________________ आठ प्रकारके व्यन्तरोंके प्रतिभेद ] - गाथा 34-35 [ 95 ___ इन आठों प्रकारके निकायोंके उत्तर-दक्षिण भेदसे सोलह इन्द्र हैं। जिनके नाम अग्रिमं गाथामें कहे जाएँगे। इन आठों प्रकारके व्यन्तरों के प्रतिभेद कितने-कितने हैं / यह उनके वर्णनके साथ संग्रहणी टीकाके आधार पर बताया जाता है / 1. पिशाच निकायके देव पन्द्रह प्रकारके हैं। 1. कुष्माण्ड, 2. पटक, 3. जोष, 4. आह्निक, 5. काल, 6. महाकाल, 7. चोक्ष, 8. अचोक्ष, 9. तालपिशाच, 10. मुखरपिशाच, 11. अधस्तारक, 12. देह, 13. महादेह, 14. तूश्रीकड और 15. वनपिशाच / ये देव स्वाभाविक रूपमें ही अत्यन्त रूपवान, सौम्यदर्शनवाले, देखनेवालेको आनन्द उपजानेवाले, हस्त-कण्ठादि स्थानों में रत्नमय आभूषणोंको धारण करनेवाले होते हैं / / 2. भूत निकायके देव नौ प्रकारके हैं। 1. स्वरूप, 2. प्रतिरूप, 3. अतिरूप, 4. भूतोत्तम, 5. स्कंदिक, 6. महास्कंदिक, 7. महावेग, 8. प्रतिछन्न और 9. आकाशग / ये देव सुन्दर, उत्तम, रूपवान, सौम्य, सुन्दर मुखवाले और विविध प्रकारकी रचना तथा विलेपन करनेवाले हैं। 3. यक्ष निकायके देव तेरह प्रकारके हैं। 1. पूर्णभद्र, 2. माणिभद्र, 3. श्वेतभद्र, 4. द्र, 5. सुमनोभद्र, 6. व्यतिपाकभद्र, 7. सुभद्र, 8. सर्वतोभद्र, 9. मनुध्ययक्ष, 10. धनाधिपति, 11. धनाहार, 12. रूपयक्ष और 13. यक्षोत्तम / .. ये देव स्वभावसे गम्भीर, प्रियदर्शनवाले, शरीरसे ११'मानोन्मान प्रमाणवाले तथा इनके हस्तपादोंके तलवे, नाखून, तालु, जीभ, ओंठ लाल हैं / ये मरतक पर देदीप्यमान मुकुट तथा चित्र-विचित्र रत्नोंके आभूषणोंको धारण करनेवाले हैं। 4. राक्षस निकायके देव सात प्रकारके हैं / 1. भीम, 2. महाभीम, 3. विघ्न, 4. विनायक, 5. जलराक्षस, 6. यक्षराक्षस और 7. ब्रह्मराक्षस / . . . ये व्यन्तर देव भयंकर हैं। भयंकर रूपको धारण करनेवाले होनेसे देखनेवालेको भयंकर, लंबे और विकराल लगे ऐसे, रक्तवर्णके ओठ धारण करनेवाले, तेजस्वी आभूषणोंको पहननेवाले और शरीरको अलग-अलग प्रकारके रंगों और विलेपनोंसे सजाते हैं। . 5. किन्नर निकायके देव दस प्रकारके हैं। 1. किन्नर, 2. किंपुरुष, 3. किंपुरुषोत्तम, 4. हृदयंगम, 5. रूपशाली, 6. अनिदित, 7. किन्नरोत्तम, 8. मनोरम, 9. रतिप्रिय और 10. रति श्रेष्ठ / . 118. जलसे भरे कुंडमें प्रवेश करते समय जितना जल बाहर निकले और उस . जलको मापनेसे 'द्रोण' प्रमाण हो तो वह देव मान प्रमाणका माना जाए और तराजूसे तौलनेसे 'अर्धभार' हो तो उन्मान प्राप्त माना जाए।