________________ श्रीशान्तिनाथ-चरित्र। wwwwwwwwwwmarrim पड़ी. ? अब मैं क्या करूँ ? कहाँ जाऊँ ? यह तो मेरे ऊपर बड़ी भारी विपत्ति श्रा पहुँची !" इसी प्रकार सोचते-विचारते उसके मनमें यह विचार उत्पन्न हुआ, कि जिनका मेरे साथ विवाह हुआ है, वह मेरे स्वामी अवश्य ही उज्जयिनी-नगरी में चले गये हैं। कारण उस दिन मिठाई खानेके बाद उन्होंने कहा था कि, यदि मिठाईके ऊपरसे उज्जयिनीका जल मिलता तो क्याही अच्छा होता ! इस से तो यही संभव मालम होता है, कि वे उज्जयिनी चले गये होंगे। अब यदि मैं किसी उपायसे वहाँ पहुँच सकूँ तो उनसे मिलकर अवश्य ही सुखी हो जाऊँगी / इस प्रकार विचार करती हुई वह, थोड़ी देरतक वहीं बैठी रह गयी / एक दिन उसने अपनी मातासे कहा,-"माता ! तू ऐसा कोई उपाय कर . जिससे पिताजी एक बार मेरी बात सुनलें / " परन्तु यह सुनकर भी, उसकी माताने उसका मान नहीं रक्खा / तब दूसरे दिन सुन्दरीने सिंह नामक एक सरदारको बुलाकर, उस पर अपना अभिप्राय प्रकट किया। उसकी प्रादिसे अन्त तक सारी बातें सुन, मन-ही-मन बहुत कुछ सोच-विचार करनेके बाद सरदारने कहा,-"बेटी ! तू उतावली मत हो / मैं अवसर देखकर राजा से तेरी सब बातें कह सुनाऊँगा और तेरी इच्छा पूरी करूँगा।" यह सुन, राजकुमारीको धैर्य हुआ। ____एक दिन समय पाकर सिंहने बड़ी युक्तिके साथ राजासे कहा,-"राजन् आपकी पुत्री बेचारी इस समय बड़े कष्टमें है। उसका सम्मान करना तो दूर रहा, कमसे कम इतनी भी तो कृपा कीजिये, कि उसकी बातें सुन लीजिये / " यह सुन, राजा की आँखोंमें आँसू भर आये / उन्होंने सिंहसे कहा,"सामन्त ! मेरी पुत्रीने किसी पर झूठा अपराध लगानेका अपराध किया है, इसी से इस जन्ममें उस पर कलंक लगा है और वह आपसे आप सुखकी जगह दुःख पा रही है। पर यदि वह मुझसे कुछ कहा चाहती हो तो भले ही मेरे पास श्राकर कहे, मैं सुननेको तैयार हूँ।" इस प्रकार राजाकी आज्ञा पा, सामन्तने नौलोक्यसुन्दरीके पास आकर कहा,-"पुत्री ! जा, तू अपने पिताके पास जाकर जो कुछ कहना हो, कह सुना।" यह सुन त्रैलोक्यसुन्दरीने राजा के पास आकर कहा, "पिताजी ! मुझे राजकुमारोंकीसी पोशाक मँगा दीजिये / यह सुन, राजाने सिंहसे कहा, "सामन्त ! यह आफत की मारी क्या ऊटपटाँग बक रही है ? " सामन्तने कहा,-"महाराज! इसने जो कुछ कहा, वह ठीक ही कहा है। यह परिपाटी तो पहलेसे ही चली आ रही है। राजकुमारियाँ बड़े बड़े कार्योका साधन करनेके लिये पुरुष वेश धारण कर सकती हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है, इस लिये आप संशय न करें, प्रसन्नतासे राज P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust