Book Title: Syadvadarahasya Part 2
Author(s): Yashovijay Upadhyay, 
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 18
________________ XVIII मध्यमस्याद्वादरहस्ये खण्ड: २ चिपय कार्यत्वस्वरूपनिर्वचनम् | वृहत्स्याद्वादरहस्यसंवादः 'यद्विशेषयोः' न्यायस्याप्रामाणिकत्वम् कुम्हारादि में ताद्रूप्य से हेतुता स्थाद्वादि वारीरलायवाऽपेक्षषा सङ्ग्राहरुलाघवस्य न्याय्यलम् | चणुकोपादानप्रत्यक्ष के आश्रवविधा भरसिद्धि | नामुमकिन पणुकादावुपादानप्रत्यक्षस्याऽकारणता [उपादानप्रत्यक्षकारणतामीमांसा | उपादानप्रत्यक्षकारणता में लाघव भिरप्रत्पथ में स्वजन्वप्रपत्नविशेष्यतासम्बन्ध से कारणता नामुमकिन जन्मताविशेषप्रकाशनम् उपादानप्रत्यक्ष कारणता ही असिद्ध स्याद्वादी S | महेश्वरप्रत्यवस्थासिद्धता • सम्मतितर्कवृत्तिमंत्रादः गुण में साश्रयकत्वव्याप्ति अप्रामाणिक जीवात्मा में ही नित्वज्ञानाश्रयता मुमकिन स्याद्वादी खण्डनखण्डखायसंवादः नित्यप्रत्यक्षेत्रीयत्वादेरभावः जीवात्मा में नित्य प्रत्यक्ष मानने में लाघव सामान्यलक्षणस्याऽप्रामाणिकत्वम् जीवात्मवृत्ति नित्य प्रत्यक्ष में बाधक का निराकरण नित्यप्रत्यक्षाननुष्यवसायोपपादनम् नित्यप्रत्यक्षे लौकिकविपयितायाः सत्त्वमसत्त्वं वा ? इन्द्रियसन्निकर्षजन्यतावच्छेदकवित्रिपिता अन्यमत प्रत्यक्षनियामक अस्वरसवीजविभावनम् गुरुत्वादिअन्यतमभेद ही प्रत्यक्ष का नियामक सतविशेषनिरूपण मनविशेष स्याद्वादध्वान्तमार्तण्डखण्डनम् । नित्य ज्ञानादि नामुमकिन स्वकृतिप्रयोज्यताज्ञानस्य प्रवर्तकत्वम् विजातीयसंयोग का कारण कुलालादिप्रपत्न कुलादिप्रयत्न घटादि के प्रति अन्यथासिद्ध दण्डकार्यतावच्छेदकस्य खण्डघटादिल्या त्तत्वम् दण्ड भी पतविशेष का ही कारण है स्याद्वादी परद्रव्यस्य निश्वयतोऽकारणत्वम् वस्तुतः दण्ड घट का कारण नहीं, प्रयोजक है पट में भी कथञ्चित्कपालय साक्षात रहता है द्विकपालघटे कथञ्चित्कालत्वस्वीकारः - विषयमार्गदर्शिका विषय स्पावादी पृष्ठ ४१२ ४१३ ४९४ ४१४ ४१५ ४१५ ४१६ ४१७ ४१७ ४१८ ४१८ ४१९. ४२० ४२० ४२० ४२९ ४२२ ४२२ ४५३ ४२३ ४२४ ४२५ ४२५ ४२६ ४२६ ४२७ १२७ ४२८ ४२८ ४२९ ४३० ४३ : ४३१ - स्याद्वादी ४३२ स्याद्वादी ४३१ ४३२ भारभ्याम्मवादस्य स्वीकर्तव्यत्वम् 'कयमाणे कडे' सिद्धान्त से आरभ्यारम्भबाद विशेषावश्यकभाष्यसंवादः रामरुद्रमतापाकरणम् दीधितिकारमतनिरास वादमहार्णवे पटे खण्डवपर्यायाभ्युपगमः कृतित्वेन कारणता का स्वीकार मुनासिव व्याप्यधर्मसत्ये व्यापकधर्मेण न हेतुता अभावकर्तृत्वबाध से ईश्वर में जगत्कर्तृत्व नामुमकिन कार्यमात्रस्य कृतिजन्यत्वनियमानङ्गीकारः कार्यकार्यतावच्छेदक नहीं हो सकता रामरुद्रभद्रमतनिरासः लोकपतनाभाव से ईश्वरसिद्धि नेपादिक वृहदारण्यकवचनसमीक्षणम् पृथ्वीलोकादि के पतनाभाव से ईश्वरसिद्धि नामुमकिन स्याद्वादी स्वभावविशेष ही पतनाभाव में नियामक स्माद्वादी पृथिव्या भूतेरदृष्टजन्यत्वम् अदृष्टविशेष से दी लोकादिति की उपपति योगसास्वसंवादः ईश्वर की शरीरी मानने की आपत्ति महेशशरीरविमर्शः परमाणु ईश्वरवारीर नहीं हो सकते अतिरिक्तेश्वरकल्पने गौरवम् स्वाद्वादी समदि अप्रामाणिक विधिविवेकसंवादः ईश्वर में सर्वज्ञता असिद्ध स्याद्वादी युक्तिनिकलतेरसाधकता ईश्वरज्ञान को गुणादिविषयक न मानने में लाघव ईशज्ञानस्य गुणादिविषयकत्वमसिद्धम् ईशाऽसिद्धी विशेषावश्यकभाष्य-तत्त्वसहसंवादः स्पावादी मीमांसकानामतिमदर्शनम् न्यायसिद्धान्तम अरीटीका शक्तिवादसंवादः सर्वसिद्धि में प्रमाण पर्यः सर्वज्ञसिद्धिः प्रतिबन्धकसत्त्वेऽदृष्टस्याऽकिञ्चित्करल्वम् अष्टसहस्रीविवरणसंवादः पपदार्थप्ररूपण योगसूत्रनिराकरणम् अतीतविषयक प्रत्यक्ष मुमकिन दिगम्बरनयेन सर्वविषयज्ञानसिद्धिः पृष्ठ ४३३ ४३३ ४३४ ४३५ ४३५ ४३६ ४३६ ४३७ ४३७ ४३८ ४३८ ४३०. ४३९. ४४० ४५० ४४१ ४४२ ४४२ ४४३ ४४३ ४४४ ダイ ४५ ४४६ ** 5.KR ४४८ ४४८ ४४९ ४५० ४५१ ४५२ ४५२ ४५३ ४५४ ४५५ ゲーム ४५६ ८५६ AR 7

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