपाध्याय के मत का निरास विशेषपदार्थाऽनुपपत्तिः नैयायिकसंमत विदोषपदार्थ अप्रामाणिक अवान्तरजातीयरूपादिव्यावृत्तिविचारः । विशेषपदार्थ परमाणु में है या उन के गुण में ? नृसिंह-महादेववचननिराकरणम् विशेष स्वत:व्यावृत्त है या उसका आश्रय ? विशेषपदार्थविचारे मञ्जपाकारादिमतप्रकाशनम् विशेषसाधक अनुमान उपाधिग्रस्त - स्याद्वादी .० ४००० al ४८८ A AEC

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